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फ़िल्म का सार शहर में मैमल और अन्य किस्म के जानवर हैं। निक एक लोमड़ी है जो की जुडी हॉप्स को तंग करती रहती है। जुडी एक चूहा है जो अपनी ड्यूटी ईमानदारी से करता है। वह एक केस को सुलझा रहा था तभी लोमड़ी उसके काम में बाधा बन के आ जाती है। क्या जुडी केस की छानबीन कर पायेगा?
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बहुत पुरानी बात है, उज्जैन नगरी में राजा भोज राज्य करते थे। उनके राज्य में सभी प्रजासुखपूर्वक रहती थी। वहाँ किसी को भी कोई कष्ट नहीं था।उस राज्य में कोई भी प्राणी भूखे पेट नहीं सोता।सभी अपने-अपने काम में लगे रहते थे। राजा भोज की न्याय के चर्चे स्वर्ग में भी होते थे। राजा इंद्र को भी राजा भोज से ईर्ष्या होती थी। सैर और तमाशे के लिए नगर के किनारे-किनारे क्यारियाँ बनाकर तरह-तरह के फूल लगाये गये थे। उन्हीं क्यारियो के पास एक नगरवासी का छोटा-सा खेत था, उसने अपने खेत में खीरे के बीज बोये। जब खीरे के बेल बड़े हो गये और उनमें फल लगे, तब उस नगरवासी ने खेत के बीचोंबीच एक-मचान बनाया । जिससे उस मचान पर बैठकर वह अपने खेत की रखवाली कर सके। लेकिन जैसे हीं वह उस मचान पर चढ़ा उसके मुख से यह निकलने लगा- “ कोई है? इसी वक्त राजा भोज को गढ़ से पकड़ लावे और सजा को पहुँचावे ।” जैसे हीं राजा के नौकरों ने यह सुना उस नगरवासी का टाँग पकड़कर उसे नीचे गिरा दिया , उसकी जमकर मरम्मत की और उससे उठक-बैठक करवाय। जब उस नगरवासी के गरुर का नशा उतरा तब उसने राजा के नौकरों सेपूछा-“मैंने ऐसी कौन-सी भूल की है, जो तुम सब ने मेरी धुनाई की ? ” इधर-उधर के राह-बाट के लोग जो वहाँ इकट्ठे हुये थे कहा- “तूने ऐसी बात राजा के लिये मुँह से निकाली है कि यदि राजा ने सुन लिया तो तुझे तोप से उड़ा देगा।” यह सुनते हीं वह गिड़गिड़ाने लगा , रहे सहे होश-हवास उड़ने लगे, जान मुँह को आ गया। राजा के नौकरों के पैरों में पड़कर मिन्नतें करने लगा कि उसे माफ कर दें।उसके बाद वह नगरवासी अपने घर को चला गय। लेकिन जब भी वह नगरवासी उस मचान पर चढ़ता वैसे हीं बकबास करने लगता।एक दिन राजा ने चार हरकारे एक काम को किसी तरफ भेजे थे । वे रात को उधर से फिरते हुए चले आ रहे थे और वह नगरवासी मचान पर चढ़ा हुआ बक रहा था , कि बुलाओ हमारे दीवान और अहलकारों को कि इस जगह खासे-महल और एक गढ़ बनावें। सब सरजाम लड़ाई का उसमें जमा करे कि, मैं राजा भोज से लड़ूँ और माड़ूँ , जो मेरे सात पुश्त का राज यह राजा करता है। यह सुनते हीं उन चारों हरकारों को अचंभा हुआ, और एक को उनमें से गुस्सा आया। एक ने दूसरे से कहा- “इसे पकड़ हाथ-पैर बाम्ध कर राजा के पास ले चलो । ” दूसरे ने कहा- “वे इसके हक में जो चाहे सो करे। ” तीसरे ने कहा- “इसने शराब पी है, मतवाला है, सो बकता है ।” चौथे ने कहा- “फिर समझा जायेगा।” इसके बाद चारों हरकारे लौट गये अगले दिन चारों हरकारे राजा के दरबार में पहुँचे । राजा को प्रणाम कर , सअबसे पहले काम का ब्यौरा दिया जिसके लिये उन चारों को भेजा गया था। राजा ने उनसे पूछा कि, हमारे राज्य में सब लोग खुश रहते है ? और अपने घर में रहकर हमारे हक में क्या कहते हैं? तब उन्होंने हर एक का अहवाल कहकर वह राह का किस्सा बयान किया जो सुना था। और कहा कि , अजब असर उस मचान का है कि, जब वह उस मचान पर चढ़कर बैठता है तब एक रउनत उस पर चढ़ जाती है और जब वह वहाँ से नीचे उतरता है तब नशा उतर जाता है। फिर अपनी असली हालत में आता है। तब राजा ने कहा-“तुम मुझे वहाँ ले चलो और मुझे दिखाओ कि वह जगह कौन-सी है ? ” ऐसा कह राजा खुशी-खुशी से उन हरकारों को साथ लेकर उस स्थान पर गया।वहाँ छुपकर चुपके से हरकारों के साथ बैठा रहा। इतने में क्या सुनता है कि वह नगरवासी मचान पर पांव रखते ही खने लगा कि, लोग जल्दी जावें और राजा भोज को गढ़ से पकड़ लावें । उसे जल्दी मार मेरा राज ले लें। इसमें यश और धर्म दोनों उन्हें होंगे। यह सुनते हीं राजा को क्रोध आया और हरकारों को साथ लेकर राजमहल को लौट आया। रात को फिक्र के मारे नींद नहीं आई। जैसे-तैसे रात बिताई। सवेरा होते हीं स्नान करके दरबार में पहुँचा। सभी को रात का किस्सा बताया। पंडितों ,मंत्रियो और दरबारियों ने विचार कर राजा से कहा- “महाराज! हमारे विचार में उस स्थान पर लक्ष्मी का लक्षण नजर आता है। वहाँ पर बहुत दौलत है।” यह सुनते हीं सेनापति को हुक्म दिया कि लाख बेलदार वहाँ जायें और उस मकान की तमाम जमीन को खोदें । हुक्म सुनते हीं सेनापति लाख बेलदार के साथ उस स्थान पर पहुँच गया। राजा भी अपने रथ पर सवार होकर वहाँ पहुँच गये। जब बेलदारों ने उस स्थान को चारों ओर से खोदा और वहाँ की मिट्टी हटायी तो एक पाया नजर आया। तब राजा ने हुक्म दिया- “सावधानी से खोदो टूट न जाये।” जब खोदते-खोदते सिंहासन के चारों पाए नजर आए तब राजाने कहा- “अब इसे बाहर निकालो ।” लाखों मजदूर उस सिंहासन को उठाने में लगे थे लेकिन वह टस-से-मस नहीं हुआ। तब एक पंडित ने कहा-“महाराज! यह सिंहासन देवताओं अथवा दानवों का बनाया हुआ है । यह इस जगह से न हिलेगा और न उठेगा। बलि लेगा । इसको बलि चढ़ाइए। ” तब वहाँ पर भैसे और बकरेकी बलि दी गई। चारों तरफ जयजयकार होने लगे और बाजे बजने लगे। उसके बाद सिंहासन को उसके स्थान से आसानी से बाहर निकाल लिया गया। उस सिंहासन को एक साफ-सुथरे स्थान पर रख दिया गया। जब उस सिंहासन को पूरी तरह से साफ कर दिया गया तब उस सिंहासन की चकाचौंध देखते बनती थी। उस सिंहासन के चारों तरफ आठ-आठ पुतलियां के हाथ-में एक-एक कमल लिये हुई बनाया गया था। राजा ने मंत्रियों को कहा कि जहाँ-जहाँ पर इस सिंहासन के नक्कासी में से हीरे-जवाहरात निकलगये हैं वहाँ पर नये लगवाकर इसे सही किया जाये। जाये। सिंहासन के जीर्णोद्धार में पूरे पाँच महीने लग गये । तब पंडितों ने ग्रह-नक्षत्र गणना करके कार्तिक महीने में एक शुभ दिन निकाला जिस दिन महाराज उस सिंहासन पर बैठे। बैठे। निश्चित तिथि को सभी को आमंत्रित किया गया। नगरवासियों में धन बँटवाये गये। महाराज तैयार होकर सभा में पहुँचे और पंडितों के मंत्रोच्चारण के साथ उस सिंहासन पर बैठने को अपने दायें पैर को बढाया हीं था कि उस सिंहासन की सभी बत्तीस- की-बत्तीस पुतलियां खिलखिलाकर हँसने लगी। उस सभा में उपस्थित सभी व्यक्तियों का मुँह आश्चर्य से खुला-का-खुला रह गया। राजा ने भी घबराकर अपना पैर पीछे कर लिया और उन पुतलियों से बोला- “तुमने क्या देखा? और क्यों हँसी? ये सब बातें मुझे बताओ । क्या मैं बली राजा का बेटा यशस्वी नहीं ? या क्षत्रियों में कायर हूँ ? या नामर्द हूँ ? या बेरहम हूँ ? या और राजा मेरे हुक्म में नहीं ? या मैं पंडित नहीं ? या मेरे यहाँ पद्मिनी नारी नहीं? या मैं राजनीति नहीं जानता ? या मैं किसी की मजलिस में नीचे होकर बैठा ? फिर किस बात में मैं नालायक हूँ ? मेरेदिल में शक पड़ा है सो मुझको बताओ । ” यह बातें राजा से सुनकर उनमें से रत्नमंजरी नामक पहली पुतली बोली:- पहली पुतली रत्नमंजरी पहली पुतली बोली:- हे राजा! दिल लगाकर मेरी बात सुनो और यह किस्सा मैं तुमसे बयान करती हूं । तुम गुणग्राहक और कदरदान हो। जो तुमने बातें कहीं सो सब दुरुस्त है । तुम्हारे तेज के आग की ज्वाला सुर्य से भी अधिक है पर इतना गर्व मत करो। पुरानी कथा सुनो इस संसार का अंत नहीं। भगवान ने इस संसार में किस्म-किस्म और रंग-रंग के जवाहर पैदा किये हैं , क्दम-कदम पर दौलत का अम्बार है और एक-एक कोस पर आबे हयातका चश्मा है, पर तुम इसे नहीं जान पाये। तुम जैसे इस दुनिया में करोड़ों पड़े हैं और यह सिंहासन जिस राजा का है उसके यहाँ तुम्हारे जैसे एक-एक नौकर था। यह सुनकर राजाभोज क्रोधित हो गये और कहने लगे – “इस सिंहासन को मैं अभी तोड़ डालता हूँ। ” इतने में पुरोहित वररुचि ने कहा- “राजन! यह न्याय के विपरित है। इसलिए पुतली की बात ध्यान से सुनो। उसके बाद जो कुछ करना हो वह किजिये। ” राजा भोज ने कहा- “इसके आगे बताओ ” तब पुतली रत्नमंजरी बोली – “मै क्या कहूँ ? राजा! जब इतना हीं सुनकर तुम जलकर खाक हो गये, तब आगे स्नकर और भी शर्मिंदा होगे। इसलिए कहने से भला है ना कहा जाये। हम तो उसी रोज मर चुकी थीं और सिंहासन फूट चुका था जिस रोज से राजा विक्रमादित्य से बिछुड़ी । अब हमें क्या डर है।” इतनेमें राजा का दीवान पुतली से कहने लगा-“तुम अपने राजा का बखान किसलिये नहीं करती? गुस्सा छोड़ दे और बता। क्या भेद छिपा रखा है? ” तब पुतली बोली –“शकबंधी नामक बड़ा बलवान राजा अंबावती में राज करता था। वह देवताओं को पूजनेवाला और सभी को दान देनेवाला था। आगे की कथा मैं तेरे वास्ते कहती हूँ । राजा ध्यान से सुनो- ” उसी नगर में श्यामस्वयंवर नाम का राजा था। वह ब्राह्मण जात का था पर बड़ा राजा था। वह गंधर्वसेन के नाम से जाना जाता था। उसके चार वर्ण की चार रानियां थीं- ब्राह्मणी, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र । उसमें ब्राह्मणी बड़ी नाजुक और अच्छी सूरत की थी। उस ब्राह्मणी के एक बेटा हुआ , वह बड़ा पंडित हुआ। उसका नाम ब्राह्मणजीत रखा गया। ब्राह्मणजीत के जैसा कोई पंडित इस दुनिया में नहीं हुआ। उसे हर तरह की विद्या आती थी। वह मौत के बारे में भी बता देता था। उस राजा के क्षत्रिय-रानी से तीन बेटे हुये। एक का नाम शंख, दूसरे का नाम विक्रम और तीसरे का नाम भर्तहरि था। इन तीनों ने क्षत्रिय धर्म अपनाया। तीनों एक-से-एक बलवान। पूरे जग में उन्हें कल्पवृक्ष कहा जाता था। वैश्य रानी से राजा के एक पुत्र हुआ जिसका नाम चंद्र रखा गया।वह बड़ा रहमदिल और सुखी था। शूद्र रानी से जो पुत्र हुआ , उसका नाम धन्वंतरि रखा गया। वह बहुत बड़ा वैद्य बना। इस प्रकार से राजा के छह बेटे हुये। सभी एक-से-बढ़कर एक ।ब्राह्मणी का बेटा राजा की दीवानी करता था। लेकिन झगड़े की वजह से वह अपने राज्य को छोड़कर धारापुर में चला गया। वहाँ सब तुम्हारे बुजुर्ग थे। धारापुर के राजा तुम्हारे पिताजी थे । बहुत तरकीब लगाकर ब्राह्मणी के बेटे ने तुम्हारे पिताको मार डाला और उस राज्य को हथिया कर उज्जैन नगरी में आया और मर गया। उसके बाद क्षत्रिय रानी का बड़ा बेटा शंख उज्जैन नगरी का राजा बना। एक दिन पंडितों ने आकर राजाशंख से कहा कि शास्त्रों के अनुसार तुम्हारा दुश्मन दुनिया में पैदा हुआ है। यह सुनकर राजा शंख को आश्चर्य हुआ। ब्राह्मण कहने लगे कि एक और बात है जो हम अपने मुँख से नहीं कह सकते। तब राजा शंख ने कहा- “जैसे यह बात बताई, उसी प्रकार से वह बात भी बताओ।” तब पंडितोंने कहा- “राजा शंख को मारकर , विक्रम यह राज करेगा। ” यह सुनकर राजा शंख हँसा और बोला- “ये पंडित बावले हो गये हैं। हैं।इन्हें कुछ ज्ञान नहीं है। इसलिये ऐसी बात कह रहे हैं ।” राजा चुप रहा। पंडित भी शर्मिंदा हुए कि हमारे शास्त्रों को राजा ने झूठा बताया। कुछ समय पश्चात पंडितों ने फिर गणना की और एक पंडित ने कहा-“ मेरे विचार से विक्रम कहीं नजदीक आन पहुँचा है। ” दूसरे ने कहा- “यहाँ के किसी जंगल में है । ” और एक उनमें से कहने लगा, उस जंगल में एक तालाब भी है , वहीं अखाड़ा करके रह रहा है। तब उनमें से एक ब्राह्मण जंगल की ओर चला। वहाँ जाकर देखता है कि एक तालाब के पास ,मिट्टी का महादेव बनाकर , राजा विक्रम तपस्या कर रहा है। यह देखकर वह ब्राह्मण उल्टा लौट आया और सभी पंडितों को साथ लेकर राजा शंख के सभा में पहुँचा और कहने लगा- “राजा ! तूने हमारे शास्त्र को झूठा कहा और हमारी हँसी उड़ाई। लेकिन हमने अपनी आँखों से देखा है कि फलाने जंगल में राजा विक्रम आ पहुँचा है। ” राजा शंख उस समय चुप रहा। अगली सुबह राजा उठा ,अपने मंत्रियों और साथियों सहित पंडितों के बताये हुये जंगल में पहुँचा और छिपकर राजा विक्रमादित्य को देखने लगा। राजा ने देखा कि विक्रमादित्य उठा और तालाब में स्नान कर महादेवकी पूजा की ।जब विक्रमादित्य पूजा कर जा चुका। तब उस राजा शंख निकलकर उसी जगह पर पहुँचा और महादेव की पिण्डी को दूषित कर दिया ।यह देखकर राजा के साथ आये हुये लोग कहनेलगे कि इस राजा की मति मारी गई है जो इसने ऐसा किया है। उन लोगों ने राजा कओ समझाया परंतु राजा ने कहा जो लिखा होगा वही होगा। उसके बाद राजा शंख ने राजा विक्रमादित्य को मारने की योजना बनाई। राजा शंख ने तांत्रिकों की मदद से सात लकीरें बनवाइ और उस पर मिट्टी डालकर छुपा दिया जिससे पता न चले। उन लकीरों पर जो भी पैर रखता वो बावला हो जाता। इसी तरह से एक खीरा मँगाकर जादू किया और एक अभिमंत्रित छुरी मँगायी। उस छूरी और खीरे का यह असर था कि जो उस छूरी से खीरे को काटेगा उसका सर धड़- से अलग हो जायेगा। उसके बाद पंडितों से कहा कि राजा विक्रमादित्य को बुलाओ। जैसेही वह आयेगा और इन लकीरों पर पैर रखेगा बावला हो जायेग। बावला हो छूरी से खीरा काटते हीं उसका सर धड़ से अलग हो जायेगा। राजा विक्रमादित्य को बुलाकर कहा कि आओ हम –तुम खीरा खायें। राजा विक्रमादित्य योगी था अत: वह उन लकीरों से बचकर सिंहासन के पास पहुँच गया। खीरा और छूरी उसके हाथ से ले लिया।दाहिने हाथ में छूरी रखी और बायें हाथ में खीरा। राजा शंख जब तक समझ पाते राजा विक्रमादित्य ने उनकाकाम तमाम कर दिया। वहाँ का राजा बन बैठा। न्याय और धर्म से राज्य करने लगा। एक दिन अपने साथियों और मत्रियों के साथ जंगल में शिकार करने गया। शिकार करते-करते अपने साथियों से बिछड़ कर एक घने जंगल में पहुँचा। एक वृक्ष पर चढ़ कर देखने लगा, तो उसे एक तरफ एक नगर दिखा । उस नगर को देख कर सोचने लगा कि क्यों न इस नगर को अपना राज्य बना लिया जाय । उस नगर के राजा का दीवान लूतरबन कौवे के वेश में वहीं बैठा था। जब उसनेयह सुना तो राजा विक्रमादित्य के मुख को दूषित कर दिया। इससे राजा को बहुत क्रोध आया।सवेरा होने पर अव्ह अपने राज्य को लौट आये और हुक्म दिया कि सभी कौवे को बंदी बना लिया जाय। सभी कौवे को बंदी बना कर दरबार में पेश किया गया। तब राजा ने पूछा कि बताओ तुम में से वह कौन-सा कौवा है जिसने रात्रि को मेरे मुँह को दूषित किया। तब सभी कौवे कहने लगे हम में से कोई नहीं है। तब राजा ने कहा- तुम सब के सिवाय वह कौन-सा कौवा है, जिसने यह काम किया।तब एक कौवे ने कहा – बाहुबल नामक राजा का दीवान लूतरबन कौवे के वेश में रहता है, यह उसी का कार्य है। यदि आप हमें छोड़ दें तो हम उसे ले आये।यह सुनकर राजा ने दो कौवे को छोड़ दिया। दोनों कौवे उड़कर दीवान लूतरबन के पास पहुँचे और कहा-“तुम्हारे कारण हम सभी कौओं की जान खतरेमें है। तुम राजा विक्रमादित्य के पास चलो और हमारी जान बचाओ।” तब दीवान लूतरबन अपने राजा से आज्ञा लेकर राजा विक्रमादित्य के दअर्बार में पहुँचा। राजा विक्रमादित्य ने उसका आवभगत किया । लूतरबन ने पूछा – “महाराज ! आपने इन कौवों को क्यों बंदी बना रखा है? ” तब राजा ने जंगल वाली घटना बतायी। सब बातें सुनकर लूतरबन ने कहा वह मेरा काम था । आपकी मंशा जानकर मुझे गुस्सा आया और मेरी बुद्धि जाती रही जिस कारण से मैंने वैसा किया । यह सुनकर राजा विक्रमादित्य हँसा और बोला- “मुझे गर्व क्यूँ ना हो? मैं राजाहूँ, दाता हूँ,सिपाही हूँ ।और कौन-सी बात मुझमें नहीं है वह कहो।” तब लूतरबन ने कहा- “वृक्षपर चढ़कर तुमने जो नगर देखा वहाँ के राजा बाहुबल हैं। आपके पिताजी गंधर्वसेन वहाँ दीवान थे कुछ मतभेद के कारण आपके पिताजी ने राज्य छोड़कर अंबावती नगर में आकर राजा बन गया। तुम उसी गंधर्वसेन के बेटे हो। तुम्हें कौन नहीं जानता। लेकिन जब तक राजा बाहुबल तुम्हारा राजतिलक नहीं करेगा तुम्हारा राज्य अचल नहीं हो सकता। यदि राजा बाहुबल को तुम्हारे मंशा की खबर लग गई तो तुम्हें एक क्षण में राख कर देगा। इसलिये कहता हूँ प्यार-मोहब्बत से उसके पास जाकर अपना राज तिलक करवा तभी तेरा राज्य अचल होगा।यदि तू मेरे साथ चलना चाहता है तो अच्छा मुहुर्त निकलवा कर चल। ” राजा विक्रमादित्य बहुत अक्लमंद था । उसने लूतरबन की बात पर ध्यान दिया और पंडितों से मुहुर्त निकलवाकर उसके साथ राजा बाहुबल के पास चल पड़ा। अपने राज्य में पहुँचकर लूतरबन ने राजा विक्रमादित्य से कहा कि आप यहीं ठहरें मैं अपने राजा को सूचना देकर आता हूँ। उसके बाद लूतरबन अपने राजा बाहुबल के पास पहुँचा अपनी कुशल-क्षेम बतायी और यह भी कहा कि गंधर्वसेन का बेटा राजा विक्रमादित्य आपसे मिलने आया है। यह सुनकर राजा बाहुबल ने विक्रमादित्य को अपने दरबार में बुलाया । उसकी आवभगत की तथा उसे एक मकान में ठहराया। कुछ दिन व्यतीत करने के बाद राजा विक्रमादित्य ने दीवान लूतरबन से कहा- अब हमें अपने राज्य को जाना है। लूतरबन ने कहा-“हमारे राजा से जो मिलने आता है उसे विदा नहीं करते। तुम उनसे विदा माँगो और जो कुछ भी मन में इच्छा हो वह माँग लो। ” राजा विक्रमादित्य ने कहा-“मुझे कुछ नहीं चाहिये। ” तब लूतरबनने कहा- “हमारे राजा के पास एक सिंहासन है। वह सिंहासन महादेव जी ने इंद्र को दिया था और इंद्र ने हमारे राजा को। उस सिंहासन में ऐसा गुण है कि जो कोई उस पर बैठेगा वह सात द्वीप और नौ खंड पृथ्वी का जीत कर राज्य करेगा। उस सिंहासन में बत्तीस पुतलियाँ बनी हुई हैं जिन्हें अमृत से सींच कर ढ़ाला गया है। तुम विदा माँगते समय वही सिंहासन माँग लेना।” अगली सुबह लूतरबन ने राजा बाहुबल से जाकर कहा कि राजा विक्रमादित्य विदा माँगनेआये हैं। यह सुनकर राजा बाहुबल दरवाजे पर आये। राजा बाहुबल को देखाकर राजा विक्रमादित्य ने पना शीश नवाया। तब राजा बाहुबल ने कहा-“तुम्हें जो भी चाहिये वह माँग लो।” राजा विक्रमादित्य ने कहा-“ महाराज! आप मुझे वह सिंहासन दे दो जिसे इंद्र ने आपको दिया है।” तब राजा बाहुबल ने वह सिंहासन मँगवाया और पान-तिलक ले कर मंगलाचरण के साथ राजा विक्रमादित्य का तिलक कर दिया। उसके बाद राजा विक्रमादित्य अपने राज्य को लौट आये। राजा ने अपना राज्य दूर-दूर तक फैलाया। उनके राज्य में सभी सुखी थे। किसी को कोई दु:ख नहीं था। सभी प्रजा तीनों समय भगवान का ध्यान करते । अपना कार्य करते और सुखपूर्वक रहते। एक दिन राजा ने पंडितों से पूछा कि शास्त्र देखकर बताओ कि मै संयत बाँधू। यह सुनकर पंडितोंने शुभ मुहुर्त देखकर राजा को सलाह दी कि एक बरष तक सभी ब्राह्मणों , कुटुम्बो को बुलाओ, कन्यादान करो, ब्राह्मणों, भूखों, नंगों को वृत्ति प्रदान करो, पुराण सुनो। इस प्रकार से पंडितों के कहे अनुसार राजा विक्रमादित्य ने संयत की। यह सब बातें रत्नमंजरी ने राजा भोज को बताया और राजा विक्रमादित्य का यश गाया। उसके बाद कहा-“राजा भोज! जो तुम इतने हो तो इस सिंहासन पर बैठो।” राजा भोज ने कहा- “सच है।जो कुछ तुमने कहा मुझे पसंद आई।” इतना कहकर राजा अपनी सभा में जाकर बैठ गये ।अपने मंत्रियों और सभासदों को कहा- तुम सब संयत बाँधनेकी तैयारी करो। इस प्रकार से उस दिन की सायत टल गई । दूसरे दिन राजा ने दीवान को बुलाकर फरमाया कि सिंहासन पर बैठने की तैयारी करो । यह सुनकर वररूचि पुरोहित बोला-“राजा डरते क्यों हो? सिंहासन की सभी पुतली तुमसे बातें करेगी। उन सब की बातें सुनकर जो आपको करना हो वह किजिये।” पुरोहित की बात सुनने के बाद उस सिंहासन पर बैठने के लिये जैसे हीं पैर बढ़ाया चित्ररेखा नामकी दूसरी पुतली बोल उठी। दूसरी पुतली चित्ररेखा दूसरी पुतली बोली- “राजा! तेरे योग्य या आसन नहीं है। और ऐसी अनीती कोई करता नहीं जो तू करने पर तैयार हुआ है। इस सिंहासन पर बैठे वह जो विक्रमादित्य -सा राजा हो।” तब राजा बोला- “ राजा विक्रमादित्य में कौन-कौन-से गुण थे सो मुझसे कहो।” तब वह पुतली चित्ररेखा बोली- एक दिन राजा विक्रम कैलाश को गये। गये।वहाँ पर एक यती से राजा की मुलाकात हुई । उसने राजा को योग की सब रीति बतलाई । तब राजा के मन में आया कि योग कमावें। कमावें।ऐसा विचार कर राजा ने अपने भाई भर्तहरि को राजा बना दिया। और स्वयं सब छोड़ कर कमंडल ले सन्यासी बनकर जंगल को चला गया।उत्तरखंड में जाकर योग साधने लगा। उस शहर के जंगल में एक ब्राह्मण तपस्या करता था। धुँआ पी के रहता था और भूख-प्यास के दु:ख सहता था। ब्राह्मण की तपस्या देख के देवता खुश हुए । उसको वर देने लगे और उसने न ली तब आकाशवाणी हुई कि, हम अमृत भेजते हैं सो तू ले। एक देवता आदमी की सूरत में आकर उसे फल दे यह कह गया कि यह अमर फल है इसे खाने से तू अमर हो जायेगा। ब्राह्मण वह फल लेकर खुशी-खुशी अपने घर को लौटा । ब्राह्मणी को फल देकर कहा कि मेरी तपस्या से प्रसन्न होकर देवताओं ने यह फल मुझे दिया है। इस फल को खानेवाला अमर हो जायेगा। यह सुनकर ब्राह्मणी रोने लगी और कहा-“ अमर हो कर क्या करना। हमें भिक्षा माँगकर हीं जीवन यापन करना होगा और संसार के कष्ट झेलने होंगे। आप इस फल को राजा को दे आओ और कुछ धन माँग लो , जिससे हमारे बाकी बचे दिन आराम से गुजरे। राजा अमर हो जायेगा तो लाखों लोगों की भलाई करेगा ।” ब्राह्मण को ब्राह्मणी की बातें सही लगी । अत: वह राज दरबार मे गया और राजा के द्वारपाल को कहा- “मैं राजा के लिये अनोखा फल ले कर आया हूँ। मुझे राजा से मिलने दिया जाय।” द्वारपाल ने राजा के पास जाकर ब्राह्मण का संदेश कहा। राजा ने ब्राह्मण को अपने सभा में बुलाया। ब्राह्मण ने वह फल राजा को दिया और उस फल के गुण बताये। तब राजा ने कहा-“हे ब्राह्मण! तुम्हें यह फल कैसे प्राप्त हुआ , विस्तार से बताओ। ” ब्राह्मण ने कहा-“मेरे घोर तपस्या से प्रसन्नहोकर देवताओं ने यह अमर फल मुझे दिया है। यह आप ग्रहण करे।” राजा ने वह फल ब्राह्मण से ले लिया और उसे लाख रूपये और गाँव वृति मे दे दी । राजा वह फल लेकर सोचने लगा, मैं इसे खा कर क्या करूँगा । यदि यह फल रानी खा ले तो वह मुझे सुख देगी । यह सोचकर राजा रानी के महल में गया और रानी को वह फल देकर कहने लगा- “रानी यह अमर फल है। इसे खाने से तुम्हारा यौवन हमेशा बना रहेगा और तुम सुंदर रहोगी।” राजा की बातें सुनकर रानी ने वह फल ले लिया और कहा – “ठीक है, यह फल मैं खाऊँगी।” राजा के जाने के बाद रानी ने अपने प्रियतम कोतवाल को बुलाया और कहा- “तुम मेरे प्रिय हो । तुम इस फल को खाओ , यह अमर फल है।” कोतवाल वह फल लेकर रानी के महल से चल दिया और अपने प्रिया नर्तकी के घर पहुँचा । कोतवाल ने नर्तकी को वह फल दिया और कहा- “यह अमर फल है। इसे खाने से तुम कभी वृद्धावस्था को प्राप्त नहीं होओगी। ” नर्तकी ने कहा- “ठीक है। ” कोतवाल के जाने के बाद नर्तकी ने सोचा यदि मैं इस फल को खा लेती हूँ , तो ना जाने और कितने पाप कमाऊँगी। पाप सए मुझे कष्ट हीं मिलेगा। यदि यह फल राजा को दे दूँ, तो वह अमर हो जावेगा और मुझे याद रखेगा । इससे मुझे भी पुण्य मिलेगा। यह सोचकर नर्तकी राजा से मिलने गई और उन्हें फल देकर उस फल के गुण बताये।राजा उस फल को लेकर हँसा और नर्तकी से पूछा- “तुम्हें यह फल कैसे मिला।” नर्तकी सब बातें जानती थी , लेकिन उसने बस इतना कहा कि यह फल मुझे कोतवाल ने दिया है। नर्तकी के जाने के बाद राजा ने सोचा मैंने अपना मन रानी को दिया। रानी ने मुझे धोखा देकर कोतवाल से दिल लगाया। मुझे धिक्कार है। आदमी जिस दिन जन्म लेता है उसी दिन उसकी मृत्यु निश्चित हो जाती है। यह धन-दौलत सब नश्वर हैं। यह सब सोच राजा रानी के महल में गया और रानी से कहा- “रानी! मैंने तुम्हें फल दिया था, उसका तुमने क्या किया? ” रानी ने उत्तर दिया- “मैंने खा लिया।” यह सुनते हीं राजाने रानी के हाथ पर वह फल रख दिया। फल को देखते हीं रानी जड़ हो गई। राजा ने वह फल धोकर खा लिया। अपना सारा राज-पाट ,धन-दौलत छोड़ योगी बन जंगल को चला गया। यह बात राजा इंद्र को पता चली कि राजा भर्तहरि अपना राज-पाट छोड़ योगी बन गया है। यह सुनकर इंद्र की सभा ने विचार किया और एक देवता को उस राज्य की रखवाली के लिये नियुक्त कर भेज दिया। इधर वह नियुक्त देवता राज्य की रखवाली करता था। इधर राजा विक्रमादित्य का योग पूरा हुआ। अत: उसने सोचा मैंने अपना राज्य अपने छोटे भाई को दे दिया। अब जाकर देखता हूँ कि वह किस प्रकार से राज सँभाल रहा है। यह सोचकर रात्रि को राजा विक्रमादित्य अपनेनगर को पहुँचा। नगर के पास पहुँचते ही उस देव ने पूछा- “तुम कौन हो? जो इस समय नगर में प्रवेश कर रहे हो? ” राजा विक्रमादित्य ने कहा- “मैं राजा विक्रमादित्य हूँ। तुम कौन हो? जो मुझे रोक रहे हो? ” तब उस देव ने उत्तर दिया-“मुझे देवताओं ने इस राज्य की रखवाली की लिये नियुक्त किया है। ” राजा विक्रमादित्य ने पूछा- “राजा भर्तहरि को क्या हुआ? ” उसने कहा- “राजा भर्तहरि को कोई छल कर यहाँ से ले गया । ” यह सुनकर राजा हँसा हँसा और बोला- “वह तो मेरा छोटा भाई है।” देव ने कहा- “मैं नहीं जानता। यदि तू राजा है तो मुझसे लड़ और फिर इस नगर में प्रवेश कर। ” राजा विक्रमादित्य और उस देव मे लड़ाई होने लगी’ जब वह देव हार गया तो उसने राजा विक्रमादित्य से कहा – “मुझसे वरदान माँग। ” राजा विक्रमादित्य ने कहा- “मैंने तुम्हें मात दइयाहै। मैं कहाहूँ तो तुझे मार सकता हूँ। तू मुझे क्या वरदान देगा।” देव ने कहा-“राजा तू मुझे छोड दे। मैं तुम्हें एक सच्चाई बताता हूँ। तुम्हारे नगर में एक तेली और कुम्हार है जो तुम्हें मारना चाहते हैं। तुम तीनों में से जो दो को मार डालेगा वह अचल राज्य भोगेगा। तेली तो पाताल का राज करता है और वह कुम्हार योगी बना जंगल में रहता है। योगी अपने मन में कहता है कि राजा को मारकर तेली को कड़ाह में तल दूँगा। उसके बाद त्रिलोक पर राज्य करूँगा। ” तुम इनसे बचकर रहना। आगे की बात सुनो। योगी ने आज रात तेली को मारकर सिरीस के वृक्ष पर टाँग दिया है।अब तुम्हें वह निमंत्रण देगा और छल से तुम्हें वहाँ ले जाएगा। तुम उसके साथ जाना जब वह तुम्हें दंडवत करने को कहेगा तब कहना- “तुम गुरु हो मैं शिष्य मुझे बताओ दंडवत कैसे करते हैं। मैं तो राजाहूँ मुझे दंडवत नहीं आता। वह जैसे ही दंडवत के लिये झुकेगा उसे मार देना । उसके बाद तेली को वृक्ष से उतारकर दोनों को खौकते तेल के कड़ाही में डाल देना। ” इतना कहकर वह देव वहाँ से चला गया। राजा विक्रमादित्य अपनेमहल को लौट आये। सवेरा होने पर जब सबने देखा कि राजा विक्रमादित्य लौट आये हैं तो बड़े प्रसन्न हुये । पूरे राज्य में खुशी की लहर छा गई। उसी दिन दरबार में एक योगी आया और उसने राजा से कहा-“मैंने एक अनुष्ठान किया है। आप पधारें।” राजा ने कहा- “ठीक है। मैं आज आऊँगा।” शाम को राजा अकेला हीं उस योगी के बताये हुये ठीकाने पर पहुँच गया। योगी भी पूरी तैयारी में था। राजा को देखते हीं बोला- “राजा! देवी को दण्डवत करो। ” राजा ने कहा- “मैं राजा हूँ। मुझे दंडवत करना नहीं आता। आप बता दो । तो मैं कर लूँगा।” राजा की बात सुनकर योगी जैसे हीं दंडवत के लिये झुका राजा ने तलवार से उस योगी के सर को धड़ से अलग कर दिया। और देव के कहे अनुसार वृक्ष से तेली को उतारकर दोनो को खौलते तेल की कड़ाही में डाल दिया। तब देवी बोली- “तू धन्य है विक्रम! धन्य हैं तेरे माता-पिता । मैं तुम्हारे साहस से प्रसन्न हूँ । जो भी वरदान माँगना चाहते हो माँग लो।” देवी के इतना कहते हीं वहाँ पर दो वीर हाजिर हुये और राजा विक्रमादित्य से बोले- “आसिया और कोयला हमारे नाम है। तुम्हारी जो भी इच्छा हो हम पूरी करेंगे। हम कहीं भी आ-जा सकते हैं।” तब राजा ने कहा- “अभी तो मुझे कोई काम नहीं है। लेकिन यदि तुम वचन दो। तो मैं देवी से तुम्हें माँग लूँ।” तब उन दोनों ने कहा- “अच्छा। ” तब राजा ने देवी से उन दोनों वीरों को माँग लिया और उन्हें कहा कि जब भी जिस जगह मैं तुम दोनों को बुलाऊँ आ जाना। दोनो वीरों ने राजा को वचन दिया। उसके बाद राजा अपने महल को लौट आये। इतना कह पुतली चित्ररेखा ने राजा भोज से कहा कि राजा विक्रम ऐसे थे। बाद में जब भी उन्हें उन दोनों वीरों की आवश्यकता हुई । वे दोनों आए और राजा के कहे अनुसार कार्य को अंजाम दिया। यदि तुम राजा विक्रम के जैसे हो तो सिंहासन पर बैठो। इस तरह से उस दिन का भी शुभ मुहुर्त निकल गया। अगले दिन राजा फिर सिंहासन पर बैठने के लिए आगे बढ़ा कि तीसरी पुतली सत्यभामा बोल पड़ी। तीसरी पुतली सत्यभामा तीसरी पुतली बोली- यह काम नहीं जो इस पर बैठो । पहले मुझसे नई कथा सुन लो, फिर बैठने की सोचना। एक दिन राजा विक्रमादित्य दरिया के किनारे अपने रंगमहल में बैठे थे। नर्तकी नाच रही थी। दरबार लगा हुआ था। तरह-तरह की खेल हो रहे थे। एक-से-एक सुंदर नर्तकी वहाँ राजा का दिल बहला रही थी। तभी दरिया के किनारे एक पंथी , एक स्त्री के संग जिसकी गोद में बच्चा था, वहाँ पहुँचा। तीनों अपने घर से खफा हो वहाँ आये थे। और क्रोध के वशीभूत होकर दरिया में कूद पड़े। दरिया में कूदते हीं तीनो डूबने लगे। पंथी एक हाथ से बच्चा और दूसरे हाथ से स्त्री को पकड़े हुये था। जब तीनों डूबने लगे तब पुकारकर कहा- “कोई धर्मात्मा है हमारी आवाज सुन रहा है, जो हमें बचा सके।जब कोई गुस्से पर काबू नहीं कर पाता तो ऐसे हीं बेमौत मारा जाता है।फिर बाद में पछताता है। ” राजा विक्रमादित्य ने जैसे हीं उस पंथी की आवाज सुनी तो अपना रास-रंग छोड़कर पूछा- “कौन फरियादी पुकार रहा है? ” हरकारों ने कहा- “महाराज! एक मर्द ,एक औरत और बच्चे के साथ दरिया में डूब रहा है, वही पुकार रहा है कि कोई उपकारी है जो हमें बचा ले। ” अभी हरकारा कह हीं रहा था कि उस डूबते हुये पंथी ने फिर पुकारते हुये कहा- “हम तीन प्राणी डूबते हैं, कोई भगवान का बंदा हमें बचा लें।” इतना सुनते हीं राजा विक्रमादित्य उन तीनों को बचाने के लिये दरिया में कूद पड़े।एक हाथ से बच्चे को और दूसरे हाथ से स्त्री को पकड़ा। उस पंथी ने भी राजा को पकड़ लिया।लिया। तब राजा भी डूबने लगा।बहुत जोर लगाया लेकिन निकल नहीं पा रहा था। राजा विक्रमादित्य ने भगवान को याद किया और मन-हीं-मन कहने लगा हे प्रभु! मैं तो परोपकार करने आया था। लेकिन अब तो अपना जान भी जाएगा। धर्म करने आया और अधर्म का पाप लगेगा। यह कह कर बहुत जोर लगाने लगा। जब सफल न हो सका। तब उन दोनों वीर आसिया और कोयला को याद किया। राजा के याद करते हीं दोनों वीर दरियामें पहुँच गये और राजा सहित उन तीनों को दरिया से निकाल लिया।लिया।जब उस पंथी को होश आया तो वह राजा के चरणोंमे गिर कर कहने लगा- “महाराज! आपने हम तीनों को जीवनदान दिया है।ाप हीं हमारे भगवान हो।” राजा उन तीनों को अपने राजमहल में ले गया और बोला- “जो तुम्हें चाहिये।वह माँग लो।” तब पंथी बोला- “महाराज! यदि आपकी आज्ञा हो तो हम घर को जायें। जब तक जियेंगे आपको आशीष देंगे।यह जीवन आपका दिया हुआ है।” तब राजा ने उन्हें लाख मोहरें देकर घर को विदा कर दिया। इतना कहकर तीसरी पुतली बोली-“राजा! यदि तुम इतने लायक हो , तो सिंहासन पर बैठो। नहीं तो सभी लोग हँसेंगे।” इस तरह से उस दिन का मुहुर्त भी जाता रहा। दूसरे दिन राजा फिर सोचता हुआ शुभ मुहुर्त में उस सिंहासन की ओर बढ़ा तब चंद्रकला नामवाली चौथी पुतली बोली- चौथी पुतली चंद्रकला चंद्रकला नामवाली चौथी पुतली बोली- सुनो! राजा तुम अपना मन मलिन न करो। मै जो कथा कहती हूँ उसे सुनो – एक दिन एक ब्राह्मण राजा विक्रमादित्य के दरबार में आया और कहा कि जो कोई मेरे कहे अनुसार एक महल बनवाये तो बड़ा नाम कमावे और सुख चैन से रहे। तब विक्रमादित्य ने ब्राह्मण से कहा- “बताओ। ” ब्राह्मण ने कहा- “जब तुला लग्न आये तो उसमें मंदिर उठाये।जब तक तुला लग्न हो काम करवाये और तुला लग्न के खत्म होते हीं काम रोक दे।इसी प्रकार से तुला लग्न में ही पूरा महल तैयार हो। तो उस महल में रहनेवाले के अटूट भंडार होगा और उसके पास से लक्ष्मी कभी नहीं जायेगी।” यह सुनकर राजा बहुत प्रसन्न हुआ। दीवान को बुलाकर आदेश दिया कि उचित स्थान देखकर महल का निर्माण ब्राह्मण के कहे अनुसार तुला लग्न में ही कराया जाये। जाये। तुला लग्न के आते हीं सभी कारीगर उस महल को बनाने में जुट जाते और लग्न समाप्त होते हीं आराम करते। यह महल दरिया की किनारे बनवाया गया। इसमें सात खण्ड और चार दरवाजे लगे हुये थे। सभी नक्कासी, हीरे-जवाहरात से किये जा रहे थे। दरवाजे पर दो नीलम जड़े गये जिससे किसी की नजर ना लगे। महल को बनने में बरसों लग गये। जब महल बनकर तैयार हो गया, तब दीवान ने राजा से कहा- “महाराज! आपके कहे अनुसार महल तैयार हो गया है। आप चलकर देखें।” हर कोई उस महल को देखकर देखता हीं रह जाता। जब राजा विक्रमादित्य उस महल को देखने गये तो उस ब्राह्मण को भी ले गये। ब्राह्मण ने उस महल को देखकर राजा से कहा- “महाराज! यदि मैं ऐसा महल पाऊँ , तो अपना सारा जीवन सुख से बिताऊँ।” ब्राह्मण की बात सुनकर राजा ने उसी क्षण तुलसीदल और जल मँगवाकर उस महल को ब्राह्मण को दान में दे दिया। ब्राह्मण उस महल को पाकर ऐसे प्रसन्न हुआ जैसे चकोर रात को चंद्रमा को पाकर होता है। ब्राह्मण ने अपने सभी कुटुम्ब को उस महल में बुला लिया। रात को जब ब्राह्मण पलंग पर सोता था कि पहले पहर बीते लक्ष्मी वहाँ आई और ब्राह्मण से कहा- “ब्राह्मण! हुक्म दे तो मैं गिरूँ गिरूँऔर घर बाहर सम्पूर्ण भरूँ।” डर के मारे ब्राह्मण ने कुछ जवाब नहीं दिया। दूसरे पहर लक्ष्मी फिर आई और बोली- “ओ ब्राह्मन! अज्ञानी मुझे आज्ञा दे।” ब्राह्मण ने जैसे तैसे रात बिताई और सवेरा होते हीं डर से काले स्याह मुख लिये हुये राजा के दरबार में पहुँचा। राजा ब्राह्मण को देखकर हँसा और बोला- “ब्राह्मण कल वाली खुशी आज कहाँ गायब हो गई। यह आश्चर्य की बात है।” ब्राह्मण ने कहा- “हे महाराज! मेरे दु:ख के तुम दाता हो। प्रजा को सउख देनेवाले और शकबंधी नरेश हो। कर्ण के जैसे दानी हो।आपने जो मंदिर मुझे दिया है उसकी असलियतमैं बताता हूँ। उस मंदिर में भूत पिशाच का बसेरा है। मुझे रात भर सोने नहीं दिया । आपकी कृपा से और बच्चों के भाग्य से हें मैं जीवित हूँ। भिक्षा माँग कर रह लूँगा लेकिन उस महल में नहीं रहूँगा। ” तब राजा ने दीवान को कहा कि उस महल की जो भी कीमत हो उतना धन ब्राह्मण को दे कर विदा करो। इस प्रकार से ब्राह्मण महल की कीमत के बराबर धन लेकर अपने घर को लौट गया। पंडितों से शुभ मुहुर्त निकलवा कर राजा विक्रमादित्य उस महल में रहने को गये। रात्रि को राजा अपने पलंग पर कुछ विचार कर रहे थे कि लक्ष्मी प्रकट हुई और कहा- “धन्य हो राजा विक्रम ! धन्य है तुम्हारा धर्म।” इतना कहकर लक्ष्मी उस समय चली गई। जब एक पहर बीता तब लक्ष्मी फिर आई और राजा से कहा- “राजा ! अब मैं कहाँ गिरूँ।” तो राजा ने कहा- “हे माता!यदि तुम गिरना चाहती हो, तो मेरे पलंग कोछोड़कर जहाँ तुम्हारी इच्छा हो वहाँ गिर।” उसके बाद पूरी रात पूरे राज्य में सोने की बरसा हुई। जब सुबह राजा उठा तो दीवान ने आकर सूचना दी कि पूरी रात हमारे राज्य में सोने की बारिश हुई है। हर जगह सोना-ही-सोना है। आप का जो हुक्म हो वह किया जाय। तब राजा ने कहा- पूरे राज्य में ढ़िढोरा पिटवा दो कि जिसके रैयत में जितना सोना हो वह ले ले। कोई किसी को मना नहीं करेगा। राजा की आज्ञा पाकर सारे नगर वासियों ने अपने –अपने रैयत की दौलत को एकत्रित कर रख लिया। इतना कहकर पुतली चंद्रकला बोली- “सुन राजा भोज! ऐसे थे राजा विक्रम के गुण और ऐसे प्रजा की हित किया करते थे। इसलिये तू किस प्रकार इस सिंहासन पर बैठता है।” राजा भोज निरुत्तर हो गये और पुरोहित वररूचि का भी शर्मिंदा हुये। उस दिन का भी मुहुर्त बीत गया। अगली सुबह जब राजा सिंहासन बैठने को सोच हीं रहे थे की पाँचवीं पुतली लीलावती बोल पड़ी- पाँचवीं पुतली लीलावती पाँचवीं पुतली लीलावती बोल पड़ी- सुन राजा विक्रम के गुण। एक दिन दो पुरुष आपस में लड़ने लगे। एक ने कहा कर्म बड़ा, यदि कर्म करो तो फल भी मिलता है। तो दूसरे ने कहा नसीब।यदि किस्मत अच्छी हो तो मिट्टी भी सोना हो जावे। दोनों अपने झगड़े को निबटाने के लिये राजा इंद्र के पास पहुँचे। राजा इंद्र ने कहा- “इस झगड़े का फैसला तो वही कर सकता है जो योगी हो। तुम दोनों फैसले के लिये पृथ्वीलोक में राजा विक्रमादित्य के पा जाओ। वही यह फैसला कर सकता है।” राजा इंद्र की आज्ञा पाकर दोनों राजा विक्रमादित्य के पास पहुँचे और कहा-“तीनों लोकों में हमारा फैसला कोई नहीं कर पाया। राजा इंद्र की आज्ञा पाकर हम दोनों यहाँ उपस्थित हुये हैं। हमारा फैसला करो।” तब राजा ने कहा- आज से ठीक छह माह बाद हमारे पास आओ। तब मैं इस बात का जवाब दूँगा। यह कहकर उन दोनो को अपने-अपने घर लौटा दिया। राजा अपने मन में फैसले की बात सोचने लगे और विदेश को चल दिये। मन में यही ठान लिया कि जब तक फैसला नहीं कर लेंगे लौट कर नहीं आएँगे। चलते-चलते समुद्र के किनारे पहुँचे । समुद्र के किनारे एक नगर बसा हुआ था। उस नगर की सभी हवेलियाँ हीरे-जवाहरात से जड़ी हुई थी । यह देखकर राजा ने सोचा कि इस देश का राजा कैसा होगा। यही सोचकर उस नगर में चल दिया। नगर में कहलते-चलते शाम हो गई लेकिन वह नगर खत्म नहीं हुआ। इतने में राजा की नजर एक दुकान पर पड़ी ,दुकान में महाजन सिर झुकाये हुये बैठा था। राजा उसी दुकान के सामने जा पहुँचा। सेठ ने राजा से पूछा- “तू किस देश से आया है और तेरा मुख मलीन क्यूँ है? किसे ढ़ूँढ़ रहे हो? तुम्हारा क्या काम है? यह सब बातें मुझे बतलाओ? तुम किसके बेटे हो? तुम्हारा नाम क्या है? ” तब राजा ने कहा- “सेठ जी! मेरा नाम विक्रम है।मैं आज तुम्हारे पास आया हूँ। मैं राजा से मिलना चाहता हूँ लेकिन आज मुलाकात नहीं हुई। इसलिये तुम्हारे पास आया हूँ। कल मिलने जाऊँगा। और उनकी सेवा करूँगा। जो वो मुझे नौकर रखेंगे और महीना कर देंगे तो मै रहूँगा।” यह सुनकर सेठ बोला- “तुम रोज का क्या लोगे? ” राजा विक्रम ने कहा- “जो कोई लाख रूपये रोज देगा तो मैं उसके यहाँ नौकर रहूँगा।” तब सेठ बोला- “भाई! तुम क्या काम करते हो? जो तुम्हें लाख रूपये रोज को देवे वह काम मुझे बताओ। ” राजा ने कहा- “जिस राजा के पास मैं रहता हूँ, उसकी गाढ़ी मुश्किल में काम आता हूँ।” सेठ हँसकर बोला- “लाख रूपये रोज हमसे लो और कठिनता में मेरी सहायता करो।” सुबह हुए नौकर रखा और दूसरे दिन लाख रूपए दिये। राजा ने उसमें से आधे रूपए भगवान के नाम संकल्प कर ब्राह्मणों को दान दे दिये।आधे के आधे कंगालों को दिये। और जो बच गये उनका खाना पकाकर भूखों को खिला दिया। रात को एक फकीर मिला तो उसे भी अपना खाना खिला कर खुद चने चबा कर रह गया।इस प्रकार से जितने दिन सेठ के पास रहे सारे पैसे खर्च किए।किस्मत ने यारी दिखाई तब जोर बोला अब मेरी बारी। एक दिन सेठ ने जहाज तैयार करवाया और विक्रम से कहा- मैं किसी देश जाता हूँ। वह बोला- सेठ! मैंए यह वचन दिया था कि गाढ़ी भीड़ में तुम्हारे काम आऊँगा। मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा।सेठ ने उसे भी अपने साथ जहाज में चढ़ा लिया। एक दिन जब जहाज तूफान से गिरकर तबाह होने लगा तो सेठ ने वहीं लंगर डलवा कर जहाज रोक दिया। उसी जगह पर एक टापू था वहाँ की राजकन्या का नाम सिंहावती था।वह हजार कन्या के साथ रहती थी। जब तूफान थमा तो सेठ ने जहाज के लंगर को उठाने को कहा लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी लंगर टस –से-मस नहीं हुआ। सब लोग भगवान को याद करने लगे। लेकिन लंगर समुद्र में कहीं अटक गया था जिससे नहीं निकल रहा था। तब सेठ ने विक्रम से कहा अब तुम कुछ करो क्योंकि तुमने मुश्किल में काम आने का वचन दिया था। सेठ की बात सुनकर विक्रम हाथ में छुरा लेकर रस्से के सहारे समुद्र में उतर गया। लंगर को निकालने की कोशिश की पर सफल न हुआ। तब सेठ से कहा – “सेठ जी पालें चढ़ा दों।” लोगों ने पालें चढ़ा दी। तब विक्रम समुद्र मे कूद गया और लंगर को काट दिया। पानी के बहाव और हवा से जहाज चल पड़ा लेकिन विक्रम वहीं रह गया। जो विधाता ने लिखा है उसे कोई बदल नहीं सकता। वह बहते-बहते एक नगर के पास पहुँचा। जब वह नगर में जाने लगा तो उसकी नजर नगर के दरवाजे पर पड़ी, जिस पर लिखा था- “सिंहावती की राजा विक्रमादित्य से शादी होगी।” यह देख राजा आश्चर्य में पड़ गया कि यह किस पंडित ने लिखा है? जब राजा अंदर पहुँचा तो उसे वहाँ एक महल नजर आया, जिसमें केवल स्त्रियाँ हीं थी। वहाँ कोई मर्द नहीं था। राजा महल के अंदर गया, तो देखा कि एक पलंग पर सिंहावती सो रही है और चारों ओर उसकी सखियाँ बैठी है। राजा भी उसी पलंग पा बैठ गया। राजा ने सिंहावती को जगाया और उसके हाथ पकड़ लिये। वहाँ सभी जानतीं थी कि एक दिन राजा विक्रमादित्य यहाँ आयेगा। अत: सखियों ने उन दोनों का गंधर्व विवाह करवाया। राजा वहाँ सुखपूर्वक रहने लगे। उसे अपने राज्य की कुछ सुध ना रही। इतना कह लीलावती पुतली ने राजा भोज से कहा- जैसा राजा ने बल किया वैसा विधाता ने उसे सुख दिया। फिर लीलावती पुतली ने कहा – उन सखियों में से एक को राजा से प्रीतीहो गई। इसलिये उसने राजा विक्रम पर दया करते हुये वहाँ का भेद बताया कि वह जीते हुये वहाँ से कभी निकल नहीं पायेगा। तुम्हारा नाम सुनकर और तुम्हारे राज्य का ध्यान कर के मुझे तुम पर रहम आता है क्योंकि तुम न्यायप्रिय, धर्मात्मा और साहसी राजा हो। तुम्हारे यहाँ रहने से लाखों लोग न्याय से वंचित हो दु:ख पाते होंगे। तब राजा को अपने राज्य की याद आई। राजा ने उस सखी से पूछा- यहाँ से निकलने का भेद बताओ। सखी ने कहा- “रानी के अस्तबल में एक घोड़ी है वह उदय से अस्त तक चल सकती है। ” यह जानकर राजा दूसरे दइन रानी के साथ अस्तबल में गया और घोड़ों को देखने लगा। रानी ने कहा, यदि तुम्हें घुड़सवारी पसंद है तो किया करो। तब राजा रोज-रोज नये-नये घोड़े मँगवाता और उस पर बैठ कर सवारी करता । इसी तरह से मौका देखकर राजा ने उस घोड़ी को मँगवाया, रानी इस गलतफहमी में थी कि राजा ऐसे ही खेल रहा है। लेकिन राजा ने घोड़ी को ऐड़ लगाई। ऐड़ लगाते हीं घोड़ी हवा में बाते करने लगी। सभी सखियाँ और रानी के देखते-देखते राजा घोड़ी के साथ उनकी आँखों से ओझल हो गया। राजा सीधे अम्बावती नगरी में आ पहुँचा। वहाँ नदी के किनारे राजा ने एक सिद्ध को बैठे देखा।सिद्ध को देख कर उसे दंडवत किया। सिद्ध जब ध्यान से उठे तो राजा को दंडवत देख प्रसन्न हुये और उसे एक माला देते हुये कहा- राजा! यह विजयमाला है । यह जहाँ जायेगा वहाँ फतह पाएगा। इस माले में एक गुण और भी है कि यदि तुम इसे धारण करोगे तो तुम सब को देख पाओगे लेकिन तुम्हें कोई नहीं देख पायेगा। पायेगा।उसके बाद एक छड़ी दीं और उसका गुण बताया। कि यह पहले पहर माँगने पर सोने का जड़ाऊ गहना देगी। दूसरे पहर यह एक नारी देगी जिसके तुम आशिक हो जाओगे। तीसरे पहर रात को जो इसे हाथों में लेगा वह किसी को नजर नहीं आयेगा और चौथे पहर काल के समान हो जायेगी। जायेगी। इसके डर से कोई दुश्मन तुम्हारे पास न आ सकेगा। सिद्ध से विदा लेकर जब राजा उज्जैन नगरी की ओर बढ़े तो रास्ते में एक भाट और ब्राह्मण को देखा। दोनों ने राजा को आशीष दिया और कहा-“आपके द्वार पर हमने बड़ी सेवा की लेकिन भग्यने हमारा साथ नहीं दिया।” यह सुनते हीं राजा ने ब्राह्मण को छड़ी और भाट को माला दे दी और उसके गुण भी बतलाये। राजा को दोनों ने कहा- “इस समय आप राजा कर्ण के समान दानवीर हो। तुम्हारे जैसा कोई दूसरा दानवीर इस समय कोई नहीं है। ” यह कह कर दोनों अपने –अपने स्थान को चल दिये। राजा भी अपने महल को लौट गये। राजा के आने की खबर पाकर सभी नगरवासी प्रसन्न हो गये। दरबार लगा। समाचार पा दोनों लड़ाई वाले मनुष्य भी आ पहुँचे और कहा- “महाराज! आपने छह माह कहे थे, वो तो कब के बीत गये। हमारा फैसला सुनाइये।” यह सुन राजा ने कहा- “बिना कर्म के बल काम नहीं आता आता और बिना बल के कर्म का कोई काम नहीं। अत: दोनों बराबर है । कोई किसी- से बड़ा या छोटा नहीं है।” यह सुनकर दोनों बड़े प्रसन्न हुये और खुशी वहाँ से अपने घर को लौट गये। इतना कह लीलावती पुतली ने कहा- “राजा भोज! मैंने यह कथा इसलिये सुनाई कि यदि तुझमें भी राजा विक्रम के जैसा योग है तो इस सिंहासन पर बैठ।” इस प्रकार से वह दिन भी बीत गया।गया।गले दिन जैसे ही राजा सिंहासन की ओर बढ़ा छठी पुतली कामंदकला बोल पड़ी- छठी पुतली कामंदकला छठी पुतली कामंदकला हँसी और बोल पड़ी- “जिस आसन पर राजा विक्रमादित्य ने पाँव धरा है उस पर तू बैठने के लायक हो , तभी बैठो। ” तब राजा ने कामंदकला से कहा- “मुझे राजा विक्रमादित्य के गुण बताओ। ” छठी पुतली कामंदकला बोली- “तो ध्यान से सुन । उस नृपति की कथा।” एक दिन राजा विक्रमादित्य अपने दरबार में बैठा था कि एक ब्राह्मण आया और आश्चर्य की बात बताई। उत्तर दिशा में एक वन है , उस वन में एक पर्वत के आगे एक तालाब है। उस तालाब में एक खम्भा स्फटिक का है। सुर्य निकलने के साथ हीं वह खम्भा तालाब से निकलता है और सूरज ज्यों-ज्यों चढ़ता है वह खम्भा भी बढ़ता है , दोपहर को वह खम्भा सुर्य के रथ के बराबर पहुँच जाता है। तब उस जगह रथ कुछ देर ठहरता है। सुर्य जब भोजन कर लेते हैं । उसके बाद सुर्य का रथ आगे बढ़ जाता है और वह खम्भा भी धीरे –धीरे घटते हुये सुर्यास्त के साथ तालाब के अंदर चला जाता है। इस बात को देवता या देव कोई नहीं जानता। ब्राह्मण के मुख से यह आश्चर्य की बात सुनकर राजा ने उन्हें दान देकर विदा किया।कुछ बोले नहीं और इस बात को मन में हीं रखा। शाम को राजा अपने कक्ष में पहुँच कर दोनों वीर अगियाऔर वेताल को याद किया । दोनों राजाके कक्ष में हाजिर हुये और कहा- “बताइये आप कहाँ जाना चाहते हैं। क्या खिदमत करूँ। ” तब राजा ने उन दोनों से कहा कि मैं उत्तरखंड में उस तालाब के आश्चर्य को देखना चाहता हूँ। आज्ञा पाते हीं दोनों ने राजा को उस तालाब के पास पहुँचा दिया। राजा ने वह तालाब देखा चारों घाट उसके पक्के हैं।हंस –बगुले उसमें तैर रहे है। कमल के फूल खिले हुये हैं। चारों ओर पंछियों का कलरव है। जब सुबह हुई तब राजा ने ब्राह्मण के बताये हुये आश्चर्य को अपनी आँखों से देखा। वह देखकर राजा ने दोनों वीरों से कहा कि मुझे सुबह होते हीं भगवान का नाम लेकर उस खंभे पर बैठा दो। अगली सुबह दोनोंवीरों ने राजा को उस खंभे पर बैठा दिया और भगवान का नाम ले अपने घर को लौट गये। जैसे-जैसे खम्भा बढ़ता राजा में भय लिये हुये उस पर बैठा रहा। सुर्य की गर्मी से जलकर झुलस गया। जब खंभा रथ के बराबर पहुँचा तो सुर्य ने देखा कि खंभे पर एक मनुष्य झुलसा पड़ा है।सुर्य त्राहि-त्राहि कर बोले- “यह कार्य किसी मनुष्य का नहीं है। यह या तो योगी है या देवता या गंधर्व। इस मुर्दे के रहते मैं इस जगह कैसे भोजन करूं । ” अत: अमृत लेकर उस पर छिड़क दिया ।जिससे राजा भगवान का नाम लेकर उठ खड़ा हुआ। सुर्य को देखकर दण्डवत किया और कहा- “धन्य मेरे भाग और मेरा कुल , जो आपके दर्शन हुये। मैंने जरूर अच्छे कर्म किये हैं जो आपके दर्शन हुये।” सुर्य ने कहा- “तुम कौन हो? तुम्हारा क्या नाम है? अपना परिचय दो।” तब राजा ने कहा- “हे सुर्य देव! अंबावती नगरी के राजा गंधर्वसेन का मैं पुत्र हूँ।मेरा नाम विक्रम है। आपकी कथा मैंने एक ब्राह्मण के मुख से सुनी थी ।तब मुझे दर्शन की इच्छा हुई और मैं यहाँ पहुँचा। पहुँचा। मेरेलिये कोई आज्ञा हो तो बतायेबतायेतब मैं विदा लूँ।” सुर्यदेव ने राजा की बात सुनकर उसे अपने कुण्डल उतारकर दिये और कहा तू निडर होकर राज कर। । सुर्यका रथ आगे बढ़ गया और खंभा भी धीरे-धीरे घटने लगा। जब राजा अकेला रह गया तो दोनों वीरों को याद किया । दोनों वीर के साथ जब वे अपने नगर के पास पहुँचे तो रास्ते में उन्हें एक गुंसाई मिला। उस योगी ने योग के बल से राजा को कहा -“राजा! जो कुण्डल आप सुर्य के पास से ले के आये हो उसे दान कर दीजिये और अपना यश बढ़ाइये।” राजा ने उससे कहा- “ऐसा योग तुमने कब कमाया।” गुंसाई ने कहा- “कमाया तो नहीं, लेकिन सुना है कि राजा विक्रम बहुत बड़ा दानी है।” राजा ने हँसकर वह कुण्डल गुंसाई को दे दिया। गुंसाई अपने घर को लौट गया। राजा भी अपने महल को चला गया। कामंदकला यह कहानी सुनाकर कहने लगी- “राजा! तुझमें इतनी शक्ति हो तो इस सिंहासन पर बैठ। ” पुतली की यह बात सुन राजा उदास हो अपने कक्ष की ओर लौट गया। अगले दिन राजा फिर सिंहासन की ओर बढ़ा और पुरोहित वररूचि से कहा- “आज मैं पुतली के कहने पर भी नहीं रूकूँगा।” जैसे हीं राजा सिंहासन की ओर बढ़ा सातवीं पुतली कामोदी बोली- सातवीं पुतली कामोदी सातवीं पुतली कामोदी राजा के पैर के पास आ पड़ी। राजा यह देखकर अपने पैर पीछे खींच लिया और बोला- “तू मेरे पैर पर आ कर क्यूँ गिरि? ” तब सातवीं पुतली कामोदी ने कहा – “हम सतयुग की अबला ठहरीं और तुम कलयुग के राजा। हमने एक मर्द के सिवा किसी दूसरे का मुँह नहीं देखा।विश्वकर्मा ने हमारी रचना की और हमें राजा बाहुबल के पास रख दिया। जब राजा बाहुबल ने जब सिंहासन विक्रमादित्य को दिया, तब हम सब भी विक्रमादित्य के पास जा पहुँची। उससे जब बिछड़ी तब से सुख नहीं देखा। जो उस राजा के बराबर हो, वही इस सिंहासन पर बैठे।” तब राजा ने पूछा- “कैसा था तुम्हारा राजा विक्रमादित्य ? बताओ” तब पुतली बोली- “सुन राजा! विक्रम की कथा।” एक रात राजा विक्रमादित्य अपने महल में सो रहा था। पूरा देश निश्चित्त हो सोया हुआ था। हर तरफ शांति छायी हुई थी। तभी राजा के कानों में किसी स्त्री की दहाड़ मार कर रोने की आवाज सुनाई पड़ी। राजाने सोचा कौन दुखियारी इतनी रात को रो रही है? मेरे राज्य किस-को कष्ट है? यह सोचकर राजा उठा और आवाज की दिशा में चल पड़ा। चलते-चलते दरिया के किनारे पहुँचा । आवाज दरिया के दूसरी तरफ से आ रही थी। सो, राजा ने दरिया को तैर कर पार किया और उस स्त्री के पास पहुँचा। वह स्त्री अभी भी रो रही थी। राजा ने पूछा- “तुझे क्या कष्ट है ? पुरुष का वियोग है? या पुत्र शोक? या सौत का दु:ख? इन दु:खों में से कौन-सा दु:ख तुझे है? जो कष्ट तुझे है वह मुझे बता?” तब उस स्त्री ने राजा से कहा- “हे राजा! मेरा पति चोरी करता था इसलिये शहर के कोतवाल ने उसे शूली पर चढ़ा दिया। मैं उसे कुछ भोजन खिलाना चाहती हूँ, लेकिन शूली बहुत ऊँचाई पर है और मैं वहाँ नहें पहुँच सकती। इस कारण से रो रही हूँ।” तब नृपति ने कहा- “इतनी छोटी-सी बात के लिये तू क्यों रोती है। मेरे काँधे पर चढ़कर उसे भोजन करा दे।” तब वह कंकालिन राजा के काँधे पर चढ़ गई और अपने पति को भोजन कराने लगी। लगी।तब रक्त राजा के बदन पर गिरने लगा। लगा। राजा समझ गया कि यह मनुष्य नहीं है कोई और है। इसने मुझे धोखा दिया है। है।यह सोचकर राजा ने पूछा- “ओ स्त्री! तेरे पति ने भोजन किया या नहीं? ” कंकालिन ने उत्तर दिया- “रूचि से खाया। अब इसका पेट भर गया। तू मुझे नीचे उतार दे।” राजा के काँधे से उतरकर कंकालिन बोली- “राजा ! तुझे जो चाहिये वह मुझसे माँग। ।मैं कंकालिन हूँ। मुझसे डर मत। ” राजा ने कहा- “मैं क्यों डरूँगा और क्या मागूँगा? मैंने तो तुम्हारी सहायता की है।” कंकालिन ने कहा- “तू यह मत सोच की तूने क्या किया और क्या न किया। किया।जो तेरी इच्छा हो वह माँग ले।” तब राजा ने कहा- “मुझे अन्नपूर्णा चाहिये।” वह बोली- “अन्नपूर्णा मेरे छोटी बहन है। तू मेरे साथ चल, मैं तुझे अन्नपूर्णा दूँगी।” इसके बाद दोनो वचन बद्ध हो साथ-साथ चल दिये। आगे-आगे कंकालिन पीछे-पीछे राजा। कहलते-चलते नदी के किनारेएक मंदिर के पास पहुँचे। वहाँ पर कंकालिन ने दरवाजे के आगे ताली मारी। ताली मारते हीं अन्नपूर्णा वहाँ प्रकट हुआ। उसने कंकालिन से पूछा- “यह भूपाल कौन है? ” कंकालिन बोली- “यह राजा विक्रम है। इसने मेरी सहायता की है। मैंने इससे वचन हारा है। यदि तुम्हारे मन में मेरे प्रति प्यार हो तो इसे अन्नपूर्णा दे दो।” तब हंसकर अन्नपूर्णा ने एक थैली राजा को दी और कहा- “इससे जितनी खाने की वस्तु माँगोगे वह तुम्हें मिल जायेगी।” राजा वह थैली ले खुशी-खुशी दरिया के किनारे पहुँचा स्नान-ध्यान कर महल की ओर चल पड़ा । इतने में राजा ने एक ब्राह्मण को आते देखा। उस ब्राह्मण को राजा ने बुलाया और कहा- “कुछ खाओगे।” ब्राह्मण ने कहा- “हाँ।” राजा ने पूछा- “क्या खाओगे?” तब ब्राह्मण ने कहा- “इस समय यदि पकवान मिल जाये ।” राजा अपने मन में सोचने लगा यदि थैली से पकवान नहीं निकला तो मैं ब्राह्मण के पास झूठा बन जाऊँगा। यह सोचते हुये थैली में हाथ डालकर निकाला तो देखता है कि उसमें से पकवान निकले। पकवान खा कर ब्राह्मण अति प्रसन्न हुआ।उसके बाद उसने राजा से कहा- अब दक्षिणा दो। राजा ने कहा- “ब्रह्मण! आप जो माँगेगे , मैं दूँगा।” ब्राह्मण ने कहा- “तो यह थैली मुझे दे दीजिये।” राजा ने वह थैली दक्षिणा के रूप में उस ब्राह्मण को दे दी और महल लौट आया। आया।इतनी कथा कहकर पुतली कामोदी ने राजा से कहा- इतनी मेहनत से थैली पाई लेकिन दान देने में एक पल न लगाया। यदि तू इतना बड़ा दानी और साहसी है तो सिंहासन पर बैठ । वह दिन भी निकल गया। अगले दिन पुष्पावती नामकी आठवीं पुतली ने राजा को रोका। आठवीं पुतली पुष्पावती पुष्पावती नामकी आठवीं पुतली ने राजा को रोका और बोली- “हे राजा भोज! इस सिंहासन पर बैठने की आशा छोड़ दे।” तब राजा ने कहा- “मैं किस तरह छोड़ दूँ।” तब पुतली ने कथा शुरु की- एक दिन राजा विक्रमादित्य अपने दरबार में बैठे थे। सभा चल रही थी। तभी एक बढ़ई दरबार में हाजिर हुआ। उसने राजा को प्रणाम किया और कहा- “महाराज! मैं आपके दर्शन को आया हूँ और एक घोड़ा आपके लिये लाया हूँ। ” राजा ने बढ़ई को दरबार में घोड़ा लाने को कहा। बढ़ई घोड़ा लेकर आया। राजा ने बढ़ई से पूछा- “इस घोड़े के गुण बताओ।” बढ़ई बोला- “महाराज! यह न कुछ खाता है, न पीता है। लेकिन जहाँ ले जाना चाहो वहाँ जा सकता है। दरियाई घोड़े के बराबर है।” घोड़ा एक जगह न ठहरता था, इधर-उधर भाग रहा था। राजा उस घोड़े को जितना देखता उस पर रीझता जाता। आखिर पसंद कर बोला, इसे मैदान में घुमाकर दिखाओ। बढ़ई घोड़े को लेकर मैदान में पहुँचा। राजा भी दरबारियों के साथ मैदान के पास पहुँच गये। बढ़ई ने जैसे घोड़े को कोड़े लगाए वह ऐसा दौड़ा कि किसी को नजर न आये। घोड़े के गुण देखकर राजा ने दीवान को आज्ञा दी कि बढ़ई को घोड़े के बदले एक लाख रूपए दिये जाएँ। दीवान ने अर्ज किया- “महाराज ! काठ के घोड़े के लाख रूपए मुनासिब नहीं। ” तब राजा ने कहा- “ठीक है। दो लाख रूपए दो।” दीवान ने चुप होकर दो लाख बढ़ई को दे दिया और समझ गया यदि मैं कुछ कहूँगा, तो राजा और अधिक रूपए दे देंगे। बढ़ई ने घोड़े को अस्तबल में बाँध दिया और राजा से कहा कि इस पर सवार होकर भूल से भी कोड़े न लगाए।उसके बाद वह अपने घर को चला गया। कहते हैं किस्मत का लिखा हो कर रहता है। होनी को कोई नहीं टाल सकता।कई दिन बीत जाने के बाद राजा ने घोड़े को मँगवाया और अपने दरबारियों को कहा कोई इस पर चढ़ कर बताए। लेकिन डर के मारे कोई उस घोड़े पर बैठने को राजी न हुआ। तब राजा ने कहा घोड़े को सजाकर लाओ। सभी उसे सजाने में लग गये। घोड़े को सजाकर लाया गया। गया।तब राजा उस घोड़े पर सवार हो हाथ फेरने लगा, वह चाहता था कि उस पर काबू कर ले।पर घोड़ा एक जगह न ठहरता इधर-उधर टहल रहा था। राजा खुशी के मारे बढ़ई की बात भूल गया और घोड़े को कोड़ा लगाया। चाबुक लगाते हीं घोड़ा हवा से बातें करने लगा ।राजा को लेकर समुद्र पार किसी घने जंगल में दरख्त के ऊपर से गिरा। राजा की हालत मृतक सी हो गई। गई। जब होश आया तो सोचा किस्मत मुझे कहाँ ले आई, राज-पाट, अपने-पराये सब छूटे । अब आगे क्या होता है भगवान हीं जाने। यह सोच कर वहाँ से आगे को चला। आगे एक अंधोयारे वन में पहुँचा जहाँ कुछ दिखाई नहीं दे। बस हिंसक जानवरों की आवाजें सुनाई पड़ती थीं। उस घने वन से जैसे-तैसे चल्ते हुये पंद्रह दिनों के बाद एक तरफ जा निकला। वहाँ एक नजारा देखा कि एक हवेली है और उसके बाहर एक बड़ा दरख्त। ।दरख्त के दोनों ओर एक-एक कुँआ। उस दरख्त पर एक बंदरिया बैठी थी। कभी ऊपर चढ़ती कभी नीचे उतरती। राजा छिपकर यह देख रहा था। इतने में राजा की निगाह ऊपर पड़ी , तो देखा उस हवेली में एक मकान है । राजा दूसरे दरख्त पा चढ़ कर देखने लगा तो देखता है कि उस मकान में एक पलंग बिछा है। वहाँ पर सभी ऐशो-आराम के सामान मौजूद हैं। तब राजा ने सोचा कि अभी जाहिर होने का समय नहीं है। कुछ समय और प्रतीक्षा करता हूँ। पहले पता कर लूँ कि कौन यहाँ आता है और कौन जाता है। जब दोपहर हुआ, तब एक सिद्ध वहाँ आया। बाईं तरफ वाले कुँए से एक कलश जल निकाला । उसी समय वह बंदरिया वहाँ आ गई। सिद्ध ने एक चुल्लु पानी उस बंदरिया के सर पर डाला। पानी पड़ते हीं वह बंदरिया एक रूपवती स्त्री बन गई। गई। उस रूपवती स्त्री के साथ सिद्ध ने सुख भोगा। तीसरा पहर होने पर सिद्ध ने दाईं तरफ वाले कुँए से एक कलश जल निकाला और एक चुल्लु पानी उस रूपवती स्त्री के सर पर डाला । इस बार वह रूपवती स्त्री फिर-से बंदरिया बन गई। गई।बंदरिया बन दरख्त पर चढ़ बैठी। सिद्ध भी पहाड़ की गुफा में जाकर योग करने लगा। इसके बाद राजा वहाँ पर गया और चतुराई से बायें कुँए से जल निकाल बंदरिया पर डाल दिया। बंदरिया फिर से रूपवती स्त्री बन गई। राजा को देखकर दूसरी ओर मुँह करके बैठ गई। राजा से बोली-“मुझे ऐसे ना देखो। मैं तपस्विनी हूँ । मेरा शाप तुम्हें लग जायेगा और तुम भस्म हो जाओगे। ” राजा ने कहा- “मैं वीर विक्रमादित्य हूँ। मुझे शाप नहीं लगेगा। मेरे हुक्म में ताल-वैताल हैं। ” राजा विक्रमादित्य का नाम सुनकर वह रूपवती स्त्री राजा के चरणों में गिर पड़ी और बोली-“तुम नरेश हो। हो।मेरी बात सुनो। तुम यहाँ से जाओ। अभी यती आयेगा । तुम्हें और मुझे दोनों को शाप देकर जला देगा।” तब राजा ने कहा- “यदि मैं उसके सामने नहीं जाऊँगा, तो वह मेरा कुछ नहीं कर सकेगा। पर स्त्री हत्या से नरक भोगना होता है।” फिर राजा ने उस स्त्री से पूछा- “उस सिद्ध ने तुझे कहाँ पाया? ” स्त्री बोली- “कामदेव मेरे पिता हैं और पुष्पवती माता। जब बारह वर्ष की हुई तब उन्होंने मुझे एक आज्ञा दी जो मैंने नहीं मानी। इसी अपराध की वजह से माता-पिता ने मुझे क्रोधवश इस सिद्ध को दे दिया। सिद्ध ने मुझे अपने वश में कर लिया और इस वन में बंदरिया बना दरख्त पर बैठा दिया। एक वर्ष से मैं इस वन में पड़ी हूँ। सब किस्मत का लेख है जिसे कोई नहीं मिटा सकता।” राजा ने कहा- “मेरा मन चाहता है कि मैं तुझे अपने महल ले चलूँ।” तब उस स्त्री ने कहा- “मेरा मन भी करता है। पर तुम्हारा देश तो समुद्र के पार है।” राजा ने कहा- “उसकी चिंता मत करो।तुम महल में पहुँच जाओगी और पता भी नहीं चलेगा।” तब स्त्री ने कहा- “एक विनती है । सुना है तुम बहुत बड़े दानी हो कही मुझे ही दान न कर दो। मैं दासी होकर आपकी सेवा करूँगी।” राजा ने कहा- “यह कभी नहीं हो सकता। अपनी नारी पर पुरुष को देना धर्मविरूद्ध और लोकविरूद्ध है।” इस प्रकार से दोनों बातें करने लगे और रात बिताई। सुबह होते हीं राजा ने स्त्री को फिर से कुँए के पानी से बंदरिया बना डाला। बंदरिया दरख्त पा जा बैठी और राजा वृक्ष पर छिप गया। दोपहर को सिद्ध आया । जब योगी जाने लगा तब बंदरिया ने कहा – “महाराज! एक विनती है कुछ प्रसाद मुझे दीजिये।” यह सुन योगी ने एक कमल उसे दिया और बोला यह कभी मुरझायेगा नहीं और हर रोज इससे एक लाल पैदा होगा। इसे यत्न से रखना। उसके बाद योगी गुफा में चला गया।राजा आया और बंदरिया को फिर से स्त्री बना दिया। स्त्री ने राजा को वह कमल दिखाया और उसके गुण बताये। रात बीतते हीं उस कमल से एक लाल पैदा हुआ। दोनों ने यह चमत्कार देखा। तब राजा ने कहा- “अब यह स्थान हमें छोड़ना होगा।” यह कह कर राजाने अगिया और बैताल को याद किया। दोनों वीर हाजिर हुये और पलक झपकते हीं उन्हें नगर के बाहर पहुँचा दिया। इधर योगी जब लौटा तब बंदरिया को न पाकर हैरान हुआ। जब राजा अपने महल की ओर जा रहे थे , तो देखा एक खूबसूरत लड़का अपने दरवाजे पर खेल रहा है। राजा के हात में कमल का फूल देखकर रोने लगा और फूल लेने की जिद करने लगा। राजा ने वह फूल उसे दे दिया। लड़का फूल ले हँसता हुआ अपने घर में चला गया। राजा भी उस स्त्री के साथ अपने महल को आ गये। जब सुबह हुआ तो कमल से एक लाल गिरा। लड़के के पिता ने यह देखा और लाल को रख लिया और कमल फूल को छिपा दिया। इसी प्रकार से जब उस लड़के के पिता के पास बहुत से लाल होगयेतो वह उन्हें बेचने निकला। कोतवाल ने उस लड़के के पिता को पकड़ लिया और बोला – “तू तो बनिया है। तूने यह लाल कहाँ से चोरी किया। सच बता।” उसने कहा- “यह मेरे घर के हैं।” पर कोतवाल ने उसकी न सुनी और उसे राजदरबार में हाजिर किया। राजा ने उस बनिये से कहा- “मुझे सच-सच बताओ। झूठ कहोगे तो देश निकाला और सच कहोगे तो और धं। ” बनिये ने सारी सच्चाई राजा को बता दी कि उसके लड़के को किसी ने कमल का फूल दिया ये लाल उसी से निकले हैं। । राजा सच सुनकर प्रसन्न हुआ और कहा कि कोतवाल ने गलत किया है जो एक नेक को पकड़ लाया। कोतवाल को दंड के रूप में एक लाख बनिये को देने का हुक्म दिया। यह कह पुतली बोली- “सुन राजा भोज! वीर विक्रमादित्य के गुण और धर्म । तू ऐसे राजा को अपने से कम समझता है।” राजा उस दिन भी पछता के रह गया। गया।दूसरे दिन राजा सिंहासन के पास पहुँचा और पुतली से बोला- “तू खुश तो है। तुझसे कथा सुन कर मुझे खुशी होती है।” यह सुन नवीं पुतली मधुमालती बोली नवीं पुतली मधुमालती नवीं पुतली मधुमालती बोली- “मै एक दिन की कथा सुनाती हूँ। एक बार राजा विक्रमादित्य ने यज्ञ करना आरंभ किया। राज्य के सभी ब्राह्मणों को बुलाया गया। सभी प्रजा उस यज्ञ में उपस्थित हुये। देश-विदेश के राजा-महाराजा भी उस यज्ञ में पधारे। जितने देवता थे, वे सब भी पधारे। ” यज्ञ आरम्भ हो गया। राजा ने यज्ञ के मंत्र पढ़ने शुरु कर दिये थे कि एक बूढ़ा ब्राह्मण वहाँ पहुँचा। राजा ने ब्राह्मण को मन-हीं-मन दंडवत किया। उस ब्राह्मण को आगम विद्या से यह मालूम हो गया अत: उसने आशीष दिया कि चिरंजीवी हो। यज्ञ समाप्त कर राजा ने उस ब्राह्मण से कहा कि आपने मंद काम किया जो बिना पैर लागे मुझे आशीष दिया। ब्राह्मण ने कहा जैसे ही तुमने मन में मुझे दंडवत किया मुझे पता लग गया और मैंने आशीष दिया। तब राजा ने ब्राह्मण को लाख रूपये दिये। ब्राह्मण ने राजा सेकहा- “महाराज इतने से मेरा निर्वाह नहीं होगा। ऐसा इंतजाम कर दीजिये जिसमें मेरा काम हो।” तब राजा ने उस एपाँच लाख रूपये दिये। ब्राह्मण प्रसन्न हो अपने घर को गया। उस यज्ञ में जो भी उपस्थित थे उस एराजा ने यथोचित सत्कार और दान दिये। पुतली ने कहा- मैंने इसलिये तुमसे यह कथा कही कि सिंहासन के बैठने के योग्य नहीं है। सिंह की बराबरी सियार नहीं कर सकता और हंस की बराबरी कौवे से नहीं होती। बंदर के गले में मोती की माला नहीं शोभती। यह सुनकर राजा चुप रहा और वह दिन भी बीत गया। रात बीतीऔर सुबह जब राजा सिंहासन के पास पहुँचा तो दसवीं पुतली प्रेमवती हँसती हुई बोली। दसवीं पुतली प्रेमवती दसवीं पुतली प्रेमावती हँसती हुई बोली- हे राजा! पहले मुझसे यह कथा सुन, फिर इस पर बैठना। राजा ने कहा- “सुना । मैं भी तुम्हारी कथा सुनना चाहता हूँ।” राजा वहीं आसन बिछाकर बैठ गया और प्रेमावती कहने लगी- वसंत ऋतु था। मोर नाच रहे थे। कोयल कूक रही थी। थी।मंद-मंद हवा बह रही थी। राजा विक्रमादित्य अपने बाग में झूला झूल रहे थे। इतने में एक वियोगी भूला-भटका वहाँ पहुँचा, राजा के चरणों में गिर पड़ा और कहने लगा- “स्वामी! मैंने बहुत दु:ख पाया है और अब आपकी शरण में आया हूँ।” उस वियोगी का शरीर सूख कर काँटा हो चला था। जैसे उसने कई दिनोंसे कुछ खाया न हो। राजा ने उसे धीरज बँधाया और कहा- “अब यहाँ आ गये हो तो अपनी कथा बताओ। बताओ।किस कारण से तुम्हारी यह गति हुई है? तुम किस देश से आये हो और तुम्हारा नाम क्या है? ” तब उस वियोगी ने आह भरते हुये कहा- “कलंजर देश है मेरा। मैं मतिहीन और दुर्बुद्धि हूँ। एक यती ने मुझसे कहा कि एक रूपवती युवती एक जगह है मानो कामदेव से पैदा हुई हो। लाखों राजा उसके पास जाते हैं।जल-जल जाते हैं पर उसे नहीं पाते हैं।” राजा ने पूछा- “किसलिए जल जाते हैं? ” तब वह वियोगी सच्चाई बताने लगा- “उस युवती के पिता ने आग जला रखी है और उस आग पर कड़ाह भरकर घी खौलाया हुआ है। उसकी यह शर्त है कि जो उस खौलते घी से भरी कड़ाही में स्नान कर जीवित बच जायेगा, उसी से अपनी पुत्री का विवाह करेगा। वहाँ लाखों राजा आते हैं और कुछ पछताकर लौट जाते हैं , तो कुछ प्राण गँवा देते हैं। यह बात सुनकर मैं भी वहाँ गया। उस युवती को देखकर अपनी सुध-बुध खो कर यह शक्ल बनाई है। ” यह बात उस वियोगी से सुनकर राजा ने कहा- “आज तुम विश्राम करो। खाना खाओ। कल हम और तुम वहाँ चलेंगे । तुम्हें वह युवती दिलवायेंगे।” जब उस वियोगी ने स्नान कर भोजन कर लिया तब राजा ने नगर की सभी नर्तकी को बुलाया और मुजरा करने को कहा। उस वियोगी से कहा –“तुम्हें इनमें से जो भी पसंद हो उसे अपने साथ ले जाओ।” वियोगी ने कहा- “सिंह अगर सात दिन भी उपवास करे तो भी घास नहीं खाता। मुझे उस युवती के सिवा कोई और की इच्छा नहीं। ” इस प्रकार से वह रात बीत गई। राजा सुबह स्नान कर तैयार हुआ और अपने दोनों वीर असिया और वैताल को याद किया। दोनों उसी क्षण हाजिर हुये। वियोगी के बताये हुये स्थान पर राजा को ले गये। राजा ने उस युवती के पिता के शर्त के अनुसार घी के खौलते कड़ाही में छलांग लगा दी। राजा कूदते हीं जल कर राख हो गया। वैताल यह देख रहा था, उसने तुरंत राजा पर अमृत डाला जिससे राजा जीवित हो गया। राजा को जीवित देखकर सभी लोग जय-जयकार करने लगे। उस राजकन्या ने राजाकेगले में हार डाल दिया। वहाँ उपस्थित सभी लोग कहने लगे यह जरूर कोई अलग तरह का है। जो जलकर भी जीवित बच गया। राजकन्या के पिता ने राजा को बहुत-सा धन देकर विदा किया। राजकन्याने भी राजा को कहा-“तुम धन्य हो। जो मुझे बचा लिया। न हीं तो मेरे पिता ने ऐसी शर्त रखी थी कि मै इस पाप से कभी नहीं बचती और अनब्याही रह जाती। ” राजा उस राजकन्या के साथ अपने राज्य को लौट आया। इतनी कथा कह प्रेमावती ने राजाभोज से कहा- “राजा सुन ।इतनी कठिनता से राजकन्या को लाया। लेकिन आते हीं वियोगी को सारी दौलत के साथ राजकन्या सौप दी। स्वयं अपने महल को चला गया। तुमसे ऐसा साहस न हो सकेगा।” यह सब बातें राजा सुनता रहा और वह मुहुर्त भी बीत गया। अगली सुबह राजा जैसे हीं सिहासन के पास पहुँचा कि ग्यारहवीं पुतली पद्मावती बोल उठी- ग्यारहवीं पुतली पद्मावती ग्यारहवीं पुतली पद्मावती बोल उठी- हे राजा ! पहले मेरी कथा सुन। एक दिन राजा विक्रमादित्य उज्जैन नगरी को गया। अपने सभी आदमियों को विदा कर सो रहा था कि उत्तर दिशा की ओर से एक स्त्री के आवाज सुनाई पड़ी- “कोई ऐसा है जो मेरी आ कर खबर ले। इस पापी से मुझे बचाये और मुझे जीवन दान दें। ” इसी तरह से थोड़ी-थोड़ी देर पर वह स्त्री पुकार लगा रही थी। उसकी पुकार सुन राजा ढ़ाल और तलवार ले आवाज की दिशा में चल पड़ा । वन में पहुँच कर देखा कि एक सुंदर स्त्री पुकार रही है। वहीं एक दानव खड़ा है और उस स्त्री से भोग माँग रहा है। उस स्त्री के मना करने पर सर के बाल पकड- कर भूमि पर पटक दे रहा है। राजा यह देख कर उस दानव से बोला- “ओ पापी! तू इस स्त्री को क्यूँ मारता है। तुझे नरक का डर नहीं? ” राजा की बात सुनकर वह दानव फिर से उस स्त्रीको मारने लगा।तब राजा ने कहा-“तू इस स्त्री को छोड़ दे नहीं तो मैं तुझे मार डालूँगा।” राजा का वचन सुनकर वह दानव स्त्री को छोड़कर राजा की ओर लपका और बोला- “भाग जा। वरना मैं तुझे खा जाऊँगा। तू कौन है? जो यहाँ आकर बातें बनाता है।” तब राजाने गजब की फुरती दिखाते हुये उस दैत्य के सर को धड़ से अलग कर दिया। सर के अलग होते हीं उसमें से रूंड- मूंड दो वीर निकले । दोनों राजासे लिपट गये। उन दोनों में से एक को राजा ने मार डाला और दूसरा रात भर राजा से लड़ता रहा। सुबह होते ही दूसरा वहाँ से भाग गया। तब राजाने उस स्त्री से कहा-“ अब तुम जल्दी से मेरे साथ चलो। और मन में शंका न करो। वह राक्षस अब नहीं आयेगा। मेरे डर से भाग गया है। ” तब उस सुंदर स्त्री ने कहा- “सुनो नरेश!मैं सातों द्वीप और नौखंड पृथ्वी जहाँ पर भी भागकर छिपूँ, उससे बच नहीं पाऊँगी। उससे बच नहीं सकती। उसके बिना मेरी जिंदगी न होगी। उसके पास एक मोहनी पुतली है, वह उसके पेट में रहती है। उसके बल से वह मुझे ढ़ूँढ़ लेगा। लेगा। और उस पुतली में यह ताकत है कि एक दैत्य मारने से चार पैदा हो जाते हैं। ” उस स्त्री की यह बात सुनकर राजा उसी वन में छिपकर रह गया। रात होते हीं वह दैत्य फिर आ गया ।उस स्त्री को मारने लगा। स्त्री फिर पुकार कर रोने लगी। उसकी आवाज सुनते हीं राजा उस दैत्य से लड़ने लगा। वह दैत्य भी राजा से युद्ध करने लगा। लड़ते-लड़ते राजा ने ऐसा तलवार मारा कि उस दैत्य का सर धड़ से अलग। उस दैत्यके धड़ से मोहिनी निकली और चल दी अमृत लाने। राजाने अपने दोनो वीर अगिया-वैताल को याद किया और आज्ञा दी मोहिनी कहीं न जानेपाये। दोनों ने उस मोहिनी की चोटी पकड़ कर राजा के सामने पेश किया। राजा ने उस मोहिनी से कहा- “तू चंपकवरणी, मृगनयनी, गजगामिनी, कटिकेसरी, चंद्रमुखी,हँसे तो फूल झड़ते हैं और सुंगध पर भँवरे मंडराते हैं। तू इस दैत्य के पेट में क्यों रह रही थी? ” उस मोहिनी ने कहा- “सुन राजा! पहले मै शिवगण थी। पर एक आज्ञा चूक जाने के कारण शापवश मोहिनीरूप बन गई। इस दैत्य ने शिवकी बहुत तपस्या की और भगवान शिव ने प्रसन्न हो कर मुझे इस दैत्य को दे दिया।फिर इस पापी ने मुझे अपने पेट में रख लिया। शिव की आज्ञा थी कि इसकी सएवा किजियो और जो यह कहे मानियो। इसलिये मैं इसके वश में थी। ” इन दोनों वीरों ने मुझे पकड़ लिया नहीं तो मनुष्य के वश का नहीं जो मुझे पकड़ पाये।तुम भी उपाय करते तो मुझे वश में ना कर पाते। अब इन्होंने मुझे तुम्हारे पास लाया है तो अब मैं तुम्हारे पास हीं रहूँगी। एक वह सुंदर स्त्री और दूसरी मोहिनी दोनों राजा के साथ चल दी। यह कहकर पद्मावती ने राजा भोज से कहा- “मोहिनी से राजा ने गंधर्व विवाह किया। आगे का पराक्र्म मैं तुम्हें सुनाती हूँ। ” उसके बाद राजा विक्रमादित्य ने उस सुंदर स्त्री से पूछा- “सुन सुंदरी! मैं तुझसे पूछता हूँ? दैत्य ने तुझे कहाँ पाया था।तुम्हारे द्वीप और देश का क्या नाम है? तुम्हारे पिता कौन है? अपने बारे में सब बताओ?जैसा तू कहेगी वैसा ही मै विचार करूँगा। ” तब वह सुंदर स्त्री बोली- “महाराज !मेरी कथा सुनो। जो कुछ किस्मत में लिखा है उसे भोगना हीं होता है। किस्मत का लिखा मिट नहीं सकता। समुद्र के पास सिंहलद्वीप है, वहीं पर ब्रह्मपुरी नगर है। उसी नगर के ब्राह्मण की मै बेटी हूँ। एक दिन सखियों के संग तालब पर स्नान करने को गई। उस तालाब के आस-पास घने वृक्ष थे जिससे वहाँ पर सुर्य की रोशनी तक नहीं आती थी। वहीं पर स्नान, पूजा कर मै घर को लौट रही थी कि रास्ते मे वह दैत्य नजर आया। मुझसे भोग माँगने लगा। मैं अनब्याही उसे मना करती तो मुझे दु:ख देने लगा। कितने दिनों से मुझे सता रहा था। तुमने मुझे इस दु:ख से निकाला। निकाला।तुमने मेरे धर्म की रक्षा की और मेरे कुल की लाज रख ली। जैसा तुमने मुझ पर उपकार किया वैसा हीं आशीष मैं तुम्हें देती हूँ।तू हजार वर्ष तक जीता रह। तू किसी के वश में ना पड़े। तेरा यश और कीर्ति बढ़े।” इतना सुनने के बाद राजा ने बेटी कह उस स्त्री को गले से लगा लिया। वैताल को कहा कि अपने महल को ले चले। चले।महल पहुँच कर राजा ने दीवान को आज्ञा दी कि एक सुयोग्य ब्राह्मण को ढ़ूँढ कर लाओ।दीवान मार्कंडेय नामक एक ब्राह्मण को लेकर आया। राजा ने उस ब्राह्मण से कहा-“ब्राह्मण!एक ब्राह्मण कन्या हमारे यहाँ है। आप उसका पाणिग्रहण करें।” ब्राह्मण ने कहा -“तुम कन्यादान करो।और आशीष पाओ।” राजाने उस ब्राह्मणकन्या का विवाह उस मार्कंडेय ब्राह्मण के साथ कर दिया। दोनो को धन-सम्पत्ति देकर विदा किया। इतना कह पुतली ने राजा भोज से कहा- “तू गुण-ग्राहक है। राजा विक्रमादित्य के जैसा दानीऔरसाहसी नहीं।” राजा चुप रहा। दूसरे दिन बारहवीं पुतली कीर्तिवती बोली- बारहवीं पुतली कीर्तिवती बारहवीं पुतली कीर्तिवती बोली-एक दिन राजा विक्रमादित्य ने अपनी सभा में बैठे हुये कहा – कलियुग में और भी कहीं कोई दाता है? यह सुनकर एक ब्राह्मण बोला – “हे राजा! प्रजा के हितकारी, तेरे बराबर साहसी और दानी कोई नही। पर एक बात मैं कहना चाहता हूँ। पर शर्म से कह नहीं सकता। ” राजा ने कहा- “सत्य कहने मे कैसी लज्जा। जो भी बात है कहो हम बुरा नहीं मानेंगे।” वह ब्राह्मण बोला- “एक राजा समुद्र के किनारे रहता है और सदा धर्म कार्य करता है। वह सवेरे स्नान करता है, लाख रूपये दान देता है और फिर जल पीता है।यह तो मैंने उसके एक दान की रीत बताई।और भी बहुत कुछ दान करता है।ऐसा राजा धर्मात्मा उसके सिवा दूसरा हमने नहीं देखा।” यह बात सुनकर राजा के मन में इच्छा हुई की उस राजा को देखे। यह सोचकर दोनों वीर वैताल को बुलाया और तख्त पर सवार हो उस राजा के नगर के पास जा पहुँचा। तख्त से उतरकर दोनों वीर वैताल को कहा तुम देश को जाओ और मैं इस राजा की सेवा करता हूँ। तुम वहाँ से हमारी खबर लेते रहियो। तब वैताल ने पूछा- “इसका विचार क्या है? ” राजा ने कहा- “तुम्हें इन बातों से क्या। जो हम तुम्हें कहते हैं वह करो।” यह बात सुनकर वैताल अपने घर को लौट आये और राजा पैदल-पैदल उस नगर को चल दिया। राजा के महल के पास पहुँच कर द्वारपाल को कहा कि अपने राजा से कहो कि कोई विदेशी तुम्हारी सेवा करने के लिये खड़ा है। राजा के पास जाकर जब द्वारपाल ने यह कहा तो राजा हँसता हुआ आप ही बाहर आ गया । राजा को देखकर विक्रमादित्य ने प्रणाम किया। राजा ने पूछा- “कुशल से तो हो? ” तब विक्रमादित्य ने कहा- “आपकी दया से। ” राजा ने कहा- “तुम किस देश से आये हो? तुम्हारा नाम क्या है? और तुम्हारा अर्थ क्या है? सब सुनाओ । ” विक्रमादित्य बोला- “महाराज! मेरा नाम विक्रम है। मैं वीर राजा विक्रमादित्य के देश का रहनेवाला हूँ। मेरे जी में कुछ वैराग्य इसी से आपके दर्शन को आया हूँ।” राजा बोला- “तुम्हें हम क्या रोज कर दें। जिससे तुम्हारा निर्वाह हो जाये।” विक्रमादित्य ने कहा- “चार हजार रूपये में मेरी गुजर होगी।” यह सुन राजा ने कहा- “ऐसा क्याकाम करते हो ? जो चार हजार रूपये रोजाना हम तुम्हें दे।” विक्रमादित्य बोला- जो काम हमसे कहोगे, हम वह काम करेंगे।जिस राजा के पास मैं रहता हूँ उसके मुश्किल के समय काम आता हूँ। इस प्रकार से चार हजार रूपये रोजाना के लेकर विक्रमादित्य वहाँ रहने लगा। लगा।नौ-दस दिन बीत जाने पर विक्रमादित्य ने सोचा कि जो लाख रूपये रोज दान करता है उसका नितनेम क्या है? इसे पता करना चाहिये । किस देवता का बल है? इसी सोच में रहने लगा। एक दिन देखता है कि रात के दो पहर बीत जाने पर राजा वन को जा रहा है। यह देख विक्रमादित्य भी उसके पीछे हो लिया।आगे- आगे राजा पीछे-पीछे विक्रमादित्य । इस प्रकार दोनो शहर से निकल वन को पहुँच गये। उस वन में देवी के मंदिर के आगे एक कड़ाह में घी खौल रहा है। वह राजा तालाब में स्नान कर देवी के दर्शन कर उस कड़ाह में कूद पड़ा। कूदते ही भून गया। चौसठ योगनियों ने उसका स्वाद लिया। तभी कंकालिन अमृत लेकर आई और उस पर डाला। अमृत पड़ते हीं राजा भगवान का नाम लेकर उठ खड़ा हुआ। तब देवी ने मंदिर से लाख रूपये राजा को दिये। वह लेकर राजा महल को लौट गया। राजा के जाते हीं विक्रमादित्य उस कड़ाह में कूद पड़ा। कूदते हीं भून गया। चौसठ योगनियों ने विक्रमादित्य का स्वाद लिया। तभी कंकालिन अमृत लेकर आई और उस पर डाला। अमृत पड़ते हीं विक्रमादित्य भगवान का नाम लेकर उठ खड़ा हुआ। तब देवी ने मंदिर से लाख रूपये उसे दिये।इसी प्रकार से विक्रमादित्य ने सात बार किया । जब आठवीं बार कूदने लगा तो देवी ने आकर विक्रमादित्य का हाथ पकड़ लिया और कहा – “मांग तुझे क्या चाहिये।” विक्रमादित्य ने हाथ जोड़कर कहा- “मैं मांग लूँ, जो मांग पाऊँ।” देवी ने कहा- “मांग” विक्रमादित्य ने कहा- “हे देवी! जिस थैली में से तुमने रूपये दिये हैं, मुझे वह थैली चाहिये।” देवी ने हँसते हुये वह थैली राजा विक्रमादित्य को दे दी। थैली लेकर वह शहर को लौट आया। दूसरी रात राजा जब वन को गया तो देखता है कि वहाँ न देवी का स्थान है, न कड़ाह है, ना मंदिर है। यह देखकर सोच में डूब गया।और बदहवास हो महल को लौट आया। जब सुबह को दरबार में सब पहुँचे दो देखा राजा विह्वल हो पड़ा है, उसे किसी की सुध नहीं। राजा न हँसता है, न बोलता है, बस एकटक शून्य में देख रहा है। यह देखकर दीवान ने राजा से कहा- “महाराज! आपकी यह दशा देखकर सभी सारी सभा दु:खी हो रही है।” तब राजा ने दीवान से कहा- “आज दरबार का काम तुम सँभालो।” यह कह राजा अपने कक्ष में चला गया। सभी लोग तरह-तरह की बातें करने लगे। इतने में विक्रमादित्य हाजिर हुआ और राजा के पास गया। राजा की हालत देख कर विक्रमादित्य ने पूछा- “महाराज! आपको क्या दु:ख है? मुझे बताये । क्योंकि मैंने कहा था कि मुश्किल समय में काम आऊँगा।” तब राजा ने कहा- “मैं तुम्हें क्या बताऊ? अब मैं अपना प्राण त्याग दूँगा।” विक्रमादित्य ने कहा- “एक बार अपने मन का दु:ख बताओ तो सही।” राजा ने कहा- “एक देवी मेरे पास था। पर मैं नहीं जानता वह कहाँ चली गई। लाख रूपये मुझे रोज देती थी , जिससे मैं नित्य का दान-पुण्य करता था। अब मेरी नित्यक्रिया निभेगी नहीं। ऐसा मैं किसी को नहीं देखता जिससे मेरा नित्य नेम चले। इसलिए अब मैं अपना प्राण त्याग दूँगा। जब धर्म पुण्य नहीं रहेगा तो मेरा जीना व्यर्थ है।” विक्रमादित्य ने राजा की बात सुनते हीं कहा- “यह मैं करूँगा।” ऐसा कहकर उसनेवह थैली महाराज के हाथ में दी और कहा आप स्नान ध्यान कर अपना नित्य धर्म कीजिये। इस थैली से जितने रूपये चाहेंगे खर्च करे। कभी कम न होगा। होगा।यह सुनते ही राजा उठ बैठा ,दीवन को बुलाकर रूपये दिये और रोज की तरह दान करनेका हुक्म दिया। दीवान आज्ञा पाकर अपने कार्य को करने चल पड़ा। तब विक्रमादित्य ने राजा से कहा- “महाराज! अब मुझे भी आज्ञा दीजिये। मैं अपने देश को जाऊँ।” तब राजा ने कहा- “हम तुम्हारे गुण कहाँ तक मानेंगे।तुमने मुझे जीवन-दान दिया है। अपने दएश पहुँच कर कुशल-क्षेम का संदेशा भिजवाना । अपना पता ठिकाना बताते जाओ, हम भी तुम्हारी कुशल पता करते रहेंगे।” तब विक्रमादित्य ने कहा- “हे महाराज! मैं राजा वीर विक्रमादित्य हूँ। अंबावती नगरी का राजा। तुम्हारा नाम और यश सुनकर दर्शन की इच्छा थी, इसलिये यहाँ आया।” यह सुनते हीं राजा , विक्रमादित्य के चरणों में गिर पड़ा और कहने लगा- “बड़ा अपराध हुआ। मैंने तुम्हें नहीं पहचाना। अपनी सेवा करवाई। जैसा धर्म मैंने सुना था वैसा हीं देखा। धन्य हैं तुम्हारे माता-पिता और तुम्हारा कुल।” इतना कहकर राजा ने विक्रमादित्य को तिलक लगा विदा किया। विक्रमादित्य नगर के बाहर आ अपने वीरों को बुलाया और अपने महल को लौट आया। इतना कह कीर्तिवती ने कहा-“ऐसा था विक्रमादित्य कोई भी वस्तु दान करने में न देर करता।ऐसा दानी और साहसी था विक्रमादित्य। ” राजा यह सुन मौन हो गया और चुपचाप अपनी कक्ष की ओर कहला गया। दूसरे दिन प्रात: फिर सिंहासन के पास पहुँचा लेकिन पैर बढ़ाते हुये झिझक रहा था कि तेरहवीं पुतली त्रिलोचनी बोली- तेरहवीं पुतली त्रिलोचनी तेरहवीं पुतली त्रिलोचनी बोली- “सुन राजा भोज! इस सिंहासन पर वही बैठेगा जो विक्रमादित्य के जैसा साहसी और दानी होगा। अत: मेरा कथा सुनो। आगे विचार करना। ” राजा भोज ने कहा- “सुना।” पुतली त्रिलोचनी ने कथा सुनाया- एक दिन विक्रमादित्य शिकार खेलने को चला। उसके साथ हजारों शिकारी, मंत्री, दरबारी सभी अपने घोड़े पर सवार हो, चल पड़े। सभी ने अपने-अपने हाथ पर शिकारी जानवर बाज, बहरी, जुर्रा, शाहीन, लूरमा बैठा रखे थे। राजा ने भी अपने बाजू पर एक बाज बैठा रखा था। जब सभी वन में पहुँच गये, तब राजा ने आज्ञा दी कि सभी कोई अपने-अपनी शिकारी जानवर के साथ शिकार करे और मेरे सामने पेश करे , मैं ईनाम दूँगा। यदि कोई शिकार न कर पाया तो नौकरी से जावेगा। मैं बस यह नजारा देखूँगा। इतना सुनते हीं सभी शिकारी अपने जानवर और झुंड के साथ शिकार को चल दिये। जिसे जो भी शिकार मिलता राजा के सामने पेश करता और ईनाम पाता। ऐसे हीं करते-करते दोपहर हो गई। तब राजा ने भी अपने बाजू के बाज को उड़ाया और घोड़े पर सवार हो पीछा करने लगा। दौड़ते- दौड़ते शाम हो गई , और जब पीछे मुड़कर देखा तो कोई भी नजर न आया । बस घना जंगल, लाव-लश्कर , साथी, शिकारी, दरबारी सब पीछे छूट गये। इधर जब सब शिकार कर लौटे और राजा को न देखा तो नगर को लौट गये। राजा भटकते-भटकते एक नदी के पास पहुँचा। वहीं पर घोड़े को बाँध कर सुस्ताने लगा । तभी देखता है कि नदी उसकी ओर बढ़ती चली आ रही है। राजा जैसे-जैसे पीछे होता नदी बढ़ती जाती। फिर जो निगाह डाली तो देखता है कि नदी के बीच धार में एक मुर्दा पड़ा है , उस मुर्दे के साथ एक योगी और वैताल खींचातानी कर रहे हैं। योगी वैताल से कहता है- तूने बहुत- से मुर्दे खाये हैं। इसे मेरे लिये छोड़ दे। मैं इस पर योग करूँगा। वैताल कहता है – “ मैं अयाना नहीं हूँ, जो तू मुझे फुसलावे। मैं अपना भोजन तुम्हेंक्यों दूँ। ” इसी प्रकार दोनों झगड़ रहे थे और कह रहे थे कि यहाँ कोई तीसरा भी नहीं है जो हमारा न्याय कर सके। फिर योगी ने कहा “कल प्रात: काल हम-तुम सभा में चलेंगे। वहाँ जो भी फैसला होगा। वह तू भी मान लेना और मैं भी।” इतने में दोनों की दृष्टि राजा पर पड़ी । दोनों हँसे और कहने लगे कि नदी के किनारे कोई मनुष्य नजर आ रहा है। वहाँ पर चलो, वही हमारा न्याय करेगा। यह कह कर दोनों मुर्दा को घसीटते हुये राजा के पास आ पहुँचे। दोनों ने अपना किस्सा सुनाकर राजा से कहा- “महाराज! तुम धर्मात्मा हो, इसलिये धर्म का विचार कर हमारा न्याय करो।” योगी ने कहा- “मैं जो कहता हूँ, उसे ध्यान से सुनो। इस वैताल ने बहुत –से मुर्दे खाये और यह मैंने अपने दाव पर पाया है।यह बेवजह मुझसे तकरार कर रहा है। और कहता है- मैं तुझे न दूँगा।मैं इससे विनती करके माँगता हूँ कि यह प्रसाद मैंने तुझसे पाया है। लेकिन यह नहीं मानता।” तब राजा ने वैताल से कहा- “तू अपना पक्ष बता।” वैताल बोल- “महाराज! यह योगी बड़ा मूर्ख है। जो इसने मुझसे राह में झगड़ा लगाया। मैं हजार कोस से इस को लेकर आया हूँ और यह मुझसे मांग रहा है।है।मैं इसे क्यों दूँ। इसके लिये मैंने बहुत कष्ट झेले हैं। और आहार के समय में यह दुष्ट आ पहुँचा। अब इसका न्याय तेरे हाथ में है। क्योंकि तू धर्मात्मा है। जो तू कहेगा वह मुझे मान्य है। ” राजा कहने लगा- “तुम दोनों बड़े हो। इस वास्ते पहले हमें कुछ प्रसाद दो , तब हम इसका न्याय करेंगे।” यह सुन योगी ने हँसकर अपने थैली में से एक बटुआ निकालकर राजा को दइया और कहा- “राजा! तुझे जितना धन अभीष्ट होगा, यह बटुआ तुम्हें देगा। देगा।और इसमें से कम न होगा। ” तब वैताल बोला- “राजा! मैं एक मोहिनी तिलक तुझे देता हूँ। तू जब घिसकर इसे लगा लेगा, तब तेरे सामने सब झुक जाएँगे।” दोनों के प्रसाद को राजा ने अपने पास रख लिया और बोला- “सुन वैताल!तू इस मुर्दे को छोड़ दे और मेरे घोड़े को खा ले। यह योगी के हवाले कर दे। इससे तू भूखा भी नहीं रहेगा और योगी का काम भी हो जायेगा।” तब वैताल ने वह मुर्दा योगी को दे दिया और घोड़े को खा कर अपनी भूख शांत की। योगी वह लेकर अपने स्थान को चल दिया। राजा ने अपने वीरों को बुलाया और नगर के पास पहुँच गया। रास्ते में एक भिखारी आता हुआ दिखा। भिखारी ने राजा को देखा तो कहा- “महाराज! आपके नगर में मैं बहुत दिनों तक रहा लेकिन कुछ अर्थ सिद्ध न हुआ।अब मैं आपसे कुछ माँगता हूँ। मुझे कुछ दीजिये।” यह सुन राजा ने वह बटुआ औ भिखारी को दे दिया और उसके गुण बताये। वह भिखारी राजा को आशीष देते हुये अपने घर को चला गया। राजा भी अपनेमहल को लौट गये। इसके बाद त्रिलोचनी पुतली ने राजा भोज से कहा- “बता राजा भोज! क्या तू विक्रमादित्य जितना बड़ा दानी और साहसी है।” उसके दूसरे दिन राजा स्नान कर दरबार में पहुँचा । ब्राह्मणों को दान दिये और जैसे ही सिंहासन की ओर बढ़ा कि चौदहवीं पुतली त्रिलोचना बोली- चौदहवीं पुतली त्रिलोचना चौदहवीं पुतली त्रिलोचना बोली-पहले मेरी कथा सुन। एक दिन राजा विक्रमादित्य ने अपने प्रधान को बुलाकर कहा कि मैं यज्ञ करूँगा जिससे पुण्य हो और आगे का निस्तार होवे।तब प्रधान ने सुनते हीं सभी देश के राजाओं को निमंत्रण भेज दिया। सभी जगह के ब्राह्मणों को बुलावा भेजा। पाताल और स्वर्ग में भी बुलावा भेजा गया। एक ब्रह्मण को कहा – आप समुद्र के पास जाओ और मेरी ओर से दण्डवत कर कहना कि राजा विक्रमादित्य ने यज्ञ का आयोजन किया है और आपको नम्रतापूर्वक बुलावा भेजा है। तब वह ब्राह्मण कई दिनों तक चलते-चलते समुद्र के पास पहुँचा ।।वहाँ पहुँच कर देखता है कि न कोई मनुष्य है और न ही पशु-पक्षी। चारों ओर जल-हीं-जल है ।तब ब्राह्मण सोच में पड़ गया कि राजा का संदेश किसे कहूँ। यहाँ तो कोई दिखाई नहीं देता। चारों ओर बस जल-हीं-जल है। ऐसा विचार कर समुद्र के पास हाथ जोड़कर जोर से बोला- “हे समुद्र देव! हमारे राजा विक्रमादित्य ने यज्ञ का आयोजन किया है और आपको यज्ञ में आने का निमंत्रण दिया है। आप जल्दी पहुँचना।” यह कहकर वह ब्राह्मण वहाँ से चल पड़ा। तब एक बूढ़े ब्राह्मण के रूप में उस ब्राह्मण को समुद्र नजर आया।समुद्र ने ब्राह्मण से पूछा- “मुझे राजा विक्रमादित्य ने किसलिये बुलाया है? ” तब ब्राह्मण ने कहा- “महाराज ने अपने यज्ञ में आपको बुलाया है। ” समुद्र ने कहा- “ठीक है। लेकिन जब मैं यहाँ से चलूँगा, तो रास्ते में जितने भी देश आयेंगे सब जल में डूब जावेंगे। इसलिये मेरी ओर से राजा को विनती कर कहना कि मेरे न आने का पछतावा न करे।मैं नहीं पहुँच सकता। ” यह कह कर समुद्र ने ब्राह्मण को पाँच लाल दिये और एक घोड़ा राजा के लिये सौगात भेजा। ब्राह्मण सभी कुछ लेकर राजा के पास पहुँचा। पाँचों रत्न राजा को दिये और घोड़े को बाँध सारा वृतांत सुनाया। राजा ने प्रसन्न हो पाँचों रत्न और घोड़ा उस ब्राह्मण को दे दिये। यह कह त्रिलोचना ने कहा- “सुन राजा भोज! यह कथा मैंए इसलिये कही कि तुझे मालूम हो कि राजा दान करने के समय कुछ न देखता था। वे पाँचों रत्न और घोड़े अनमोल थे , लेकिन राजा ने दान देने में देर न की। बता तू ऐसा कर सकता है । पंडित तो तू है,पर वैसा दानी नहीं।” इस तरह वह दिन भी बीत गया। दूसरे दिन पंद्रहवीं पुतली अनूपवती ने राजा को रोककर कहा- पंद्रहवीं पुतली अनूपवती पंद्रहवीं पुतली अनूपवती बोली- सुन राजा भोज! हम राजा विक्रमादित्य के गुण कहते नहीं थकते। राजा ने कहा- “सुना। मैं सुनने को आतुर हूँ।” अनूपवती ने कहना आरंभ किया- एक दिन राजा विक्रमादित्य अपने दरबार में बैठा था। तभी वहाँ एक ब्राह्मण आया। उसने एक श्लोक सुनाया सुनाया, वह सुनकर राजा मन में बहुत प्रसन्न हुआ। उस श्लोक का अर्थ यह था कि जब तक सुर्य और चंद्र विद्यमान है तब तक मित्रद्रोही और विश्वासघाती नरक भोगेंगे। यह सुनकर राजा ने उस ब्राह्मण को एक लाख रूपये दिये और कहा कि – इस का अर्थ विस्तार से कहो। इसका पूरा वृत्तांत बताओ। तब ब्राह्मण ने कहना प्रारंभ किया- एक राजा बड़ा अज्ञानी था । ।उसके प्राण की आधार उसकी रानी थी। वह सभा में भी अपनी रानी को साथ लेकर बैठता था। शिकार करने को जाता तो उसे भी साथ ले जाता।कहने का तात्पर्य यह कि वह अपनी रानी के साथ ही सोता, जगता, खात, पीता, सभी कार्य में साथ। लेकिन मूर्ख ऐसा कि उसे कुछ भी शर्म नहीं था। एक दिन उसके प्रधान ने अवसर पाकर हाथ जोड़कर विनय किया – “स्वामी!जो मुझे जीवन-दान दें। तो मैं एक बात कहूँ।” राजा बोला- “कहो।” प्रधान ने कहा- “महाराज! रानी के साथ आप शोभा नहीं पाते। राज कुल की मर्यादा और शान जाती है। सभी देश के राजा देख हँसते और कहते हैं राजा के मन में ऐसी सुंदरी बैठी कि एक पल नजर नहीं फेरता। मेरी बात माने तो रानी का एक चित्र बनवाइये और उसे अपने पास रखिये। इससे लोग लोक-निंदा नहीं करेंगे।” राजा को प्रधान की यह बात भा गई और उसने एक चित्रकार को ढ़ूँढ़ कर लाने को कहा जो रानी का चित्र बनाये। प्रधान ने एक चित्रकार को बुलाया जो चित्र भी बनाता था और ज्योतिष विद्या का भी पंडित था। था। उसे राजा ने कहा कि रानी का चित्र लिख दे जिसे वह अपने पास रख सके।सके।चित्रकार ने मस्तक झुका कर कहा- “अच्छा । मैं लिख लाता हूँ।” उसके बाद अपने घर को चला गया। घर पहुँच कर उसने रानी की चित्रकारी बनाई, एक-एक अंग जैसा गढ़ा था वैसा हीं। नैन-नक्श, आँख, बाजू, भाव सभी। चित्र लेकर वह राजा के पास पहुँचा। राजा ने देखा तो बहुत पसंद किया।राजा उस चित्र को देख रहा था, रानी का अंग-अंग साँचे में ढ़ला हुआ था।राजा की दृष्टि देखते-देखते दाईं जांघ पर गईगई, वहाँ पर उसे एक तिल बना दइखा। यह देख कर राजा बहुत घबड़ाया और कहने लगा- “इसने रानी का तिल क्यों देखा। हो-न-हो इसकी रानीसे मुलाकात हुई है।” इस प्रकार अपने मन में विचार कर प्रधान को कहा कि उस चित्रकार को बुलावा भेजो। चित्रकार को बुलावा भेजा गया।चित्रकार मन-में बहुत खुश हुआ कि चित्रकारी पसंद आई, आज राजा मुझे ईनाम देगा। शीघ्रता से राजा के पास पहुँच गया। राजा ने उसे देखते हीं जल्लाद को हुक्म दिया कि इसकी गर्दन धड़ से अलग कर दो और इसकी आँखे निकाल कर मेरे पास ले आओ। जल्लद उसे लेकर चल दिया। प्रधान भी जल्लाद के साथ गया। प्रधान ने जल्लाद से कहा कि इस चित्रकार को मुझे दो और हिरण की आँखे निकाल कर राजा के पास ले जाओ। जल्लाद ने प्रधान के अनुसार राजा के पास हिरण की आँखे पेश की और उस चित्रकार को प्रधान को सौंप दिया। प्रधान को राजा की तरफ से बहुत क्रोध आया कि यह राजा तो निरा मूर्ख है। गुणवान पुरुष को कोई फाँसी देता है क्या। यदि गुणी से कोई भूल हो जाये तो उसे देश निकाला दे दो। यही राजाओं का चलन है। पर राजाओं का क्या मुँह पर अमृत और पेट में विष ।राजा कहते कुछ हैं और करते कुछ और।।यही विचार कर प्रधान ने उस चित्रकार को छुपा दिया। जल्लाद राजा के पास गया और हिरण की आँखे दे कर कहा कि महाराज मैंने उस चित्रकार को मार दिया और उसकी यह आँखे आपके पास लाया हूँ। राजा ने आँख देखकर आदेश दिया कि इसे संडास मे बहा दे। कुछ दिन यूँ हीं बीत गये। एक दिन राजकुमार शिकार को वन में गया । वन में भटकते-भटकते उसे एक शेर नजर आया। शेर को देखते हीं राजकुमार के हाथ-पाँव फूल गये।डर के मारे बुरा हाल। सामने एक वृक्ष दिखा, फौरन उस पर चढ़ा। थोड़ा हीं चढ़ पाया था कि उसी वृक्ष पर ऊपर एक रीक्ष नजर अया।अब राजकुमार करे-तो- क्या- करे आगे कुँआ पीछे खाई। उस राजकुमार को देख कर रीक्ष ने कहा – “तू डर मत , तू मेरी शरण में है। मैं तुम्हें नहीं खाऊँगा।” इसी तरह से रात हो गई। तब रीक्ष ने कहा -“नीचे हम दोनों का दुश्मन बैठा है। ऐसा कर हम-दोनों मिलकर आधी –आधी रात रखवाली करेंगे। पहले के दोप पहर तू सो जा और मैं रखवाली करूँगा। फिर बाद के दू पहर मैं सो रहूँगा और तू रखवाली करना।” यह करार कर राजकुमार पहले के दो पहर में सो गया।जब राजकुमार सो गया तो शेर ने रीक्ष से कहा-“तू क्यूँ मनुष्य पर विश्वास करता है।इसे नीचे फेंक दे, हम-तुम मिलकर इसे खा जायेंगे।अज्ञानी मत बन। यह तो हमारा भक्ष्य है।तू क्यों विष बोता है।तू जब सोयेगा तो यह तेरा सिर काटकर नीचे फेंक देगा।” तब रीक्षने कहा -“सुन अज्ञानी शेर! अपने ऊपर पाप लेना उचित नहीं।जितना पाप राजा को मारने, वृक्ष को काटने, गुरु को झूठ बोलने, विश्वासघात करने से होता है। उतना हीं पाप शरणागत को मारने से होता है। यह महापाप है। यह पाप किसी तरह से नहीं मिटता। क्या हुआ जो मैंने एक जीव न खाया।” तब शेर ने कहा- “तू ने मेरी बात नहीं मानी। इसलिए मैं तुझे जीतानहीं जाने दूँगा। ” इसके बाद दो पहर बीत गये। रीक्ष के सोने की बारी आ गई। गई।रीक्ष सो गया और राजकुमार पहरा दएने लगा। अब शेर ने राजकुमार से कहा- “जो मैं कहूँ वह सुन। इस रीक्ष की बातो में न आ।जब सुबह यह सो कर उठेगा तो तुझे मारकर खा जावेगा।जावेगा।उसने मुझसे कहा है कि जब मैं सुबह उठूँगा ,तब इस राजकुमार को खा जाऊँगा। इसलिये कहताहूँ कि तू इस रीक्ष को नीचे फेंक दे। मैं इसे खा जाऊँगा और तू भी सही-सलामत अपने घर को चला जावेगा। ” राजकुमार उस शेर की बातों में आ गया उर जिस डाल पर रीक्ष सोया था उसको जोर से हिलाने लगा। इतने में रीक्ष की आँख खुल गई। वह डाल पकड़ कर बैठ गया और राजकुमार से बोला- “ओ पापी! मैंने तेरी जान बख्शी और तू मतिहीन मेरे को मारने को तैयार है। अब जो मैं तुझे मार कर खा जाऊँ । तो तू क्या कर लेगा।” यह बात सुनते हीं राजकुमार के प्राण सूख गये और वह समझ गया कि रीक्ष अब मुझे खा जायेगा। इतने में सुबह हो गई। शेर वहाँ से चला गया। रीक्ष ने राजकुमार के कानों को दूषित कर दिया और बोला- “तुझे जी से क्या मारूँ ? क्योंकि तुझेयहाँ बचानेवाला तो कोई है नहीं। इसलिये असमर्थ समझ कर तुझे छोड़ रहा हूँ।” इतना कहकर रीक्ष वहाँ से चला गया। राजकुमार वहाँ से गूँगा-बहराहो अपने राजमहल को लौट आया। राजा उसकी दशा देखकर बहुत चिंतित हुआ। रानियाँ विलाप करने लगी- “भगवान!यह क्या अनर्थ कर दिया। किसी ने इससे छल किया है तभी यह हालत हो गई है। ” राजा ने प्रधान को आज्ञा दी कि जितने भी वैद्य- गुणी हैं उन्हें बुलाओ और राजकुमार को दिखाओ।प्रधान ने सभी गुणी, पंडित, वैद्य को बुलाया । सभी ने अपने-अपने ओर से यत्न कर के देख लिया लेकिन राजकुमार को कुछ भी आराम न मिला। सभी ने राजा के सामने हाथ जोड़ लिये कि हमारे से कुछ नहीं हो पाया। यह देखकर प्रधान ने राजा से कहा- “महाराज! मेरे पुत्र की बहू बड़ी गुणी है। यदि आपकी आज्ञा हो तो मैं उसे बुलावा भेजूँ। ईश्वर की कृपा होगी तो राजकुमार को कुछ आराम हो जावेगा।और कोई उपाय नहीं है। ” राजा ने कहा- “तेरे पुत्र की स्त्री क्या जाने? ” प्रधान ने कहा- “वह बहुत बड़े योगी कि शिष्या रह चुकी है। उसे मंत्र-तंत्र सभी आते हैं।” राजा ने आज्ञा दे दी। प्रधान अपने घर को गया। वहाँ उसने उसी चित्रकार को बुलावा भेजा और सभी बातें विस्तार से बता दी। चित्रकार को कहा की स्त्री का वेष बनाकर मेरे साथ चलो। चित्रकार ने प्रधान के कहे अनुसार स्त्री का वेष बना लिया। दोनो रथ पर सवार हो महल को पहुँचे। उसे परदे कर के राजकुमार के पास ले जाया गया। राजा और दीवान परदे के एक ओर बैठे तथा दूसरी ओर राजकुमार । चित्रकार ने कहा – “कुँवर को स्नान करवाओ। और सावधान होकर बैठने को कहो।कहो।जो मैं मंत्र बोलूँ उसे ध्यान से सुने। ” चित्रकार ने दुबारा कहा - “विभीषण बड़ा शूरवीर था लेकिन भाइ से दगा कर रामचंद्र जी से जा मिला। उसने रावण का सब राज खोल दिया और अपने कुल का नाश करा बैठा। उस लाज से एक वर्ष तक सिर न उठाया और अपने किये का फल पाया। भस्मासुर ने महादेव जी से वर पाकर उन्हीं से विश्वासघात किया। पार्वती जी को लेने की इच्छा की जिसका फल उसे तुरंत मिला । स्वयं भस्म हो गया।” “ओ कुँवर! फिर तू मित्रद्रोही और विश्वासघाती क्यों हुआ? सोये हुये रीक्ष को तूने नीचे ढ़केला। उसने तो तेरे पर उपकार किया और तूने उसका बुरा विचारा। पर उसमें तेरा दोष कुछ नहें है। उसमें तेरे पिता का दोष है। क्योंकि जैसे बीज होगा वैसा हीं फल भी होगा। यह तुमने अपने पिता के पास से दु:ख पाया है।” इतना सुनते हीं राजकुमार सचेत हो बोल उठा। तब राजा ने कहा- “हे सुंदरी! तू सच कह तूने वन के जानवर के बारे में कैसे जाना। ” यह सुनकर चित्रकार ने उत्तर दिया- “राजा! मैं अपनीपूर्व अव्स्था तुझे बताती हूँ। जब मैं अपने गुरु के पास विद्या के लिये जाती थी, तब मैंने अपने गुरु की बहुत सेवा की।जिससे प्रसन्न हो उन्होंने मुझे एक मंत्र दिया।दिया।वह मंत्र मैंने साधा। तब से सरस्वती मेरे जिह्वा पर बसती है। जैसे मैंने रानी के जाँघ का तिल जाना, वैसे हीं वन के जानवरों रीक्ष और शेर को भी जाना। ” यह सुनते हीं राजा प्रसन्न हो गया और बीच के पर्दे को खींच कर हटा दिया और बोला- “हे चित्रकार! तू सच्चा शारदापुत्र है। तेरे गुण को मैंने अब जाना।” इसके बाद राजा ने अपना आधा राज्य उसे दे दिया और अपना मंत्री नियुक्त किया। इतनी कथा कह उस ब्राह्मण ने राजा विक्रमादित्य से कहा-“महाराज!यह कथा उस श्लोक का अर्थ है।” इसके बाद राजा विक्रमादित्य ने उस ब्राह्मण को हजार गाँव वृत्ति में दे दिया। यह कहकर पुतली बोली- “ओ राजा भोज! और अब इस नगर में राजा विक्रमादित्य के समान राजा होना मुश्किल है। ” इसी प्रकार वह दिन बीत गया। अगले दिन राजा के सिंहासन के पास पहुँचते हीं सोलहवीं पुतली सुंदरवती बोल पड़ी- सोलहवीं पुतली सुंदरवती सोलहवीं पुतली सुंदरवती बोल पड़ी- सुनो राजा! मैं तुमसे राजा विक्रमादित्य का एक अहवाल बताती हूँ। उज्जैन नगरी में छत्तीस कौम और चार जाति रहते थे। वहाँ एक नगरसेठ रहता था। वहा बड़ा प्रतापीऔर धनी था। लोगों को त्योहार करने के लिये बहुत माया लेता देता था। जो कोई उसके पास अपना कार्य लेकर जाता था, वह खाली हाथ नहीं आता। उस सेठ के एक पुत्र था रत्नसेन, बहुत हीं सुंदर, गुणवान और विद्यावान। उस सेठ के मन में अपने पुत्र के ब्याह का ख्याल आया। तब उसने नगर के कुछ ब्राह्मणोंको बुलाया और कहा कि आपलोग देश-परदेश में जाओ और मेरे पुत्र के योग्य यदि कोई सुयोग्य लड़की मिले तो उसे देख कर टीका कर देना। और यहाँ आ जाना। फिर मैं अपने पुत्र का विवाह उससे कर दूँगा। टीका ले कर आने पर मैं बहुत-सा धन भी दूँगा।इस प्रकार से कई ब्राह्मणों को दहन देकर नगर सेठ ने अलग-अलग दिशा में भेजा दिया। उनमें से एक ब्राह्मण को पता चला कि समुद्र के पार एक सेठ जिसकी पुत्री बहुत हीं सुंदर है। वह सेठ भी अपने पुत्री के लिये योग्य वर तलाश कर रहा है। यह समाचार पाकर वह ब्राह्मण उस सेठ के पास पहुँचा। सेठ ने ब्राह्मण का आवभगत किया और आने का उद्देश्य पूछा। तब ब्राह्मण ने बताया कि हमारे नगर सेठ ने मुझे अपने पुत्र के लिये वधू तलाशने के लिये भेजा है। यह सुन सेठ अति प्रसन्न हुआ और बोला- “मैं भी अपनी पुत्री के लिये योग्य वर देख रहा हूँ। और ईश्वर ने आपको भेज दिया। आप यहाँ दो-चार दिन ठहर कर आराम करो। मैं अपना पुरोहित आपके साथ भेज दूँगा, वह आपके साथ जाकर वर देख लर टीका कर आवेगा।” दो-चार दिन तक वह ब्राह्मण वहाँ ठहरा। सेठ की पुत्री को भली-भाँति देखकर टीका कर दिया और उस सेठ के पुरोहित को साथ ले अपने नगर उज्जैन आ पहुँचा। नगर सेठ के पास जाकर सभी बातें बता दीं।सेठ के पुरोहित ने भी नगर सेठ के पुत्र को देखकर टीका कर दिया। जाने के पहले नगर सेठ से बोला- “आपलोग शादी के लिये जल्द-से-जल्द बरात लेकर पधारें। हम वहाँ शादी की तैयारे करवाते हैं।” इतना कह सेठ का पुरोहित अपने सेठ के पास चला गया। यहाँ नगर सेठ के घर पर शादी की तऐयारियाँ होने लगी। सभी लोगों ने नये कपड़े सामान बनवाने शुरु कर दिये। मंगलाचार होने लगा। शनाईयाँ बजने लगीं। जब ब्याह का दिन नजदीक पहुँचा तो सब सोचने लगे इतना लम्बा सफर हम कैसे तय करेंगे। इतने कम समय में पहुँचना बहुत मुश्किल है। यह सोच कर सभी बंधु-बाँधव उदास हो गये।तब एक शख्स से नगर सेठ से कहा- “सेठ मैंने सुना है कि कुछ समय पहले महाराज को एक कारीगर ने एक उड़न खटोला बनाकर दिया है जिसे महाराज ने दो लाख रूपये ईनाम के तौर पर दिये थे। उस उड़न खटोले में बैठकर कहीं भी कुछ हीं समय में जाया जा सकता है। यदि उचित लगे तो महाराज के दअर्बार में जाकर अर्ज करें।” यह सुनकर वह नगर सेठ महाराज विक्रमादित्य के दरबार में गया। वहाँ जाकर दीवान से कहा कि मैं महाराज से मिलना चाहता हूँ। दीवान ने कहा-“महाराज तो महल में हैं।” यह सुन नगर सेठ उदास होकर दीवान से सभी हाल बताया और यह भी कहा कि विवाह के चार दिन बचे हैं यदि मैं समय पर ना पहुँच सका तो मेरे कुल के बड़ा जग-हँसाई होगी। दीवान ने यह सब सुनकर महाराज के पास जाकर सभी बातें बताई। महाराज विक्रमादित्य ने जब सभी बातें सुनी दो दीवान को आज्ञा दीं कि वह उड़न खटोला नगर सेठ को दे दें और जो कुछ भी वह सेठ कहे वैसी तैयारी कर आवश्यक सामान भी दे।तब दीवान ने वह उड़न-खटोला सेठ को दे दिया और कहा कि जो कुछ भी चाहिये बताओ महाराज ने कहा है कि आवश्यक की सभी सामान आपको दी जाये। नगर सेठ ने कहा- “महाराज की दया से सब कुछ है मेरे पास। बस यही छ्हिये था। ” यह कह कर उड़न खटोला ले कर अपने घर को पहुँचा। उड़न -खटोले पर अपने पुत्र के साथ, ब्राह्मणों और दो-चार आदमियों सहित समुद्र के पार सेठ के पास पहुँच गया। वहाँ जाकर देखा कि मंगलाचार हो रहे हैं और सभी राह देख रहे हैं।जब लोगों ने देखा तो उन्हें हाथों हाथ लिया और एक हवेली में ठहराया।सेठ को जाकर खबर दी कि तुम्हारा सम्बंधी आ गया है। सेठ ने तीन-चार लोगों को देखा तो उसे दु:ख हुआ और उसने नगर सेठ से इसका कारण पूछा। तब नगर सेठ ने सभी बातें बतायी। सेठ ने सभी बातेंजानकर शादी की तैयारी की और विवाह सम्पन्न हुआ। शादी के सभी सामानों को जहाजमें लाद कर समुद्रके रास्ते से रवाना कर दिया गया। उड़न –खटोले पर नगर सेठ अपने पुत्र , बहू और पंडित के साथ उज्जैन को लौट आये। वहाँ पर अपने रीति से विवाह का आयोजन हुआ। सभी को उफार और सौगात दिये गये। शादी के बाद नगर सेठ ने जवाहरात, पोशाकें, और चार घोड़े सहित उस उड़न खटोले को लेकर राजाविक्रमादित्य के दरबार में पहुँचा । राजा के पास जाकर दंडवत किया और उड़न खटोले सहित सभी सामान राजा को देने लगा और बोला- “आपके पुण्य प्रताप से मेरे सभी काम अच्छी तरह निबट गये। मैं ये सौगात आपकेलियेलाया हूँ” । तब राजा ने कहा-“मेरा यह स्वभावहै कि मैं दी हुई चीज वापस नहीं लेता। यह उड़न खटोला तुम रख लो।” अपने दीवान से लाख रूपये मँगवाकर जो कुछ सौगात सेठ लेकर आया था उसके पुत्र के लिये दे दिया और कहा कि यह मेरी तरफ से तुम्हारे बेटे और बहू के लिये है। सभी कुछ लेकर सेठ प्रसन्न हो अपने घर को लौट गया। यह कहकर पुतली बोली- “सुन राजा भोज! विक्रमादित्य की बराबरी तो इंद्र भी नहीं कर सकता। फिर तू क्या करेगा। ” इस तरह से वह दिन बीता। राजा ने जैसे –तैसे रात बिताई और सुबह फिर सिंहासन के पास पहुँचा। इस बार सत्रहवीं पुतली सत्यवती ने रोका सत्रहवीं पुतली सत्यवती इस बार सत्रहवीं पुतली सत्यवती ने रोका और कहा- “एक बार राजा विक्रमादित्य के सभी में एक ब्राह्मण आया। और उसने शेषनाग और उसके ऐश्वर्य के बारे में बताया। ” शेषनाग के बारे में सुनकर राजा विक्रमादित्य को एक बार पाताल लोक जाने की इच्छा हुई। सभा समाप्त होने पर राजा ने अपने दोनों वीर असिया और वैताल को बुलाया और कहा- मुझे पाताल लोक ले चलो। चलो।मैं शेष नाग के दर्शन करना चाहता हूँ। यह सुन कर दोनों वीरों ने राजा विक्रमादित्य को पाताल लोक में शेष नाग के मंदिर के पास पहुँचा दिया। वहाँ पहुँच कर राजा ने दोनों वीरों को विदा किया और स्वयं उस मंदिर में गये। देखा कि वह मंदिर कंचन का है और उसमें रत्न जड़े हैं। उस रत्न की ज्योति से रात-दिन का कुछ पता हीं नहीं चलता।हर घर के द्वार पर कमल के फूलों के बंदनवार लगे हैं और मंगलाचार हो रहे हैं। राजा ने वहाँ के द्वारपालों को दंडवत करते हुये कहा-“महाराज! हमारा संदेश शेष राजाजी के पास पहुँचा दो कि मृत्युलोक से एक राजा आपके दर्शन को आया है।” राजा वहीं द्वार पर खड़ा मन में कहता था कि धन्य भाग मेरा जो मैं यहाँ आया।हर तरफ से राम-कृष्ण की आवाज आ रही थी। विक्रमादित्य का संदेश ले कर द्वारपाल शेष्नाग के पास गया और बोला एक मनुष्य मृत्युलोक से आया है और आपको सैकड़ों दंडवत कर आपके दर्शन करना चाहता है। शेषनाग ने जब यह सुना तो स्वयं द्वार पर आया। राजा ने शेषनाग को देखते हीं दंडवत किया और शेषनाग ने हँसकर आशीष देते हुये पूछा- “तुम्हारा नाम क्या है? तुम किस देश से आये हो? ” राजा ने हाथ जोड़कर कहा-“स्वामी! विक्रम मेरा नाम है। मैं भूलोक का राजा हूँ । आपके चरण के दर्शन की इच्छा थी, सो इच्छा पूरी हुई। आज मुझे करोड़ यज्ञ का फल मिला और करोड़ो दान का पुण्य मिला है। चौसठ तीर्थों में नहाने का फल प्राप्त हुआ।” विक्रम का नाम सुनते हीं शेषनग ने राजा का हाथ पकड़ा और अपने महल में ले गये। बैठा कर कुशल क्षेम पूछी। राजा ने कहा- “महाराज के दर्शन से सब आनंद है।” शेषनाग ने कहा- “किस कारण से यहाँ आये हो और आते हुये बहुत कष्ट पाये होंगे।” राजा ने कहा- “फणिनाथ! आपके दर्शन से सब कष्ट मिट गये। ” राजा को रहने के लिये एक कक्ष दिया और अपने सेवकों से कहा कि इसकी सेवा मेरी सेवा समझो।इस प्रकार से पाँच-सात दिन रहकर राजा ने शेषनाग से विदा माँगी और हाथ जोड़कर कहा-“पृथ्वीनाथ! अब मुझे आज्ञा दीजिये। अब मैं अपने नगर को जाऊँ और आपके गुण गाऊँ। ” शेष जी ने हँसते हुए कहा- “राजा! अब तुम्हें अपने घर जाने की इच्छा हुई है, सो जाओ। हम तुम्हारे लिये कुछ प्रसाद देते हैं , वह लेते जाओ।” यह कहकर राजा को चार रत्न दिये और उसका गुण बताने लगे – “एक रत्न का यह गुण है कि इससे तुम जितना गहना चाहोगे , यह तुम्हें देगा। दूसरा रत्न तुम्हें पालकी, घोड़ा, हाथी जितनी माँगो, वह देगा। तीसरे रत्न से जितनी लक्ष्मी चाहोगे , वह तुम्हें देगी। चौथे रत्न का यह प्रभाव है जितनी इच्छा तुम्हें हरिभजन और सत्कर्म की होगी , वह पूरी करेगा।” चारों रत्न का गुण बता राजा को दे विदा दिया। राजा ने हाथ जोड़कर कहा- “महाराज! मैं आपके गुण की उपमा नहीं दे सकता। पर आप मुझे दास समझकर,मुझ पर कृपा रखियेगा। ” यह कहकर राजा वहाँ से विदा हुआ। दोनो वीरों को याद किया और महल की ओर चल पड़ा। जब नगर एक कोस पर रह गया तो वैतालों को विदा किया और पैदल हीं नगर की ओर चल पड़ा।इतने में देखता है कि एक निर्बल ब्राह्मण आ रहा है। पास आ कर राजासे कहा-“मैं भूखा ब्राह्मण हूँ। मुझे कुछ भिक्षा दो तो मैं अपने कुटुंब को पालूँ।” राजा सोचने लगा कि चारों रत्न में से एक इस ब्राह्मण को दे दूँ। यह सोच राजा ने ब्राह्मण को सभी के गुण बताये और कहा कि तुम्हेंजो इच्छा हो वह रत्न मैं तुम्हें दे दूँ। ब्राह्मण कुछ देर सोचा और बोला मैं घर हो कर आता हूँ फिर बताऊँगा। ब्राह्मण अपने घर गया और अपनी स्त्री,पुत्र और पुत्रवधू से रत्नों के गुण बताये। तब ब्राह्मणी बोली- “स्वामी !उनमें से वह रत्न लो जो लक्ष्मी देती है। लक्ष्मी से होते हैं सहाय और मिलते है सब के उपाय। धर्म,ज्ञान, नेम , पुण्य यह सब लक्ष्मी से हीं होते हैं। तुम और तरफ चित्त न लगाओ।” पुत्र ने कहा- “लक्ष्मी किस काम की है, जो सामान न हो। यदि सामान हो तो राजा कहावो। सब कोई सिर नवावे। समान हो तो दुर्जन डरे और संसार में शोभा पावे। जो लक्ष्मी हुई और शोभा न पावे तो उस पुरुष का जन्म लेना निष्फल है।” इतने में पुत्रवधू बोल पड़ी- “आप वह लाल लो, जो अच्छे आभूषण दे।दे।गहने पहनने से स्त्री अप्सरा मालूम हो। विपत्ति में भी काम आवे। जितना माँगोगे , उतना वह देगी। पुरुष मेरा बावलाहै और सास बुद्धिहीन।” तब ब्राह्मण बोला-“तुम तीनो बौराये हो।मेरी इच्छा सिवाय धर्म के और किसी में नहीं है। क्योंकि धर्म से आदमी संसार में राज पाता है और धर्म से सब काम सिद्ध होते हैं।हैं।धर्म से ही यश मिलता है। धर्म से ही राजा बलि को पाताल का राज्य मिला।” इस तरह से चारों ने चार मत किये। एक का एक ने ना माना। तब वह ब्राह्मण राजा के पास लौट कर आया और सभी बातें कही और बोला- हम सभी के अलग-अलग मत है। कुछ भी बात न बनी। और आपने हमारे वास्ते खड़े हो कष्ट सहे। तब राजा ने ब्राह्मण से कहा “ब्राह्मण! उदास मत हो। मैं तुम्हें ये चारों रत्न देता हूँ। जिससे तुम भी खुश रहो और तुम्हारे कुटुम्ब भी।” राजा से चारों रत्न पाकर आशीष देता हुआ प्रसन्न हो ब्राह्मण अपने घर को चला गया। मतलब यह कि राजा विक्रमादित्य के जैसा दानी अब मिलना मुश्किल है।इतना कह पुतली चुप हो गई। राजा अपने कक्ष को चला गया। दूसरे दिन अट्ठारहवीं पुतली रूपरेखा बोली- अट्ठारहवीं पुतली रूपरेखा अट्ठारहवीं पुतली रूपरेखा बोली-राजा पहले मेरी कथा सुन। राजा भोज ने कहा- “सुना। मैं तो विक्रमादित्य कि गुण सुनना चाहता हूँ।” रूपरेखा बोली- एक दिन दो सन्यासी योग की रीति से आपस में झगड़ते थे। न वह उससे जीत सकता था न यह इससे। लड़ते-लड़ते दोनों राजा विक्रमादित्य के दरबार पहुँचे और राजा से अर्ज किया- “महाराज! हम दोनों विवादी हैं इसका आप न्याय करो। आप धर्मात्मा हो, यही सोचकर हम आये हैं।” राजा ने कहा- “मुझे सभी बातें विस्तार से बताओ कि झगड़ा किस बात पर है।” तब उन में से एक सन्यासी बोला- “महाराज! मैं कहता हूँ कि मन के वश में ज्ञान है और मन के वश में ही आत्मा है, मन के वश महा देव है और माया, मोह , पाप, पुण्य ये भी सब मन से हैं। और जितनी बातें हैं वह सब मन के हीं वश में है। मन की इच्छा से ही सब कुछ है। मन पूरे शरीर का राजा है। जितने अंग है वो मन के अधीन हैं। मन उनसे जो काम लेता है, वही वे करते हैं।” तब दूसरे ने कहा- “सुनो राजा! ज्ञान हीं शरीर का राजा है।और मन उसका ताबेदार। यदि अपना कुछ करना चाहेतो ज्ञान के आगे उसकी नहीं चलती।मन के काबू में इंद्रियां हैं वह उससे अपना कार्य करवावे लेकिन ज्ञान नहीं करने देता। जब मनुष्य से मन और इंद्रियों का विकार छूटा , संसार के भय से निर्भय हुआ और योग सिद्ध हुआ।” तब राजा ने कहा- “तुम दोनों की बातें मैने सुनी। इसका उत्तर मै विचार करके दूँगा।” कुछ देर सोचने के बाद राजा बोला- “सुनो योगेश्वर! अग्नि, जल, वायु और पृथ्वी- इन चारों से शरीर है। मन इनका सरदार है । मन की गति से जो ये चले तो घड़ी पल में नाश कर दे। पर उन पर ज्ञान बलि है। मन का विकार होने नहीं देता।और जो नर ज्ञानी है उनकी काया विनाश को नहीं पाती। वे इस संसार में अमर है। और जबतक योगी ज्ञान से मन को नहीं जीतते तब तक उसका योग सिद्ध नहीं होता। ” राजा की यह बात सुनकर दोनों सन्यासियों ने अपना हठ छोड़ दिया। योगियों ने राजा को एक खड़िया कलम देकर कहा कि इससे तुम जो दिन को लिखोगे तो रात को प्रत्यक्ष वह देखोगे।राजा के मन में आश्चर्य हुआ कि यह कैसे संभव है। तब राजा ने एक कक्ष खाली करवाया।उसे छड़वा, पुछवा कर, बिछौना लगवाकर किवाड़ बंद कर दीवाल पर लिखने लगा। पहले कृष्ण की मूरत बनाई, फिर सरस्वती जी कीकी, आगे और देवताओं की। शाम हुई हुई और जय जय शब्द होने लगे। जिन-जिन देवों की मूरत बनाई थी वे प्रत्यक्ष दिखने लगे। देखते हीं राजा मोहित हो गया। वे जो बातें करते राजा को वह भी सुनाई देता। ऐसे ही सुबह हो गई।देवता सब चले गये। दीवार पर केवल मूरत रह गई। फिर राजा ने दूसरी तरफ दीवार पर हाथी, घोड़े, पालकी , रथ और फौज यह सब कुछ बनाया।बनाया।जब शाम हुई तो राजा को वे सब प्रत्यक्ष दिखने लगे। राजा प्रसन्न होने लगा और योगी को याद करने लगा कि मुझे ऐसी वस्तु दे गया। सुबह को वे सब केवल चित्र रह गये।तीसरे दिन राजा ने एक मृदंगी बनाया, फिर गंधर्व, अप्सरायें, तम्बूरा वाला, सितार, बाँसुरी और भी बहुत कुछ । जब शाम हुई , तब पहले एक शब्द हुआ उसके बाद गंधर्व गीत गाने लगे, अप्सरायें नृत्य करने लगीं। इस प्रकार से राजा रात-दिन उसी कक्ष में रहता और आनंद लेता, रनिवास में नहीं जाता। तब रानियों को चिंता हुई कि राजा रनिवास में क्यों नहीं आते और एक कक्ष में हीं रहते हैं। इसका क्या राज है। सभी रानियों ने विचार किया कि हमारा जीवन धिक्कार है जो राजा हमें छोड़ कर एक कक्ष में बैठा रहे। इतने दिन विरह में बीत गये अब और नहीं। यह सोचकर सभी रानियाँ रात को उस कक्ष की ओर चल पड़ी जहाँ राजा कौतुक देख रहा था। राजा से हाथ जोड़कर विनती करने लगी- “हमसे क्या अपराध हुआ। जो हमें भूल बैठे हो? ” राजा ने कहा- “सुनो सुंदरियों! तुम्हें किसी ने सताया है और किस कारण तुम यहाँ आई हो? तुम्हारा मुख मलीन क्यों है? ” राजा की बातें सुन रानियाँ बोली- “सुनो स्वामी! जो बात है वह आपके सामने कहती हूँ ” राजा ने कहा- “जो कुछ कहना है, कहो। ” तब उनमें से एक चतुर रानी बोली- “महाराज! हम अबला है। कभी कुछ नहीं देखा, सुख में हीं उमर बिताई है। और यह विरह हमें रात-दिन जलाता है।इससे आप हीं हमें बचा सकते हैं। किसी तरह हमने ये वियोग के दिन काटे। अब नहीं सह सकते ।” इसी प्रकार कहते हुये रात बीत गई और मूर्तियाँ फिर से चित्र में बदल गई। फिर रानी ने कहा-“जबसे आपने रनवास छोड़ा है तब से वहाँ दु:ख ही बसा है। है।सभी रानियों का पाप आपके सर है क्योंकि हम सअब आपके हीं आसरे हैं।” यह सुनकर राजा ने प्रसन्न हो कहा- “अब तुम सब प्रसन्न हो जाओ। जो तुम कहोगी वहीं हम करेंगे। जो मांगों वहीं हम देंगे।” तब रानियों ने कहा- “महाराज! हमारे मांगने से जो आप देंगे, तो हम माँगे।” राजाने कहा-“ जो तुम मांगोगे वह हम देंगे। ” तब रानी ने कहा- “यह खड़िया हमें दे दें।” राजा ने आनंद से दे दिया। रानी ने उसे थैली में छिपा कर रख लिया। उसके बाद सभी रानियाँ रनवास में लौट आई। राजा भी अपने कक्ष में चले गये और राज काज देखने लगे। इसके बाद पुतली ने राजा भोज से कहा- ऐसा था राजा विक्रमादित्य किसी के कुछ भी माँगने पर हँसते हुये दे देता था।ऐसी विद्या तू पा नहीं सकता। यदि पा भी लिया तो किसी को दे नहीं सकता। इसके बाद राजा भोज अपने कक्ष में चले गये। दूसरे दिन स्नान ,ध्यान कर फिर सिंहासन के पास पहुँचे, तब उन्नीसवीं पुतली तारा ने कहा- उन्नीसवीं पुतली तारा तब उन्नीसवीं पुतली तारा ने कहा-हे राजा भोज! तू अज्ञानी बावला होकर यह क्या करता है। पहले मेरी कथा सुन। यह कहकर तारा ने कहा- एक ब्राह्मण सामुद्रिक शास्त्र का ज्ञाता वन में जा रहा था। उसके जैसा दुनिया में कोई विद्वान और गुणी न था। रास्ते में उसे लगा कि यहाँ से कोई गया है।जब उसने पैर के निशान देखे तो उसे ऊर्ध्व रेखा और कम चिन्ह दिखा, यह देख वह समझ गया कि इस रास्ते से कोई राजा नंगे पैर गया है। उस ब्राह्मण के मन में वइचार आया कि उस राजा को देखना चाहिये। यह विचार कर वह पैर के निशन के पीछे चल पड़ा। जब एक कोस पहुँचा तो देखा एक आदमी वृक्ष से लकड़ियाँ तोड़कर गट्टर बना रहा है। ब्राह्मण ने उस आदमी से पूछा- “तू यहाँ इस वन में कब से आया है।” उस आदमी ने कहा- “महाराज दो घड़ी रात बीतने के बाद आया हूँ।” तब ब्राह्मण ने पूछा- “तूने यहाँ से किसी को जाते हुये तो देखा नहीं ।” उस आदमीने कहा- “महाराज!जब से मैं आया हूँ तब से मनुष्य क्या एकपक्षी भी नहीं दिखा।” तब फिर ब्राह्मण ने कहा- “देखूँ तेरा पाँव।” यह सुनकर उसने पाँव आगे रख दिया । ब्राह्मण उसके पैर के चिन्ह देख कर सोचने लगा कि यह क्या माजरा है। इसके सब लक्षण राजा के हैं और यह इतना दु:खी क्यों? ब्राह्मण ने पूछ- “यह काम तू कितने दिनों से करता है? ” उस मनुष्य ने कहा-“जबसे मैंने होश सम्भाला है तबसे यही कार्य कर रहा हूँ और राजा विक्रमादित्य के राज्य में रहता हूँ।” ब्राह्मण ने पूछा-“तू बहुत दु:ख पाता है। ” वह बोला- “यह सब भगवत की इच्छा। किसी को हाथी पर चढ़ावे और किसी को पैदल फिरावे। जिसके भाग्य में जो लिखा है उसे भोगना हीं होता है। ” ब्राह्मण को यह जान कर बड़ा दु:ख हुआ कि मैंने इतना शास्त्र पढ़ा सब व्यर्थ ।अब मै राजा के भी चिन्ह जा कर देखता हूँ। यदि शास्त्र के जैसे चिन्ह ना दीखें तो सभी पोथी फाड़कर समुद्र में डाल दूँगा और तीर्थ को चला जाऊँगा। इन सबसे अच्छा है कि भगवत भजन करूँ और उन्हीं के चरणों में पड़ा रहूँ। यही वइचार करता हुआ , राजा के पास पहुँचा। पहुँचा।राजा ने दंडवत किया तो राजा को आशीष दिया। तब राजा ने पूछ- “ब्राह्मण देव! आपका मुख इतना मलीन क्यों है? आपको क्या दु:ख है ?वह मुझे बताओ? ” ब्राह्मण ने कहा- “पहले अपना पाँव दीखा, तो मेरे मन का संदेह दीखे।बाद में कुछ कहना। ” तब राजा ने अपने पाँव ब्राह्मण को दिखाया। राजा के पाँव में कुछ चिन्ह नजर न आया। यह देख शीश झुका मन में कहने लगा कि पोथी सब व्यर्थ है। सब पोथी छोड़ कर वैराग्य ले देश-देश में फिरूँ। इतने में राजा ने कहा- “ब्राह्मण ! तू क्यों क्रोध में भरकर सिर झुका कर चुप है? अपने मन की बात मुझसे कह? तेरे मन में क्या है? ” तब ब्राह्मण ने कहा- “सुनो महाराज! मैंने बारह वर्ष अध्ययन किया। सभी कुछ याद कर विद्या अर्जित की। लेकिन सब व्यर्थ है।इसलिये मेरा मन उदास है।” राजा ने हँसकर कहा- “यह तुमने प्रत्यक्ष कर देखा? ” वह बोला-“महाराज! मैंने एक मनुष्य देखा जिसके सभी राजसी चिन्ह मौजूद है लेकिन वह जन्म से दु:ख पा रहा है। और जब मैंने तेरे पैर देखे तो वहाँ ऐसे कुछ भी लक्षण नहीं है लेकिन तू नगर का राजा है। इसलिये क्रोध में हूँ। घर जाकर सभी ग्रंथ जला दूँगा और वैराग्य ले लूँगा।” तब राजा ने कहा- “ब्राह्मण! मैं तुझे ग्रंथ की बातें सही कर दिखला दूँगा।” यह कहकर चाकू मँगवाया और अपने पैरों के छाल छेल कर राज चिन्ह दिखलाये। उसके बाद ब्राह्मण से कहा- “किसी के लक्षनप्रत्यक्ष होते हैं तो किसी के गुप्त। ऐसे विद्या किसी काम की नहीं जिसके सभी भेद मालूम ना हो। ” यह देख ब्राह्मण अवाक रह गया और राजा को आशीर्वाद देने लगा। फिर पुतली ने कहा- बता राजा भोज ।क्या तू सि योग्य है। यह सुन राजा लौट गया। अगली सुबह बीसवीं पुतली चंद्रज्योती ने रोका। बीसवीं पुतली चंद्रज्योती बीसवीं पुतली चंद्रज्योती ने राजा भोज को एक कथा सुनानी शुरु की। एक दिन राजा विक्रमादित्य ने खुश होकर रासमंडली के प्रधान से कहा- यह कार्तिक का महीना , धर्म का महीना है। इसलिये कुछ हरि का भजन करो और शरद पूर्णिमा को ठाकुर की रास लीला होना चाहिये। आज्ञा पाकर प्रधान ने सभी देश के राजाओं को निमंत्रण भिजवा दिया। ब्राह्मणों और मुनियों को भी बुलावा भेजा। सभी देवताओं को मंत्रों के द्वारा आवहित कर बुलाया गया। रास होने लगा। चारों तरफ से जय-जयकार होने लगी। लगी। राजा एक-एक का शिष्टाचार मनुहार करके ठाकुर जी का फूलमाला प्रसाद के रूप में देने लगा। राजा ने देखा सब देवता आये पर चंद्रदेव नहीं पधारे। राजा ने वैताल को बुलाया और चंद्रलोक को गया। वहाँ जा कर चंद्रदेव को दंडवत किया और कहा- “स्वामी! मेरा क्या अपराध है? जो सब देव आये और आप नहीं पधारे।सब ने मेरे पर कृपा की। बिना तुम्हारे मेरा काम आधा है। मेरा काम सुधारिये। आपको धर्म होगा।आपको संसार में यश और कीर्ति मिलेगी। यदि आप नहीं चले तो मैं अपना जीवन समाप्त कर लूँगा। ” तब चंद्रमा ने हँसकर मधुर वचन बोले-“राजा!मैं तुझसे सत्य कहता हूँ। तू उदास न हो। मेरे आने से संसार में अंधकार हो जायेगा। इसलिये मेरा आना नहीं बनता। तुझे मेरे दर्शन की अभिलाषा थी सो प[ऊरी हो गई। तेरा काम सफल होगा। तू अपने नगर को जा।” इस प्रकार राजा को समझा अमृत दे विदा किया। राजा ने अमृत को शीश से लगा, चंद्रदेव को दंडवत कर अपने नगर को चला। रास्ते में देखा कि यमराज के दो दूत एक ब्राह्मण के जीव को लिये जा रहे हैं। राजा ने यह देवदृष्टि से जाना। ब्राह्मण के जीव ने राजा को देख, यमराज के, दूत से कहा- “मुझे राजा से मिलना है।” राजा ने उस ब्राह्मणकी आवाज सुनकर कहा- “तुम कौन हो भाई? ” यम के दूतों ने उत्तर दिया- “हम यमराज के कहने से उज्जैन नगरी को गये थे। ब्राह्मण की जीव लेकर अपने स्वामी के पास जाते हैं। ” राजा ने उन यमदूतों से कहा- “पहले मुझे उस ब्राह्मण के जीव को दिखालओ। बाद में अपने स्वामी के पास जाना।” वे दूत राजा को साथ ले नगर को गये जहाँ उस ब्राह्मण का शरीर रखा था। राजा देखते हीं पहचान गया कि यह तो मेरा पुरोहित है। तब राजा ने उन दोनों दूतों को बातों मे लगा लिया और नजर बचाकर अमृत अपने पुरोहित के मुँह में डाल दिया। अमृत्त मुँह में पड़ते हीं, पुरोहित राम-राम कहता हुआ उठ खड़ा हुआ। पुरोहित ने राजा को प्रणाम कर आशीष दिया और उन दूतों से कहा- यह जीवन मैंने तुम दोनो के कारण पाया है। यह देखकर दूतों को आश्चर्य हुआ कि अब हम लौटकर क्या जवाब देंगे। यह विचार करते हुये दोनों दूत यमराज के पास पहुँचे और सारा वृत्तांत सुना दिया।यमराज सुन कर चुप हो गये। इधर राजा पुरोहित को अपने महल ले गये और बहुत-सा दान दे उसे विदा किया। इतना कह चंद्रज्योती पुतली ने राजा भोज से कहा- हे राजा भोज! ऐसा पुरुषार्थ तू कर सके तो बता। यह सुन राजाभोज आज भी लौट गया। अगले दिन सिंहासन के पास पहुँचते हीं इक्कीसवीं पुतली अनुरोधवती बोली। इक्कीसवीं पुतली अनुरोधवती इक्कीसवीं पुतली अनुरोधवती बोली – हे राजा भोज! पहले मेरी कहानी सुन। यह कह अनुरोधवती ने कथा शुरु की- किसी नगर में माधव नाम का बड़ा हीं गुणी ब्राह्मण रहता था। उसकी तारीफ हो नहीं सकती, जो मैं करूँ। वह योगी होकर पूरी पृथ्वी पर घूमा आया था, पर कहीं ठहर कर न रह पाया। सूरत ऐसी मानो कामदेव का अवतार। स्त्रियाँ देखते हीं मोहित हो जाती थी। वह अति चतुर और सभी विद्याओं में पारंगत था। वैसा मनुष्य मृत्युलोक में कम हीं होते हैं। जिस राजा के सेवा में जाता वहाँ पहले उसका आदर होता, बाद में उसके गुण सुनकर राजा उसे देश निकाला दे देत। इसी प्रकार भटकता हुआ वह कामानगरी पहुँचा। वहाँ के राजा का नाम कामसेन था। उसके यहाँ कामंदकला नामक एक नर्तकी थी। वह साक्षात उर्वशी का अवतार थी। वह गंधर्व विद्या में निपुण थी। ब्राह्मण माधव उसी राजा के पास पहुँचा। द्वारपालों से कहा- “राजा से कहो एक ब्राह्मण आपसे मिलना चाहता है। ” द्वारपालों ने उसकी बात अनसुनी कर दी। तब वह ब्राह्मण वहीं बैठ गया। शाम हुई और दरबार से मृदंग की आवाज और गाने की ध्वनि आने लगी। जयों-ज्यों वह मृदंगकी आवाज और गाने की धुन सुनता अपना सिर हिला कर कहता कि राजा भी मूर्ख है और उसकी सभा भी मूर्खों की है जो विचार नहीं करती। यही बात कई बार दोहराई। द्वारपाल ब्राह्मण की बात सुन राजा के पास हाथ जोड़ खड़ा हो गया लेकिन डर से उसके मुख से कुछ न निकले। राजा ने जा द्वारपाल को देखा, तब उसने कहा- “महाराज ! एक दुर्बल विदेशी ब्राह्मण द्वार पर बैठा है और सिर हिला-हिलाकर कह रहा है कि राजा और उसके सभासद अति मूर्ख हैं। जो गुण विचार नहीं करते।” तब राजा ने द्वारपाल से कहा- “जा कर उस ब्राह्मण से पूछ कि तूने ऐसा क्यों कहा? ” द्वारपाल बाहर आ उस ब्राह्मण से बोला- “महाराज ने कहा है कि उनके गुण में दोष क्या है ? यह बताओ। तो हम सच माने।” ब्राह्मण ने कहा- “बारह आदमी जो तीन तरफ चार-चार खड़े हो मृदंग बजा रहे हैं,उनमें से पूर्वमुख वाले में से एक का अंगूठा नहीं है। इसके सम पर थाप हल्की पड़ती है इसलिये मैंने सब को मूर्ख कहा है। यदि नहीं मानते तो स्वयं जाकर सच देख लो।” द्वारपाल दौड़े- दौड़े राजा के पास गये और सब बात सुनाई। तब राजा ने पूर्वमुख वाले चारों मृदंग वाले को बुलाया और सब के हाथ देखें, उनमें से एक-का अंगूठा मोम का था। यह देख प्रसन्न हो राजा ने माधव ब्राह्मण को दरबार में बुलाया। राजा ने ब्राह्मण को दंडवत किया और ब्राह्मण ने आशीष दिया। राजा ने ब्राह्मण को आदर-सत्कार के साथ आसन और आभूषण दिये। कामंदकला नर्तकी को बुलाकर कहा कि इस ब्राह्मण के सामने तुम अपना नृत्य पेश करो जिससे यह प्रसन्न हो। राजा की आज्ञा पाकर कामंदकला ने नृत्य शुरू किया और अपने हुनर दिखाने लगी। इतने में इत्र की खूशबू से एक भौंरा आकर कामंदकला के कंचुकी पर डंक मारने लगा , इससे उसे बड़ी पीड़ा हुई। हुई।लेकिन उसने ताल भंग न हो इसलिये नृत्य करती रही। और श्वास रोक कुचकी राह निकाल उस भौरे को उड़ा दिया। यह देखकर वह ब्राह्मण बड़ा प्रसन्न हुआ और बोला- “हे सुंदरी! धन्य है तेरी कला और तू।” इतना कह राजा ने जो आभूषण और वस्त्र उसे दिये थे सब कुछ कामंदकला को दे दिय॥ यह देख राजा और मंत्री ने विचारा देखो इस ब्राह्मण ने क्या मूर्खता की है। सब आभूषण और जवाहरात इस नर्तकी को दे दिया। यह भिखारी हमारे सामने शान दिखा रहा है। यह सोचकर राजा ने ब्राह्मण से क्रोधित हो कहा- “तू इसके किस गुण पर रीझा? यह मेरे आगे बयान कर। ” ब्राह्मण बोल- “सुन राजा! तू भी मूर्ख है और तेरी सभा भी। इसने वह गुण दिखाया जो तुम्हें समझ में नहीं आया। इसके कंचुकी में भौंरा आकर डंक मारने लगा और इसने श्वास रोक कुचकी राह निकाल उस भौरे को उड़ा दिया। यही देख मैंने इसे सब कुछ दे दिया।” ब्राह्मण माधव की बात सुन राजा ने कहा- “इसी समय मेरे राज्य से निकल जाओ और यदि दिख गये तो बँधवाकर समुद्र में डलवा दूँगा।” तब ब्राह्मण माधव ने कहा- “महाराज! मुझसे ऐसा क्या अपराध हुआ है।” राजा ने कहा- “मैंने जो कुछ तुझे दिया था, वह तूने मेरे सामने हीं दान दे दिया। क्या मेरे पास देने को कुछ नहीं था, जो तूने दिया। ” यह सुन ब्राह्मण माधव सभा से निकल कर एक वृक्षके नीचे जा पहुँचा और सोचने लगा कि यदि माता पुत्र को विष दे, पिता पुत्र को बेचे और राजा सर्वस्व ले तो कोई किसकी शरण जाये। राजा ने मुझे निकाला मैं कहाँ जाऊँ। यह सोच और कामंदकला का नाम ले रोता था। इधर कामंदकला ने भी जल्दी-जल्दी राजा से विदा ले अपने एक आदमी को दौड़ाया कि जा कर देखे वह ब्राह्मण माधव कहाँ गया। वह आदमी ब्राह्मण माधव को ढ़ूँढ़ कर कामंदकला के भवन में ले गया। कामंदकला ने ब्राह्मण की आवभगत की और अपने कला का प्रदर्शन किया। ब्राह्मण ने भी अपने गुण जाहिर किये। इस प्रकार से रात हो गई। ब्राह्मण ने कहा- “मुझे राजा ने देश निकाला दे दिया और तुम अपने घर ले आई। यदि राजा को पता चला तो वह मुझे मार डालेगा और तुम्हें भी कष्ट देगा। प्रेम के पथ में किसी ने भी सुख नहीं पाया है। अत: तुम मेरा विचार छोड़ दो। ” तब कामंदकला ने उत्तर दिया- “मैं तो प्रेम के राह पर चल पड़ी हूँ। आगे जो ईश्वर की इच्छा हो वही होगा । ” दोनों ने प्रेमपूर्वक रात बिताइ । जब सवेरा हुआ तो माधव ने कहा- “अब मैं जाता हूँ और कुछ इंतजाम करके तुम्हें भी ले चलूँगा। तब तक तुम चुप रहना। ” यह सुन कामंदकला मूर्छित हो गई और ब्राह्मण माधव वहाँ से चल दिया। वह वहाँ से निकल कर वन-वन फिरने लगा और हाय कामंदकला- हाय कामंदकला करने लगा। लगा।इधर इसे भी सखियों ने जल छिड़कर उठाया । यह भी माधव-माधव कर हाय-हाय करती। खाना-पीना सब छोड़ दिया। जब कोई माधव का नाम और गुण सुनाता तब उसे राहत मिलती। उधामाधव भी वन-वन भटक कर यही सोचता कि किसके पास जाऊँ , जो मेरे दु:ख को दूर करे। तब उसे याद आया कि सुना है राजा विक्रमादित्य सबके दु:ख दूर करते है। अब उन्हीं के पास जाकर सच परख लूँ। यह सोच वह ब्राह्मण उज्जैन नगरी को आ पहुँचा। वहाँ पहुँच कर लोगों से पूछा कि राजा से भेंट कैसे हो सकती है। तब लोगों ने बताया कि गोदावरी के निकट महादेव का मठ है, उस मठ मे राजा प्रतिदिन शिव जी के दर्शन को आता है। तब ब्राह्मण माधव उस मठ के पास गया और चौखट पर उसने लिखा “मैं अति दु:खी परदेशी ब्राह्मण हूँ। सुना है कि आप पर दु:ख निवारक हो। जब मेरा यह दु:ख जायेगा, तभी मैं जीवित रहूँगा, नहीं तो तीसरेदिन इसी गोदावरी में अपना प्राण त्याग दूँगा। मैंने सुना है कि तुम राजाहो और सदा गौ-ब्राह्मण की रक्षा करते आये हो और अब भी करोगे। इसलिये मैंने अपने मन की बात कही।” इतनी बात कह पुतली ने राजा भोज से कहा- “सुन राजा भोज! राजा विक्रमादित्य का यह नियम था कि अन्नदु:खी, वस्त्रदु:खी, द्रव्यदु:खी, भूमिदु:खी, विरहदु:खी और किसी तरह का दु:खी जब नगर में आवे तो राजा जबतक सुनकर उसका दु:ख ना मिटा दे देतब तक जल भी ग्रहण न करता था।” सवेरे जब राजा विक्रमादित्य महादेव जी के दर्शन कर परिक्रमा कर रहा था तो राजा की नजर चौखट पर पड़ी जिसपर उस दु:खी ब्राह्मण ने लिखा था। राजा ने सब वृत्तांत पढ़ा और शिव जी को दण्डवत कर मंदिर में आया। अपने सेवकों को आज्ञा दी कि उस माधव नामक ब्राह्मण को जो ढ़ूँढ़ कर लायेगा उसे मुँह मांगा द्रव्य मिलेगा। सभी सेवक उस ब्राह्मण को ढ़ूढ़ने लगे पर उसका पता ना पा सके। तब राजा ने एक दूती को बुलाकर कहा कि यदि तुम उस ब्राह्मण को ढ़ूढ़ दो तो मैं तुम्हें मुँह मांगा द्रव्य दूँगा।राजा की आज्ञा पाकर वह दूती उस शिव-मंदिर के पास पहुँची। जब शाम हुई,तो वह ब्राह्मण माधव भटकता हुआ पहुँचा और हाय कामंदकला कह विलाप करने लगा। दूती उसकी हालत देख समझ गई कि यही वह ब्राह्मण है। उस ब्राह्मण का हाथ पकड़कर कर बोली-“उठ और मेरे साथ चल। राजा तेरा दु:ख दूर करेंगे। राजा तेरे दु:ख से निपट दु:खी हैं।” यह सुन ब्राह्मण माधव उस दूती के साथ चल दिया। उसे ले वह दूती राजा के पास पहुँची और प्रणाम कर कहा-“महाराज! आपके कहे अनुसार मैं इस ब्राह्मण को ले आई हूँ । यह वही वियोगी है जिसके लिये आपने दु:ख पाया है।” तब महाराज ने कहा- “हे ब्राह्मण! आप किस वियोग से दु:खी हो।साफ-साफ कहो। मैं आपके दु:ख को दूर करूँगा।” तब ब्राह्मण ने कहा- “महाराज! कामंदकला के वियोग से मैं दु:खी हूँ। वह राजा कामसेन के पास है। मुझे वह मिल जाये तो मेरा दु:ख दूर हो।तू धर्मात्मा है मुझे वह दिला दे।” राजा ने हँसकर कहा- “हे ब्राह्मण! वह तो नर्तकी है,तूने उसके प्रेम के लिये अपना धर्म-कर्म छोड़ा है। यह उचित नहीं है।” ब्राह्मण बोला- “प्रेम का पथ न्यारा है। जो नर प्रेम करते हैं वे धर्म-कर्म सब समर्पण कर देते हैं। प्रेम की कहानी तो अकथनीय है,वह मुझसे नहीं कही जाती।” यह सब सुन राजा उसे अपने साथ कक्ष में ले गये। वहाँ उसने ब्राह्मण को बैठाया और अपनी सभी नर्तकियों को बुलवाया। फिर ब्राह्मण से बोला इनमें से जो तुम्हें पसंद हो उसे ले जाओ। ब्राह्मण ने कहा- “महाराज! मैं आपके आगे सत्य कहता हूँ। मेरे आँखों मे वही बसी है मुझे और कोई नहीं चाहिये। चातक की तृषा स्वाती के बूंद से बुझती है, उसे जल से कोई प्रीती नहीं। यहि प्रेम की दृढ़ता है। “ यह सब सुन राजा ने उसे साथ ले कमंदकला को दिलाने का विचार किया और ब्राह्मण से बोला- “विप्र! आप स्नान-ध्यान कर कुछ भोजन कर लो ,तब तक मैं भी तौयारी कर आपको साथ ले कामंदकला को दिलाने चलूँ।” इतना कह राजा ने अपने प्रधान को कामानगरी जाने के लिये सेना तैयार करने को कहा। प्रधान ने सेना तैयार कर दी । राजा विक्रमादित्य ,उस ब्राह्मण के साथ अपने सेना के साथ कामानगरी की ओर चल पड़ा। कई दिन बीतने पर जब कामानगरी की सीमा दिखाई दी तो राजा ने अपना डेरा एक कोस पहले हीं डाल दिया। एक दूत को बुलाकर संदेशा लिख राजा कामसेन के पास भेजा कि या तू मुझे कामंदकला दे नहीं तो मुझसे युद्ध करे। जब यह संदेश लेकर दूत कामानगरी पहुँचा तो उस राजा कामसेन ने दूत से कहा कि मैं युद्ध के लिये तैयार हूँ। दोनों ओर तैयारी होने लगी। इतने में राजा विक्रमादित्य के मन में विचार आया कि जिसके लिये यह युद्ध हो रहा है उसके प्रेम को परख लूँ। यह सोच साधु का वेष बना कामानगरी मे पहुँचा और लोगों से पता पूछ कामंदकला के द्वार पर जाकर बोला मैं एक सिद्ध वैद्य हूँ । उस मकान से एक दासी निकली और बोला-“हे सिद्ध!कृपा करके मेरी मालकिन को ठीक कर दो। वो अच्छी होजायेगी तो तुम्हें ईनाम मिलेगा।” राजा उसके साथ कक्ष केअंदर गया तो देखा कामंदकला निर्जीव -सी पड़ी है। कामंदकला को देख कर राजा ने कहा कि इसे कोई रोग नहीं है। इसे प्रियतम का वियोग है। जिससे इसकी यह गति बनी है। यह सुन कामंदकला ने आँखे खोली। यह देख दासी ने कहा- “हे योगी! तुम्हारे पास इसका ईलाज है ,तो करो।” राजाने उत्तर दिया- “ईलाज तो था। पर इसमें हमें कुछ कहते नहीं बनता।” दासी बोली-“तुम्हारे पास क्या ईलाज था वह बताओ।” राजा बोला-“माधवनाम काएकब्राह्मणहमनेउज्जैन नगरीमेंदेखा था। वह वियोग से दु:खी था। विरह-वियोग के दु:ख से मर गया। “इतना सुनते हीं कामंदकला ने प्राण त्याग दिये। सभी दास-दासी यह देख सिर पिट कर रोने लगे। तब राजा बोला- “तुम लोग चिंता मत करो। इसे मूर्छा आई है। इसे इसी अवस्था में रहने दो। इसकीचौकसी करते रहना। मैं अपने घर जाकर औषधि लाता हूँ।” ऐसा कह राजा अपने शिविर में आया और माधव को कामंदकला के मरने की खबर बता दी। सुनते हीं एक आह के साथ उसकी भी जान निकल गई। यह देख राजा सोचने लगा कि जिसके लिये इतनी सेना लेकर यहाँ तक आया वहीं नही रहा तो युद्ध क्या करना। इनकी हत्या का पाप मुझे हीं लगेगा। इसलिये मैं भी अपना प्राण त्याग दूँगा। यहसोच चंदन की लकड़ी का चिता बनवा जीता हीं जलने को तैयार हो गया।प्रधान, सेनापति और सभी ने बहुत समझाया लेकिन कुछ असर न हुआ। जैसे ही राजा चिता कीओर बढ़ा कि वैताल ने आकर हाथ पकड़ लिया। राजा से बोला-“स्वामी! आप क्यों अपना प्राण त्याग रहे हो।” राजा ने सभी बातें बताई कि उनपर दो हत्याओं का पाप लगा है। वैतालने शीघ्रता से पाताल लोक से अमृत ला राजा को दिया और कहा इससे उन दोनों के प्राण लौट आयेंगे । राजा ने अमृत की कुछ बूंदे ब्राह्मण माधव पर डाली अमृत के पड़ते हीं वह ईश्वर का नाम ले उठ खड़ा हुआ। उसके बाद राजा अमृत ले कामंदकला के घर पहुँचा। वहाँ पहुँच अमृत कामंदकला पे छिड़का । अमृत पड़ते हीं वह भी जी उठी। माधव-माधव करने लगी। राजा को देख बोली- “महाराज! तुम कौन हो और कहाँ से आये हो?मुझसे कहो।”तब राजा ने कहा-“मैं राजा वीर विक्रमादित्य हूँ। उज्जैन का राजा। माधव अपनी व्यथा लेकर मेरे पास आया था। मैंउसकी विरह व्यथा को दूर करने के लिये सेना लेकर आया हूँ। तुम धीरज के साथ कुछ समय तक रहो। हम तुम्हें माधव से मिला देंगे।” यह सुनते हीं कामंदकला राजा के चरणों में जा पड़ी और बोला-“महाराज!यह तुम मुझे जीवन-दान दोगे। मैंने तुम्हारे बारे में सुना था।जैसा तुम्हारा यश सुना वैसा हीं देखा।” राजा वहाँ से अपने शिविर लौट आया। दूसरे दिन कामानगरी पर सेना सहित चढ़ाई की और उस नगर कोजीत लिया। उस नगर के राजा ने हार मानी और कहा कि मैं कामंदकला को दूँगा। और यह जो हमने युद्ध किया वह इसलिये कि तुम्हारे चरण हमारी नगरी पर पड़े। राजा विक्रमादित्य से मुलाकत की और उन्हें अपने नगर को ले गया। महल में ले जाकर सत्कार किया । सौगात नजर की और कामंदकला को सौप दिया।राजा विक्रमादित्य ने माधव को बुलाकर कामंदकला उसे दे दी। राजा विक्रमादित्य ने अपनी सेना सहित अपने देश को प्रस्थान किया। उज्जैन पहुँच कर ब्राह्मण माधव को बहुत-सा धन देकर विदा किया। इतना कह पुतली बोली-“हे राजा भोज! क्या तुझमें इतनी सामर्थ्य और साहस है।”इस तरह से वह दिन बीत गया। अगले दिन राजा को बाईसवीं पुतली अनुरेखा ने रोका। बाईसवीं पुतली अनुरेखा बाईसवीं पुतली अनुरेखा ने कथा सुनाया। एक दिन राजा विक्रमादित्य ने सभा में अपने प्रधान से पूछा- “मनुष्य बुद्धि अपने कर्म से पाते हैं या माता-पिता के सिखाने से पाते हैं।” प्रधान ने उत्तर दिया- “महाराज! यह नर पूर्व जन्म में जैसा करता है विधाता उसके कर्म वैसे हीं लिख देता है। इसी तरह बुद्धि होती है। माता-पिता के सिखाये बुद्धि नहीं होती। कर्म का लिखा-ही फल देता है।आदमी -आदमी को क्या सिखावे। यदि सीख से बुद्धि होजाती तो सभी पंडित होते । कोई मूर्ख न होता। कर्म के लिखे विद्या होती है। कुछ भी कर लो कर्म का लिखा मिटता नहीं।” राजा ने कहा-“प्रधान! ये तूने क्या कहा? संसार में जो देखते हैं कि जन्म लेते हीं लड़का माता-पिता से जो सुनता है वही व्यवहार करता है। इसमें कर्म का लिखा क्या है? यह सिखाये से सिखता है।और जैसे संगत में बैठता है वैसी बुद्धि पाता है।” इतनी बात सुन प्रधान बोला- “धर्मावतार! आपकी बराबरी हम नहीं कर सकते। यह अपने मन में विचार कर तुम समझो कि कर्म का लिखा हुआ फल मिलता है।” तब राजा ने कहा- “इसकी परीक्षा कर लेते हैं।”यह कह वन में एक महल बनवाया। अपने एक पुत्र के पैदा होते हीं,उसी महल में भिजवा दिया,उस के साथ एकअंधी,गूँगी और बहरी दाई रख दी। वही उस बच्चे का पालन-पोषण करती। इसी तरह से एक दीवान के बेटे को,एक ब्राह्मण के पुत्र को और एक कोतवाल के पुत्र को जन्मते हीं एकअंधी,गूँगी और बहरी दाई के साथ उसी महल में रखवा दिया। चारों ओर पहरे बैठा दिये कि कोई वहाँ न जाने पाये। इसी तरह से बारह वर्ष बीत गये। एक दिन ब्राह्मणी ने ब्राह्मण से कहा-“एक युग बीत गये। कहीं प्राण निकल गये तो पुत्र को देख न पाऊँगी। तुम राजा से जाकर अर्ज करो कि महाराज बारह वर्ष बीत गये पुत्र का मुँह न देखा। अब इच्छा है कि पुत्र को सब सौंप दंडी बन तपस्या करूँ।” ब्राह्मणी की बात सुन ब्राह्मण राजा के पास गया। ब्राह्मणको देख राजा ने दंडवत किया और ब्राह्मण ने आशीष दिया। राजा बोला-“आनंद मंगल से तो हो?” ब्राह्मण ने कहा- “महाराज!आपकी कृपा से सबआनंद मंगल है। लेकिन मैं आपके पास एक कामनासे आया हूँ।” राजा ने कहा-“जो भी कामना हो,वह कहो।” तब ब्राह्मण ने अपने आने का कारण बताया। ब्राह्मण की बात सुनते हीं राजा ने प्रधान को कहा कि उन चार बालकों को उस महल से बुलवाया जाये । प्रधान आज्ञा पाते हीं स्वयं वहाँ जा पहुँचा और पहले राजकुँवर को बुलाकर लाया। उसके नख औरकेश बढ़े हुये थे,शरीर एक दम मैला-कुचैला। प्रधान ने उसे वैसे हीं राजा के सामने पेश किया। राजा ने राजकुँवर से पूछा- “पुत्र! तुम कुशल से तो हो?इतने दिन तुम कहाँ थे और कहाँ से आये हो? यह सब बताओ?” राजकुँवर ने हँसकर कहा-“आपकी कृपा से सब कुशल है और आज का दिन भी कुशल का है जो आपके दर्शन हुये।” राजकुँवर की बात सुन राजा प्रसन्न्चित्त हो प्रधान की ओर देखा। तो प्रधान उठकर हाथ जोड़ कर बोला- “महाराज! यह सब कर्म का ही लिखा है।” उसके बाद दीवान केपुत्र को लाया गया,वन के भालू की तरह उसके शरीर में बाल-हीं-बाल नजर आ रहेथे और धूल भरी थी। राजानेउससे कहा- “तुम अपनी कुशल कहो।कहाँ थे और किधर से आये?” उस बालक ने उत्तर दिया- “महाराज! कुशल-क्षेम कहाँ होगी? उधर संसार मेंउ पजे हैं इधर विनसे है। सुबह होती है शाम ढ़ल जाती है।नर आता है और जाता है। आज जो नर आया है कलउसेजाना है। यही जगत का व्यवहार है। किस बात कि कुशल-क्षेम।” यह सुनकर राजा ने दीवान से कहा-“यह सब इसे किसने सिखाया। जो कुछ तुमने कहा था वही सच है।यह फल कर्म से हीं इसने पाया है।” उसके बाद राजा ने कोतवाल के पुत्र को बुलवाया ।उसने आते हीं राजाको सलाम किया और हाथजोड़कर खड़ा हो गया। राजा नेउससे भी कहा- “तुम अपनी कुशल कहो।कहाँ थे और किधर से आये?”तब उसने कहा- “पृथ्वीनाथ! दिन-रात नगर का पहरा हम देते हैं। इसपर भी चोर आ कर चोरी कर जाता है।बदनाम हम होते हैं, कलंक हमें लगता है। बिना अपराध कलंक लगे तो कुशल काहे की। ” अंत में ब्राह्मण-पुत्र को बुलाया गया, उसे देख राजा ने दंडवत किया तो उसने मंत्र पढ़ आशीष देने लगा। तब राजा ने कहा- “आप कुशल-क्षेम से तो हैं? ” उसने कहा- “महाराज! आप पूछते हैं कि मेरे शरीर में कुशल है तो कुशल कहाँ से हो? मेरे शरीर की दिन-प्रतिदिन उम्र घटती जा रही है।कुशल तो तब आवे जब मनुष्य चिरंजीवी होवे।जिसका जीवन-मरण साथ है उसे क्या खुशी।” राजा ने चारों लड़कों की बात सुनकर प्रधान से कहा- पढ़ाने से पंडित नहीं होवे। जिसके कर्म में पंडिताई लिखी हो वहीं पंडित होवे। प्रधान को सबका सरदार बना दिया ,बहुत धन-दौलत दिया। और अपना राज-भार भी दिया। उन चारों लड़कों का विवाह करवाया। यह कह पुतली ने राजा भोज से कहा- “बता। कलियुग में ऐसा कोई धर्मात्मा और साहसी राजा है।” इस प्रकार से उस दिन का मुहुर्त भी टल गया। अगले दिन तईसवीं पुतली करुणावती बोली तईसवीं पुतली करुणावती तेईसवीं पुतली करुणावती बोली- अब मेरे कथा सुन । राजा विक्रमादित्य के जैसा गुणी , साहसी और पुरुषार्थी दूसरा कोई न जन्मा है और न जन्मेगा। जब राजा विक्रमादित्य ने शंख को मारकर राजा गद्दी सँभाली तो शंख के दीवान को बुलाकर कहा तुझसे मेरा काम न चलेगा। इसलिये मुझे बीस आदमी लाकर दे दो जो राज्य-कार्य सँभाल सके।मैं उनसे अपना काम करवा लूँगा।राजा की आज्ञा पाकर दीवान ने उसी नगर से बीस आदमी ढ़ूँढ़ निकाला जो कि उमर में, कुल में ,सुंदरता में, कार्य में सभी प्रकार से गुणी थे।उनको राजा के सामने पेश किया। राजा उन्हें देखकर अति प्रसन्न हुआ। उसी समय सबको पान देकर कहा कि आज से तुम सभी हमारे खिदमत में हाजिर रहो। फिर कुछ दिनों बाद उन्हीं में से सभी को अलग-अलग पद पर नियुक्त किया। इसी प्रकार नये लोगों को रखकर पुराने लोगों को हटा दिया और सब नया बँदोबस्त कर लिया। बस उस पुराने दीवान को जवाब न दिया। दीवान जब अपने घर में बैठता तो पुराने लोग आकर उससे मिलते। एक दिन उन लोगों से दीवान ने कहा कि आप लोग बुरा न मानो तो एक बात कहूँ। आप लोग यहाँ न आया करो। आपलोगों का कुछ काम तो मेरे से निकलता नहीं। पता नहीं राजा क्या सोचे । मैं अपनी बदनामी से डरता हूँ। यह सुनकर उनमें से फिर कोई उस दीवान के घर न आया। दीवान रात-दिन यही सोचता कि ऐसा क्या करूँ कि राजा संतुष्ट हो। एक दिन दीवान नदी में स्नान कर , जप कर रहा था कि उसके हाथ एक अति सुंदर फूल दिखा। दीवान ने वैसा फूल अपने जीवन में न देखा था। उसने अपना जप छोड़ उस फूल को उठा लिया। घर आकर तैयार हो राजा के पास गया और वह फूल राजा को दे दिया। दिया।राजा फूल लेकर अति प्रसन्न हुआ और बोला मैंने तुझे अपने राज का प्रधान नियुक्त किया। उसने राजा का शुक्रिया किया। तब राजा ने कहा- “इस फूल का वृक्ष लाकर मुझे दो। यदि ला दिया तो मैं तुझसे बहुत खुश हो जाऊँगा और नला के दिये तो देश निकाला दे दूँगा।” राजा की आज्ञा सुन दीवान अपने घर को लौट आया । घर आकर सोचने लगा मैंने पूर्व जन्म में कौन-सा पाप किया कि वैसी सुंदर वस्तु पाई और राजा को दिया। फिर खुद पर हीं क्रोध किया कि कर्म की गति बूझी नहीं जाती भला करो तो बुरा होवे। होवे।य्ही सोचने लगा कि राजा की आज्ञा न मानूँ तो देश निकाला पाऊँ और खोजने जाऊँ तो कहाँ जाऊँ। इसलिये अपयश के साथ मरने से अच्छा है कि उस फूल के वृक्ष को खोजने चलूँ। मिल जाये तो लौट आऊँ नहीं तो वन में हीं मर जाऊँ। यह विचार कर बढ़ई को बुलाया और कहा कि ऐसी नाव बनाओ जो बिना मल्ल्ह के जिधर चाहे उधर मैं ले जा सकूँ। बढ़ई ने कहा कि कुछ खर्च के रूपये मिल जायें तो काम जल्दी हो जावे। दीवान ने उसे रूपये दे दिये। कुछ दिनों में नाव बनकर तैयार हो गई। बढ़ई ने दीवान को आकर कहा कि नाव नदी के पास तैयार रखी है। है।नाव देखकर दीवान ने बढ़ई को जोड़ा घोड़ा और पाँच गाँव वृत्ति में ईनाम के रूप में दिया। अपना जरूरत का सामान ले , कुटुंब से विदा ले उस नाव में सवार हो चल पड़ा। अपने कुटुंब से बोला- “यदि जीवित रहे तो मिलना होगा नहीं तो हमारी यहि विदा समझना।” यह सुन सभी कुटुंब रोने लगे। उसके बाद पाल खोल जिस तरफ से फूल बहता हुआ आया था उस ओर चल पड़। दोनो किनारे के व्र्क्षों को देखता जाता। चलते –चलते एक महावन के पास पहुँचा। जो भी सामान खाने-पीने के थे वह भी खत्म हो चुका था। उस महावन को देखकर मन में विचार किया कि अब नाव में बैठने से न होगा। यहाँ उतर कर देखना होगा। तभी उसे एक पहाड़ दिखा, उसी पहाड़ से दरिया में पानी आ रहा था। वहीं पर अपने नाव को बाँध कर पहाड़ के पास उतरा। पहाड़ पर देखता है कि हाथी, गैंडे, शेर, हिरनों की आवाजे आ रही है। सुन-सुन कर उसके प्राण मुँह को आते थे। लेकिन डरता-डरता पहाड़ को पार किया। पार करते ही देखता है कि वही फूल बहा हुआ आ रहा है। देख कर मन हलका हुआ कि ईश्वर की कृपा होगी तो वृक्ष भी दिखेगा। दिखेगा।जब कुछ आगे बढ़ा तो एक भव्य मंदिर नजर आया। मंदिर को देखकर सोचा कि यदि मंदिर है तो यहाँ मनुष्य भी होंगे। यह सोचता हुआ मंदिर के पास जा पहुँचा। मंदिर के पास जाकर देखता है कि एक तपस्वी पाँवों में जंजीर बाँधे हुये उल्टा लटका हुआ है। शरीर का मांस सूख गया है और बस कंकाल बचा हुआ है। उस के शरीर से एक-एक बूँद रक्त नदी में गिर रहा है। वही रक्त फूल बनकर नदी में बह रहा है। ऐसा आश्चर्य देख कर कहने लगा कि भगवान की लीला भी न्यारी है, कुछ समझ नहीं आता। नीचे देखा कि बीसों तपस्वी वहाँ बैठे अपना शरीर सूखा कर ध्यान में लगे हैं। जो जैसी अवस्था में हैं वैसे हीं पड़े हैं । सभी के कमंडल वैसे हीं पड़े हैं। यह देख कर प्रधान उल्टे पाँव लौट गया। अपनी नाव में सवार हो उज्जैन नगरी को पहुँचा। अपने घर खबर भिजवाई। कुटुंब आकर उसे घर ले गये। राजा को खबर मिली तो राजा ने एक प्रधान को उसके घर भेजा। राजा की आज्ञा सुनकर दीवान तुरंत दरबार में हाजिर हुआ और राजा के चरणों में जा पड़ा। राजा ने उसे उठाकर गले से लगाया। फिर कुशल-क्षेम पूछी और कहा – “तू कहाँ तक गया था और उसका ठिकाना कहाँ कर आया? ” यह सुनते हीं जो फूल लेकर आया था वह राजा को भेंट की। और हाथ जोड़कर कहने लगा- “महाराज! एक आश्चर्य की बात जो मैंने देखी , वह कहूँगा तो आप नहीं मानोगे।” राजा ने कहा- “तुमने जो भी आश्चर्य की बात देखी वह मुझसे बयान कर्। मैं अवश्य मानूँगा।” तब दीवान ने कहा- “आप से आज्ञा पाकर मै एक नाव में सवार हो कई दिनों तक नदी में चलते-चलते एक पहाड़ के पास पहुँचा। ऐसे कई पहाड़ा पार कर मुझे के मंदिर नजर आया। जब उस मंदिर के पास पहुँचा तो देखता हूँ कि एक वृक्ष पर एक तपस्वी उल्टा लटका हुआ है। उसके शरीर का माँस सूख गया है। उस के शरीर से रक्त की बूंद नदी में गिर रही है और वही रक्त फूल बन जा रहा है। उसी वृक्ष के समीप बीस सन्यासी तप कर रहे हैं । सभी के शरीर का माँस सूखा हुआ है किसी में भी प्राण नहीं है।” यह सुनकर राजा हँसा और दीवान से बोला – “अब मेरी बात सुन।वह जो तपस्वी साँकल में लटके तूने देखा , वह तो मेरी देह है। मैंने पूर्व जन्म में ऐसी कठिन तपस्या की थी जिसके फल स्वरूप मुझे यह राज्य मिला है। उस तपस्या के तेज से मेरे आगे कोई टिक नहीं सकता। उसी बल से मैंने शंख को मारा , यह पूर्वजन्म का लिखा था। इसमें मेरा कोई दोष नहीं। जब तक मैं इस पृथ्वी पर अखंड राज करूँगा, तू मेरा दीवान रहेगा। तू अपने जी में चिंता न कर। और तूने जो वो बीस तपस्वी देखे , वही वो बीसों दास हैं जिन्हें तुमने मुझे लाकर दिये हैं। उन्होंने जैसी मेरी सेवा उस जन्म में की थी उसी का फल उन्हें इस जन्म में मिल रहा है। इसलिये मैंने उन्हें अपने निकट रखा है। मैंने अपना परिचय दिखाने के लिये तुझसे निठुरता की थी। अब तुमने मेरे मर्म को जाना।जाना।क्योंकि सब कहते हैं कि विक्रम ने अपने बड़े भाई को मार गद्दी पाई।इसमें मेरा कोई दोष नहीं, जो कर्म में लिखा है वही होता है।आज से मैंने तुझे प्रधान नियुक्त किया। जो राज-काज के लिये अच्छा हो, वही काम करना। यह बात किसी के आगे ना कहियो।नहीं तो राज के लालच में लोग योग करने लगेंगे।” इतना कह पुतली बोली- “इस तरह से राजा विक्रमादित्य ने अपने राज का भार उस दीवान को दे दिया।” वह दिन भी निकल गया।दूसरे दिन चौबीसवीं पुतली चित्रकला ने कहा- चौबीसवीं पुतली चित्रकला चौबीसवीं पुतली चित्रकला ने कहा- मैं एक दिन की हकीकत बताती हूँ। एक दिन राजा विक्रमादित्य दशहरा नहाने नदी पर गया। वहाँ जाकर देखता है कि एक बनिये की जवान खूबसूरत स्त्री स्नान कर बाल सुखा रही है और कुछ हीं दूरी पर साहूकार का बेटा बैठा उसे देख रहा है। दोनों में नजरो-ईशारो से प्रेम की बातें हो रही है। राजा स्नान भी करे और उन दोनों पर नजर भी दिये हुये थे। जब राजा ने देखा की वह स्त्री चल पड़ी और पीछे-पीछे साहूकार का बेटा भी चल दिया। तब एक हलकारे को उनके पीछे लगा दिया और कहा कि इनका घर और बाकी बाते पता कर आ।जब वह औरत घर गई तब उसने मुड़कर देखा और सर खोलकर दिखाया। फिर छातीपर हाथ धर अपने घर में गई और साहूकार के बेटे ने भी अपनी छातीपर हाथ रख लिया। यह खबर हलकारे ने आ राजा को दी तब राजा भी नदी के पास से उठ कर महल को चला गया। अपनी सभा में आकर बैठा और एक पंडित से कहा कि कोई स्त्रीचरित्र सुनाओ। तब पंडित ने उत्तर दिया कि महाराज! मेरा क्या सामर्थ्य जो मैं स्त्रियों का चरित्र और पुरुष का भाग कहूँ। ब्रह्मा भी नहीं जानते आदमी की क्या कुदरत है। और यह देखते हीं बनता है कहा नहीं जा सकता। पंडित की यह बात सुन राजा चुप रहा और मन में विचारा यह चरित्र देखना चाहिये। इतने में शाम हो गई। राजा सभा से उठ अपने महल में गया और कुछ भोजन कर ,उस हलकारे को बुलाया। उस हलकारे को बुलाकर कहा कि तू उनके इशारों को कुछ समझा है तो बता। तब उस हलकारे ने कहा- “महाराज! कुछ मन में आया तो है, लेकिन कहते शंका होती है।” राजा ने कहा- “तू ने जो भी समझा है वह निडर हो कर कह।” वह बोला- “महाराज! उस स्त्री ने जो सिर खोलकर छाती पर हाथ रखा सो उसने कहा कि जिस वक्त अँधेरा हो तब मैं मिलूँगी और साहूकार के बेटे ने जो छाती पर हाथ रख कर जवाब दिया कि दास सब समझ गया।” राजा ने कहा तुझे तो सब समझ में आता है। अब मुझे उस स्त्री का घर बता । हलकारा राजा को लेकर उस स्त्री के घर के पास जा पहुँचा। उसके बाद राजा ने हलकारे को कहा तू जा। राजा वही छिप कर बैठ गया। जब कुछ अँधेरा हो गया तब राजा ने देखा कि मकान के पिछवाड़े जो खिड़की है उसमें से थोड़ी-थोड़ी देर पर कोई झाँकता है। जब रात्रि के दो पहर बीत गये , तब राजा ने एक कँकड़ उस खिड़की पर दे मारी। कँकड़ लगते हीं उस स्त्री ने खिड़की से झाँका और राजा को साहूकार का बेटा समझा। तब उसने घर के सारे गहने, जेवर, धन इकट्ठा कर एक थैली बना बाहर आ पहुँची। वह थैला राजा को दे बोली- “यह ले। मैं घर के सारे गहने, जेवर, धन ले कर आई हूँ मुझे लेकर चल। मैं औ तू कहीं और ठिकाना बनायेंगे।” तब राजा ने कहा- “मैं तुझे ऐसे लेकर नहीं चलूँगा। कल को जब तेरा पति तुझे नहीं पायेगा तो राजा से फरियाद करेगा। तब राजा मुझे और तुझे खोजकर मार डालेगा। इससे बेहतर यह है कि पहले तू इसे मार डाल। ” राजा की बात सुनकर वह स्त्री घर के अंदर गई और खंजर से अपने पति को मार वापस आ गई। इसके बाद राजा आगे-आगे और वह स्त्री पीछे-पीछे चलने लगे। चलते –चलते दरिया के किनारे पहुँचे। तब राजा ने सोचा- “इस स्त्री का क्या भरोसा जिसने अपने पति को मार डाला।” यह सोच राजा ने कहा –“तू यहाँ दरिया के किनारे रूक मैं पानी का थाह लेता हूँ, फिर दोनों दरिया पार कर लेंगे। ” यह कह राजा थैला ले दरिया के बीच गया और धीरे-धीरे दूसरी ओर निकल गया। दूसरी ओर पहुँच कर उस स्त्री से जोर से बोला- “दरिया के बीचों बीच बहुत पानी है तू नहीं पार कर सकती। वहीं बैठी रह।” यह कह राजा अपने महल को चला गया। दरिया के किनारे बैठी स्त्री हाय-हाय करने लगी कि वह पुरुष तो सब धन भी लेकर चला गया। फिर मन में विचार कर अपने घर को लौट गई। घर पहुँच कर दहाड़ मार चिल्लाने लगी कि चोर मेरे पति को मार सारी सम्पत्ति ले भाग गया। उसके रोने की आवाज सुन कर सभी कुटुम्ब आ पहुँचे। उसने कहा मैं अपने पति के साथ सती हो जाऊँगी। सभी उसे समझाने लगी। लेकिन उसने किसी की न मानी। नदी के किनारे चिता सजाया गया। वह स्त्री अपने पति के साथ चिता में बैठ गई।सभी नगरवासी भी यह तमाशा देखने पहुँचे। राजा भी बहाने से पहुँचा। उस स्त्री ने स्वयं हीं चिता में आग लगाय और उसमें कूद गई। जैसे हीं उसके बदन में आग लगी उठकर पानी में कूद गई। यह देख सब हँसने लगे। तब राजा से चुप न रहा गया और कहा- ऐ सुंदरी! यह क्या है? उस स्त्री ने हँसकर राजा को ओर देखा और कहा- “इसका मर्म अपने घर जाकर पता कर। मैं अपने कर्म में जो लिखा कर आई थी उसका फल पाया।पर तू अपने घर का भेद न पा सका। हम सात सखियाँ इस नगर में हैं। उनमें से एक मैं थी और बाकी की छह सखियाँ तुम्हारे रनिवास में है।” इतना कह वह नदी में डूब गई। राजा अपने मन में दु:ख ले महल को लौट आया। शाम होने पर रनिवास में छिप कर बैठ गया। रात्रि के एक पहर बीतने पर देखता है कि रनिवास की छह रानियाँ आलग-अलग थालों मे विभिन्न प्रकार के व्यंजन ले कर बाहर को जा रही है। राजा भी उनके पीछे चल पड़ा। वे छहों रानियाँ नगर के बाहर वन में गई। उस वन में एक कुटिया के पास पहुँची। उस कुटिया में एक योगी ध्यान कर रहा था। छहों रानियों ने उसे दंडवत किया और बैठ गई। थोड़ी देर में योगी ध्यान से उठा और उन सब से हँस-हँस कर बातें करने लगा। फिर व्यंजनों का भोग लगा,सबके साथ भोजन किया। उसके बाद उस योगी ने छह रूप बनाये और छहों रानियों के साथ समय बिताया। उसके बाद सभी रानियाँ वहाँ से लौट गई। वह योगी भी अपने ध्यान में बैठ गया। राजा यह देख अपने मन में विचार किया कि इस योगी ने अपना योग भ्रष्ट किया और उनका धर्म खोया। खोया। यह सोच राजा योगी के सामने गया। राजा को देख योगी के मन में शंका हुई। योगी मन में शंका लिये बोला- “हे नृपति! कहाँ से आये हो? अपने मन का भाव मुझसे कहो? ” राजा ने कहा -“आपके दर्शन की इच्छा थी। इसलिये यहाँ आया।” तब योगी बोला- “राजा तुम मुझसे जो माँगोगे वह मैं दूँगा। ” राजा ने कहा- “एक शरीर से छह शरीर बनाने की विद्या मुझे बताओ , नहीं तो मैं तुझे मार डालूँगा।” यह औन उस योगी ने डर कर राजा को वह विद्या सिखा दी। विद्या सीखने के बाद राजा ने पहलेउ स विद्या को परखा, उसके बाद उस योगी के टुकड़े -टुकड़े कर एक गुफा बना उसमें डाल दिया। राजा वहाँ से सीधा रनिवास पहुँचा और उन छहों रानियों के पास गया। छहों रानियाँ तरह-तरह से राजा को रिझाने लगी।तब राजा ने उनसे कहा- “सुंदरियों! मैं तुम लोगों का हित करता हूँ और तुम लोग मेरा अहित कर किसी और का ध्यान करो यह अच्छा नहीं।” तब वे बोली- “महाराज! आप तो हमारे प्राणरक्षक हो। तुम्हारे देखे बिना हम जीतीं है। आठों पहर तुम्हारा हीं ध्यान करती हूँ।तुम कहीं चले जाते हो तो जल बिन मछली के तरह तड़पती हूँ।” यह सुन राजा क्रोधकर मुस्कराया और बोला- “सुंदरियों! सच है। तुम्हारा दिल मुझे नहीं छोड़ता जैसे एक योगी के छह योगी हो गये और ओहिर वह एक योगी हो गया।” यह सुन रानियाँ एकदम चुप हो कर बोली- “महाराज! आप ऐसी अचरज की बात करते हो जो न किसी ने कभी देखी न सुनी। कोई इसका एतवार भी ना करे।एक का छह हो यह कौन मानेगा।” तब राजा ने कहा- “चलो मैं दिखलाता हूँ।” यह कह छ्हों को साथ ले उसी कुटिया के पास गया। और गुफा का मुँह खोल दिया। रानियाँ देख कर लज्जित हो गई। और जान गई की राजा ने हमारे चरित्र को देख लिया। फिर राजा ने कहा- “तुमलोगों ने जाना या नहीं।” छहों रानियाँ नीचे गरदन कर खड़ी हो गई। गई।तब राजा ने छहों का सर काटकर उसी गुफा में डाल बंद कर दिया। राजा अपने महल को लौट आया। अगली सुबह नगर में ढ़िंढ़ोरा पिटवा दिया कि जितने भी ब्राह्मण परिवार हैं अपने परिवार सहित दरबार में हाजिर हो जायें। यह सुन नगर के सभी ब्राह्मण परिवार दरबार में हाजिर हुये। जितने उन छह रानियों के गहने, वस्त्र और आभूषण थे, वे सब सभी ब्राह्मणियों को दे दिये। ब्राह्मणों को एक-एक गाँव वृत्ति में दी। जितनी कुँवारी कन्यायें थी उन सब का विवाह करवाया। स्वयं राज-काज करने लगा। यह कह पुतली ने कहा – “सुन राजा भोज! क्या कोई राजा विक्रमादित्य के जैसा दानी और पंडित है।” इतना सुन राजा भोज अपने कक्ष को चला गया। दूसरे दिन जब राजाभोज्सिंहासन की ओर बढ़ा तब पच्चीसवीं पुतली जयलक्ष्मी बोली- पच्चीसवीं पुतली जयलक्ष्मी तब पच्चीसवीं पुतली जयलक्ष्मी बोली-सुन राजा भोज! एक दिन कि बात मैं तेरे आगे कहती हूँ। किसी नगर में एक भाट रहता था। निपट दरिद्र और खराब हाल। पृथ्वी पर जितने भी राजा थे सभी के पास जाकर आ गया लेकिन उसका एक-कौड़ी का फायदा नहीं हुआ। अपने घर आ जवान बेटी को देख चिंता करने लगा। तभी उसकी भाटिन बोली- “सभी देश घूम आये। पर जो कमाई कर के लाये हो वह बताओ।” तब भाट ने उत्तर दिया- “मेरे भाग्य में धन नहीं है। क्योंकि मैं सभी राजाओं के पास गया और जो भी शिष्टाचार थे किये लेकिन कहीं से भी एक कौड़ा का फयदा नहीं हुआ। अब सोचता हूँ कि एक राजा विक्रमादित्य रह गया है, उसके पास भी जा कर देखूँ। सुना है उसके पास से कोई भी खाली हाथ नहीं आता। वह सब के दु:ख दूर करता है। ” तब भाटिन बोली- “अब तुम कहीं न जाओ। सअंतोष कर यही रअहो, जो भाग्य में लिखा होगा यहीं मिलेगा।” तब भाट बोला-“ राजा विक्रमादित्य के बारे में बहुत सुना है। वह बहुत बड़ा दानी है। एक बार उसके पास जाता हूँ।” इतना कह गणेश जी का ध्यान कर राजा विक्रमादित्य के दरबार में जा पहुँचा। पहुँचा।राजा ने उसे देख दण्डवत किया और भाट ने आशीष दे कर बोला- “हे महाराज! मैं बहुत देशों से घूम कर आया हूँ और आपका यश मुझे यहाँ ले आया। आप मृत्युलोक में इंद्र का अवतार हो।आपके बराबर दानी नहीं। इस समय आप दान देने में राजा हरिश्चंद्र हो और पूरी पृथ्वी पर आपका हीं यश छाया है। मैं काली का सूत हूँ। भाट वंश में मैंए अवतार लिया है। अब तुम्हें याचने आया हूँ। मेरा मनोरथ पूर्ण कर दो। मैंने पूरी पृथ्वी पर घूम कर देख लिया। केवल तुम हीं मेरा मनोरथ पूर्ण कर सकते हो।” तब हँसकर राजा ने कहा- “तुम अपना मनोरथ मेरे सामने कहो।कहो।तो मैं उसे पूरा करूँ।” भाट ने कहा- “मुझे अपने भाग्य पर भरोसा नहीं है। पहले आप वचन दो।” जा ब राजा ने वचन दे दिया तब भाट ने कहा- “महाराज! मुझे मुँह माँगा दान दीजिये। मेरी पुत्री की शादी करवा दो। बारह वर्ष की कन्यामेरे घर में बैठी है। इसलिये मैं आपके पास आया हूँ।” यह सुन राजा ने मंत्री से कहा- “जो यह मांगेवह इसे दे दो।” तब भाट ने कहा- “महाराज! आप जो कुछ भी देना चाहें। अपने सामने मँगा कर मुझे दीजिये। मुझे किसी पर भी एतबार नहीं।” राजा ने लाख रूपये, सोने,जेवर,गहने थाल में भरकर मँगवाये और उस भाट को दे दइया। भाट आशीष देता हुआ अपने घर को लौट गया। वह जो कुछ लेकर आया था वह अपनी कन्याके ब्याह में लगा दिये। राजा ने उसके पीछे अपना जासूस भेजा कि देखकर आ कि यह इस धन का क्या करता है। जब भाट ने कन्या की शादी कर दी और उसके पास एक जून खाने का न रहा तो जासूसों ने राजा को खबर की। जासूस ने राजा से आकर कहा कि महाराज! भाट ने ऐसा ब्याह किया जो इस कलियुग में कोई नही कर सकता। जो कुछ भी आपने दिया था वह सब लेकर अपनी कन्या के विवाह में लगा दिया।अब उसके पास खाने को भी कुछ नहीं है। राजा यह सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ कि मेरे राज्य में ऐसे हिम्मती लोग भी हैं।और भाट के घर बहुत-सा धन भिजवाया। यह कह पुतली बोली- सुन राजा भोज! क्या तू ऐसा दानी और न्यायी है। इस तरह से वह दिन भी बीत गया। दूसरे दिन छब्बीसवीं पुतली विद्यावती बोली- छब्बीसवीं पुतली विद्यावती छब्बीसवीं पुतली विद्यावती बोली-सुन राजा भोज! मैं तेर आगे ज्ञान की बातें कहती हूँ और तू मन देकर ध्यान से सुन। जब आदमी जन्म लेता है तो कुछ संग नहीं लाता और मरता है तो कुछ लेकर नहीं जाता।इस जीवन का फल यही है कि संसार में आकर कुछ कर्म करे और जैसा कर्म करेगा वैसा फल पावेगा। जीवन बहुत थोड़ा है इसलिये ऐसा यश करो कि जानेपर भी जग में नाम ठहरा रहे। दोनों लोकों का सुख मिले। मनुष्य का शरीर बार-बार नहीं मिलता।लक्ष्मी का दान कर कुछ सोच मत कर। यही अपने मन में सदा रख कि हमेशा दान कीजिये। इस संसार सागर से तरने का सिवाय दान, उपकार और हरि का भजन के चौथा उपाय कोई नहीं है। मैंने तुझसे कहा था कि साथ लेकर कोई कुछ भी नहीं जाता। मैं तुझे बताती हूँ कि राजा हरिश्चंद्र, राजा कर्ण, राजा विक्रमादित्य अपने साथ क्या ले गये। जिन्होंने दान, उपकार, हरिभजन किया उनका जग में नाम रहा अउर अंतसमय बैकुण्ठ पाया। ये बातें पुतली की सुन राजा भोज बोला – “राजा विक्रमादित्य ने क्या किया है। वह कह।” तब विद्यावती पुतली बोली- एक दिन राजा विक्रमादित्य राजसभा में बैठे थे तभी एक दासी ने आकर कहा –“महाराज! उठिये पूजा का समय जाता है। ” यह सुनकर राजा ने विचार किया कि इसने सच कहा है। मेरी उमर चली जाती है और मुझसे ज्ञान, धर्म , पूजा नहीं हो पाया, इससे उत्तम यही है कि , इस राजकाज की माया भुला योग कमाया जाये। जिससे कि आगे के जन्मे में काम आवे। यह सोचकर राजा ने राजपाट, धन जन मिथ्या समझ तपस्या करने को वन में चल पड़ा। वन को जाता और सोचता कि इस सअंसार में जीना सुबह की ओस के समान है और जिसके भरोसे मैंने अपना जीवन अकारण गँवाया। फिर विचार करता पूर्वजन्म में दान, तपस्या, व्रत बहुत किया होगा तभी यह मनुष्य का जन्म पाया। यही सोचते-सोचते एक महावन में पहुँचा। वहाँ पहुँच कर देखता है कि एक तपस्वियों की मंडली बैठी हुई है। सब के आगे एक-एक धुनी लगी हुई है। सब आसन लगाकर अपने ध्यान में लगे हैं। कोई ऊर्ध्वबाहु, कोई कपाली, कोई पंचाग्नि इस तरह से अनेक-अनेक प्रकार की साधना में लीन है। कोई-कोई अपने शरीर का मांस काट-काट कर हवन कर रहा है। राजा भी उनको देख तपस्या करने लगा। आप भी तपस्या करता रहा। तपस्वियों की देखा-देखी राजा भी अपना शरीर भी काटकर हवन करने लगा। एक दिन राजा ने अपना सर भी काट कर हवन कर दिया। वहीं पर एक शिव मंदिर था उसमें से एक शिवगण निकला और निकलकर सब तपस्वियों की धुनी में से राख समेट कर अलग-अलग ढ़ेर बनाया और शिवजी को खबर दी कि महाराज! आपने कहा था सो मैंने किया । तब शिव जी ने आज्ञा दी कि, यह अमृत तू ले जा और उनके ऊपर छिड़क आ। यह आज्ञा पा अमृत ला ज्यों-ज्यों शिवगण छिड़कता था त्यों-त्यों , उनमें से एक-एक तपस्वी शिव-शिव, राम-राम कहता खड़ा होता था। सब पर तो उसने अमृत छिड़क दिया पर राजा की धुनी भूल गया और सब तपस्वी मिलकर शिव जी की स्तुति करने लगे कि महाराज! आप अनाथ के नाथ हो जिसने आपका स्मरण किया उसको आपने फल दिया और जहाँ –जहाँ सेवकों पर संकट हुआ है वहाँ-वहाँ उनका साथ दिया है, यह स्तुति करके उन तपस्वियों ने कहा कि महाराज एक नृपति भी हमारे सआथ तपस्या करता था। आपका भक्त यह राजा भी है ।मालूम नहीं कि उसको उठाने की आपकी आज्ञा हुई की नहीं । यह सुन महादेव ने उस गण की तरफ देखा। देखते ही उसने अमृत ले जाकर जो राजा की धुनी बाकी रही थी उसा पर छिड़क दिया।राजा भी शिव-शिव, राम-राम कहता उठ खड़ा हुआ और हाथ जोड़ स्तुति करने लगा कि महाराज! संसार के सब जीवों की आप सहाय करते हो और पालते हो। आप बिना इस संसार सागर से कौन पार उतारे। जिसने जग में आपको नहीं पहचाना उसने अपना जन्म निष्फल किया। फिर जितने तपस्वी थे उनको शिवजी ने मुँह मांगा वरदान दिया अउर सबको विदा किया।सबके पीछे जब राजा अकेला रह गया तो उसे कहा – “हे राजा विक्रमादित्य! अब जो तेरी इच्छा हो वह मुझसे मांग।” यह सउन राजा ने कहा- “महाराज! आपकी दया से मेरे पास सअब कुछ है बस एक वर मांगता हूँ कि संसार के जन्म-मरण से मेरी मुक्ति हो जाये। जैसे और भक्तों को मुक्त किया वैसे ही मुझ परम पापी दीन-हीन को तारो।” राजा की विनती सुन दयाकर ,शिवजी ने हँसकर कहा- “तेरे समान कर्मी इस कलियुग में कोई नहीं है। तू दानी, योगी, दाता, साहसी ,तपस्वी है। कलि के राजाओं का उद्धार करने वाला है । मैं तुझसे कहता हूँ कि तू जाकर अपना राज कर। तेरा काल जब निकट आवेगा तब तू मेरे पास आना। मैंने तुझेवचन दिया है कि अंतसमय में मैं तुम्हें मोक्ष दूंगा। इससे तू अब जाकर मृत्युलोक में आनद से राज कर।” फिर राजा करुणा करके बोला कि, महाराज! संसार में तुम्हारे प्रपंच कुछ समझ नहीं आता या तो मुझे इस समय तारो या मैं अपने प्राण त्याग दूँगा। यह सुनकर शिवजी हँसकर बोले – “यदि तू प्राण दे देगा। तो भी बिना मृत्यु के तुम्हारे शरीर को यम छुयेगा भी नहीं।और फिर जितनी तेरी आयु बची रहेगी तुझे यों हीं भटकना पड़ेगा।इसलिये तू जा और मेरा वचन में रख ।” शिवजी ने राजा को एक कमल का फूल दिया और कहा कि जब यह मुर्झायेगा तब समझ लेना कि तेरी आयु के मात्र छह माह ही रह गये हैं। इतना कह शिवजी कैलाश को चले गये। और वह फूल लेकर राजा अपने नगर को लौट आया। इसके बाद कई बर्ष बीत गये। एक दिन वह कमल का फूल मुर्झा गया। तब राजा समझ गया कि उसके पास अब केवल छह माह हीं रह गये हैं। जितना कुछ धन-दौलत उसके पास थी सो सब ब्राह्मणों को संकल्प कर दे दी।स्त्री और पुत्र के खाने को कुछ धन दे दिया। बाकी सब पृथ्वी ब्राह्मणों को दान कर दी। इस तरह राजा दान-पुण्य कर सशरीर कैलाश को चला गया। इतनी बात कह पुतली बोली – सुन राजा भोज! विक्रमादित्यने इतना काम किया और जीवन-मरण दोनो जाना।इससे मैं तुझसे कहती हूँ कि जीवन का कुछ भरोसा नहीं और मरण निश्चित है। दु:ख सुख भी मनुष्य के साथ हैं और पाप-पुण्यभी रहते है। निर्गुण और सगुण भी एक घट में रहते हैं। पर एक ब्रह्म हीं अलग है। हे भूपाल! संसार में जिसकी कीर्ति रह जाती है वही अमर है। जो मैणे तुझे कहा कि मन,वचन,कर्म कर वह तू सच जान। वह दिन तो यूं ही गुजर गया। राजा नाउम्मीद हो कर अपने कक्ष को चला गया। सुबह होते हीं हाथ, मुँह धो, स्नान कर फिर वहीं पहुँचा और कहा कि पुतलिया तो यूँ ही झूठ-झूठ बातें बनाती है। अब मै इनकी बातें न सुनूंगा और इस सिंहासन पर बैठूंगा। यह बातें वह कह हीं रहा था कि सत्ताइसवीं पुतली जगज्योती बोली- सत्ताइसवीं पुतली जगज्योती सत्ताइसवीं पुतली जगज्योती बोली- सुन राजा भोज! एक दिन राजा विक्रमादित्य अपनी सभा में बैठा था कि एक प्रसंग निकला। किसी ने कहा कि आज राजा इंद्र के बराबर कोई राजा नहीं है। क्योंकि वह देवलोक का राज करता है। यह बात राजा ने सुन किसी से कुछ न कहा और वैतालों को बुलाकर कहा कि, मुझे इंद्रपुरी ले कहलो। वैताल तुरंत ले उड़े और एक क्षण में इंद्र की सभा में पहुँचा दिया। राजा ने जाते हीं वहां इंद्र को दंडवत की और हाथ जोड़ खड़ा हुआ। तब इंद्र ने बैठने की आज्ञा दी।वह आज्ञा पाकर बैठ गया। तब इंद्र ने पूछा- “तुम कहाँ से आये हो और तुम्हारा क्या नाम है? अपने देश का नाम बताओ और यहां किस अर्थ से आये हो? यह बताओ। ” तब राजा बोला- “स्वामी! अम्बावती नगरी का मैं राजा हूँ। मेरा नाम विक्रम है और आपके पद पंकज के दर्शन के अर्थ से यहाँ आया हूँ।” यह सुन प्रसन्न हो इंद्र बोला- “हमने भी तुम्हारा बहुत नाम सुना है और मिलने की इच्छा मुझे भी था। सो तुमने आके उलटी रीत की । अब जो कुछ तुम्हारा मनोरथ हो सो हमसे कहो और जो कुछ तुम्हें चाहिये वह मांगों। हम तुम्हें जरूर देंगे।” राजा ने कहा – स्वामी! आपकी कृपा और धर्म से सब कुछ है और जो कुछ न हो तो मै आपसे मांगूँ। आपका दिया हुआ सब कुछ मेरेपास है। राजा की ये बाते सुनकर इंद्र ने प्रसन्न हो अपना मुकुट और एक विमान दे यह आशीष दिया को जो तुम्हारे सिंहासन को बुरी दृष्टि से देखेगा वह तुरंत अंधा हो जायेगा। राजा वहा से विदा हो फिर अपने नगर में आया और बधाई बजने लगी। इतनी बात पुतली सेसुनकर राजा भोज सिंहासन पर हाथ धरकर अपने एक पांव को ऊपर रख खड़ा होकर कहने लगा कि आसन मार गद्दीपर जा बैठूं। इतने में आँखों से अंधा हो गया और दीवानी दीवानी बातें करने लगा। चाहता था कि हाथ सिंहासन से हटा ले , पर उसका हाथ सिंहासन से चिपक गया था। यह देख पुतलियाँ खिलखिला कर हँसने लगी। पूरी सभा स्तब्ध हो गई। सब सोचने लगे कि राजा ने यह क्या किया। पुतली की पूरी बाते सुने बिना सिंहासन पर पाँव धरा। अपनी दशा देख कर राजा भोज बहुत पछताया और लज्जित हुआ। तब पुतली ने कहा- “हे राजा! तूने हमारी बात न सुनकर यह फल पाया। अब तू ऐसे ही रह।” यह सुन राजा ने कहा- “इससे निकलने का उपाय बताओ।” तब पुतली बोली- “इसका उपाय यह है कि तू राजा विक्रमादित्य का नाम ले तभी इससे छूट पायेगा।” यह सुन राजा भोज ने विक्रमादित्य के साहस और पराक्रम का गुणगान किया तब वह सिंहासन से छूट पाया और आँख से भी देखने लगा। यह देखकर सभी बड़े भयभीत हुये और राजा भी डर गया। सभा के सब लोग बोले कि राजा विक्रम के समान होना इस कलियुग में बड़ा कठिन है, फिर पुतली बोली- “राजा! इसी लिये मैंने कहा था ।पर तू ने मेरी बात झूठ माना। तुझे कुछ भी ज्ञान नहीं जो तू विद्या पढ़ा है। उससे कुछ नहीं होता। ज्ञान कुछ और हीं चीज है। ” तू अपने को राजा विक्रमादित्य के बराबर मत समझ। वह देवताओं के समान थ। उसके बराबर तेरा ज्ञान ,ध्यान नहीं है। इस सिंहासन की आश छोड़ दे। संसार में बहुत बातें है, वे कर, जिससे तेरा राज स्थिर हो। तेरा प्रताप बढ़े, कीर्ति रहे। वह दिन भी गुजर गया। राजा फिर अपने महल में गया। रात जैसे-तैसे बीती। सुबह होते हीं पूजा-पाठ कर उसी सिंहासन के पास आ खड़ा हुआ। इस बार अट्ठाइसवीं पुतली मनमोहिनी बोली- अट्ठाइसवीं पुतली मनमोहिनी इस बार अट्ठाइसवीं पुतली मनमोहिनी बोली- सुन राजा भोज! वीर विक्रमादित्य के समान बली, साहसी और ज्ञानी कलियुग में यदि दूसरा कोई हुआ हो तो तू मुझे बता दे। और जो मैं कहती हूँ उसे सच मान। एक दिन मैंने राजा वीर विक्रमादित्य से हँसकर कहा- “स्वामी! पाताल मे राजा बलि बड़ा राजा है, जिसके दास समान भी तू नहीं हो सकता है और जो तू अपना राज स्थिर करना चाहे तो एक बार राजा बलि के पास जाकर आ। ” यह बात सुनते हीं राजा ने बैतालों को बुला कर आज्ञा दी कि पाताल में राजा बलि के पास मुझे ले चलो। यह सुनते हीं वैताल क्षण में ही उसे ले पाताल पहुँच गये। राजा वह नगर देखर भौचक हुआ। और अपने मन में कहने लगा कि ऐसा नगर मैंने आज तक नहीं देखा। आनंद कैलाश के समान हो रहा है। धन्य राजा बलि को जो इस नगर का राज करता है। इस तरह से नगर देखता हुआ राजा के सिंहद्वारा पर जा पहुँचा और हाथ जोड़ विनती कर द्वारपालो से कहा कि, अपने राजा से जाकर कहो-“मृत्युलोक से राजा विक्रम आपके दर्शन को आया है।” सुनते हीं द्वारपालो ने अपने राजा के पास जाकर यह समाचार दिया।यह सुनकर राजा बलि ने कहा कि मैं नर को मुँह न दिखाऊँगा। यह सुन विक्रमादित्य ने कहा जब तक मुझे राजा दर्शन ना देंगे मैं यहाँ से हिलूँगा नहीं। यह बात द्वारपालो ने जाकर राजा बलि से कही। तब उसने कहा कि विक्रम कौन है? यदि राजा इंद्र भी आये तो मैं दर्शन न दूँ।राजा विक्रमादित्य ने दु:ख पाकर अपना सिर काट डाला। राजा बलि के सभा में सभी कहने लगे कि बहुत अयुक्त काम इस प्राणे ने किया। जब राजा बलि ने यह सुना तो हँसकर कहा कि अमृथ ले जाकर उसे जीवित करो और कहो की तू जी मत घबरा तुझे राजाके दर्शन होंगे। इस सअम्य तुम अपने नगर को जाओ और राज-काज देखो। जब शिवरात्रि होगी तब आओ। तुझे राजा के दर्शन होंगे। यह सुन राजा बलि का एक दास अमृत ले कर गया और विक्रमादित्य को जीवित कर दिया॥ जब विक्रमादित्य सावधान हो कर बैठ गया तब उसे दास ने राजा बलि का संदेशा कहा। तब विक्रमादित्य ने दास से कहा- “तुम यह बात कहा कर मुझे क्यों बहकाते हो। मैं तुम्हारा कहा न मानूंगा। इससे अच्छा है कि अभी महाराज का दर्शन करूँ।” उस दास ने राजा बलि को जाकर सब बातें बता दी और कहा कि वह नहीं मानता और जाने को भी तैयार नहीं । विक्रमादित्य ने जब जवाब आने में देरी देखी तो दुबारा से अपना सिर काट लिया। जब राजा बलि ने सुना तो फिर से दास को बोला कि उसे जीवित कर समझा –बुझा अपने राज्य को भेज दो। दास ने उसे जीवित कर कहा कि अपने मन में धीरज रख तुझे राजा के दर्शन होंगे। राजा बलि के सभा में मौजूद सभी प्रणियों ने राजा से विनती कर कहा कि विक्रमादित्य ने बड़ी साहस का कार्य किया है इस वास्ते आप उसको दर्शन दो। उसके आशा को निराश न करो। सभी की बातें सुन कर राजा बलि द्वार पर आया और विक्रमादित्य को दर्शन दिये। तब दंडवत कर हाथ जोड़कर विक्रमादित्य ने कहा- “महाराज! धन्य है मेरा भाग्य जो मुझे आपके दर्शन हुये। ” फिर कहने लगा कि मेरा क्या अपराध था जो मुझे दर्शन न देते थे? क्या मैं साहसी नहीं हूँ या मुझे लोक के लोग नहीं जानते। वह कौन-सा पाप था जिसके कारण अपने बुरा माना? यह मुझे कृपा कर बताओ। तब राजा बलि हँसकर बोला- “सुन विक्रम! तेरे समान और कोई राजा नहीं । अब कान देकर सुन कि तेरे आगे इसका यथार्थ कहता हूँ। पहले राजा हरिश्चंद्र बड़ा दानी , साहसी , यशी हो गया है और एक राजा जगदेव बड़ा प्रतापी और दानी हो गया है। उन दोनों ने भी बड़ा दान और साहस किया थ। पर तेरे-जैसा उनका न था और उन्होंने भी मेरे दर्शन की बहुत अभिलाषा की थी। पर मैंने दर्शन किसी को न दिया। तू एक द्वीप का राजा किस गिनती में है? पर तेरी तपस्या जोरबार है जो तुझे मेरा दर्शन हुआ। ” राजा विक्रम फिर हाथ जोड़कर कहने लगा- “महाराज! जो आपने कहा सब सअच है। और मैंए निश्चयकर अपने जी में माना कि आपने मुझपर बड़ी कृपा कर दर्शन दिया। और दया कर इस भवसागर से पार किया।” तब राजा बलि ने कहा- “राजा विक्रम! अब तू यहां से विदा हो और जाकर अपना राज कर।” विदा का नाम सुनते हीं राजा विक्रम के मन में बड़ा खेद हुआ। इतने में राजा बलि ने एक लाल मँगवाकर राजा विक्रम को प्रसाद के रूप में दिया और उसका जो गुण था सओ बताया कि जो तू इससे मांगेगा वह सब यह देगा। विक्रम ने हाथ जोड़ लिया और राजा बलि को दंडवत कर वहाँ से निकला। वैतालों को बुलाकर सवार हो अपने नगर को आया। जब नगर के निकट आन पहुँचा तब एक नदी के किनारे देखा कि एक स्त्री का पति मर गया है। उसे जलाकर वह स्त्री विलाप कर रही है कि अब इस संसार में मेरा मालिक कोई नहीं है और न मेरे पास कुछ माया है। मैं किस तरह से इसका श्राद्ध करोंगी और पंचों को क्या दूंगी? उस स्त्री के रोने की आवाज राजा ने सुना और वहाँ जाकर देखा, कि उस स्त्री का यह हाल हो रहा सो देखकर राजा बलि के द्वारा दिया हुआ वह लाल उस स्त्री को दिया। और कहा कि जो तू इससे मांगेगी सो यह लाल तेरी आशा पूरी करेगा। उसको ले वह स्त्री अपने धाम को गई और राजा वीर विक्रमादित्य अपनेमहल में दाखिल हुआ। इतनी बात कह पुतली बोली कि सुन राजा भोज! ये गुण विक्रम में थे। वह ऐसा साहसी था और रजा का हितकारी। जो तू सात स्वर्ग घूम आवेगा तो भी उसके समान न हो सअकेगा। इससे अब तू अपने मन के खयाल से बाज आ। वह भी दिन उसी तरह से टल गया। दूसरे राजा अपने दीवान के साथ सिंहासन के पास खड़ा हुआ । इतने में वैदेही नाम की उन्नतीसवीं पुतली ने कहा- उन्नतीसवीं पुतली वैदेही वैदेही नाम की उन्नतीसवीं पुतली ने कहा- हे राजा भोज! तू किस बात पर भूला है? सब सखियों ने तुझे राजा विक्रम की कथा सुनाइ तब भी तेरा पत्थर दिन न पिघला। अभी पहले मुझसे बात सुन ले और बाद में इस सिंहासन पर पाँव दे । राजा भोज ने कहा- “अच्छा, कह। मैं सुनूंगा।” पुतली वैदेही बोली- एक दिन राजा विक्रमादित्य महल में सो रहा था कि एक ख्वाब देखा। वह मैं तुझसे कहती हूँ। राजा विक्रमादित्य ने देखा कि एक सिद्ध का एक सोने का महल है, उसमें अनेक-अनेक प्रकार के रत्न जड़े हैं। तरह-तरह के पकवान थालों मे सजे हुये हैं। एक फूलों की सेज बिछी हुई है। एक तरफ फूलों के गहने चनेरों में भरे हुए है। इत्रदान, पानदान, गुलाबपाश भरे हुये हैं। और महल के चारों ओर फुलवारी है। महल के बाहर दीवारों पर रंग-रंग के चित्र बने हुए हैं, जिन्हे देखकर आदमी तुरंत हीं मोहित हो जाये और उस महल के अंदर खूबसूरत स्त्रियां साज मिलाये हुये मीठे-मीठे राग गा रही हैं। यह देख राजा ने अपने जी में कहा कि यह तपस्वी इन स्त्रियों के योग्य नहीं है।इतने में राजा की आँख खुल गई और सुबह हो गई। तब राजा ने स्नान, ध्यान कर वैतालों को बुलाकर कहा कि मैंने स्वप्न में जो सथान देखा है मुझे वहाँ ले चलो। पलक झपकते हीं वैतालों ने राजा को उस स्थान पर पहुँचा दिया। राजा वहाँ पहुँच वैतालों को विदा किया और स्वयं पैदल उस बगीचे में जाकर उस भवन को देख मन में सोचा यह भवन किसने बनाया? आदमी के वश का तो नहीं जरूर ब्रह्मा ने इसे बनाया हो। यही सोचते उस महल के अंदर गया।उसे देखते हीं सभी स्त्रियां जो गाना गा रही थी दर से चुप हो गई और उस तपस्वी को स्मरण किया। वह तपस्वी तुरंत हीं वहाँ पहुँचा और राजा विक्रम को देख क्रोधितहो बोला “अभी मैं तुझे शाप देता हूँ कि तू जलकर भस्म हो जाये। मेरे स्थानपर तुम किसलिये आये हो? सुख से ये स्त्रियाँ राग आलाप रही थी। इतने में तू ने आकर इनका ध्यान भंग किया। ” यह सुन राजा हाथ जोड़ विनतीकर बोला- “महाराज! मैं अनजाने में यहाँ आया हूं। तुम्हारे दर्शन की इच्छा थी। पर आपके क्रोध की आँच को कौन सह सकता है? मैं आपका दास हूँ। मेरी भूल माफ कीजिये। ” यह सुन वह सिद्ध बोला – “सुन राजा विक्रम! तूने सच कहा । मुझे बड़ा क्रोध था। पर यदि तू मेरे सामने न होता तो मैं तुझे शाप दे देता और अब मैं तेरी बात सुन प्रसन्न हुआ तू मुझसे मांग । जो तुझे चाहिये। ” राजा ने कहा- “महाराज! मै क्या मांगू । आपके प्रसाद से मेरे पास सअब कुछ है। अन्न,धन,हाथी,घोड़े किसी चीज की कमी नहीं। पर एक वस्तु मात्र मांगने के लिये मैं आपके पास आया हूं। यदि कृपाकर दीजिये तो मैं मांगू।” यह सुन सिद्ध ने कहा- “राजा! जो तू मांगेगा सो मैं दूंगा। ” यह सुनते हीं राजा विक्रमादित्य ने कहा- “महाराज! यह महल मुझे दे दीजिये।” योगी ने एक क्षण गंवाये बिना वह महल राजा को दे दिया और अपना योगरूप धर तीर्थ को चला गया। राजा ने जब वह महल पा लिया, तब प्रसन्न हो गद्दीपर जाकर बैठ गया । वे सब स्त्रियाँ फिर से गाने लगी जैसेयोगी के पास गाती थी। राजा उस महल में रहने लगा और अनेकों सुख भोगे। इतनी बात कह वह वैदेही पुतली बोली- “इस प्रकार से राजा विक्रमादित्य तो वहां बैठकर आनंद करने लगा और योगी तीर्थ-तीर्थ फिरकर रहता था। ” जो कोई भी सिद्ध मिलता था उसे अपना दु:ख कहता था। एक दिन उसे एक यती मिला और उसने उस योगी से कहा कि तू अपने स्थान पर जा और वेष बदल कर राजा विक्रम से जाकर सवाल कर वह बड़ा धर्मात्मा राजा है। जब तू उससे वह महल मांगेगा तो वह तुझे दे देगा। योगी ने उस यती की बात मान एक अति बूढ़े ब्राह्मण का भेष धर उस महल के निकट पहुँचा और ताली देकर आवाज दी। आवाज सुनते हीं राजा बाहर आया और कहा- “तू यहाँ किसलिये आया है? और जो तेरी इच्छा हो वह मांग । मैं तुझे दूंगा।” यह सुन बूढ़े ब्राह्मण के वेष में वह योगी बोला- “महाराज! मैं सारी पृथ्वी पर घूम आया लेकिन अपनी इच्छा का स्थान नहीं पाया, जहाँ बैठकर आराम करूँ।” यह सुन राजा हँसकर बोला- “यदि यह स्थान तुम्हारे इच्छा के अनुसार हो, तो ले लो।” यह सुन ब्राह्मण ने प्रसन्न हो राजा को आशीष दिया। राजा उसे वह महल देकर अपने राज्य को लौट आया। इतनी बात कह पुतली बोली- “तू ऐसा धर्मात्मा नहीं । इसलिये तू इस सिंहासन पर मत बैठ।जो राजा विक्रमादित्य के बराबर हो वह इस सिंहासन पर बैठे।’ वह मुहुर्त भी बीत गया। अगली सुबह राजा जैसे हीं सिंहासन की ओर बढ़ा कि तीसवीं पुतली रूपवती ने राजा से कहा- तीसवीं पुतली रूपवती तीसवीं पुतली रूपवती ने राजा से कहा-सुन राजा! बावले अज्ञानी । ऐसा पुरुषार्थ तूने कब किया? जो सिंहासन पर बैठने को तैयार होकर आया। अब एक दिन की बात सुन। राजा विक्रमादित्य रात को अपने कक्ष में आराम से सो रहा था। इतने में कुछ मन में विचार किया और पलंग से उठ , वेष बदल हाथ में ढ़ाल,तलवार ले चल पड़ा। शहर की गलियों में घूमने लगा। कुछ दूर जाने पर कुछ चोर दिखाई दिये। वे आपस में चोरी की बातें कर रहे थे। उनमें से एक बोला कि अच्छा –सा सायत देखकर चोरी को चलो , जिससे कुछ माल-पानी हाथ लगे। ऐसे जाने पर दु:ख भी मिलेगा और खाली हाथ भी लौटेंगे। यही सब बातें वे कर रहे थे कि उनमें से एक की नजर राजा पर पड़ी। उन्होंने राजा से पूछा- “तुम कौन हो? ” राजा ने उत्तर दिया- “जो तुम ,वही मैं।” यह सुनकर उन्होंने राजा को भी साथ ले चोरी करने चल पड़े।आगे एक जगह पहुँचकर एक-दूसरे से पूछने लगे अपना-अपना मन कहो।उनमें से एक ने कहा- “मै ऐसा मुहुर्त जानता हूँ, जिसमें यात्रा करने से कभी खाली हाथ नहीं आना पड़े।” दूसरे ने कहा- “मैं सभी जानवरों की बोलियाँ समझता हूँ।” तीसरे ने कहा- “मैं जिस घर में जाऊँ, मुझे कोई नहीं देख सकता अउर मैं अपना काम कर आऊँ। ” चौथा बोला- “मेरे पास ऐसी जिसके कारण कोई मुझे कितना भी मारे , मैं न मरूँ।” उसके बाद सबने राजा से पूछा- “तुम्हें कौन-सी विद्या आती है।” तब राजा बोला- “ मुझे यह विद्या आती है कि मैं बता सकता हूँ कहाँ धन गड़ा है।” तब उन चोरों ने राजा से कहा- “ठीक है। तुम आगे चलो। हमलोग पीछे- पीछे। जहाँ धन गड़ा हो वह जगह तुम बताना।” इस तरह वे सब चल दिये। राजा सभी चोर को लिये हुये राजमहल के बगीचे के पीछे पहुँचा। और जिस जगह राजा की दौलत गड़ी थी वह स्थान बताया।चोरों ने वहाँ खुदाई की तो एक तहखाने का दरवाजा निकला। उसे तोड़कर अंदर देखे तो करोड़ों का जवाहरात और अशरफिया, रूपये भरे हैं।तब वे सब ले गठरी बाँध सर पर धर कर चल दिये। तभी एक गीदड़ बोला। तब जो जानवरों की बोली समझता था वह बोला- “भाई! यह गीदड़ कह रहा है कि इस धन के लेने में कुछ कुशल नहीं।” उनमें से एक बोला अपना शकून तू रहने दे।पाई हुई लक्ष्मी तो हम नहीं छोड़ते। छोड़े तो हमारे धर्म में बट्टा आवे।तब उनमें से दूसरा बोला –“सुनो भाई! धन-रत्न तो पाये , पर वस्त्र नहीं पाये। इसलोयेकहीं चलकर वस्त्र चोरी कर लें। जिससे फिर चोरी न करना पड़े।” फिर उनमें से एक बोला – “पास में ही राजा का धोबी रहता है, उसके घर सेंध लगा कर अच्छे वस्त्र ले लें।” यह सोच कर वे सब धोबी के घर के पिछवाड़े गठरियाँ रखकर सेंध लगाई। इतने में धोबी का गधा रेंकने लगा। सारे चोर छिप गये। धोबी उठा और किसी को न देख-गधे को मारने लगा कि एक तो सारा दिन मेहनत करो और रात में यह गधा सोने न देता है। जब दुबारा गधा रेंका तब गुस्से में आकर धोबी ने उसकी रस्सी खोल दी और स्वयं जा कर सो पड़ा। चोरों ने वस्त्र चोरी करने के लिये धोबी के घर में घुस गये। इधर राजा ने सोचा कि वह तो अपना धन था उसका कुछ भी करो लेकिन यहाँ चोरी कर धर्म क्यों भ्रष्ट करूँ। यह सोच राजा वहाँ से चुपचाप निकल गया। जब चोर कपड़े ले कर धोबी के घर से निकले तो राजा को न देख सभी सामान ले अपने घर पहुँचे। सवेरा होते हीं शोर मच गया कि राजा के भंडार में चोरी हो गई।गई।कोतवाल अअया, और देख-भाल कर घाट और सारे रास्ते बंद करवा दिये। जासूसों को लगाया। तब जाकर चारों चोर पकड़े गये। चोरों को राज दरबार में पेश किया गया।राजा को देखते हीं वे चोर आपस में विचारने लगे कि पाँचवे चोर की शक्ल तो राजा से हू-ब-हू मिलती है। धन चोरी के सअमय तो वह साथ था लेकिन जब हमने कपड़े चोरी किये तो वह चला गया।यही सोच वे सब आश्चर्य में थे कि वह अपना हिस्सा भी नहीं ले गया। तभी राजा ने कहा- “तुम सब मेरा मुँह देख-देख कर क्या विचारते हो? तुम्हारी भलाई इसी में है कि बता दो धन कहाँ छुपा रखा है।” तब चोरों ने कहा- “महाराज! हम बड़े आश्चर्य मे पड़े हैं कि एक और चोर रात को हमारे साथ में था। जब तक हमने चोरी की हमारे साथ था लेकिन अपना हिस्सा लेने के पहले हीं वह चला गया। ” राजा को चोर ने कहा- “अच्छा! उस चोर को भी बुला लो।” तब उतने मे एक चोर बोला – “महाराज! चाहे तो हमें मार दालो और चाहे तो हमें छोड़ दो, पर हम सच कहते हैं कि हमारा पाँचवा साथी बिल्कुल आपकी शक्ल का हीं था। हमने चोरियाँ तो बहुत की हैं लेकिन कभी ऐसा नहीं देखा कि चोर अपना हिस्सा छोड़ दे।इसलिये हम धर्म के साथ कहते हैं कि हमारे साथ आप ही थे।” यह सुनकर राजा हँसकर बोला- “तुम अपने जी में मत डर । हमने तुम्हारी जान बख्श दी।दी।पर एक बात तुमलोगों को हमारी माननी पड़ेगी। तुम सभी आज से चोरी का धंधा छोड़ दोगे। यदि तुम्हें और धन की जरूरत है तो मेरे खजाने से ले जाओ।” सुनकर चोरों ने राजा की आज्ञा मान ली। राजा ने उन्हें और भी मुँह मांगी दौलत दी और विदा किया। वे सअभी धन ले कर अपने घर को लौट आये। इतनी बात कह वह पुतली बोली- “सुन राजा भोज! तू ऐसा साहस न कर सकेगा। इस वास्ते इस सिंहासन के योग्य न होगा। इसलिये कहती हूँ कि अपना राज-काज सँभाल और अपने मन से यह खयाल निकाल दे।” राजा चुपचाप वहाँ से उठ कर चल दिया। अगले दिन फिर सिंहासन के पास आया और अपने मन में सोचने लगा कि , मैं इस सिंहासन पर बैठने न पाया। बिना स्वार्थ हीं जन्म गँवाया। सब देश-देश यह खबर हो चुकी कि, राजा भोज राजा वीर विक्रमादित्य के सिंहासन पर बैठने लगा सो बैठना मेरा न हुआ। यह बात सुनकर सब लोग हंसेंगे और गंधर्व गालियाँ देंगे। मेरे कुल को कलंक लगा। यह अपने मन में सोचकर नीची गर्दन किये सिंहासन के पास जाकर खड़ा हुआ। फिर मन में सोचने लगा , एक माँ वह थी जिसका वीर विक्रमादित्य जैसा पुत्र था अउर एक मैं हूँ कुल का कलंक लगाया।और अपने मन में जो सोचा वह कर न पाया। ऐसी-ऐसी बातें राजा विचार कर चिंता करता था। यही सोच झुंझलाकर सिंहासन की ओर बढ़ा कि इक्कतीसवीं पुतली कौशल्या बोली- इक्कतीसवीं पुतली कौशल्या इक्कतीसवीं पुतली कौशल्या बोली- सुन राजा भोज! तू बड़ा मूर्ख है, जो हमारा कहा नहीं मानता। कंचन की बराबरी पीतल नहीं कर सकता और हीरे के बराबर शीशा नहीं होता।चंदन के गुण को नीम नहीं पाता। इससे तू समझ जा के तू राजा विक्रमादित्य की बराबरी नहीं कर सकता।यह सुन राजा को बहुत पछतावा हुआ। तब कौशल्या नामक पुतली बोली- राजा विक्रमादित्य के मरने के दिन बहुत नजदीक आ गये, तब राजा को मालूम हुआ। तब उसने नगर के बाईं ओर गंगा के किनारे एक भवन बनवाया और वहीं जाकर रहने लगा।और ढ़िंढ़ोरा पिटवा दिया कि जो कोई दान लेना चाहे वो यहाँ आकर ले जाये। यह सुनकर जितने ब्राह्मण, पंडित,भाट, भिखारी , राजा के पास आये उन्होंने मुँह मंगा दान पाया।यह सुनकर बहुत से देवता रूप बदल कर राजा विक्रमादित्य का सत देखने के लिये वहाँ आये। और आ आकर जो-जो जिसके जी में आया सो-सो मांगने लगे। राजा ने भी सभी को दान दिया।जब दान ले चुके तो राजा के सामने असल रूप में आकर आशीष दे कहने लगे- “धन्य है राजा विक्रम और धन्य है तेरे माता-पिता। तूने ऐसा शमां बाँधा कि तीनों लोकों में तेरी निशानी रहेगी।” सत्ययुग में जैसा सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र, त्रेता में जैसा दानी राजा बलि और द्वापर में जैसा राजा युधिष्ठिर हुआ वैसा कलियुग में तू राजा वीर विक्रमादित्य है।जैसे चारों युगों में तुम धर्मात्मा राजा हुए वैसे और न हुए और न होंगे। इस तरह राजा से कह देवता वहाँ से विदा हो गये। इतनी बात कह पुतली बोली कि सुन राजा भोज! देवता तो सब विदा हो गये और राजा विक्रमादित्य झरोखे में आकर बैठ गया। इतने में राजा को एक सोने का हिरण दिखा । वास्तव में वह एक राजा था जिसे किसी ऋषि के श्राप के कारण हिरण योनी मिली थी। राजा उस सोने के हिरण को देखते हीं उसको मारने के लिये धनुष –बाण उठाया और जैसे हीं मारनेको हुआ कि हिरण बोला- “मैं जन्म का ब्राह्मण हूँ । भूख के काराण दिन-रात यहाँ-वहाँ फिरता हूँ। एक सिद्ध के श्राप के कारण मुझे यह योनी मिली है।जब सिद्ध से मैंने पूछा कि महाराज! मुझे इस योनी सए मुक्ति कब मिलेगी। तब उसने कहा कि कलियुग में एक राजा वीर विक्रमादित्य बड़ा दाता और साहसी राजा होगा। जब तू उसका दर्शन करेगा तब तुझे इस योनी से मुक्ति मिलेगी।इसलिये मैं तेरे दर्शन को आया हूँ। ” राजा उस हिरण की बातें सुनकर हँसा और उसी क्षण उस हिरण ने अपने प्राण त्याग दिये।राजा ने उस हिरण को जलाकर , उसके भस्म को गंगा में प्रवाहित कर दिया। और हिरण के नाम से बहुत से यज्ञ किये। यह कह पुतली बोली- “सुन राजा भोज! तू उसके बराबर कैसे हो सकता है।तू इस सिंहासन को वहीं जाकर गड़वा दे जहाँ से निकाल कर लाया था।” पुतली की यह बात सुन राजा भोज अपने जी में सोचने लगा और कुछ उत्तर न दे पाया।वहाँ से निराश हो अपने कक्ष में आया।सवेरा हुआ तो मन में वैराग्य ले और सब कुछ तुच्छ मान उसी सिंहासन के पास खड़ा हुआ और चढ़ने को पैर बढ़ाया तब बत्तीसवीं पुतली भानुमती ने कहा- बत्तीसवीं पुतली भानुमती बत्तीसवीं पुतली भानुमती ने कहा- सुन राजा भोज एक कथा मेरी सुन । यह कह वह बोली- अंत समय में राजा वीर विक्रमादित्य विमानपर बैठ इंद्रलोक को गया और अंबावती नगरी में शोक हुआ । तीनों लोकों में हंगामा मचा कि, राजा वीर विक्रमादित्य सदेह स्वर्ग गया। राजा के साथ हीं उनके दोनों वीर वैताल भी लोप हो गये।न वह स्वामी रहा , न वे दास रहे। संसार में से धर्मात्मा चला गया। और राजा की सब रैयत हाहाकार करने लगी। ब्राह्मण, भाट, भिखारी, स्त्री, दु:खी सब हाय-हाय कर रोने लगे कि हमारा आदर और मान करनेवाला राजा जगत से उठ गया। रानियाँ तो राजा के साथ सती हो गई और जितने दास-दासी थे सो सब अनाथ हो गये। जितने लोग नौकर-चाकर, सिपाही, शागिर्द सभी रोते और कहते थे कि हाय! हममें से कोई काम न आया। इसी तरह से हर तरफ खलबली मच गई। मंत्री ने राजा कुँवर को राजतिलक कर गद्दीपर बैठाया और तमाम मुल्कों में राजा जैतपाल के नाम का ढ़िंढ़ोरा पिटवा दिया। जब जैतपाल राजा हुआ तब वह एक दिन इस सिंहासन पर बैठा। बैठते हीं उसे मूर्छा आ गई और वह बेहोश हो गिर पड़ा। उसने एक स्वप्न देखा । उस स्वप्न में राजा वीर विक्रमादित्य ने उसे मना किया कि , इस सिंहासन पर मत बैठ। जब मेरे जैसा साहस और दान करे तब इस पर बैठना।इतने में राजा जैतपाल की मूर्छा जाती रही। वह सिंहासन से उठ नीचे उतर आया। मंत्री को बुलाकर सभी बातें बताई। तब मंत्री ने राजा जैतपाल से कहा-“इस आसन पर आपका बैठना उचित नहीं। और मैं एक बात कहता हूँ ध्यान से सुनिये। आज रात पवित्र हो भूमि पर बिछौना लगाकर राजा का ध्यान कीजिये और कहिये कि महाराज! आपकी जो आज्ञा हो उसी के अनुसार मैं करूँ। यह कामना कर रात को सोइये। जैसा जवाब कामना का मिलेगा वैसा ही कीजिये।” राजा जैतपाल ने मंत्री के कहे अनुसार किया।जब वह सो गया तब स्वप्न में राजा विक्रमादित्य ने कहा- उज्जैन नगरी और धारा नगरी छोड़कर ,तुम अपना राज्य अंबावती में जाकर करो। और इस सिंहासन को यहीं पृथ्वी को सौंप दो। सवेरा होते हीं जैतपाल ने मजदूरों को बुलवाकर इस सिंहासन को पृथ्वी में गड़वा दिया। और स्वयं आज्ञानुसार अंबावती नगरी में जाकर राज करने लगा। धीरे-धीरे उज्जैन और धारा नगरी उजड़ गई। इतना कह पुतली चुप हो गई। राजा भोज ने दीवान को बुलाकर आज्ञा दी कि इस सिंहासन को जहाँ से निकाल कर लाया गया था,वहीं गड़वा दिया जाये। इसके बाद से अपना राज्य मंत्रियों को सौप कर स्वयं तपस्या करने लगा।
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लाइव टीवी हमारे बारे में संपर्क करें संपादक मंडल City आईआईएमटी न्यूज डेस्क, ग्रेटर नोएडा डॉ वेद व्यथित संपर्क [email protected] 09868842688 कोरोना महामारी क्या आई सब कुछ लॉकडाउन हो गया। पर सरकार ने इस लॉक डाउन को धीरे-धीरे अनलॉक करना शुरू किया और अनलॉक दो तीन चार पांच बेशक कर दिया पर हमारे कालेज को नहीं खोला वह अब भी बंद ही है। यह स्टूडेंट्स के साथ कितना बड़ा अत्याचार है। इसे सरकार समझ ही नहीं रही है। मास्टर-मास्टरनियों को तो सरकार जब मर्जी बुला लेती है और वे तो अपने साथियों से आराम से मिल ही लेते हैं जिस के कारण उन में उठ रही हिलोरें तो आराम से शांत हो जाती हैं, पर बेचारे स्टूडेंट्स आखिर क्या करें। आखिर स्टूडेंट्स की भी तो अपनी दिल और मन की कुछ बातें होती हैं जो एक दूसरे को बतानी जरूरी होता है सरकार पता नहीं इन स्टूडेंट्स की परेशानी क्यों नहीं समझ रही है। आखिर छुट्टी भी तो एक दो दिन की ही हो तो मजेदार होती है तो खूब आराम से बीत जाती है खूब देर से सो कर उठो मन मर्जी का नाश्ता बनवाओ और फिर दिन भर खा-पीकर आराम करो क्योंकि पहले तो छुट्टी आती ही सातवें दिन थी, परन्तु अब इतनी लम्बी छुट्टियों से तो घरवाले ही नहीं स्टूडेंट्स भी परेशान हो गए हैं और इन छुट्टियों ने तो कोरोना से भी ज्यादा परेशान कर दिया है। और तो छुट्टियों का पूरा फायदा उठा रहे हैं और इन छुट्टियों में तो ऐसे- ऐसे काम भी करवा रहे हैं जिन का सपनों में भी नहीं सोचा था। और ऊपर से ताना भी मारते हैं कि कौन सी तेरी पढ़ाई हो रही है। बीस किताब लिए बैठा रहता है। वैसे फोन पर लगा रहता है। पढ़ाई कौन सी भागी जा रही है थोड़ी देर में कर लेना पहले जरूरी काम कर देगा तो क्या हो जायेगा। तुझे कौन सा अभी कालेज जाना है। इस लिए अब उन से कोई बहाना भी नहीं बना सकते हैं और न ही किसी काम के लिए मना ही कर सकते हैं। पर चलो पढ़ाई-लिखाई की तो कोई बात नहीं आजकल तकनीक ने सब कुछ आसान कर दिया है इस लिए कालेज वाले भी ऑन-लाइन पढ़ाई करवाने लगे हैं। पर पढ़ाई का मतलब केवल अक्षर ज्ञान ही थोड़ी होता है नॉट नॉलेज विदआउट कॉलेज आखिर यह कहावत ऐसी ही थोड़ी बनी है। क्योंकि व्यवहारिक ज्ञान कोई पुस्तकों से थोड़ी सीखा जा सकता है और न ही इस का कोई पीरियड ही होता है और न ही कोई किताब है आखिर पढ़ाई के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान तो कालेज जा कर ही सीखा जा सकता है, और इस के लिए असली नॉलेज तो कालेज जा कर ही सीखी जा सकती है। और कालेज में वैसे भी पढ़ने कौन जाता है। वहां तो बहुत सा टाइम तो एक दूसरे के कानों में खुसर- पुसर करते अधिक खर्च होता है, और क्लास में भी कौन सा सारा टाइम लेक्चर ही सुना जाता है अपितू लड़के-लड़कियां एक दूसरे को नजर बचा-बचा कर देखते रहते हैं। जैसे ही अध्यापक जी बोर्ड पर लिखना शुरू करते हैं वैसे ही आँखे भी चार होने लगती हैं। इतना ही नहीं कॉलेज से घर आते-जाते भीड़ भरी बसों में दरवाजे की बीच में खड़े हो कर या लटक कर चलना भी कोई आसान काम नहीं है अपितु ओलम्पिक में गोल्ड मेडल जीतने से कम नहीं है और यदि इस का ओलम्पिक में मुकाबला होने लगे तो सारे मेडल हमारे होनहार स्टूडेंट ही ले कर आ जाएँ। और इतना ही नहीं यदि भीड़ भरी बस में आगे कोई लड़की या लड़का खड़ा हो और ड्राइवर उस समय अचानक ब्रेक लगा दे तक आगे वाली लड़की से टकराएं बिना रह जाना कोई आसान काम नहीं है। इस के लिए कर्मयोग की शिक्षा सीखनी पड़ती है और यह कर्मयोग की शिक्षा भीड़ भरी बसों में ही आ सकती है पर बसों में जाये कैसे जब सरकार ने कालेज ही बंद किए हुए हैं। इतना ही नहीं कालेज के पार्क में खाली पीरियड में जब सहेलिए आपस में धीरे-धीरे होठों ही होठों में बाते करती हैं और बातें भी इतनी धीरे कि यदि वहां से हवा भी गुजर जाए तो न सुने वह व्यवहारिक ज्ञान कालेज जा कर ही मिल सकता है। बेशक फोन पर कितना भी बात कर लो पर जब तक पास में बैठ न बतिया ले तब तक कहाँ तसल्ली मिल सकती है क्योंकि कुछ बातें तो मुंह से और कुछ आँखों में ही की जा सकतीं हैं जो सीधे दिल में उतरती है और यह केवल पास-पास बैठ कर ही हो सकती हैं। इस लिए बिना कालेज जाए यह कैसे हो सकती हैं। अब घर में वह बेचारी क्या बोले। पर उन से कोई यह नहीं पूछता कि क्या वह श्री मान जी अपना मास्क भी नहीं रख सकते हैं। मास्क न लगाने पर कोरोना भला तूझे होगा या किसी और को होगा और यदि हो गया तो बहुत लोग खुश भी होंगे कि अच्छा हुआ अब तो साथी की प्रमोशन पक्की और तुम्हारा प्रमोशन तो रुकवा ही देंगे और वे लोग हो सकता है तुम्हे नौकरी से भी निकलवाने के लिए जोर लगाने लगे और वैसे भी कोरोना में कोई मिलने भी नहीं आने वाला और न ही कोई बताने वाला की दफ्तर में क्या चल रहा है। और सेहत भी तो अलग से खराब होगी। इस लिए भाई अपने मास्क का कभी अपने आप भी तो ख्याल रख लिया करो। हमेशा उस बेचारी के ही जिम्मे क्यों रहते हो। आखिर वह क्या-क्या करे वह आप के साथ मास्क का भी ख्याल रखे और अपनी ड्रेस के अनुसार मास्क भी ढूंढें जो पता है कितना कठिन काम है क्योंकि औरत को हर चीज अपनी साड़ी से मैचिंग वाली ही चाहिए वह तो बस पति के मामले में ही समझौता कर लेती हैं नहीं तो हर चीज मैचिंग न हो तो बस पूछो मत इन के लिए कितनी बड़ी मुसीबत हो जाती है और जिस दिन मास्क मैचिंग न हो उस दिन तो कोई न कोई सहेली भी जरूर मिल ही जाती है और फिर तो वह भला ऐसा अवसर कब छोड़ती है और मास्क पुराण का पूरा पाठ किए बिना भला कहाँ मानती है और फिर साथ में सेल्फी लेने के लिए भी तो अड़ जाती है ताकि और सहेलियों को दिखा सके कि आप के पास मास्क भी मैचिंग का नहीं है। बेचारी के लिए कितनी सिरदर्दी है और तुम अपना मास्क भी नहीं संभाल सकते हो। यह तो स्त्री पर घोर अत्याचार की श्रेणी में ही आता है। अब एक सिरदर्द हो तो बेचारी जैसे-तैसे सहन भी कर ले और मैनेज भी कर ले पर यहां तो जब से कोरोना की बीमारी आई है उसी दिन से समस्याओं की लिस्ट में रोज-रोज नई-नई समस्या जुड़ी जा रही है क्योंकि यहां किसी चीज पर कोई पाबंदी नहीं है जिस का जो मन करे वह वही करने और बताने लगता है पर उसे कोई न तो रोकता है और न ही टोकता है और सरकार को तो इस से कोई मतलब ही नहीं और वैसे भी भरत में तो प्रजातंत्र और आजादी के नाम पर कुछ ज्यादा ही छूट मिली हुई है इसी लिए लोग यू ट्यूब ,फेसबुक ,व्हाट्सअप और टीवी चैनलों पर जो मर्जी लिखते और बताते रहते हैं। हर दिन कोई न कोई नई-नई खोज गली मोहल्ले में होती ही रहती हैं। इन खोजों में समय के अनुसार नुख्से और विशेष प्रकार की सलाह सम्मलित होती हैं। क्योंकि इन दिनों कोरोना तो पूरे विश्व में ही फ़ैल रहा है तो स्वाभाविक है आजकल कोरोना पर ही नुख्से और सलाह दिखाई दे रही हैं। और लोग उसे पढ़ कर ब्रह्म वाक्य मान कर घर में आदेश देते हैं। और ये सब जिम्मे पड़ता है श्री मती जी के कि अब यही काढ़ा रोज बनाया करो जो पहले बना रही थी। मैंने पढ़ा कि यह खतरनाक भी हो सकता है। और जो तुम ने कूट-पीट कर बनाया हुआ है उसे फेंक देना और यह नया वाला बना कर रख लेना। अब इनको इस से क्या मतलब की उस बेचारी ने उसे बनाने में कितनी मेहनत की थी बस तुम्हरी तो जुबान हिल गई कि उसे फेंक देना। और उस के जी से पूछना कि इतनी मंहगाई में वह भला उसे कैसे फेकेगी। आजकल क्या कोई भी चीज सस्ती है जो वह उसे आसानी से फेंक देगी। उस की मेहनत का तो आप को कोई अंदाजा ही नहीं है। वह सारा काम करती है और आप उस पर रोज-रोज नए काम लादे जाते हैं। कभी सोचा है कि यदि इसे कुछ हो गया तो बच्चू लेने के देने पड़ जाऐंगे घर में रोटी मिलनी भी मुश्किल हो जाएगी। और तुम तो अपनी चाय भी नहीं बना पाओगे। फिर कैसे काम चलेगा। इस लिए जो काढ़ा बना रखा है वही पी लो जब उसे पी कर अभी तक कुछ नहीं हुआ तो आगे भी कुछ नहीं होगा और नया पी कर ही क्या पहलवान बन जाओगे। यह आयुष काढ़ा डाक्टरों सोच समझ कर बनाया है समझे न। और जो ये व्हाट्सअप और यूट्यूब पर नुख्से आते हैं डाक्टर नहीं बताता है इन्हे जो मर्जी आलतू- फालतू के लोग लिख-लिख कर लगते रहते हैं यानि जिन्हे कोई काम नहीं होता है और अपना चेहरा दिखाना होता है वे ही इस प्रकार के फालतू कामों में लगे रहते हैं और भिखारियों की भाँती लाइक मांगने की रट लगाए रहते हैं जैसे लाइक न हुआ प्रेमिका की किस हो गई। इस लिए कोरोना को सीरियसली लेना और इन नुख्सों के चक्कर में मत पड़ना कहीं लेने के देने न पड़ जाएँ। पर यह काढ़ा बनाने का काम भी उसी के कामों की लिस्ट में जुड़ जायेगा। क्योंकि वह तो घर भर की सेवा के लिए ही तो है। पर यह काढ़ा भी बनाना कोई आसान काम तो है नहीं पानी बेशक कितना भी नाप कर रख लो परन्तु उस के बाद कोई न कोई ऐसा काम आ ही जाएगा किया तो वह काढ़ा उबलते-उबलते दो घूँट भी नहीं बचेगा अब इसे किस किस की नाक पर रखे, घर वाले को दे या बच्चों को पिलाये और सास ससुर तो पहले ही अपना-अपना गिलास ले कर पहले ही तैयार बैठे होते हैं कि कहीं भगवान कोरोना के कारण उन्हें न बुला ले। पर वह बेचारी इसे किस-किस को दे क्योंकि पड़ोसन को भी तो उसी समय आना था दही जमाने की के लिए खट्टा या जामन लेने और बस काढ़ा उबलते-उबलते रह गया दो घूँट। बेचारी का पूरा घंटा खराब कर गई क्योंकि उस का सासू पुराण फिर भी खत्म नहीं हुआ। वह तो गनीमत रही कि बच्चों ने अंदर आपस में मार- कुटाई कर नहीं की, नहीं तो भगोना और जल जाता। चलो काढ़ा तो चूल्हे पर चढ़ा कर इतनी देर में कोई दूसरा काम देख लो। पर कोरोना के कारण उस बेचारी के जिम्मे तो हर काम दूगना तीनगुना हो गया है जहां पहले दो चार जोड़ी कपड़े धुलते थे अब तो सारा दिन कपड़े ही धोते रहो पूरा दिन अब तो कपड़े धोने में ही निकल जाता है हाथ दुखने लगते हैं और ऊपर से डिटर्जेंट पाउडर और साबुन का खर्च भी दुगना हो गया है पर आमदनी बढ़ने के बजाय घट रही है। पहले तो सुबह से शाम तक एक जोड़ी कपडे पहने रह सकते थे पर जब से कोरोना चला है तब से बार बाहर जाओ उतनी ही बार कपड़े बदलो और दूसरे पहनो। पर किया क्या जाये सब कुछ मंहगा होता जा रहा है और आमदनी कम और इसकी सिरदर्दी भी उसी बेचारी के जिम्मे हो गई क्योंकि जो घर के खर्च का पैसा मिलता था उसमें से तो साड़ी खरीदने के लिए दो पैसे बच भी जाते थे पर अब तो खर्चा भी कम मिलता है और पूरा भी नहीं पड़ता है उल्टा जो थोड़ा बहुतजोड़ा हुआ था वह भी खत्म हो रहा है। वह भी बेचारी क्या-क्या करे कोरोना ने अधिक परेशान बेचारी स्त्री को ही किया है पर कोई नारी वादी संघठन इस के लिए आवाज नहीं उठा रहा है। (लेखक हरियाणा ग्रन्थ अकादमी के सदस्य हैं)
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मिस्र में पटरी से उतरी ट्रेन, 11 लोगों की मौत, 98 घायल 2021-04-19T06:25:41.127 काहिराः मिस्र की राजधानी कहिरा में रविवार को एक रेलगाड़ी पटरी से उतर गई, जिससे कम से कम 11 लोगों की मौत हो गई और 98 लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। रेलवे प्राधिकरण ने एक बयान में कहा कि काहिरा से उत्तर में कालुबिया प्रांत के बान्हा शहर में रेलगाड़ी के आठ डिब्बे पटरी से उतर गए। सोशल मीडिया पर हादसे के वीडियो सामने आए हैं, जिसमें रेलगाड़ी के डिब्बे पलटे नजर आ रहे हैं और यात्री बाहर निकलते दिखाई देते हैं। यह रेलगाड़ी नील नदी डेल्टा के शहर मनसउरा से मिस्र की राजधानी काहिरा जा रही थी। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि हादसे में 98 लोग घायल हुए हैं और हादसे की वजह तत्काल पता नहीं चल पाई है। उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते भी शरकिया सूबे में रेलगाड़ी पटरी से उतर गई थी, जिसमें 15 यात्री घायल हुए थे।
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मुम्बई: बिग बॉस 14 (Big Boss 14) में ये हफ्ता फैमिली वीक होने की वजह से इमोशंस से भरा रहा। शो में एजाज खान के लिए उनके भाई इमरान खान आए थे। अब उनके लिए एक और बेहद खास शख्स आने वाला है। ये शख्स और कोई नहीं बल्कि बिग बॉस 14 की एक्स-कंटेस्टेंट पवित्रा पुनिया हैं। शो के अपकमिंग एपिसोड में पवित्रा पुनिया बतौर गेस्ट एजाज खान से मिलने जाएंगी। एपिसोड का एक प्रोमो सामने आया है, जिसमें उनकी मुलाकात और एजाज खान का प्रपोजल दिखाया गया है।इसे पहले जब शनी ल्योनी शो में डॉ शनी बन कर आई थी तो एजाज खान कि बीमारी पवित्रा से ल्वेरीया की बताई थी। आने वाले एपिसो़ड में उनके प्रपोजल का प्रोमो रिलीज हुआ है।
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Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप ऑक्सीजन बेड ढूंढने में आधा घंटे से ज्यादा देर हो गई और मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल की चौखट पर खड़ी एंबुलेंस में इलाज का इंतजार कर रहे शिक्षक ने दम तोड़ दिया। शिक्षक की मौत के लिए भाई ने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की लापरवाही बताया है। शिक्षक धर्मेंद्र खरे को जिला अस्पताल शिवपुरी से मेडिकल काॅलेज हॉस्पिटल रेफर किया था। वहीं नगर पालिका शिवपुरी के इंजीनियर के बेटे और ग्वालियर में निजी स्कूल संचालक की मौत हो गई है। खनियांधाना निवासी शिक्षक धर्मेंद्र खरे (40) पुत्र डीपी खरे की गंभीर हालत के चलते मंगलवार की सुबह 8:30 बजे के बाद मेडिकल कॉलेज रेफर किया था। एंबुलेंस से पहुंचे तो सीधे भर्ती नहीं किया और बेड ढूंढकर बताने की कहकर उलझाए रखा। पर्चा भरवाने की औपचारिकता में भी समय लगा दिया, तब तक 9:30 बज चुके थे। इधर शिक्षक धर्मेंद्र ने इलाज के इंतजार में एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया। मौत से पहले रेफर करने में भी एक से डेढ़ घंटे का समय लगा दिया था। भाई बंटी खरे का कहना है कि गंभीर हालत को देखकर हमने मेडिकल कॉलेज रेफर करने की बात कही। एंबुलेंस तक ले जाने के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं मिला। डॉक्टर कहने लगे कि ऊपर कहीं से सिलेंडर ले आएं, हमारे पास वार्ड ब्वॉय नहीं है। एंबुलेंस के कर्मचारी आकर सिलेंडर ढूंढकर लाया। करीब डेढ़ घंटा बीत चुका था। वहीं मौत के बाद भी लाश एंबुलेंस में पड़ी रही। बुजुर्गों के साथ अब युवा भी दम तोड़ रहे, निजी स्कूल संचालक, नगर पालिका इंजीनियर के बेटे व पूर्व पार्षद की मौत 17 साल की इकलौती बेटी की मौत, मुक्तिधाम पर बिलखता रहा पिता {बुजुर्गों के बाद अब कोरोना से युवा भी दम तोड़ रहे हैं। मंगलवार को 40 साल के शिक्षक धर्मेंद्र खरे के अलावा निजी स्कूल संचालक मुजीव उल्ला खान की ग्वालियर लिंक हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मौत हो गई। नगर पालिका शिवपुरी के इंजीनियर एसके पांडेय के बेटे श्रेयशकर पांडेय (30) की सोमवार की रात 10 बजे मौत हो गई। इसके अलावा पिछोर में दो वार के पूर्व पार्षद एवं नपाध्यक्ष पद के दावेदार हितेंद्र उर्फ हल्केराम लोधी (40) निवासी नई बस्ती हनुमान बाग की कोरोना संक्रमित होने के बाद मौत हो गई है। 35 साल के बृजेश लोधी निवासी शिवपुरी 32 साल के प्रताप प्रजापति पुत्र दीपक प्रजापति निवासी गुना ने भी शिवपुरी में दम तोड़ दिया। {इलाज के दौरान 17 साल की वर्षा जोशी पत्नी वीरेंद्र जोशी निवासी रामनगर करैरा की मौत हो गई। मुक्तिधाम शिवपुरी पर अंत्येष्टि के लिए पिता पहुंचा। अंत्येष्टि से पहले पता चला कि वीरेंद्र जोशी की यह इकलौती संतान थी। पिता मुक्तिधाम पर बिलखता रहा। कर्मचारियों ने अंत्येष्टि की व्यवस्था कराई। पॉजिटिव- आज दिन भर व्यस्तता बनी रहेगी। पिछले कुछ समय से आप जिस कार्य को लेकर प्रयासरत थे, उससे संबंधित लाभ प्राप्त होगा। फाइनेंस से संबंधित लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय के सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। न...
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Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप कोरोना को लेकर चिंताएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। लोग असंमजस में है कि क्या सही है और क्या गलत। क्या करना चाहिए और क्या नहीं। यहां तक कि लोग टेस्ट करवाने या नहीं करवाने को लेकर भी भयभीत हैं। कई मामले ऐसे सामने आ रहे हैं। जिनमें व्यक्ति को कोरोना के सभी लक्षण हैं, लेकिन इसके बावजूद वे इसलिए जांच नहीं करवा रहे कि रिपोर्ट पॉजिटिव आएगी तो तनाव होगा और पता नहीं क्या होगा। ऐसे कई लोग हैं जो बीमार होने के बावजूद घर पर ही अपना इलाज बिना किसी डॉक्टर की सलाह के कर रहे हैं। लगातार इस तरह के मामले सामने आने पर भास्कर ने कुछ एक्सपर्ट्स से बात की और जाना कि आमजन कैसे इस स्थिति से बाहर निकलें। इन लक्षणों के आधार पर तय करें कितना गंभीर हैं कोरोना ऑक्सीमीटर जरूर रखें : परिवार में कोरोना मरीज या संदिग्ध मरीज हैं तो ऑक्सीमीटर आपके लिए सबसे अहम है। दिन में कई बार ऑक्सीमीटर के जरिए शरीर में एसपीओ-2 यानी ऑक्सीजन का लेवल की जांच करते रहे। ऑक्सीजन लेवल 95 से नीचे जाए तो ये खतरे का संकेत है। एक मिनट तक सांस की गति की निगरानी करें : इसमें एक मिनट तक मरीज कितनी बार सांस लेता है वह छोड़ता है, इसकी गिनती करें। सामान्य व्यक्ति के लिए ये सीमा 18 बार है, लेकिन 24 या उससे अधिक हो, तो डॉक्टर से सलाह लें। श्वसन गति 30 से ज्यादा होने पर गंभीर है। भास्कर एक्सपर्ट : डॉ. कैलाश राहड़, फिजिशियन, बीडीके अस्पताल माइल्ड सिम्टोमेटिक कोरोना लक्षण : हल्की खांसी के साथ सामान्य जुकाम होगा। हल्का बुखार व बदन दर्द इसके सामान्य लक्षण हैं। मोडरेट सिम्टोमेटिक कोरोना लक्षण : तेज खांसी के साथ तेज जुकाम होगा। तेज बुखार व बदन दर्द इसके लक्षण हैं। वहीं सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। सिवीयर सिम्टोमेटिक कोरोना - लक्षण : तेज खांसी, तेज जुकाम होगा। तेज बुखार व बदन दर्द इसके लक्षण हैं। वहीं सांस लेने में दिक्कत और बेहोशी प्रमुख लक्षण है। क्या करें : बिना समय गंवाए सीधे अस्पताल में भर्ती करें। पॉजिटिव- आज दिन भर व्यस्तता बनी रहेगी। पिछले कुछ समय से आप जिस कार्य को लेकर प्रयासरत थे, उससे संबंधित लाभ प्राप्त होगा। फाइनेंस से संबंधित लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय के सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। न...
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लैंडस्केप्स रचनात्मक, उद्यमी लोग हैं, जो सभी चीजों के लिए एक जुनून है, जो हरा है। वे अपना समय बाहर काम करने में बिताते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए समर्पित हैं कि सभी परिदृश्य सुरक्षित और आकर्षक FXTM के ट्रेडिंग खाते हैं। आप लेक्सिंगटन के आसपास के सभी स्थानों में इस तरह की सेवा को किराए पर ले सकते हैं, चाहे आप एक घर के मालिक हों और बगीचे में मदद चाहते हों या इसके आसपास बड़े परिदृश्य के साथ एक व्यवसाय हो। बैंकों द्वारा उनके स्थानीय फ़ेडेरल रिज़र्व बैंक के पास जमा नकद शेष। सबसे पहले, आपके पास एक दिलचस्प व्यवसाय विचार होना चाहिए: एक व्यवसाय विकल्प जो पहले से ही आपके शहर में नहीं है। दूसरे, आपको एक पूर्ण व्यवसाय योजना तैयार करने की आवश्यकता है, जिसमें आपको क्षेत्र और अपने शहर के बारे में सभी जानकारी पर विचार करने की आवश्यकता है। सीजीडी परियोजना के तहत देहरादून में 3088 वर्ग किमी क्षेत्र को कवर किया जाएगा। जिसके तहत चकराता, दून, डोईवाला, कालसी, ऋषिकेश, त्यूणी और विकासनगर कुल सात चार्ज क्षेत्र शामिल रहेंगे। भविष्य में गेल प्रदेश में 50 सीएनजी स्टेशन स्थापित करेगा। जबकि, तीन लाख घरों को पीएनजी लाइन से जोड़ा जाएगा। FXTM के ट्रेडिंग खाते - द्विआधारी विकल्पों के लिए निवेश कॉम का उपयोग कैसे करें सबसे पहले, जब एक एक्सचेंजर FXTM के ट्रेडिंग खाते चुनते हैं, तो कई महत्वपूर्ण मानदंडों को ध्यान में रखना समझ में आता है। दूरदराज के काम - यह लगभग फ्रीलांस के समान है, केवल यहां आप एक स्थायी नियोक्ता के साथ काम करते हैं, कार्यालय या उत्पादन के लिए नहीं जाते हैं, और सभी काम इंटरनेट के माध्यम से होते हैं। बिटकॉइन ग्राफ़ की कीमत अच्छी तरह से महिला पैदल चलनेवाली पूर्वी घरों तकनीक व्यापारी बिताए। क्या विदेशी मुद्रा में विभिन्न ब्रांडों के FXTM के ट्रेडिंग खाते तेल के लिए अलग-अलग प्रतीक हैं? 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Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप नई दिल्ली3 घंटे पहले - कॉपी लिंक प्रणब मुखर्जी यह किताब अगले साल जनवरी में आएगी। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की किताब द प्रेसिडेंशियल इयर्स जनवरी में बाजार में आएगी। यह किताब पश्चिम बंगाल के एक गांव से देश के राष्ट्रपति भवन तक के उनके सफर के बारे में बताएगी। हालांकि, किताब में कांग्रेस की स्थिति पर की गई टिप्पणियों से विवाद खड़े होने का अंदेशा है। रूपा पब्लिकेशन से प्रकाशित हो रही यह किताब पूर्व राष्ट्रपति की यादों की चौथी किश्त है। इनमें उन्होंने राष्ट्रपति रहते हुए सामने आने वाली चुनौतियों और मुश्किल फैसलों के बारे में साफ किया है। पब्लिकेशन हाउस के मैनेजिंग डायरेक्टर कपीश जी. मेहरा ने कहा कि अगर प्रणब मुखर्जी इस समय होते तो पाठकों के बीच अपनी ऑटोबायोग्राफी पढ़ने के जोश को देखकर रोमांचित हो जाते। मोदी और मनमोहन का भी जिक्र इस संस्मरण में प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान दो सियासी विरोधी प्रधानमंत्रियों मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी के साथ रिश्तों को साझा किया है। उन्होंने लिखा है कि उन्होंने दो बिल्कुल अलग प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया। उन्होंने कहा कि डॉ. सिंह गठबंधन को सहेजने के बारे में सोचते थे। इसका असर सरकार पर भी दिखता था। अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने यही किया। वहीं, मोदी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान शासन की निरंकुश शैली अपनाई। इससे सरकार, विधायिका और न्यायपालिका के बीच रिश्तों में कड़वाहट आ गई। उन्होंने लिखा कि सरकार के दूसरे कार्यकाल में ऐसे मामलों पर समझ बेहतर हुई या नहीं, यह तो समय बताएगा। कांग्रेस पर सख्त टिप्पणियां अपनी किताब में पूर्व राष्ट्रपति ने कांग्रेस के बारे में भी सख्त टिप्पणियां की हैं। इस पार्टी के वे पांच दशक से ज्यादा वक्त तक सीनियर लीडर रहे थे। वह पार्टी के उन नेताओं की बातों का खुलकर खंडन करते हैं, जो यह मानते थे कि 2004 में प्रणब मुखर्जी प्रधानमंत्री बने होते हो पार्टी 2014 के लोकसभा चुनाव में बुरी हार से बच जाती। प्रणब मुखर्जी कहते हैं कि मुझे लगता है कि मेरे राष्ट्रपति बनने के बाद पार्टी की लीडरशिप ने पॉलिटिकल फोकस खो दिया। जब सोनिया गांधी पार्टी के मामले नहीं संभाल पा रही थीं, तब सदन में मनमोहन सिंह की लंबे समय तक गैरमौजूदगी ने अन्य सांसदों के साथ व्यक्तिगत संपर्क खत्म कर दिए। ओबामा से जुड़ा किस्सा बताया प्रणब मुखर्जी ने इस किताब के जरिए राष्ट्रपति भवन के अंदरूनी कामकाज के तरीके भी उजागर किए। उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा से जुड़ा एक किस्सा साझा किया। 2015 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा भारत आए थे। यूएस सीक्रेट सर्विस इस बात पर अड़ गई थी कि ओबामा एक खास बख्तरबंद कार में सफर करेंगे, जिसे अमेरिका से लाया गया था। बजाय उस कार के, जिसे भारत के राष्ट्रपति इस्तेमाल करते हैं। प्रणब मुखर्जी ने लिखा है कि सीक्रेट सर्विस के अधिकारी चाहते थे कि मैं भी ओबामा के साथ उसी बख्तरबंद कार में यात्रा करूं। मैंने विनम्रता और मजबूती के साथ ऐसा करने से इनकार कर दिया। साथ ही होम मिनिस्ट्री से कहा कि वे अमेरिकी अधिकारियों बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति भारत में भारतीय राष्ट्रपति के साथ यात्रा करेंगे, तो उन्हें हमारी सुरक्षा व्यवस्था पर भरोसा करना होगा। इसके अलावा कोई और रास्ता नहीं है। किताब की तीन किश्तें आ चुकी हैं
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उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है। प्रशासन चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहा है, वहीं संभावित उम्मीदवारों ने भी अपनी पूरी ताकत झोंकनी शुरू कर दी है। हर उम्मीदवार अपने मतदाताओं को लुभाने के लिए अपने पोस्टर में अपने पसंदीदा नेताओं की तस्वीरों का इस्तेमाल करता रहा है। लेकिन रामपुर की तहसील सदर के ग्राम डोकपुरी टांडा से ग्राम प्रधान प्रत्याशी डॉ. मुईदुर्रहमान का एक अनोखा पोस्टर सामने आया है। उन्होंने अपने पोस्टर में सभी दलों के नेताओं की तस्वीरों का इस्तेमाल किया है। पूरे गाँव में पोस्टर लगे हुए हैं, जिसमें मुरीदुर्रहमान को ग्राम प्रधान बनाने की अपील की जा रही है। “सबका साथ, सबका विकास” के नारे के साथ लगे पोस्टर में कांग्रेस पार्टी की प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया था। इसके साथ ही इसी पोस्टर पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ-साथ AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी को भी जगह दी गई है। उनका यह पोस्टर क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है। जब डॉ. मुइदर्रहमान से इस अनोखे कदम पर बात की, तो उन्होंने कहा कि मैं डोनकपुरी टांडा का प्रधान पद का उम्मीदवार हूं। मैं किसी पार्टी से जुड़ा हुआ नही हूँ, सामाजिक एकता के लिए सभी नेताओं की फोटो एक साथ दी है। मैं चाहता हूं कि गांव के अंदर सबका साथ सबका विकास हो। सभी दलों के नेताओं की तस्वीर लगाने के सवाल पर, मुइदरहमान ने कहा कि समाज सभी दलों से बना है। मैंने समाज के अनुसार यह दिया है। न तो कोई मेरी पार्टी का है, न ही मैं किसी पार्टी का नेता हूं। मैं यह काम समाज की भलाई के लिए कर रहा हूं और समाज की भलाई और गांव के हित के लिए यह काम करता रहूंगा।
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- बिना मास्क घूम रहे 197 व्यक्तियों का किया चालान - बिना मास्क के बाजारों में उमड़ी भारी भीड़, धरे रह गए सभी नियम व कायदे जनवाणी ब्यूरो | बिजनौर: शनिवार और रविवार के लॉकडाउन के बाद बाजार खुले तो भीड़ उमड़ पड़ी। सड़कोें पर आवागमन ओर वाहनों की भीड़ के चलते जाम के हालात बने रहे। बैंकों में भी नकदी निकासी के लिए लोग जुटे रहे। सोशल डिस्टेंसिग का खुलकर धज्जियां उड़ाई गई। इस दौरान पुलिस ने भी बिना मास्क घूम रहे 197 व्यक्तियों का चालान कर एक लाख 61 हजार रूपये वसूले। सोमवार को पांच बजे से लॉकडाउन हटाया गया। लॉकडाउन हटते ही सड़को पर लोगों की आवागमन शुरू हो गया। दुकानें खुलते ही लोग उमड़ पड़े। नगर के घंटाघर पर, डाकखाना चौराहा, नगरपालिका चौक व शक्ति चौक समेत कई स्थानों पर जाम के हालात रहे। वाहनों की भीड़ के कारण सड़कों पर चलना दूभर रहा। बाजारों में काफी लोग बिना मास्क लगा हुए घूमते नजर आए। किसी को भी कोरोना का खोफ नजर नही आया। दो दिन बाद बैंक खुले तो उनमें भी भीड़ उमड़ पड़ी। पीएनबी, सर्व यूपी ग्रामीण बैंक, केनरा बैंक समेत अन्य बैक शाखाओं में नकदी निकासी के लिए लोग बाहर लाइन मं लगे थे। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नही किया गया। कोविड 19 की गाइडलाइन की खुलकर धज्जियां उडाई गई। इस दौरान पुलिस ने भी बिना मास्क घूमने वालो के विरूद्ध चलाये जा रहे अभियान में बिना मास्क घूम रहे 197 व्यक्तियो का चालान कर एक लाख 61 हजार 500 रुपए का जुमार्ना वसूला गया।
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अमरोहा। डीवीएनए एक युवती ने गैंगरेप का आरोप लगाया निर्यात फर्म में नौकरी लगवाने का झांसा देकर एक युवक ने बुलाया था। आरोपी और उसका साथी युवती को होटल में ले गए और दोनों ने युवती को बेहोश कर उसके साथ गैंगरेप किया। पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है। मामला मुरादाबाद के एक होटल का है। पीड़ित युवती ने आरोप लगया कि शहर निवासी एहतेशाम सैफी से मोबाइल के जरिये उसकी जान पहचान हुई थी। दोनों के बीच कई बार फोन पर बातचीत भी हुई। आरोपी ने युवती से कहा था कि मुरादाबाद में बहुत निर्यात फर्म हैं। वो मुरादाबाद में उसकी नौकरी लगवा देगा। युवती आरोपी के झांसे में आ गई। युवती का आरोप है कि दोनों ने उसे नशीला पेय पिला दिया। इसके बाद आरोपियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद दोनों आरोपी होटल से मौका पाकर भाग निकले। युवती को होश आया तो उसने होटल में युवकों के बारे में पूछताछ की, लेकिन उनका कुछ पता नहीं चल पाया। इसके बाद युवती कोतवाली पहुंच गई। युवती की तहरीर पर केस दर्ज कर लिया गया है। आरोपियों की तलाश में पुलिस जुटी है। होटल के कर्मचारियों से भी पूछताछ की जा रही है। जल्द ही आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।
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संभल डीवीएनए। समाजवादी पार्टी कार्यालय पर किसानों के मसीहा देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का 118 वां जन्म दिन और किसान दिवस मनाया गया। इस दौरान संभल जिला अध्यक्ष असगर अली अंसारी, किन्नौर से पूर्व विधायक पूर्व मंत्री प्रदीप यादव उर्फ गुड्डू, असमोली से विधायक पिंकी यादव, संभल सांसद प्रतिनिधि जियाउर रहमान वर्क, सोहेल इकबाल, चंदौसी विधानसभा से पूर्व प्रत्याशी सतीश प्रेमी, असमोली विधानसभा के अध्यक्ष ताहिर उल्ला खान, संभल विधानसभा के विधानसभा अध्यक्ष रियाजुल, चंदौसी विधानसभा अध्यक्ष भूरे खान आदि मौजूद रहे।
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Pitra Moksha Amavasya- पितृ मोक्ष अमावस्या श्राद्ध के आखिरी दिन को होती है, इस अमावस्या के साथ ही श्राद्ध पक्ष समाप्त हो जाता है। इस दिन का श्राद्ध करना फलदायक मन जाता है। अमावस्या (Amavasya) पर किये गए श्राद्ध से पूर्वजो की आत्मा प्रसन्न होती है। जिन पूर्वजो की पुण्यतिथि ज्ञात नहीं हो, उनका श्राद्ध पितृ मोक्ष अमावस्या (Pitra Moksha Amavasya) तिथि को मनाया जाता है। जाने पितृ मोक्ष अमावस्या पर क्या करे- What to do on Pitra Moksha Amavasya 👉 पितृ अमावस्या वाले दिन सुबह सुबह पीपल के पेड़ के नीचे घर का बनाया हुआ भोजन और पिने योग्य शुद्ध पानी की मटकी रखकर धुप दीप जलाये। 👉 घर की दक्षिण दिशा की ओर दीवार पर अपने स्वर्गीय परिजनों की फोटो लगाकर उस पर हार चढ़ाएं। पूजा कर उनसे आशीर्वाद मांगने पर पितृदोष से मुक्ति मिलती है। I am a full-time professional Blogger & Entrepreneur. I already have many blogs on diversified topics and also manages more than 10 pages on assorted subject matters. I have more than 5+ years of acetic and delightful experience in Blogging and writing on more than 100+ topics in English and Hindi both. I started my blog as my dream project to help others to get knowledge with my content. I was not pro or perfect however I started imperfectly and achieved my end goals. Always remember the caption “You never lose, either you win it or learn it “ Contact us- [email protected]
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आज के शो में हम लोकतंत्र की बात करने वाले हैं। बता दें स्वीडन की एजेंसी वी डेम ने भारत पर एक रिपोर्ट बनाई है और उसमें भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के दर्जे से हटाये जाने की बात की गयी है और रिपोर्ट में भारत को एक चुनावी एकतंत्र वाला देश भी बताया जा रहा है। साथ ही भारत को पड़ोसी मुल्कों से भी बुरा बताया गया है। इतना ही नहीं मीडिया पर अंकुश भी लगाया है। इस रिपोर्ट पर राहुल गांधी ने वी डेम की रिपोर्ट को शेयर करते हुए ट्वीट किया है कि 'भारत अब लोकतांत्रिक देश नहीं रहा'। इसी के साथ आज का सबसे बड़ा सवाल में हम दिखाने जा रहे हैं राहुल गांधी ने क्यों कहा कि भारत में लोकतंत्र नहीं है? और विदेशी एजेंसी की रिपोर्ट को इतनी अहमियत क्यों दी जा रही है? यह हम जानेंगे जाने माने दिग्गजों की जुबानी
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- Hindi News - Local - Maharashtra - Antilia Explosive Seizure Case News And Update: CCTV Footage Seized By Sachin Waze’s Team From His Society Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें Smart Newsline ऐप यही स्कॉर्पियो कार मुकेश अंबानी के घर से कुछ दूरी पर बरामद हुई थी। मुंबई के पैडर रोड पर उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर से जिलेटिन से भरी स्कॉर्पियो बरामदगी मामले में CIU के पूर्व चीफ सचिन वझे की गिरफ्तारी के बाद हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। 25 फरवरी को सचिन वझे को इस मामले की जांच सौंपी गई थी। यह जानकारी सामने आ रही है कि सचिन वझे की टीम ने ठाणे के साकेत कॉम्प्लेक्स में लगे CCTV कैमरों का DVR अपने कब्जे में ले लिया था। NIA की टीम ने उस DVR को फिर से प्राप्त कर लिया है। लेकिन अब सवाल यह खड़े हो रहे हैं कि आखिर CIU के लोगों ने वझे की सोसाइटी से रिकॉर्डर को क्यों हटाया गया। इस बीच NIA को यह जानकारी मिली है कि स्कॉर्पियो कभी चोरी नहीं हुई थी। सोसाइटी ने DVR देने से पहले मांगा था लिखित प्रमाण सोसाइटी के एक अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर कहा, CIU की टीम के चार लोग सोसाइटी के क्लब हाउस में 27 फरवरी को आये और उनसे DVR जब्त करने की बात कही। इसपर सोसाइटी के मेंबर ने कहा कि वे बिना किसी लिखित आदेश के DVR उन्हें नहीं दे सकते। इसके बाद पुलिसकर्मियों में से एक ने एक लिखित नोट उन्हें सौंपा। जिसपर लिखा हुआ था,’धारा 41 CRPC के अनुसार, हम साकेत सोसाइटी को नोटिस दे रहे हैं कि मुंबई क्राइम ब्रांच, CIU, DCB, CID मुंबई को धारा 286, 465, 473, IPC 120 (B), इंडियन एक्सप्लोसिव एक्ट में दर्ज FIR संख्या 40/21 की जांच के लिए साकेत सोसाइटी के दोनों डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर चाहिए। नोटिस में जांच में सहयोग करने का भी आदेश दिया गया था। सूत्रों के मुताबिक, इस टीम में सहायक पुलिस निरीक्षक रियाजुद्दीन काजी भी शामिल थे। इस मामले में सचिन वझे को NIA ने कई घंटों की पूछताछ के बाद अरेस्ट किया था। रियाजुद्दीन काजी भी संदेह के घेरे में NIA ने वाझे के नेतृत्व में काम करनेवाले दो अधिकारियों CIU के API रियाजुद्दीन काजी और एक PSI के अलावा दो ड्राइवरों से सोमवार को साढ़े 9 घंटे तक पूछताछ की है। यह पूछताछ आज भी जारी रहने वाली है और इस केस में NIA कुछ अन्य लोगों को भी अरेस्ट कर सकती है। स्कॉर्पियो के चोरी नहीं होने के संकेत मिले इस बीच NIA सूत्रों के आधार पर एक बड़ी जानकारी सामने आ रही है। CCTV फुटेज की जांच में यह सामने आया है कि मनसुख की स्कॉर्पियो कभी चोरी नहीं हुई थी। बल्कि, यह स्कॉर्पियो 18 से 24 फरवरी के बीच कई बार सचिन वझे की सोसाइटी में नजर आई थी। हिरेन ने अपने बयान में कहा था कि 17 फरवरी को मुलुंड-ऐरोली रोड से उनकी स्कॉर्पियो गायब हुई थी। फोरेंसिक रिपोर्ट भी यह साबित करती है कि कार में कोई फोर्स एंट्री नहीं हुई थी। इसे चाभी से खोला गया था। इस मामले में अब तक क्या-क्या हुआ
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indoreinfrastructure इंदौर राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस : सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं को उपलब्ध करा रहे हाई प्रोटीन डाइट Madhya Pradesh1 year ago माय सिटी माय प्राइड अभियान के साथ स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर काम किया जा रहा है। फोरमः इंदौर की बेहतरी के 11 सामाधान Madhya Pradesh2 years ago इनमें से 11 प्रमुख समस्याएं चिन्हित कर उनके सामधान पर चर्चा की गई। शहर की बेहतरी के लिए समाज, कंपनियों की सीएसआर गतिविधियों के साथ ही शासकीय एजेंसियों के माध्यम से इनके समाधान करने का निश्चय किया गया। समाधान की ओर बढ़ी दून की प्रगति की पहल Uttarakhand2 years ago मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सरकार की ओर से खाका खींचा और चुनौतियों को भी रेखांकित किया। माय सिटी माय प्राइड: 1.5 लाख महिलाओं को सिखाया इंटरनेट का इस्तेमाल करना Madhya Pradesh2 years ago इस प्रशिक्षण का लक्ष्य इंटरनेट पर उपलब्ध उपयोगी ज्ञान के साथ महिलाओं का सशक्तिकरण करना रहा, जो उन्हें अपने दैनिक जीवन में इंटरनेट को अपनाने और उसका उपयोग करने लायक बनाने में सफल रहा। स्वच्छता के प्रति अलख जगाने का मिशन, स्कूली बच्चों को किया जागरूक Madhya Pradesh2 years ago प्रदेश की जनसंख्या का सबसे बड़ा हिस्सा ग्रामीण अंचलों में निवास करता है। इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की वित्तीय साक्षरता न के बराबर है। इंदौर : कर्मचारियों की पत्नी को देते हैं रोजगार, वायु इंडिया का है अनूठा फॉर्मूला Madhya Pradesh2 years ago वायु इंडिया जिन कामों को आउटसोर्स करती है उनमें से कई काम कंपनी के उन कर्मचारियों की पत्नियों को दिए जाते हैं, जिनकी तन्ख्वाह 10,000 रुपए महीने से कम है। ईज ऑफ लिविंग इंडेक्सः पुणे की तरह इंदौर भी बन सकता है रहने के लिए बेहतर शहर Madhya Pradesh2 years ago पुणे और इंदौर में ज्यादा फर्क नहीं है, इंदौर का भी तेजी से विकास हो रहा है। पुणे पहले से विकसित शहर है। वहां आईटी कंपनियां बहुत अधिक हैं। इंदौर राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस: नए की तुलना में पुराने शहर को दोबारा विकसित करना चुनौतीपूर्ण Madhya Pradesh2 years ago आईडीए के पूर्व चीफ टाउन प्लानर विजय मराठे ने कहा कि आईडीए, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम आदि जैसी कई संस्थाएं शहर का विकास करती हैं। देखने में आता है कि इनके बीच में सामंजस्य की कमी है। इंदौर के सामने नहीं टिकते भोपाल और ग्वालियर, ये है खासियत Madhya Pradesh2 years ago इंदौर से रोजाना 80 से ज्यादा उड़ानें उपलब्ध हैं जो प्रदेश में सबसे ज्यादा हैं। इंदौर: बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर ने दी शहर को नई पहचान Madhya Pradesh2 years ago 2019 में इसका काम शुरू होने की संभावना है। इससे इंदौर की कनेक्टिविटी बैतूल होते हुए नागपुर और आगे कोलकाता तक अच्छी हो जाएगी। इंदौर में प्रोजेक्ट तो बहुत मंजूर हो गए लेकिन अब समन्वय जरूरी Madhya Pradesh2 years ago इंदौर का ज्यादातर पुराना इलाका व्यावसायिक हो चुका है, जहां सुबह से रात तक व्यापारिक गतिविधियां होती रहती हैं। पर्दे के पीछे रहकर रेल सुविधाओं की दिन-रात चिंता करता है यह शख्स Madhya Pradesh2 years ago अब इंदौर हावड़ा, तिरुअनंतपुरम, देहरादून, नागपुर, उदयपुर, जोधपुर, छिंदवाड़ा, पटना, कोटा, चंडीगढ़, वैष्णोदेवी, पुणे, बरेली, कोचूंवेली गुवाहाटी से जुड़ चुका है। ऐसे बना इंदौर स्वच्छता में नंबर 1 शहर, इसके पीछे हैं 'मशीन सिंह' Madhya Pradesh2 years ago दो मर्तबा स्वच्छता का खिताब दिलाने वाले तत्कालीन निगमायुक्त सिंह अब उज्जैन कलेक्टर बन चुके है। इंदौर एयरपोर्ट डायरेक्टर अर्यमा सान्याल बोलीं- नया घर मिला था, इसे सजाना था Madhya Pradesh2 years ago 22 अप्रैल 2017 को इंदौर ज्वॉइन करने वाली इंदौर अर्यमा सान्याल देश की जनरल मैनेजर स्तर की पहली एयरपोर्ट डायरेक्टर हैं। मजबूत इन्फ्रास्ट्रक्चर से ही इंदौर में परवान चढ़ा बिजनेस Madhya Pradesh2 years ago इंदौर का सुपर कॉरिडोर निवेश का नया डेस्टिनेशन साबित हो रहा है। यहां टीसीएस, इन्फोसिस जैसी दिग्गज आईटी कंपनियां, नरसीमुंजी और सिम्बोयोसिस जैसे अग्रणी शिक्षण संस्थानों ने जमीनें ली हैं। इंदौर: एक शहर में बसी कई दुनिया Madhya Pradesh2 years ago देखने में यह एक कोलोनियल काल की एक विशाल कोठी जैसी है लालबाग महल। इसे होल्कर नरेश तुकोजीराव ने बनवाया था इसका विशाल गेट बकिंघम पैलेस के गेट की हूबहू कॉपी है।
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रुद्रपुर के ट्रांज़िट केम्प थाना क्षेत्र में तब हड़कंप मच गया, जब पुलिस टीम एक घर मे खुदाई कर 4 लाशों की तलाश करने लगी। इस घटना की जानकारी के बाद कुमाऊं आईजी अजय रौतेला एसएसपी उधम सिंह नगर दलीप सिंह कुमार समेत जिले भर के तमाम पुलिस अधिकारी और कई थानों की पुलिस फोर्स ट्रांजिट केम्प पहुंची। कई घंटे से लगातार पुलिस की टीम घर में खुदाई कर शवों की तलाश में जुटी है, आरोपी ने पुलिस की सख्त पूछताछ में कबूला है कि उसने अपने सास-ससुर और दो सालियों की हत्या कर शव को घर में ही दफना दिया है। प्रथम दृष्टया पुलिस हत्या की वजह प्रॉपर्टी विवाद मान रही है। #rudrapur #murder #Uttarakhand #crime #Uttarakhandpolice
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ना जाने क्या था ऐसा जो उसके जाने के बाद भी बाकी है। रुक जाती हुँ आज भी जब कही उसका जिक्र सुनती हुँ, लगता है जैसे कल ही कि बात हो जब उसने मुझसे अलविदा कहा था। जाते हुये एक बार पीछे पलट के भी नही देखा उसने। उसे तो पता भी नही होगा मैं उसका इंतजार करती रही,बस ये सोचकर कि शायद ये उसकी कोई नाराजगी रही हो। लेकिन ये तो एक बहाना था उसका मुझसे दूर जाने का। है कई सवालात मेरे जिनके जवाब अब शायद कभी न मिले लेकिन उन्ही सवालो के दम पर आज तक मैंने किसी को दिल मे बसाया नही। जब मिलेगा वो दुबारा तो पूछुंगी उससे, खैर ये अलग बात है कि वो मुझे पहचान ही ना पाए। इस जिंदगी ने मुझे काफी हद तक बदल दिया है, बस न बदला तो उसका नाम जो मेरे दिल में आज भी उसी कदर धड़कता है।
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भाषा में समानताएं - समान भाषा वाले देश एक से अधिक सुविधाजनक हैं जहां भाषा अलग है। डॉक्यूमेंटेशन, प्रोडक्ट लेबलिंग, मार्केटिंग इत्यादि सरल हो जाते हैं, जब आयातक और निर्यातक एक ही भाषा साझा करते हैं। उसी भाषा के साथ संचार सरल हो जाता है। इस प्रकार के धन के उत्पादन को फेडरल ट्रेजरी द्वारा निपटाया गया था। उनके संकेतों से, वे पूरी तरह से बैंक नोटों के साथ मेल द्विआधारी विकल्प पर पैसे बनाने के लिए कैसे खाते हैं। रूबल के साथ ट्रेजरी बिल का यूएसएसआर में व्यापक रूप से उपयोग किया गया था। उन्हें वेतन के रूप में जारी किया जा सकता था। रूसी संघ के गठन के बाद, पहले 3 वर्षों के लिए, नागरिकों को पारंपरिक राज्य मुद्रा के लिए ट्रेजरी बिलों का आदान-प्रदान करने में सहायता की गई थी। दुर्भाग्य से, इस प्रक्रिया से बचने का कोई कानूनी तरीका नहीं है यदि आप अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग करना चाहते हैं, लेकिन एक विश्वसनीय सत्यापन प्रदाता के साथ साझेदारी करके, लुमी सुनिश्चित करता है कि यह आपको अभी भी अपने व्यक्तिगत डेटा से समझौता किए बिना परिचित भुगतान विधियों का उपयोग करने का पूरा आराम देता है। इन-बटुआ। शुरुआती पक्षियों के लिए अच्छी खबर! एक सेलिब्रिटी की पहली पत्नी उनके निर्माता व्लादिमीर एरमकोव थे। यह वह था जिसने नाम बदलने पर जोर दिया और अपने समय के लिए उत्तेजक छवि का सम्मान किया। यह जोड़ा लंबे समय तक अनौपचारिक विवाह में रहा। 1985 में, उनकी आम बेटी लिडिया का जन्म हुआ। कई विदेशी मुद्रा दलालों को इस्लामी व्यापारिक खाता शुरू करने के लिए उच्च जमा की आवश्यकता होती है। ये सुविधाएं स्वैप मुक्त खातों को कुछ के लिए विदेशी मुद्रा लेनदेन का एक अनुपयुक्त प्रकार बनाती हैं। द्विआधारी विकल्प पर पैसे बनाने के लिए कैसे, 7binaryoptions.com पर एक सच्ची युक्ति: पैसे कमाने के लिए पर्याप्त 18. एनबीएफसीज़् को जनता से जमाराशियाँ जुटाने की अनुमति देने में भारतीय रिजर्व बैंक का रुख इतना प्रतिबंधात्मक क्यों है? 2003 में उनके एक और पति विजय की यूपी में पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी. उसके बाद वह अपने दोस्त दीपक के साथ रहने लगी. दीपक गाड़ियां चुराता था. पुलिस ने गुवाहाटी में एक मुठभेड़ में दीपक को मार गिराया था. फिर वह दीपक के भाई हेमंत उर्फ़ सोनू के साथ रहने लगी थीं. हेमंत एक अपराधी था. उसने अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए बहादुरगढ़ में एक शख़्स की हत्या कर दी थी. सोनू के मुताबिक हेमंत भी एक एनकाउंटर में मारा गया था। आंशिक वस्तुओं को सामान, सेवाओं, उत्पादन के कारकों के लिए एक ही बाजार में समतोल कहा जाता है। एक वैकल्पिक विकल्प क्रेफ़िश नस्ल है। लाभ यह है कि इस विनम्रता की मांग आपूर्ति से अधिक है, और जंगली में पकड़ सीमित है। शुद्ध इंश्योरेंस श्रेणी में उपलब्ध टर्म इंश्योरेंस केवल एकमात्र इंश्योरेंस उत्पाद है। एक टर्म प्लान सबसे बुनियादी जीवन इंश्योरेंस प्लान है क्योंकि इसमें केवल मृत्यु का जोखिम होता है। पॉलिसीधारक की मृत्यु पर, इंश्योरेंस कंपनी नामांकित व्यक्ति / लाभार्थियों को इंश्योरेंस राशि का भुगतान करती है। यदि पॉलिसीधारक पॉलिसी अवधि में रहता है, तो वह या उसके नामांकित व्यक्ति को कुछ भी प्राप्त द्विआधारी विकल्प पर पैसे बनाने के लिए कैसे नहीं होता है। टर्म इंश्योरेंस भी सबसे सस्ता प्रकार का इंश्योरेंस उपलब्ध है क्योंकि प्रीमियम केवल अपने जीवन पर जोखिम को कवर करने के लिए जाते हैं। क्लैमाइडिया के उपचार के शुरू होने के 7 दिनों के बाद सेक्स करना जरूरी है। टीएमसी फाइनेंसिंग राष्ट्रव्यापी एक दशक से अधिक के लिए शीर्ष CDCs बीच में स्थान दिया गया है। वर्तमान में, टीएमसी फाइनेंसिंग उत्तरी कैलिफोर्निया और नेवादा में नंबर 1 सीडीसी के रूप में स्थान दिया गया है, और नंबर 2 सीडीसी राष्ट्रीय स्तर पर है। नवम्बर एसबीए 504 की दर पूरी तरह से 20 साल के लिए तय 4.87 प्रतिशत है। ऐतिहासिक मासिक एसबीए 504 दरों के लिए, tmcfinancing.com जाएं। द्विआधारी विकल्प पर पैसे बनाने के लिए कैसे - ट्रेड क्रिप्टोकुरियां और अन्य नए बाजार न केवल आपने प्रारंभिक पूंजी में अपना खाता वापस कर दिया है, बल्कि आपने पूरी $ 15.5 प्रक्रिया भी कर द्विआधारी विकल्प पर पैसे बनाने के लिए कैसे ली है! मैं का उपयोग किया गया है टर्बो अब के बाद से वह बाहर आया, जो मैं 2-3 साल के आसपास हो सकता है लगता है। ShareBuilder पर मापदंड आधारित स्टॉक उपकरण, रणनीति रिपोर्ट और वॉच सूचियों सहित उपयोग करने के लिए कई शोध उपकरण भी हैं। आप उन चार्टों को भी देख सकते हैं जो कुछ शेयरों के ऐतिहासिक मूल्य परिवर्तनों को नोट करते हैं। यदि आप नो-फ़स प्रकार का निवेश प्लेटफ़ॉर्म चाहते हैं जो शुरुआती लोगों के लिए बना हो, तो ShareBuilder आपके लिए सही प्लेटफ़ॉर्म है। मौजूदा शोध में अंतराल दिखाने के अलावा, इन सर्वेक्षणों को संकलित करने के पीछे का विचार यह था कि सभी सूचनाओं को एक स्थान पर रखा जाए ताकि शोधकर्ता, भांग के विधायक, और अन्य इच्छुक पक्ष एक ही बार में सभी तक पहुँच सकें और यह भी देख सकें कि क्या काम करता है। जिन सर्वेक्षणों में केवल हाँ-या-नहीं से अधिक प्रश्न शामिल थे, उन्होंने अधिक जानकारी प्रदान की, और शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि अधिक गहराई से सर्वेक्षण विधियों का उपयोग किया जाएगा। अपनी खाता जानकारी का प्रबंधन करने के लिए, विभिन्न सिक्कों के लिए पर्स और दो-कारक प्रमाणीकरण जोड़ने के लिए बस मेरे खाते पर क्लिक करें। उनका समर्थन बकाया है और वे बहुत तेजी से किसी भी प्रश्न या मुद्दों को संबोधित करेंगे! जेनेसिस माइनिंग एक बहुत ही ग्राहक केंद्रित कंपनी है और आपको खुश करने के लिए सब कुछ करती है। हम उनकी अत्यधिक द्विआधारी विकल्प पर पैसे बनाने के लिए कैसे अनुशंसा करते हैं और हमें यकीन है कि वे क्लाउड माइनिंग व्यवसाय में बड़े और बड़े होते रहेंगे। सॉफ्टवेयर टेस्टिंग में एक कैरियर बनाने का मतलब है कि expert communication, business understanding, scripting knowledge, के अलावा विभिन्न testing types जैसे security, mobile apps, performance, cloud, में भी वर्कर माहिर होना चाहिए। इसके अतिरिक्त, ऐप डाउनलोड किए बिना ब्राउज़र के माध्यम से ExpertOption’ ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का भी उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा, मंच उपलब्ध है और सभी प्रकार के ब्राउज़रों के साथ संगत है। इस प्रकार, कंपनी के प्लेटफ़ॉर्म का एक प्लस भी जो अपने ग्राहकों को परेशानी मुक्त व्यापार िक अनुभव देता है। इसलिए बिटकॉइन ने खुद को इस मौजूदा प्रणाली के विकल्प के रूप में तैनात किया, लेनदेन को प्रबंधित करने के लिए एक क्रिप्टोग्राफिक समाधान का सुझाव देकर। एक जिसने गणित के तर्क के साथ इन मध्यस्थों को 'भरोसा' करने की आवश्यकता को प्रतिस्थापित किया। टाइप निम्न में से एक है: एसटीके – स्टॉक, एफयूटी – वायदा, एफओपी – विकल्प। खोज के तुरंत बाद द्विआधारी विकल्प पर पैसे बनाने के लिए कैसे से ही हर प्लेन में ब्लैक बॉक्स रखने की शुरुआत हो गई. हर प्लेन में सबसे पीछे की ओर ये रखा जाता है ताकि अगर कभी दुर्घटना हो भी तो ब्लैक बॉक्स सुरक्षित रहे. बता दें कि आमतौर पर हवाई हादसे में प्लेन के पीछे का हिस्सा ही सबसे कम प्रभावित रहता है। बारिश का मौसम जहां अपने साथ कई राहतें लेकर साथ आता है वहीं सेहत के लिहाज से इस ऋतु में त्वचा संबंधी शिकायतें भी ज्यादा होती हैं। इस ऋतु में होने वाली कुछ प्रमुख बीमारियां है। मंच द्विआधारी विकल्प दलालों झूठी व्यापार सलाह या बस धोखे के प्रावधान के माध्यम से कंपनी के ग्राहकों को अधिकतम खाता भर्ती और इस खाते के आगे सुरक्षित निर्वहन के लिए प्रोत्साहित करना। इस विधि का उपयोग किया जाता है, उदाहरण के लिए, 24Option द्वारा, एक ज्वलंत उदाहरण देखा जा सकता है इस प्रकाशन में।
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सोशल मीडिया पर लोगों के बीच काफी चर्चित रहने वाले वीरेंद्र सहवाग ने एक बार फिर इस प्लेटफाॅर्म पर सुर्खियां बटोरी है. सहवाग ने शिखर धवन को उनके जन्मदिन पर बधाई देते हुए कहा कि, ‘अपने ससुराल ऑस्ट्रेलिया में खूब रन बनाओ’. उन्होंने शिखर की एक बेहद पुरानी तस्वीर इंस्टा पर शेयर करते हुए लिखा कि, ‘हमेशा खुश रहने वाला इंसान जन्मदिन की शुभकामना.’ शिखर आज अपना 35वां जन्मदिन मना रहे हैं. टीम इंडिया में गब्बर सिंह के रूप में पहचान बनाने वाले शिखर वनडे मैच में अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. सहवाग का ये पोस्ट खूब वायरल हो रहा है. लोगा इस पर खूब मजेदार कमेंट भी कर रहे हैं. सहवाग ने लिखा कि, ‘तुम हमेशा खुश रहो, खूब अच्छा खेलो और खूब खुशियंा मनाओ. इतनी खुशियंा मनाओ और नाचो कि तुम्हारी जांघे खुशी से लाल हो जाएं. शिखर भी इस बर्थडे विश को पढ़कर खुश हो गए होंगे. शिखर की पत्नी आयशा मुखजी आॅस्ट्रेलिया से ताल्लुक रखती हैं. शिखर मैच जीतने के बाद अपनी जांघों पर खूब जोर से मारते हैं. सहवाग इससे पहले भी कई बार दूसरे क्रिकेटरों को खा़स अंदाज में विश करके चर्चा में आए थे. शिखर ने वनडे करियर की शुरूआत भी अपने जन्मदिन के मौके पर ही 2010 में किया था.धवन ने ऑस्ट्रेलिया सीरिज़ के पहले ही मैच में 74 रन बनाए थे लेकिन उनकी ये शानदार बल्लेबाज़ी टीम को जीत नहीं दिला पाई. धवन ने टीम इंडिया के लिए 34 टेस्ट, 139 वनडे और 62 टी-20 मैच खेले हैं
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IPL 2021: राजस्थान के कप्तान संजू सैमसन चेन्नई के हाथों हार पर बोले, हमने अच्छी बल्लेबाजी नहीं की आईपीएल 2021 के 12वें मैच में चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) के हाथों मिली हार के बाद राजस्थान रॉयल्स (Rajasthan Royals) के कप्तान संजू सैमसन (Sanju Samson) ने अपने बल्लेबाजों को इस हार का जिम्मेदार बताया है। चेन्नई ने सोमवार को यहां वानखेड़े स्टेडियम में खेले गए आईपीएल 2021 के 12वें मुकाबले में राजस्थान रॉयल्स को 45 रन से हरा दिया। सैमसन ने मैच के बाद कहा, "इस विकेट पर इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता था। लेकिन हमने अच्छी बल्लेबाजी नहीं की। अंत में ब्रावो के सामने भी हमने खूब रन लुटाए, जिसने मैच में निर्णायक अंतर पैदा किया।" Trending चेन्नई ने टॉस हारकर पहले बल्लेबाजी करते हुए 20 ओवर में नौ विकेट पर 188 रन का स्कोर बनाया और फिर उसने राजस्थान को निर्धारित 20 ओवर में नौ विकेट पर 143 रनों पर रोक दिया। उन्होंने कहा, "मैं अपनी खुद की बल्लेबाजी पर मेहनत कर अच्छा प्रदर्शन करने की कोशिश करूंगा और यही चाह टीम के लिए भी रहेगी। चेतन साकरिया अभी तक हमारे लिए इस सीजन की खोज साबित हुए हैं।" चेन्नई की तीन मैचों की यह दूसरी जीत है और अब उसके चार अंक हो गए हैं और वह तालिका में दूसरे नंबर पर पहुंच गई है। राजस्थान को तीन मैचों में दूसरी हार का सामना करना पड़ा है और वह तालिका में छठे नंबर पर है।
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दिल्ली सरकार ने वादा किया है कि गेस्ट टीचरों के लिए अलग से भर्ती परीक्षा कराई जाएगी और उसके जरिए उनकी नौकरी पक्की कर दी जाएगी। प्रशांत भूषण ने इसके खिलाफ लीगल नोटिस दिया है। उन्होंने कहा है कि इससे टीचर की नौकरी के लिए क्वालीफाइड बाकी कैंडिडेट्स के साथ नाइंसाफी होगी। दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया को भेजे लीगल नोटिस में इस गड़बड़ी को ठीक करने के लिए 7 दिन दिए गए हैं, वरना वो कोर्ट चले जाएंगे। दिल्ली सरकार ने 20 हजार टीचरों की भर्ती का प्रॉसेस शुरू किया है। इसके लिए टेस्ट बहुत जल्द होने वाला है। उधर, दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी के नेता कह रहे हैं कि प्रशांत भूषण का ये कदम अपनी खीझ निकालने वाला है। वो पहले भी सरकार के कामकाज में रुकावट पैदा कर रहे थे और अब भी वही काम कर रहे हैं। अगर मामला कोर्ट में चला गया तो दिल्ली में टीचरों की भर्ती का काम लटक जाएगा। इसका असर केजरीवाल के उस ग्रैंड प्लान पर पड़ेगा, जिसके तहत उन्होंने दिल्ली में एक साल में 236 नए स्कूल खोलने का एलान किया था। कृपया लेख कॉपी-पेस्ट न करें। कई लोग पोस्ट कॉपी करके फेसबुक और व्हाट्सएप पर शेयर कर देते हैं, जिससे वेबसाइट की आमदनी काफी कम हो गई है। राष्ट्रवाद की विचारधारा पर आधारित यह वेबसाइट बंद हो जाएगी तो क्या आपको खुशी होगी? कृपया खबरों का लिंक शेयर करें।
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1. सौदे के लिए एक बुधवार को आओ मिडवेस्ट ड्राई क्लीनिंग और लाँड्री एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक रिक आर्मस्ट्रांग कहते हैं, कई सूखे क्लीनर बुधवार को विशेष ऑफर करते हैं, जो आमतौर पर सबसे धीमा ड्रॉप-ऑफ दिन होता है (सोमवार, मंगलवार और शनिवार व्यस्ततम होते हैं)। कुछ स्टोर पहली बार ग्राहकों के लिए छूट या मुफ्त सफाई के लिए ग्राहक वफादारी कार्ड भी प्रदान करते हैं. 2. इंतजार मत करो क्लीनर को अपने कपड़े लेने से पहले सप्ताहों में जाना आसान है। लुइसविले, केवाई में हाईलैंड क्लीनर के अध्यक्ष ऐनी नैश कहते हैं, लेकिन इसे बंद न करें। “यहां तक कि यदि कोई दाग दिखाई नहीं दे रहा है, तो तेल और अशुद्धियां टूट जाएंगी और पीले कपड़े।” और यदि कीड़े उन्हें प्राप्त करते हैं, तो वे तंतुओं को ढीला कर देते हैं, जिससे छेद होते हैं. 3. प्रेट्रेट करने के लिए उछाल का विरोध करें आर्मस्ट्रांग कहते हैं, “होम दाग रिमूवर रंग को फीका कर सकते हैं, जिसे हम बहाल नहीं कर सकते हैं।” तो अपने जादू को काम करने के लिए अपने आइटम को पेशेवरों के पास सौंप दें। “चाहे वह मक्खन या गर्म सॉस है, बस हमें बताएं कि दाग क्या है।” इसे बाहर निकालने का यह आपका सबसे अच्छा शॉट है. 4. उन होम किट लाइट जॉब्स के लिए ट्रिक करेंगे हालांकि यह उन्हें स्वीकार करने के लिए दर्द हो सकता है, पेशेवर सूखे क्लीनर कहते हैं कि घर-ड्रायर किट सफाई के बीच का समय बढ़ा सकते हैं। यही है, अगर परिधान वास्तव में गंदा नहीं है, तो आर्मस्ट्रांग कहते हैं। “होम किट स्पॉट नहीं मिलेगी, लेकिन अगर आप सिर्फ अपने कपड़ों को ताज़ा करना चाहते हैं, तो वे ठीक काम करते हैं।” 5. पुरुषों की शर्ट एक बार्गेन हैं एरी, पीए में चिडो क्लीनर के मालिक टॉम चिडो कहते हैं, क्लीनर उन्हें कम कीमत ($ 2 एक पॉप का औसत) उम्मीद करते हैं कि आप अपने सूट भी लाएंगे, जिसके लिए वे अधिक शुल्क लेते हैं। रेशम, ऊन और रेखांकित कपड़ों पर अपने बाकी सूखे-सफाई डॉलर को प्राथमिकता दें. 6. हम आपके पुराने हैंगर्स चाहते हैं जब आप तार हैंगर वापस लौटते हैं तो क्लीनर प्यार करते हैं, जिन्हें वे पुन: उपयोग या रीसायकल करते हैं। और नैश का कहना है कि कई क्लीनर हिरण और पीआरसी, एक आम सफाई रसायन और संभावित कैंसरजन से बाहर निकल रहे हैं. 7. अगर आपके पास एक लूट बटन है तो हमें बताएं अन्यथा यह मशीनों में खो सकता है। बटनों को 50 ¢ से $ 1 प्रत्येक के लिए पहले से मजबूत करना बेहतर होता है। कुछ क्लीनर कपड़ों से अलंकृत या oversize ले लेंगे और मुफ्त में सफाई के बाद उन्हें दोबारा जोड़ देंगे, चिडो कहते हैं.
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आज का दिन आपके लिए मिलाजुला रहेगा। यदि साझेदारी में कोई व्यापार किया हुआ है, तो वह आज आपको उत्तम लाभ दे सकता है। दैनिक व्यापार में कई प्रकार के काम हाथ में आने से आज आपकी व्यस्तता बढ़ सकती है, लेकिन परेशान ना हों। धैर्य रखकर काम करें। आपको बिल्कुल सफलता मिलेगी। परिवार में लिए गए निर्णय से आज आपको सुख और शांति का अनुभव होगा। विद्यार्थियों को परीक्षा की तैयारी करने के लिए आत्मविश्वास की आवश्यकता होगी। आज आप अपने रोजमर्रा के घरेलू कामों को निपटाने का सुनहरा अवसर मिलेगा, जिससे आपको भरपूर लाभ लेना होगा। संतान से संबंधित कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं।
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How to make money from Internet Full Guide in Hindi Online Paisa Kaise kamaye Freelancing Se Ghar Baithe Paisa Kaise Kamaye Internet Se Paisa Paisa Kamane ki Poori Jankari Earn Money in Hindi आज हम आधुनिक युग में जी रहे हैं. लेकिन, यह कहना गलत नहीं होगा कि आज का समय आधुनिक से ज्यादा आर्थिक हो चुका है. आज के समय में आपको हर एक पल का कीमत चुकाना होता है. जहाँ इस धरती का तीन हिस्सा पानी से घिरा हुआ है वहीं पानी बिक रहा है, तो शायद इस बात से आप अंदाज़ लगा सकते है की आज हम किस आर्थिक युग में जी रहें हैं. हम चाहे जितना कोशिश कर लें लेकिन खर्च न रुक सकता है, न ही कम हो सकता है. तो ऐसे में यदि आप मेरी माने तो जितना समय आप अपने खर्च को कम करने या खर्च को जोड़ने में लगाते हैं, उतना ही वक़्त यदि सही दिशा में लगाया जाये तो आप उससे ज्यादा पैसे कमा सकते हैं. ” खर्च तभी होता है जब आपके पास पैसा होता है, तो हमेशा कमाने के बारें में सोचे न की खर्च कैसे कम करें “ Contents Make Money from Internet in Hindi दोस्तों आज हम बैठे INTERNET से पैसा कमाने के बारे में बात करेंगे. लेकिन, यहाँ “ घर बैठने का मतलब है, घर से काम करके “ क्योकि बैठे रहने से कुछ भी नहीं होता है. यदि आज के इस आधुनिक युग की हम बात करें तो बिना INTERNET का सब कुछ बेकार है. Train का टिकट हो, Bank का line हो , Admission हो, Fee या Bill जमा करना हो, हर जगह INTERNET, यहाँ तक की Mobile Recharge करना हो तो Internet, अब तो हम Shopping भी online कर रहे है. जब इतना सारा काम सभी खर्चे Internet से कर रहे हैं तो Internet से कमा क्यूँ नहीं सकते. जब से India में Reliance Jio Launch हुआ है तब से तो Internet Uses में क्रांति आ गई है. अब India में America के बराबर Data Use हो रहा है. आने वाले समय में गॉव-गॉव तक Internet की पहुँच होगी और सारे काम Internet की ही मदद से होंगे. ” जितना ज्यादा Internet का uses बढ़ेगा उतना ही ज्यादा Online पैसा कमाने का option भी बढ़ेगा “ हम घर से काम करके Internet के जरिये बहुत आसानी से पैसे कमा सकते हैं. Earn Money in Hindi Internet से पैसे कमाने के कई तरीके हैं. लेकिन शुरुआत में आपको हमेशा Secure Zone के तरफ जाना चाहिए. ” कभी भी निश्चित रास्ते को छोड़कर अनिश्चित रास्ते पर नहीं चलना चाहिए, क्योकि ऐसा करने से निश्चित रास्ते भी हमारे हाथ से चला जाता है ” और हम अपने किस्मत को दोष देते है. INTERNET से पैसा कमाने का मेरा सबसे मनपसंद तरीका है - Blogging – Blogging Se Paisa Kaise kamaye - YouTube – Youtube Channel Se paisa kaise Kamaye - Freelancing – Freelance Se Paisa Kaise Kamaye Internet पर पैसा कमाना इसलिए आसान है, क्यूंकि यहाँ अपने पसंद का ही काम करना पड़ता है और यदि पसंद का काम नहीं करते हो तो सफलता शायद ही मिलता है और यदि मिलता भी है तो बहुत समय लग जाता है. Blogging से पैसा कैसे कमाये Blogging के जरिये पैसा कमाने के लिए आपको सबसे पहले अपने आपको जानना होगा खुद का Interest choose करना होगा. आपका खुद का Interest क्या है. Example के लिए मैं आपको कुछ Topic दे देता हूँ. - Education ( शिक्षा ) - Sports ( खेल-कूद ) - Cricket ( क्रिकेट ) - Game ( खेल ) - Kitchen ( रसोई ) - Travel Blog ( यात्रा ) - Entertainment ( मनोरंजन ) - Product Review ( ) - Tips & Trick ( ) - Untold Story ( अनकही कहानियाँ ) इसके आलावे भी कई Topic है. Interest कैसे पता करें अब आप सोचे कि आपका Interest किस Topic में सबसे ज्यादा है उम्मीद करता हूँ की ऊपर के post में दिए गए Topic में से आपके Interest का Topic मिल गया होगा. यदि आपका Interest कुछ और है तो Comment Box में Comment कर मुझे भी बताए. यदि आप Confuse हो और Right Decision तक नहीं पहुँच पा रहे हो तो - ऊपर के post में दिए गए Topic में से 5 topic Select करें. - अब अपने मोबाइल में 15 Minute का Timer लगाये और और देखे की आप - किस Topic पर पुरे 15 Minute लिख सकते हैं और - सबसे कम समय में किस Topic पर कितना अच्छा लिख सकते हैं. इस तरह से आप अपने Interest के अनुसार Topic Select कर सकते है. यदि यह Trick आपको पसंद आया तो इस Post को अपने Social Media Profile पर share जरूर करें. अब आप अपने Interest के According Topic Select कर चुके है. बिना समय बर्बाद किए अपना Blog बनाए. NOTE : Blogger पर आप Free Blog बना सकते हैं. लेकिन मेरा Strong Recommend है किआपको खुद का Custom Domain और Hosting लेकर काम करना चाहिए. Free Blogging Platform के लिए Blogger.com पर Blog होना चाहिए यदि नहीं है तो यहाँ Click करे और अगले 5 मिनट में आपका Blog तैयार. मैंने इससे पिछले Post में भी कहा है कि “Content is King” in Blogging journey. Blog बनाने के बाद उसपर Daily Post करें. लेकिन उससे पहले आपको जानना होगा Blog पर क्या लिखे और कैसे लिखे हमेशा Relative Content लिखने की कोशिश करे इससे user का engagement बढ़ता है. Blog का Design Simple रखें और Design बार-बार नहीं बदले इससे Visitor Confuse हो जाता है. Blog का Design अपने अनुसार कैसे Change करें आखिरी में हम बात करते है, पैसा कमाने की जो हमारा पहला AIM होता है. Content is King दोस्तों जिस तरह अभी तक मै आपसे कह रहा हूँ ” Content is King ” जी हाँ जब आप अच्छे Content डालेंगे तो आपके Blog पर Visitors भी ज्यादा आयेंगे. जितना ज्यादा Visitors उतना ज्यादा पैसा More Visitors = More Money Blog पर पैसा कमाने का सबसे बढ़िया तरीका है Adsense. लेकिन Adsense का नियम व शर्ते बहुत ही कठोर हैं Adsense Account Approve होने में बहुत ज्यादा समय लग जाता है ( कैसे Adsense Account को आसानी और जल्दी से Approve कराये ? ) Adsense Approve होने के बाद उसके java Script Code को अपने Blog से जोड़ कर पैसा कमाना शुरू करे. Adsense Approve होना थोड़ा मुस्किल काम है, समय भी ज्यादा लगता है और जड़ा सी भी गलती होने पर Account बंद हो जाता है. यदि आपका Adsense Account Approve नहीं होता है, तो कई सारे Alternative है Adsense के जैसे Adnow, mgid, Rencontent, Revenuehits, Infolinks, Chitika. इन सब में Adsense से थोड़ा कम पैसा मिलता है, लेकिन कुछ नहीं से कुछ कम ही सही. NOTE : जब आपके Blog पर बहुत ज्यादा Traffic हो जायेगा, तो आपके पास कई Option होंगे. इसलिए शुरुआत में पैसे के जगह Traffic पर ज्यादा ध्यान दें. YouTube से पैसा कैसे कमाए Youtube एक Video sharing Site है, जिस पर User अपने Video बना कर Upload करते हैं. Then Video को Monetize कर मतलब Video पर Add लगाकर पैसा कमा सकते हैं. YouTube के Video पर Add लगाने के लिए Channel को Adsense से Connect करना पड़ता है. Youtube Channel Se paisa kaise Kamaye You May Also Read People May Also Search For : earn money tips and tricks in Hindi, earn money from hindi blog, make money in hindi, Make Money Online, How To Earn Money Online, tips to earn money from home,
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क्या आप अक्सर मांसपेशियों में ऐंठन और सुन्नता का अनुभव करती हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि हम हमेशा सोफे पर बैठे रहते हैं या अपने कामकाज में व्यस्त रहते हैं। ‘वर्क फ्रॉम होम’ के कारण आप इसे अब उतनी गंभीरता से नहीं ले सकते, लेकिन यह गतिहीन जीवन शैली आपके शरीर को इतना कठोर बना सकती है कि सबसे बुनियादी काम भी आपके लिए दर्दनाक हो सकते हैं। यही कारण है कि आपको अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता पर रखना चाहिए। ऐसा करने में आपकी सहायता के लिए, हमारे पास एक समग्र समाधान है – और वह योग है। आइए आपको एक आसन, जानू शीर्षासन या head-to-knee-forward bend के बारे में बताएं। हमारा विश्वास करें, यह एक प्रभावी मुद्रा है जो आपके शरीर में कठोरता को दूर करगी। मूल रूप से, जानू शीर्षासन तंग हैमस्ट्रिंग को ठीक करने का एक प्रभावी आसन है। तनाव से राहत देने और अपने दिमाग को शांत करने के लिए यह मुद्रा भी सहायक होती है। यदि आप मासिक धर्म की ऐंठन या रजोनिवृत्ति के लक्षणों से पीड़ित हैं, तो यह मुद्रा आपको बहुत राहत प्रदान करेगी। योग गुरु, ग्रैंड मास्टर अक्षर बताते हैं, “शीर्षासन हैमस्ट्रिंग, कूल्हों और कमर की मांसपेशियों को फैलाता है। एथलीट को तंग हैमस्ट्रिंग के लिए इस आसन को करना चाहिए। “ स्टाफ़ पोज़ या डंडासन से शुरू करें। आपके दोनों पैर सामने की ओर निकले हुए होंगे। अब, अपने बाएं घुटने को मोड़ें और अपने बाएं पैर को अपनी दाईं जांघ पर लाएं। अपने दाहिने पैर पर अपने धड़ को मोड़ें। अगले चरण में, अपने धड़ को अपने पैर से नीचे लाएं, अपनी पीठ के निचले हिस्से के बजाय अपने कूल्हों से मोड़ें। अपने दाहिने पैर को एक लचीली स्थिति में रखें। जबकि दाहिनी जांघ के पीछे को फर्श की ओर धकेलें। आपको अपनी रीढ़ की हड्डी और गर्दन को सीधा रखना है, या अपने दिल और सिर को पैर की ओर नीचे ले जाने की कोशिश करें। जिससे रीढ़ गोल हो सके। अपने पैर तक पहुंचने की कोशिश करें या आप अपने टखने को पकड़ सकती हैं। हर बार सांस लेते समय, रीढ़ को लंबा करें। हर बार जब आप सांस छोड़ती हैं, तो आगे की ओर झुकें। ग्रैंड मास्टर अक्षर की सलाह है, “पांच से 10 सांसों तक होल्ड करें और फिर दोनों पैरों को सीधा करें, उन्हें हिलाएं और दूसरी तरफ मुद्रा दोहराएं।” यह मस्तिष्क को शांत करता है और हल्के अवसाद को समाप्त करता है यह रीढ़, यकृत, प्लीहा, हैमस्ट्रिंग, कमर और कंधों को फैलाता है गुर्दे और लीवर को उत्तेजित करता है कमर और पैरों में दर्द कम करता है पेट की चर्बी से छुटकारा पाने में मदद करता है पाचन में सुधार करता है रजोनिवृत्ति के लक्षणों से राहत देता है रिब हड्डियों को प्रभावी ढंग से मजबूत करता है यह आसन रीढ़ को लचीला भी बनाता है आसन अनिद्रा, उच्च रक्तचाप के लिए चिकित्सीय है साइनसाइटिस को ठीक कर सकता है। अगर आपको पीठ या घुटने में चोट है तो इस मुद्रा से बचें। आपको अपनी मांसपेशियों में खिंचाव महसूस करना चाहिए, लेकिन अगर आपको कोई दर्द महसूस हो तो उसे रोक दें। अगर आप डायरिया या अस्थमा से पीड़ित हैं, तो जानू शीर्षासन से बचें। आसन का अभ्यास न करें, यदि आप पीठ के निचले हिस्से की चोट या डिस्क हर्नियेशन से पीड़ित हैं।
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अमेरिका में जॉगिंग के दौरान भारतवंशी महिला की हत्या, हिरासत में लिया गया एक संदिग्ध अमेरिका में भारतीय मूल की शोधकर्ता शर्मिष्ठा सेन की उस वक्त हत्या कर दी गई जब वह जॉगिंग पर निकली थीं। ह्यूस्टन, एजेंसी। अमेरिका में भारतीय मूल की शोधकर्ता शर्मिष्ठा सेन की उस वक्त हत्या कर दी गई, जब वह जॉगिंग पर निकली थीं। पुलिस एक संदिग्ध को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है। शर्मिष्ठा मूल रूप से झारखंड के सिंदरी की रहने वाली थीं। वह अरिंदम राय से शादी के बाद टेक्सास प्रांत के डलास शहर के उपनगर प्लानो में बस गई थीं। इस दंपती के दो बेटे हैं। पुलिस के अनुसार, 43 वर्षीय शर्मिष्ठा गत एक अगस्त को प्लानो के चिशोल्म ट्रेल पार्क के समीप जॉगिंग कर रही थीं। इसी दौरान उन पर अचानक हमला किया गया और उनकी हत्या कर दी गई। एथलीट रहीं शर्मिष्ठा हर सुबह इसी इलाके में दौड़ लगाती थीं। उनके भाई सुमित ने कहा, 'वह जल्द ही किसी से घुलमिल जाती थीं।' मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, लीगेसी ड्राइव इलाके के समीप एक नाले के पास एक राहगीर ने उनके शव को देखा। शर्मिष्ठा पेशे से फार्मासिस्ट और शोधकर्ता थीं। वह कैंसर रोगियों के लिए काम करती थीं। इस मामले में एक संदिग्ध को लूटपाट के आरोप में हिरासत में लिया गया है। उसकी पहचान 29 वषर्षीय बकारी एबियोना मोनक्रीफ के रूप में की गई है। पुलिस ने बताया कि महिला की हत्या के समय घटनास्थल के पास के एक घर में चोरी की वारदात भी हुई थी। पुलिस बकारी से पूछताछ कर रही है। शर्मिष्ठा के पड़ोसियों और परिचित लोगों ने घटनास्थल पर उनको श्रद्धाजंलि दी। दुबई में पत्नी की हत्या के जुर्म में भारतवंशी को उम्र कैद दुबई की अदालत ने भारतीय मूल के शख्स को उम्र कैद की सजा दी है। दरअसल, इस शख्स ने पिछले साल अपनी पत्नी की हत्या कर दी थी। 44 वर्षीय यूगेश सी.एस. ने पिछले साल के सितंबर माह में दिन दहाड़े पत्नी की हत्या उसके ही ऑफिस के पार्किंग एरिया में कर दी थी। पुलिस के अनुसार, ऑफिस के पार्किंग एरिया में विद्या की पति के साथ जोरदार बहस हुई जिसके बाद पति ने तीन बार चाकू से उसपर हमला किया और उसे वहीं छोड़ वहां से निकल गया। दुबई में उम्र कैद का अर्थ 25 साल तक जेल की सजा।
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एनजेआर, मुंबई। सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन का पॉपुलर शो इंडियाज़ बेस्ट डांसर हर हफ्ते अपने जोरदार कॉन्टेंट के साथ मनोरंजन का स्तर कई गुना बढ़ा रहा है। इस शो के टॉप 10 कंटेस्टेंट्स जजों की तिकड़ी गीता कपूर, मलाइका अरोड़ा और टेरेंस लुइस को इम्प्रेस करने के लिए शानदार परफॉर्मेंस दे रहे हैं। इस वीकेंड इंडियाज़ बेस्ट डांसर में गणेश महोत्सव मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर मशहूर कलाकार सचिन पिलगांवकर और सुप्रिया पिलगांवकर खास मेहमान बनकर पहुंचेंगे। इस मल्टी टैलेंटेड पति पत्नी ने सभी एक्ट्स का मजा लिया और अपने करियर और निजी जिंदगी को लेकर कुछ दिलचस्प खुलासे भी किए। सचिन पिलगांवकर के बारे में ऐसा ही एक अंजाना खुलासा किया परितोष त्रिपाठी ने जिन्हें टीआरपी मामा जी के नाम से जाना जाता है। मामा जी ने बताया कि सचिन ने फिल्म शोले में 1975 में न सिर्फ काम किया था बल्कि उन्होंने आंशिक रूप से इस फिल्म का निर्देशन भी किया था। जब शो के लोगों ने इस बारे में जानना चाहा तो सचिन ने बताया कि जब शोले बन रही थी तब मैं 17 साल का था लेकिन इस फिल्म पर काम तब से शुरू हो गया था जब मैं सिर्फ 16 की उम्र में था। शोले की शूटिंग से पहले मैं अपने गुरुओं में से एक ऋषिकेश मुखर्जी से एडिटिंग सीख रहा था जो उस समय के प्रसिद्ध एडिटर थे और हम सभी जानते हैं कि वे आगे चलकर एक मशहूर डायरेक्टर बने तो शोले की शूटिंग के दौरान मैं रमेश सिप्पी सर की कुर्सी के पीछे बैठकर देखता था कि वो कैसे हर शॉट लेते थे और फिर उसे काटकर एडिट करते थे। इस दौरान सिप्पी सर ने मुझे कुछ दिनों तक देखा और फिर मुझसे पूछा कि क्या मैं एडिटिंग करना चाहूंगा। मैंने उन्हें बताया कि मैंने दो साल तक ऋषिकेश सर से इसका प्रशिक्षण लिया है और उनके लिए काम भी किया है। मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि मुझे फिल्म आनंद 1971 के लिए ऋषि दा के साथ काम करने का मौका मिला। इस फिल्म के लिए मैंने नेगेटिव्स काटने का काम किया था। ऋषिकेश सर कहते थे कि निगेटिव्स सचू बाबा काटेगा। वे मुझे सचू बाबा कहकर बुलाते थे। आगे बताते हुए सचिन ने कहा, शोले की बात करें तो रमेश सिप्पी ने मुझसे पूछा था कि क्या मैं उन दो लोगों में से एक बनना चाहूंगा जिन पर वो इस फिल्म के एक एक्शन सीक्वेंस के लिए भरोसा कर सकते हैं क्योंकि वो उस हिस्से की शूटिंग के लिए मौजूद नहीं रह पा रहे थे और इसके लिए उन्हें दो प्रतिनिधियों की जरूरत थी। यह सुनकर मैं बहुत खुश हो गया और मैंने कहा, मैं इतनी बड़ी जिम्मेदारी कैसे संभाल सकता हूं। मैं तो सिर्फ 17 साल का हूं। इस पर उन्होंने कहा, उम्र कोई मायने नहीं रखती और मुझे इसमें कोई तर्क नजर नहीं आता। आप इस इंडस्ट्री में तब से हैं जब आप साढ़े 4 साल के थे और मैं आपको 17 साल का नहीं, बल्कि 27 साल के एक प्रोफेशनल की तरह देखता हूं। इस काम के लिए दूसरे प्रतिनिधि थे अमजद खान जिन्होंने अपने कॉलेज के दिनों में एक्टिंग, डायरेक्टिंग आदि के लिए अनेक अवॉर्ड्स जीते थे। वो बहुत टैलेंटेड थे और मैं उन्हें मंजू भाई कहकर बुलाता था। इस फिल्म में एक दृश्य है जहां संजीव कुमार के साथ धरम जी और अमित जी हाथों में हथकड़ी लगाए ट्रेन में जा रहे हैं। केवल इतना हिस्सा ही रमेश जी ने शूट किया था और बाकी का एक्शन सीक्वेंस अमजद और मैंने पूरा किया था। मुझे याद है एक एक्शन दृश्य में मुझे लगा था कि एक साथ लकड़ी के लट्ठे लुढ़कते दिखेंगे तो यह पर्दे पर बहुत प्रभावशाली लगेगा। रमेश जी को यह सीक्वेंस बहुत अच्छा लगा और उन्होंने मेरी पीठ भी थपथपाई थी। वो वाकई बहुत बड़े दिल के इंसान हैं। सचिन पिलगांवकर ने आगे बताया कि ऋषिकेश मुखर्जी, मीना कुमारी, बलराज साहनी, रमेश सिप्पी और गुरुदत्त जैसे दिग्गज कलाकार युवाओं को बहुत से अवसर देते थे और हमेशा उनका मार्गदर्शन करते थे। सचिन पिलगांवकर से ये किस्से सुनकर सेट पर मौजूद सभी लोगों को ब्लॉकबस्टर फिल्म शोले की याद आ गईए जो हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों में से एक है। तो आप भी इंडियाज़ बेस्ट डांसर में गणेश महोत्सव स्पेशल एपिसोड का मजा लेना ना भूलेंए इस शनिवार और रविवार रात 8 बजे, सिर्फ सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर।
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केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान भारत को अस्थिर करने के प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत द्वारा पाक सीमा पर पहले फायरिंग नहीं की जाएगी, लेकिन पाकिस्तान की ओर से अकारण गोलाबारी होने पर उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। पांपोर घटना जिसमें घात लगाकर किये गये हमले में आठ सीआरपीएफ जवान शहीद हो गये थे उसके लिए उन्होनें पाकिस्तान को ज़िम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पांपोर घटना के बारे में सभी जानकारियां जुटाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि पंपोर में हुई चूक की जांच के लिए दो सदस्यीय केंद्रीय टीम भेजी जा रही है। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी रविवार को पाकिस्तान की तरफ इशारा किया। रक्षा मंत्री ने कहा कि पिछले कुछ समय से कश्मीर में सुरक्षा बलों ने जिस तरह से आतंकवादियों को मारा है उसकी वजह से आतंकी हताशा में ऐसे हमले कर रहे हैं।
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आईबी के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने अब तक 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हिंदू विरोधी दंगों के दौरान शर्मा की निर्मम तरीके से हत्या कर उनका शव नाले में फेंक दिया गया था। इस मामले में सबसे पहले सलमान उर्फ मुल्ला उर्फ नन्हे को गिरफ्तार किया गया था। उसने हत्या से जुड़े कई राज खोले थे। इसके बाद पॉंच और लोग गिरफ्तार किए गए हैं। इनके नाम हैं- फ़िरोज़, जावेद, गुलफाम, शोएब और अनस। दिल्ली पुलिस ने IB मे काम करने वाले अंकित शर्मा की हत्या मामले में 5 और आरोपियों को गिरफ्तार किया। फ़िरोज़, जावेद, गुलफाम, शोएब और अनस। अब तक सलमान समेत कुल 6 आरोपी गिरफ्तार।— Jitender Sharma (@capt_ivane) March 14, 2020 मुल्ला को गुरुवार को गिरफ्तार किया गया था। मुल्ला मूल रूप से अलीगढ़ का रहने वाला है। 2005 से वह दिल्ली के सुंदर नगरी इलाके में रह रहा है। वह प्याज की रेहड़ी लगाता था। सलमान के मुताबिक दंगाइयों ने अंकित का मजहब जानने के लिए उनके कपड़े उतारे थे। धर्म पुख्ता कर उन्हें चाकुओं से गोद डाला। सलमान ने बताया कि उसने खुद अंकित पर 14 बार चाकू से वार किए। अंकित के चेहरे पर काला कपड़ा डाल उन्हें आप के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन के घर में ले जाया गया था। ताहिर पहले से ही पुलिस की गिरफ्त में है। उसकी इमारत से पेट्रोल बम और पत्थर का जखीरा बरामद किया गया था। आरोप है कि उसकी इमारत से हिंदुओं को निशाना बनाकर हमले किए गए। गोलियॉं चलाई गई। अंकित की हत्या के सिलसिले में उसके पिता रविंद्र शर्मा ने दयालपुर थाने में एफआईआर दर्ज कराते हुए ताहिर हुसैन समेत कई अन्य लोगों को आरोपित बनाया था। अंकित का शव 26 फरवरी को चॉंदबाग के नाले से मिला था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार सलमान एक फोन कॉल से गिरफ्त में आया था। असल में पुलिस ने चॉंदबाग में दंगों के दौरान एक अपराधी मूसा के फोन को सर्विलांस पर रखा था। उसी बातचीत में मुल्ला का नाम सामने आया। इसके बाद जब मुल्ला का फोन सर्विलांस पर लिया गया तो वह किसी से बात करते हुए सुनाई पड़ा- हमने एक को गोद दिया। मूसा की भी तलाश की जा रही है। अंकित की हत्या में उसके शामिल होने का भी संदेह है। दंगाइयों ने अंकित शर्मा के साथ दो अन्य हिंदू युवकों को भी पकड़ लिया था। दोनों किसी तरह उनके चंगुल से छुड़ाकर भागने में कामयाब हो गए थे। अंकित शर्मा के अकेले पकड़े जाने से दंगाइयों ने बेरहमी से उनकी हत्या दी थी, जिसकी पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी होती है।
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फरीदाबाद में पुलिस वैन पर गोली फायरिंग, अपराधी को छुड़ा ले गए बदमाश हरियाणा के फरीदाबाद में कार सवार बदमाशों ने चलती पुलिस वैन पर फायरिंग की। पुलिस वैन पर फायरिंग कर साथी कैदी छुड़ाकर फरार हो गए। हरियाणा के फरीदाबाद में बदमाशों की दबंगई करने की घटना सामने आई है। जहां कार सवार बदमाशों ने चलती पुलिस वैन पर फायरिंग की है। पुलिस वैन पर फायरिंग कर बदमाश कैदी को छुड़ाकर ले गए हैं। हरियाणा पुलिस से मिली जानकारी के मुताबिक अचानक हुई फायरिंग से पुलिस की गाड़ी अनियंत्रित हो गई। गाड़ी को संभालने और खुद की आत्मरक्षा के लिए गाड़ी को बीच रास्ते में ही रोकना पड़ा। जिसके बाद इसका फायदा उठाकर कार सवार आरोपी बदमाश को छुड़ा ले गए। जानकारी के मुताबिक यह पूरी घटना शाम तीन बजे हनुमान मूर्ति के पास हुई है। पुलिस इस घटना के बाद वैन पर गोली फायरिंग करने और आरोपी को छुड़ा ले जाने के तहत केस दर्ज कर मामले की जांच में जुट गई है।
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मर्दों के रोजाना शेविंग करने से हो सकती है ये स्किन प्रॉब्लम्स, जानिए हर कोई अपने आप को सुन्दर बनाने के लिए कई तरीके अपनाता है। मर्दों के लिए शेविंग भी इनमें से एक है। अक्सर आपने देखा होगा कि कई लोगों को रोजाना सेविंग करने का शौक रहता है लेकिन रोजाना सेविंग करना आपके लिए बहुत ही नुकसानदायक हो सकता है। रोजाना शेविंग के नुकसान: रोजाना शेविंग करने से त्वचा पर मौजूद नेचुरल आयल खत्म होने लगता है इसलिए रोजाना सेविंग करने से बचना चाहिए। सेविंग करने से पहले आपको अपने चेहरे को ठंडे पानी से बिल्कुल भी नहीं धोना चाहिए ऐसा करने से पोर्स सिकुड़ जाते और जिससे शेव ठीक से नही हो पाती और कटने के डर भी रहता है। इसके अलावा आप रोजाना सेविंग करना भी चाहते हैं तो केवल आप हफ्ते में 5 दिन की शेविंग करें। उसे करने से पहले आप किसी गर्म तौलिए से अपने चेहरे पर भाप दें और गर्म पानी से चेहरा धोलें उसके बाद ही शेविंग करें। सरकारी नौकरियां यहाँ देख सकते हैं :-सरकारी नौकरी करने के लिए बंपर मौका 8वीं 10वीं 12वीं पास कर सकते हैं आवेदन 1000 से भी ज्यादा रेलवे की सभी नौकरियों की सही जानकारी पाने के लिए यहाँ क्लिक करें अपनी मन पसंद ख़बरे मोबाइल में पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करे sabkuchgyan एंड्राइड ऐप- Download Now
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नई दिल्ली: मानसून कछुए की गति से आगे बढ़ रहा है. मौसम विभाग के डेटा के अनुसार इस साल मौसम विभाग के 84 प्रतिशत उपसंभागों में बेहद कम बारिश दर्ज की गई है. वहीं, केन्द्रीय जल आयोग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार देश के 91 बड़े जलाशयों में से 80 प्रतिशत में पानी सामान्य से कम है. यहां तक कि 11 जलाशयों में पानी का भंडारण शून्य प्रतिशत है जो देश में पानी की भीषण कमी को दिखाता है. देश में बारिश का मौसम एक जून से शुरू होकर 30 सितंबर तक चलता है, लेकिन 22 जून तक मानसून में औसतन 39 प्रतिशत कमी दर्ज की गई है. देश में मौसम विभाग के 36 उपसंभागों में से 25 प्रतिशत ने ‘कम’ वर्षा दर्ज की है जबकि छह उपसंभागों में ’‘बेहद कम बारिश’ दर्ज की गई है. ओडिशा और लक्षद्वीप संभागों में ‘सामान्य’ वर्षा दर्ज की गई है. जम्मू-कश्मीर और पूर्वी राजस्थान में ‘ज्यादा’ बारिश दर्ज की गई है जबकि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में ‘बहुत ज्यादा बारिश’ दर्ज की गई है. भारत मौसम विज्ञान विभाग के चार संभाग हैं- पूर्व एवं उत्तर पूर्व, दक्षिणी प्रायद्वीप, मध्य भारत और उत्तर पश्चिम भारत. पूर्व एवं उत्तर पूर्व संभाग में पूर्वोत्तर के राज्य, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल आते हैं. इन सभी क्षेत्रों में कम बारिश हुई है. मध्य भारत के 10 उपसंभागों में से सिर्फ ओडिशा में सामान्य बारिश हुई है. महाराष्ट्र के विदर्भ, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र सहित चार उपसंभागों में ‘बेहद कम’ बारिश हुई है. इन क्षेत्रों के जलाशयों में भंडारण बिलकुल निचले स्तर पर पहुंचने के कारण यहां सूखे जैसी स्थिति है. पूर्वी मध्य प्रदेश उपसंभाग में भी ‘बेहद कम’ वर्षा दर्ज हुई है. मध्य भारत के गुजरात, सौराष्ट्र और कच्छ उपसंभागों में भी ‘कम’ वर्षा दर्ज की गई है. हालांकि चक्रवात 'वायु' ने जरूर बारिश की कमी से कुछ राहत दिलायी है. इन दो उपसंभागों में नौ जून तक बारिश की कमी 100 प्रतिशत तक थी. दक्षिणी प्रायद्वीप संभाग के 10 में से 8 संभाग में बेहद कम बारिश दर्ज की गई. इन दो संभागों में अंडमान और निकोबार द्वीप संभाग में अतिरिक्त बारिश जबकि लक्षद्वीप में सामान्य बारिश दर्ज की गई. भीषण जल संकट से जूझ रहे चेन्नई, तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल उप संभाग में करीब 38 फीसदी कम बारिश दर्ज हुई. हालांकि स्थिति में थोड़ा सुधार दिख रहा है. मौसम विभाग ने रविवार को कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों, मराठवाड़ा और विदर्भ के अधिकतर हिस्सों में मानसून आगे बढ़ा है.
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राकेश पुंडीर – मुंबई, १४ वर्ष की तपती तपस्या के पश्चात होगी मुंबई प्रवासियों की तपस्या फलीभूत। १५ जनवरी की शुभतिथि पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के करकमलों व महामहिम राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी जी की अध्यक्षता में हो रहा है मुंबई के उत्तराखंड भवन भूमि के पंचमंजलीय दर्शनीयभवन का लोकार्पण। हमारे मुंबई के प्रवासी समाज के राज्य का बहुप्रतीक्षित उत्तराखंड भवन का लोकार्पण १५ जनवरी की शुभतिथि पर होने जा रहा है…. हमें आज गौर्वान्वित अनुभूति है कि हम सभी मुंबई व नवी मुंबई प्रवासी इस कृति के सहभागी, सहयोगी व सहकर्ता रहे। एक प्रत्यक्षदर्शी स्वरूप मुझे स्पष्ट संस्मरण है कि नवी मुंबई में १९९१ एक संस्था बनी थी जिसका नाम था बद्री केदार समिति, (तब नवी मुबई निर्माणाधीन स्थिति में क्रियान्वित थी ) संस्था ने दो चार साल अच्छा काम किया परंतु बाद में सुप्तवस्था हो गयी! जिस कारण नवी मुंबई में निवास करने वाले कुछ उत्तराखंडी प्रबुद्ध जनों ने २००१ में एक नवीन “उत्तराखंड पीपल आर्गानाजेशन नवी मुंबई ” नामक संस्था का गठन किया…. जिसके मुख्य संस्थापक सदस्य – महावीर सिंह रावत, अशोक मल, ओम प्रकाश बडोनी, राकेश पुण्डीर, हुकम सिंह नेगी, मणिचंद, माधव अधिकारी , प्रेमसिंह नेगी, वसंती मिश्रा, बी डी कुकरेती, सरस्वती कुकरेती, स्व. रोहिणी रावत, स्व. धनसिंह पंवार, रणवीर सिंह रावत, मोहन शर्मा और नीलेश वारसे ने संस्था का गठन किया… संस्थागत प्रक्रियानुसार सर्वसम्मति से महावीर सिंह रावत को अध्यक्ष नियुक्त किया गया.. गठन के पश्चात हर महिने उत्तरखंड संबंधित सामयिक विषयों पर कार्यकारिणी की मीटिंग्स हुआ करती थीं … एक दिन उत्तराखंड राज्य के पर्यटन मुंबई विभाग के प्रमुख ओ. पी बडोनी जी ने संस्था में एक महत्पूर्ण प्रस्ताव का उद्बोधन किया कि सभी प्रदेशों के “राज्य भवन” हेतू सिडको द्वारा? वाशी नयी मुंबई में सभी राज्यों को लेटर प्रेषित किये है… कई राज्यो के तो भवन निर्माण की गतिविधियां शुरू भी हो चुकी है. परंतु हमारे राज्य की तो अभी तक जमीन खरीदी का प्रोसेस तक नही हुआ… इस बात पर संस्था की मीटिंग के दौरान हम सभी संस्था के पदाधिकारियों ने चिंता जताई व वैचारिक विनिमय विष्लेषण व मंथन किया । फलस्वरूप इस कार्य हेतु सर्व सम्मती से पिपल और्गनाइजेशन संस्था नवी मुंबई द्वारा ओमप्रकाश बडोनी जी के दिशा निर्देश में उत्तराखंड सरकार के परिपेक्ष मे पत्र प्रेषित किये गये … फलस्वरूप उत्तराखंड सरकार द्वारा संस्था को एक पत्र आया..! जिसमें लिखा था कि… आपकी संस्था द्वारा मुंबई में निवास करने वाले व्क्तियों के कम से कम ५०० उत्राखंडी प्रवासी लोगों का हस्ताक्षर युक्त मेमो दून सचिवालय भेजिये ! संस्था के सभी सदस्य अपने अपने स्तर पर हस्ताक्षर अभियान पर जुट गये कार्यपूर्ण होने पर एक विग्यप्ति हस्तक्षरों सानिध्य उत्तराखंड राज्य को भेजी गयी …. प्रोसेजर आगे बढाने मे श्री गणेश गोदियाल जी का बहुत बडा सहयोग रहा , धीरे धीरे समाज के अन्य क्षेत्रों से भी लोग जुडते गये जिसमें स्व. पूर्ण मनराल जी, भवन निर्माता श्री माधवानंद भट्ट जी, बलबीर रावत जी, दिनेश ढौंडियाल जी आदि तन मन से इस कार्य में सहयोग करने मे जुटे रहे । संस्था का सचिव होने के नाते मैं व अध्यक्ष महावीर रावत जी श्री बडोनी जी के सानिध्य उत्तराखंड सरकार से पत्राचार व दूरध्वनि पर निरंतर संपर्क साधते रहे…. परिणाम स्वरूप २००६ में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री नारायण दत्त तिवारी जी ने ३ करोड २० लाख की धनराशि पारित की. और चंदरोज मे ही नवी मुंबई वाशी में उत्तराखंड भवनभूमि हेतु प्लाट निर्धारित हो गया…. समय गुजरता रहा …इस मध्य महाराष्ट्र राज्य के अधिनस्त सिडको के नियम१०८ के तहत सिडको से खरीदे गये किसी भी अधिनस्त प्लौट पर ४ साल के अंतर्गत निर्माण कार्य शुरू नही हुआ तो.. नियम अनुसार वह जमीन सिडको वापस ले लेगी … ४ वर्ष पूर्ण होने की स्थिति के उहापोह इस नियम की जानकारी रखने वाले कुछ प्रबुद्ध जैसे श्री माधवानंद भट्टजी ने ओपी बडोनी जी के सानिध्य में उत्तराखंड सरकार के संबंधित विभाग को अपने अपने स्तर पर जानकारियां पर्तिपादित करते रहे … अंततोगत्वा मा. निशंकजी के कार्यकाल में भवन का नक्शा पास होकर व भवन निर्माण की प्रक्रिया का नियमांकन पूर्ण हो गया.. परंतु भवन निर्माण की प्रक्रिया हेतु कुछ समय तक प्रश्न चिन्ह की स्थिति बनी रही…उधर समकालीन सरकार पर भवन निर्माण की जिम्मेदारी बढती गयी .. और २०१५ में ३९.७२ करोड भवन निर्माण हेतु उत्तराखण्ड सरकार ने पास कर दिए ! फलस्वरूप २०१६ से इस आलीशान भवन का निर्माण शुरू हुआ और आज जनवरी २०२० में पूर्ण हो चुका है . भवन में एक अण्डरग्राउड है जो जिसका कुछ भाग पारकिंग व गोडाउन हेतु है , ग्राऊंड फ्लोर उत्रराखंड के पर्यटन के गढवाल व कुमाउ विभाग व राजकीय संबंधित विभागों हेतु निर्माण किया गया है, पहली मंजिल सैन्य विभाग हेतु, दूसरी मंजिल गेस्ट रूम हेतु , तीसरी मंत्रियो संबंधित विभाग एवं रूम्स, चौथा मुख्यमंत्री एवं संबंधित विभाग हेतु, पांचवां विशिष्ठ गेस्ट एवं सरकार संबंघित औफिसियल मंजिल है , भवन मे कॉंफ्रेस हॉल, डाइनिंग हॉल व सभा हॉल भी निर्माण किये गये हैं कुल मिला कर इस भब्य भवन को आधुनिकता के साथ साथ ठेठ उत्तराखंडी लुक भी दिया गया है। १५ जनवरी का दिन हम सभी मुंबई मे निवास करने वाले उत्तराखंड प्रवासियों के लिये इतिहास की पंक्तियों मे एक स्वर्णिम दिवस होगा … उत्तराखंडी मुंबई प्रवासियों को १५ जनवरी की शुभ तिथि पर नवी मुंबई के भव्य भवन पर पधार कर राज्य की इस अनुपम धरोहर है समझा जा रहा है कि इस भवन के खुल जाने से उत्तराखंड से आने वाले बहुत से लोगों के लिए ठहरने का एक अच्छा ठिकाना भी हो सकता है
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By reading this “Very dirty jokes in Hindi” your smile will take off in the sky. एक बार चंदुलाल की बीवी सोनिया पक्षियों के दुकान पे तोता खरीदने गई। वहां तरह-तरह के बोलनेवाले तोते बिक रहे थे। सभी तोतों के दाम 5000 रुपए से ज्यादे थे। वहां सिर्फ एक ही तोता ऐसा था जिसकी कीमत सिर्फ 500 रुपए थी। जिज्ञासावस सोनिया ने उस 500 रुपए वाले तोते की इतनी कम कीमत का राज दुकानदार से जानना चाहा। दुकानदार बोला:- इस तोते का चालचलन कुछ ठीक नहीं है। यहां आने से पहले यह तोता तवायफ के कोठे पर रहता था। इस तोते पे कोठे की रहन-सहन का असर है। यह बीच-बीच में अश्लील बातें बोलता है और कभी-कभार तो गालियाँ भी बकता है। अच्छा रहेगा कि आप कोई दूसरा संस्कारी तोता अपने घर ले जाइए। सोनिया ने 2 मिनट सोचा और फिर बोली:- आप मुझे इसी तोते को दे दीजिए, मेरे साथ रहकर यह भी संस्कारी हो जायेगा। घर लाकर सोनिया ने उस तोते को अपने बेडरूम में टांग दिया और फिर उसके बोलने का इन्तजार करने लगी। तोते ने इधर-उधर अपनी नजरें घुमाई और फिर बोला:- “अरे वाह ! नया घर नई औरत, और वो भी इतनी सेक्सी” ! अपनी तारीफ सुनकर सोनिया खुश हो गई और फिर सोच, यह तो कोई गाली नहीं है। दुकानदार झूठ बोल रहा था। थोड़ी देर बाद जब उसकी दोनों ननदें कॉलेज से वापस आईं तब उन्हें देखते ही तोता बोला:- “अरे वह ! दो-दो जवान लडकियाँ ! हमारी मालकिन ने क्या किस्मत पाई है” ! सोनिया ने सोचा, यह भी तो कोई गाली नहीं है। दुकानदार झूठ बोल रहा था। शाम को जब सोनिया का हस्बैंड चंदुलाल घर आया तब उसे देखते ही तोते ने जोर-जोर से चिल्लाना शुरू किया:- “अरे ओ सोनिया ! जल्दी से अपने कपड़े खोल ! देख तेरे ग्राहक आने शुरू हो गये हैं… यह चंदू पहले उधर आता था और अब इधर भी आने लगा है”…
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डायनेमिक हैंडगन क्लास में पहले राउंड को निकाल दिए जाने से पहले, मैगपुल डायनेमिक्स टीम इस बात के लिए मंच निर्धारित करती है कि वे क्या पढ़ाने का लक्ष्य रखते हैं और छात्रों को पाठ्यक्रम से क्या उम्मीद करनी चाहिए। शिक्षा के अन्य पाठ्यक्रमों के विपरीत, मैगपुल अपने तरीकों में निरपेक्ष नहीं होने पर जोर देता है। ट्रैविस हेली और क्रिस कोस्टा ने मुकाबला अनुभव और प्रतिस्पर्धी शूटिंग दोनों से अपनी तकनीक विकसित की है, इसलिए एक संस्थागत आहार के लिए मजबूर करने के बजाय, वे आंदोलन की मूल बातें और तनाव के लिए शरीर की प्राकृतिक प्रतिक्रियाओं का निर्माण करते हैं। "वास्तविकता, दक्षता, संगति" उनके प्रशिक्षण का एक विषय और एक मौलिक सिद्धांत है, जिसके लिए वे नए परिदृश्यों और व्यक्तिगत अनुदेशों में समस्या को हल करने पर लौटते हैं। पाठ्यक्रम में हैंडगन ऑपरेशन की बुनियादी बातों को शामिल किया गया है, जिसमें समस्या को हल करने और जटिल वास्तविक जीवन परिदृश्यों तक अग्रणी शामिल है। आंदोलन की निरंतरता और उचित तकनीक पर बल दिया जाता है, दोनों ही सुधार के सबसे प्रत्यक्ष साधन और थकान से बचाव का साधन हैं। हेली और कोस्टा अच्छी तरह से समझदार और जानबूझकर आदतों के बारे में हैं जो निशानेबाज सुरक्षित रूप से अपने संबंधित अनुभव और दक्षता स्तर पर बना सकते हैं। असफलता और "विफलता अंक" मैगपुल डायनेमिक्स प्रक्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है, क्योंकि छात्रों से अपेक्षा की जाती है कि वे प्रशिक्षक या परिदृश्य-प्रेरित तनाव के तहत गति और सटीकता दोनों में सुधार करने के लिए खुद को सुरक्षित रूप से धक्का दें। क्लास डेमोग्राफिक्स के दृष्टिकोण से, यह ध्यान देने योग्य है कि डायनामिक हैंडगन अटेंडेंट्स ज्यादातर आम नागरिकों का एक संतुलित समूह था और बहुत कम संख्या में सैन्य और कानून प्रवर्तन पेशेवर थे। अनुभवी संचालकों से लेकर मनोरंजक निशानेबाजों और सामरिक कार्बाइन या शिकार आग्नेयास्त्रों के अनुभव से संक्रमण करने वालों तक का अनुभव।
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कोविड कर्फ्यू के चलते शहर की सभी शराब की दुकानें बंद हैं ऐसे में शहर में अवैध शराब का काम भी धड़ल्ले से चल रहा है। हल्द्वानी के बनभूलपुरा थाना पुलिस ने छापामारी कर एक मकान से 18 पेटी शराब बरामद की है। अवैध रूप से लोगों को शराब सप्लाई की जा रही थी। मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने जवाहर नगर के एक मकान में छापामारी की जहां मकान के अंदर 18 पेटी शराब छुपा कर रखी गई थी। पुलिस ने सचिन नाम के एक शराब तस्कर को भी गिरफ्तार किया है। पूछताछ में आरोपी ने बताया कि कोविड कर्फ्यू के चलते शराब की दुकानें बंद हैं ऐसे में वह आसपास के लोगों को अवैध रूप से शराब बेचने का काम कर रहा था। आरोपी को गिरफ्तार कर आबकारी अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
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नई दिल्ली: नए वित्त वर्ष के शुरू होते ही रसोई गैस की कीमत में 10 रुपये कम कर दी गई थी। इससे करोड़ों उपभोक्ताओं को बहुत राहत मिली। लेकिन सब्सिडी के बिना 14.2 किलोग्राम एलपीजी गैस सिलेंडर की कीमत अभी भी 809 रुपये है। हालांकि, एलपीजी की बुकिंग और भुगतान पर आम आदमी के बोझ को कम करने के लिए पेटीएम (Paytm) अपने ग्राहकों के लिए एक धांसू ऑफर लेकर आया है। इस ऑफर के तहत ग्राहक केवल रु .9 रुपये में गैस सिलेंडर पा सकते हैं। पेटीएम ने कैशबैक (Cashback) ऑफर की पेशकश की है। इस कैशबैक ऑफर के तहत अगर कोई ग्राहक गैस सिलेंडर बुक करता है, तो उसे 800 रुपये तक का कैशबैक प्राप्त हो सकता है। ऐसे में अगर आप भी पेटीएम के इस ऑफर का लाभ उठाना चाहते हैं तो आपके पास सिर्फ 30 अप्रैल तक आखिरी मौका है। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि ये ऑफर केवल उन उपभोक्ताओं के लिए है, जो पहली बार पेटीएम के जरिये एलपीजी सिलेंडर बुक करेंगे। एलपीजी सिलेंडर की बुकिंग और भुगतान करने के बाद आपको ऑफर के तहत एक स्क्रैच कार्ड मिलेगा, जिसका कैशबैक मूल्य 800 रुपये हो सकता है। यह ऑफर पहले एलपीजी सिलेंडर की बुकिंग पर लागू होगा। यह ऑफर न्यूनतम 500 रुपये के भुगतान के लिए लागू किया जाएगा। कैशबैक के लिए आपको सबसे पहले स्क्रैच कार्ड खोलना होगा, जो ग्राहकों को बिल भुगतान के बाद मिलेगा। कैशबैक की राशि 10 रुपये से लेकर 800 रुपये तक हो सकती है। आपको यह स्क्रैच कार्ड 7 दिनों के भीतर खोलना होगा, इसके बाद आप इसका उपयोग नहीं कर पाएंगे। अगर आप इस ऑफर का लाभ उठाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने स्मार्टफोन में पेटीएम ऐप को डाउनलोड करना होगा। इसके बाद आपको गैस एजेंसी का चयन कर सिलेंडर की बुकिंग करनी होगी। इसके लिए Paytm एप में Show more पर जाएं और क्लिक करें, फिर Recharge और Pay Bills पर क्लिक करें। इसके बाद, आपको सिलेंडर बुक करने का विकल्प दिखाई देगा। बुकिंग से पहले, आपको FIRSTLPG का प्रोमो कोड डालना होगा। बुकिंग के 24 घंटे के भीतर आपको कैशबैक स्क्रैच कार्ड मिलेगा। इस स्क्रैच कार्ड को 7 दिनों के भीतर उपयोग करना होगा।
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आयकर विभाग ने वर्ष 2020-21 के लिए कर (टैक्स) रिटर्न भरने के लिए सैकड़ों पन्नों लंबा एक दिशानिर्देश मैनुअल जारी किया है। आयकर विभाग ने अलग-अलग प्रकार के जमा किए जाने वाले कर रिटर्न दाखिल करने के लिए एक विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं। ये दिशानिर्देश वित्त वर्ष 2019-2020 से संबंधित आकलन वर्ष 2020-21 के लिए आयकर रिटर्न फॉर्म-1 भरने के लिए करदाताओं की मदद करने के लिए जारी किए गए हैं। इस रिटर्न फॉर्म का उपयोग उस सामान्य निवासी द्वारा किया जाना है, जिसकी वर्ष 2020-21 में कुल आय 50 लाख रुपये से अधिक नहीं है और जिसे कुछ निर्धारित माध्यमों से आय प्राप्त हुई है। इनमें आय वेतन/पेंशन, वन हाउस प्रॉपर्टी से आय, अन्य स्रोतों के तहत ब्याज से प्राप्त आय या कर योग्य पारिवारिक पेंशन शामिल है। इसके अलावा, ऐसे मामले में जहां किसी अन्य व्यक्ति जैसे पति/पत्नी, नाबालिग बच्चे आदि की आय को कर निर्धारिती की आय के साथ जोड़ा जाना है, इस रिटर्न फॉर्म का उपयोग केवल तभी किया जा सकता है, जब सभी की आय उपरोक्त आय श्रेणियों में आती हो। आयकर विभाग के दिशानिर्देशों में कहा गया है कि इस रिटर्न फॉर्म का उपयोग किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा नहीं किया जाना चाहिए, जो किसी कंपनी में निदेशक है, उसने पिछले वर्ष के दौरान किसी भी समय किसी भी गैर-सूचीबद्ध इक्विटी शेयर लिए हों, उसकी भारत के बाहर कोई संपत्ति हो या भारत के बाहर किसी भी स्रोत से उसे आय प्राप्त होती हो। इस रिटर्न फॉर्म का उपयोग उस व्यक्ति द्वारा भी नहीं किया जा सकता है, जिसके पास पिछले वर्ष के दौरान व्यवसायों से लाभ, पूंजीगत लाभ, और एक से अधिक घर की संपत्ति से आय प्राप्त हुई हो। इसके अलावा दिशानिर्देशों में साफतौर पर कहा गया है कि इस फॉर्म का उपयोग तब भी नहीं किया जाना चाहिए, अगर आय लॉटरी से जीतने पर प्राप्त हुई हो या उक्त व्यक्ति रेस के घोड़ों का मालिक हो या ऐसी गतिविधि में शामिल हो। इसके अलावा इस रिटर्न फॉर्म का उपयोग उस व्यक्ति द्वारा भी नहीं किया जा सकता है, जिसने घर की संपत्ति से आय प्राप्त की हो। बता दें कि कोरोना काल में आयकर विभाग ने रिटर्न भरने की अंतिम तिथि बढ़ा दी है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से मिली जानकारी के अनुसार, अब आम नागरिक, जिन्हें अपने रिटर्न के साथ ऑडिट रिपोर्ट नहीं लगानी पड़ती थी, वह वर्ष 2019-20 के लिए अपना रिटर्न 31 दिसंबर 2020 तक दायर कर सकते हैं। पहले इसके लिए अंतिम तारीख 30 नवंबर 2020 तय की गई थी। केंद्रीय वित्त मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, अब वैसे करदाता, जिनके रिटर्न में ऑडिट रिपोर्ट नहीं लगती है, वह 31 दिसंबर 2020 तक अपना रिटर्न दाखिल कर सकते हैं। वैसे करदाता, जिनके रिटर्न में ऑडिट रिपोर्ट लगानी पड़ती है, उनके लिए आईटी रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तारीख 31 जनवरी 2021 तय की गई है। –आईएएनएस
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गोल्डबर्ग का सैगमेंट गोल्डबर्ग की एंट्री हो रही हैं और पूरे एरा में सिर्फ गोल्डबर्ग चैंट हो रहा है। बिल गोल्डबर्ग अब रिंग मे आ चुके हैं। गोल्डबर्ग- ( गोल्डबर्ग चैंट हो रहा हैं।) आप सभी का शुक्रिया, हम जानते है कि यूनिवर्सल चैंपियनशिप का सफर रॉयल रंबल से शुरु हो जाएगा, जिसक लिए 29 रैसलर्स होंगे। मैं किसी के लिए नहीं रुकने वाला हूं, मेरे पास स्पीयर और जैकहैमर है। आप सब अब नेक्ट हो। पॉल हेमन ने एंट्री कर ली है। हेमन-रॉयल रंबल में क्या क्या हो सकता है और गोल्डबर्ग किस-किस से लड़़ सकते है कभी सोचा है कई सुपरस्टार्स होंगे, या फिर ब्रॉक लैसनर से भी। ये क्या ब्रॉक की भी एंट्री हो रही हैं। ब्रॉक भी स्टेज पर आ गए है। हेमन- इस रॉयल रंबल में गोल्डबर्ग तुम्हें पता चलेगा कि ब्रॉक से लड़ना कैसा होता है, जब ब्रॉक तुम्हें एलिमिनेट करेगा। गोल्डबर्ग- हां हां मैं जानता हूं कि ये ब्रॉक है क्या इसमें दम है कि ये अभी रिंग में आए। ब्रॉक रिंग की तरफ बढ़ रहे हैं रिंग के चक्कर लगा रहे हैं। ब्रॉक रिंग में आ गए हैं, लेकिन ये क्या अंडरटेकर का म्यूजिक बजा और अब तीनों दिग्गज रिंग में हैं। एक दूसरे को देख रहे हैं। हालांकि तीनों के बीच कोई फाइट देखने को नहीं मिली। इस रोमांच के साथ रॉ का शानदार एपिसोड यहीं खत्म हुआ इस अंत का अंजाम फैंस को रॉयल रंबल में देखने को मिलेगा। — WWE Universe (@WWEUniverse) January 24, 2017 — WWE (@WWE) January 24, 2017 क्रूजरवेट : रिच स्वान Vs नोआम डार चैंपियन रिच स्वान ने अपनी एंट्री की, अब नोआम डार रिंग में आ गए हैं। रिच स्वान ने ड्रॉप किक मारी और मैच में अपनी बढ़त बनाई, नोआम डार ने भी वापसी की और शानदार ड्रॉप किक मारी। स्वान काउंटर अटैक करते हुए पहले क्लोथलाइन मारी फिर स्लैम दिया। चैंपियन रिच स्वान ने सुपरकिक मार के आसानी से मैच को जीत लिया। रिजल्ट: क्रूजरवेट चैंपियन रिच स्वान ने मैच को जीता। मैच खत्म हो गया है और स्वान ने नेविल को चैलेंज किया कि वो रिंग मेें आए, वहीं नेविल का म्यूजिक बजा और रिंग में पहुंच रहे है हालांकि अंदर नहीं गए जबकि स्वान ने नेविल पर सुसाइड डाइव लगा दी। ONE-TWO-THREEEEEEE! One swift kick from @GottaGetSwann earns the #Cruiserweight Champion the victory over @NoamDar! #RAW #205Live pic.twitter.com/d6Zshd9sKj — WWE (@WWE) January 24, 2017 Can @WWENeville handle THIS?! @GottaGetSwann not about to let the #KingOfTheCruiserweights off that easily... #RAW #205Live pic.twitter.com/T4SpvbSV0y — WWE (@WWE) January 24, 2017 नाया जैक्स Vs रे लिन नाया जैक्स ने एंट्री कर ली है उनकी विरोधी पहले से ही रिंग में मौजूद है इस बार भी उनका मैच नए रैसरल से हो रहा हैं। नाया ने बड़ी आसानी से इस मैच को जीत लिया। रिजल्ट: नाया ने मैच को जीता नाया- करीब एक महीने पहले साशा चैंपियन थी , लेकिन अब कुछ भी नहीं, लेकिन अब मैं बॉस पर अटैक कर रही हूं। साशा बैक्स का म्यूजिक बजा। उनकी एंट्री हो रही है लेकिन साशा बैसाखी के साथ आई है, और आत ही नाया जैक्स पर अटैक कर दिया और रिंग के बाहर डब्ल नी मार के नाया को गिरा दिया। Well, #TheBoss @SashaBanksWWE is HERE to confront @NiaJaxWWE, but how wise is this in her condition? #RAW pic.twitter.com/Nbm60wGTap — WWE (@WWE) January 24, 2017 #TheBoss is certainly in SOME condition to stand up to @NiaJaxWWE as @SashaBanksWWE makes a statement on #RAW! pic.twitter.com/1BAu4UDMwY — WWE Universe (@WWEUniverse) January 24, 2017 ओवंस का शार्क केज सैगमेंट ओवंस को अब नीचे उतरा जा रहा है, वहीं केविन को बताया जा रहा है कि अब रोमन के खिलाफ रॉयल रंबल में यूनिवर्सल चैंपियनशिप मैच नो डिसक्वालिफ़िकेशन मैच होगा, जिसको सुनकर केविन काफी गुस्से में है और बोल रहे है कि अब रॉयल रंबल का मैच रद्द कर रहे हैं। The @WWE #UniversalChampion @FightOwensFight has finally been lowered back down into the ring... #RAW pic.twitter.com/mROas4rUL8 — WWE Universe (@WWEUniverse) January 24, 2017 Per @RealMickFoley, the @WWE #UniversalTitle match at #RoyalRumble will also now be NO DISQUALIFICATION! #RAW @FightOwensFight pic.twitter.com/pNzYEVqurK — WWE (@WWE) January 24, 2017 क्रिस जैरिको Vs रोमन रेंस (यूएस चैंपियनशिप मैच ) यूएस चैंपियन क्रिस जैरिको ने यूनिवर्सल चैंपियन केविन ओवंस के साथ एंट्री की है, अब रोमन रेंस एंट्री कर रहे हैं। इस मैच को जीतने के बाद रेंस के पास मौका है कि वो दो टाइटल हासिल करे। बेल बजते ही रोमन ने पहले जैरिको को पंच मारा फिर रिंग के बाहर बैरीगेट पर मारा, उसके बाद एपरेन पर किक मारी। अब दोनों सुपरस्टार रिंग में है चैंपियन क्रिस जैरिको ने वापसी करते हुए रोमन रेंस काउंटर अटैक किया। नेक लॉक लगाकर क्रिस जैरिको ने रेंस को पकड़ लिया है। जैरिको ने रेस को ड्रॉप किक मारी और कवर किया लेकिन किक आउट हुए। रेंस को जैरिको थप्पड़ मार रहे हैं जो रेंस को पंसद नहीं आया और रेंस ने मारना शुरु किया। रेंस ने अब क्लोथलाइन मारा फिर समोआ ड्रॉप, रेंस सुपरमैन पंच मारने जा रहे थे कि क्रिस ने ड्रॉप किक मारी और कवर किया, क्रिस अब कॉड ब्रेकर मारने जा रहे थे वहीं रेंस ने उन्हें पवार बॉम्ब दे दिया। केविन कमेंट्री टेबल से उठ कर आ गए है। उससे पहले जैरिको को रेंस ने सुपरमैन पंच मार दिया है। केविन के कारण मैच को डिसक्वालिफाइ कर दिया गया। रिजल्ट: मैच को रोमन रेंस ने डिसक्वालिफ़िकेशन के जरिए जीता हालांकि यूएस चैंपियनशिप नहीं जीत पाए। अब दोनों रेंस को मार रहे है, और शार्क केज को नीचे लाया जा रहा। केज में रेंस को बंद कर रहे थे लेकिन रेंस ने काउंटर अटैक करते हुए जैरिको और ओवंस को मारा, इतना ही नहीं रेंस ने शार्क केज में यूनिवर्सल चैंपियन ओवंस को बंद कर दिया जो अब उपर जा रहा है, जैरिको रोकने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन रेंस ने सुपरमैन पंच मर दिया। वहीं रेंस ने जैरिको को स्पीयर भी मारा। #SupermanPunch to @IAmJericho as he dangles from the #SharkCage...with @FightOwensFight locked inside! #RAW #USTitle pic.twitter.com/EzGIYq92Y2 — WWE (@WWE) January 24, 2017 न्यू डे का सैगमेंट अपने अंदाज में एंट्री की जिसको फैंस ने काफी पसंद किया। जेवियर- हम रॉयल रंबल में है उसके बाद रैसलमेनिया में जाएंगे फिर आपके चैंपियन बन जाएंगे। एंजो और बिग कैस का म्यूजिक बजा। बिग कैस- इस रॉयल रंबल में 29 लोगों को बाहर करने वाला हूं क्योंकि मैं ऑफिशियली रॉयल रंबल में हूं। रुसेव का म्यूजिक बजा वो भी आ गए हैं। उनक साथ जिंदर महल भी है। रुसेव- बिग ई और बिग कैस तुम दोनों ने अपने नाम के आगे बिग क्यों लगाया है, ठीक है तुम बड़े हो लेकिन मेरे सामने नहीं क्योंकि मैं रॉयल रंबल में एंट्री कर रहा हूं। टाइटस ओ नी का म्यूजिक बजा उनकी भी एंट्री हो गई। बिग ई- तुम कुछ मत बोलो पिछले हफ्ते तुमने वादा किया था कि तुम हमें परेशान नहीं करोगे। ओ नील- मैं बस ये कहना चाहता हूं कि अभी 8 मैन टैग टीम मैच हो जाए, द न्यू डे और एंजो कैस में से कोई भी। जैवियर-लेकिन तुम तो तीन हो, चौथा मेंबर कौन है तुम्हारा ????? ब्रॉन स्ट्रोमैन का म्यूजिक बज गया। 8 मैन टैग मैच शुरु होने वाला है, जिमसे ओ नील, स्ट्रोमैन , रुसेव, जिंदर महल VS न्यू डे, एंजो और बिग कैस कोफी ने मैच शुरु किया को सामने उनके रुसेव थे, लेकिन जल्दी रुसेव ने जिंदर को टैग किया फिर टाइटल को । इस मैच में जेवियर ने हिस्सा नहीं लिया। कोफी कोशिश कर रहे है टैग कर सके लेकिन ओ नील उन्हें कोई नहीं दे रहे। बिग कैस को कोफी ने टैग कर दिया है, वहीं ओ नील से महल ने टैग लिया है लेकिन कैस हालत बुरी कर दी है। कैस और एंजो ने बाडा बूम शाका लाका मार के कवर की कोशिश की लेकिन किक आउट हो गए। अब रिंग में एंजो और स्ट्रोमैन है बस, स्ट्रोमैन ने पहले शॉल्डर मारा फिर पवारस्लैम मार कर मैच जीता। रिजल्ट: ओ नील, स्ट्रोमैन, रुसेव, जिंदर महल ने न्यू डे, एंजो और बिग कैस को दी मात VICTORY is @BraunStrowman's (as well as @TitusONeilWWE @RusevBUL & @JinderMahal's) in this #8ManTag after he takes out @WWEAaLLday21! #RAW pic.twitter.com/qaEDVzapE0 — WWE (@WWE) January 24, 2017ये क्या मैच खत्म हो चुका है उसके बाद बिग शो की एंट्री हुई, स्ट्रोमैन और बिग शो दोनों रिंग में हैं। स्ट्रोमैन रिंग से चले गए हैं। What is going to happen when THESE TWO collide in the #RoyalRumble match this Sunday?! #RAW @WWETheBigShow @BraunStrowman pic.twitter.com/jv1xo75Y6I — WWE Universe (@WWEUniverse) January 24, 2017 डेवारी , टोनी निस, ड्रू गुलैक VS मुस्तफा अली, टीजे पर्किंस,जैक गैलेहर सभी 6 सुपरस्टार रिंग में है क्रजरवेट में कई रैसलर्स ने शिरकत की है। टोनी निस इस मैच में थोड़े हावी दिख रहे हैं। हालांकि पर्किंस भी पलवार की कोशिश कर रहे हैं। अब डेब्यू कर रहे अली रिंग हैं और अपनी स्किल्स दिखा रहा हैं और शानदार टॉप रोप से कुद कर मैच को जीत लिया। रिजल्ट : मुस्तफा अली, टीजे पर्किंस,जैक गैलेहर ने डेवारी, टोनी, और गुलैक की जोड़ी को हराया The one and only @GentlemanJackG joins @MegaTJP & @MustafaAliWWE against @AriyaDaivari411 @TonyNese & @DrewGulak NOW on #RAW! pic.twitter.com/RQ4KIAMWfM — WWE (@WWE) January 24, 2017 सैथ रॉलिंस Vs सैमी जैन (जीतने वाले सुपरस्टार को रॉयल रंबल में जगह मिलेगी ) सैथ ने एंट्री कर ली है वहीं सैथ के लिए ये मैच काफी अहम होगा क्योंकि अगर सैथ ये मुकाबल हार जाते है तो सैमी को उनकी जगह मिल जाएगी। अब सैमी जेन की एंट्री हो रही है दोनों सुपरस्टार रिंग में हैं। सैथ ने अपने मूव्स के जरिए सैमी पर शुरुआत में पकड़ बना ली है। सैथ अपनी सुपर स्किल्स सैमी को दिखा रहे है लेकिन सैमी को समझ नहीं आ रहा शॉल्डर टैप कर सैथ ने कवर किया लेकिन किक आउट हो गए। सैथ पिन फॉल की कोशिश कर रह थे लेकिन सैमी ने उलटा मुुव लगा दिया। सैमी ने शानदार क्लोथलाइन मारी और सैथ को रिंग के बार फेंक दिया, सैमी सुसाइड डाइव लागने वाले थे कि सैथ रिंग में आ गए, और सैमी को मारकर रिंग से बाहर किया और सुसाइड डाइव लगाई। सैमी और सैथ दोनों एक दूसर को सुपलेक्स मार रहे है और कवर की कोशिश कर रहे हैं लेकिन जीत किसी को भी नहीं मिल रही। सैथ ने सुपरकिक मारी और कवर किया लेकिन किक आउट कर दिया। सैमी काउंटर की कोशिश कर रहे हैं लेकिन नाकाम रहे, सैथ ने पैडेग्री की कोशिश की लेकिन सैमी ने पहले डीडीटी मारी और बिग बूट मारने जा रहे थे लेकिन सैथ रिंग साइड से हट गए। अब सैमी ने सैथ को रिंग के बाहर कर दिया है। लेकिन सैथ जल्द रिंग में आए और रिंग पोस्ट पर बैठे सैमी को किक मारी, अब दोनों सुपरस्टार टॉप रोप पर हैं। लेकिन सैमी ने पवारबॉम्ब दिया औऱ कवर किया लेकिन सैथ ने किक आउट कर दिया। अब सैथ को रिंग पोस्ट पर सुपलेक्स दिया, और बिग बूट की तैयारी में हैं लेकिन सैथ ने पहले किक मारी और फिर एपरेन पर पैडेग्री । ये क्या अचानक से ट्रिपल एच का म्यूजिक बजा, सैथ अब ट्रिपल एच का इंतजार कर रहे हैं लेकिन वो नहीं आ इतने में ही सैमी ने सैथ को पिन फॉस स हरा दिया। इस जीत के साथ सैमी ऑफिशियली रॉयल रंबल में जगह बनाते है। TIME TO PLAY THE GAME?! #RAW #RoyalRumble @TripleH pic.twitter.com/p7zKlWbHu6 — WWE (@WWE) January 24, 2017 A victorious @iLikeSamiZayn looks ahead to this Sunday's #RoyalRumble match! #RAW pic.twitter.com/UnTZcsEh8T — WWE Universe (@WWEUniverse) January 24, 2017 रिजल्ट: सैमी ने सैथ रॉलिंस को हराया और रॉयल रंबल में जगह बनाई .@WWERollins fought @ILikeSamiZayn on #RAW, with his #RoyalRumble Match spot on the line. Then @TripleH's music hit... pic.twitter.com/jfzapc7U1P — WWE (@WWE) January 24, 2017 बैकस्टेज फोली फोन के जरिए स्टेफनी से बात कर रहे हैं तभी सैमी वहां आ गए , और उनसे रंबल मैच में अपनी जगह के बारे में सवाल कर रहे हैं, तभी स्टेफनी ने सैमी का मैच सैथ के साथ रख दिया और कहा अगर सैमी जीत जाते है तो उन्हें रंबल मैच में जगह मिलेगी। TONIGHT: Per @StephMcMahon, @iLikeSamiZayn have to defeat @WWERollins to earn a spot in the #RoyalRumble match! @RealMickFoley pic.twitter.com/BPtgqqFsog — WWE (@WWE) January 24, 2017 सिजेरो vs लूक गेलोज पहले सिजेरो ने एंट्री मारी फिर शेमस ने दोनों की एंट्री को फैंस काफी पसंद करते हैं। अब कार्ल एंडरसन और लूक गेलोज की एंट्री हो रही हैं। हालांकि ये मैच सिर्फ सिजेरो और गेलोज के बीच में है। बेल बजते ही सिजेरो ने अपनी पवार दिखाना शुरु कर दिया है, गेलोज को पावरबॉम्ब दिया, फिर अपर कट मारा। सिजेरो के सारे मुव पर गेलोज ने शानदार पलटवार किया। गेलोज ने साइड स्लैम देकर कवर की कोशिश की लेकिन किक आउट हो गए। लेकिन काउंटर करते सिजेरो ने सुपलेक्स मार दिया, उसके बाद अपर कट ही अपर कट। वहीं रिंग पोस्ट से डीडीटी मारके सिजेरो ने कवर किया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। सिजेरो ने गेलोज को शार्प शूर लगा दिया है लेकिन रिंग साइड पर एंडरसन आ गए जिन्होंने पहले शेमस को मारा और फिर रैफरी को परेशान किया , वहीं गेलोज टैप कर चुके है जिसे रैफरी ने नहीं देखा। सिजेरो गेलोज को छोड़ कर एंडरसन के पास गए तभी पीछे से गेजोल ने सुपरकिक मारी और कवर किया, जिसमें सिजेरो हार गए। रिजल्ट: लूक गेलोज ने सिजेरो को हराया ONE-TWO-NOOOOOO! With @KarlAndersonWWE chased away from ringside, @LukeGallowsWWE still can't put away @WWECesaro just yet... #RAW pic.twitter.com/kCZMKyBVay — WWE Universe (@WWEUniverse) January 24, 2017 रोमन रेंस का सैगमेंट रोमन रेंस की एंट्री हो रही है और क्राउड का रेंस को हमेशा से सपोर्ट मिलता है और रॉयल रंबल से पहले रॉ में यहीं देखने को मिला। रिंग में रॉयल रंबल के लिए बनाया गया शार्क केज रखा हुआ है। रेंस- सिर्फ 6 दिन बाद रॉयल रंबल होनी है, जिसमें में केविन ओवंस के खिलाफ लड़ने वाला हूं, जैरिको शार्क केज में बंद होंगे इसका मतलब है कि मैं टाइटल जीत लूंगा। केविन ओवंस का म्यूजिक बजा और जैरिको के साथ एंट्री कर रहे है। ओवंस- तुम क्या बोल रहे हो, तुम कुछ हफ्ते पहले जैरिको से हारे हो, फिर पिछले हफ्ते मैंने तुम्हें अनाउंस टेबल पर पावरबॉम्ब दिया। जैरिको- रेंस, तुम कितनी भविष्यवाणी करते हो, मैं तुम्हारी भविष्यवाणी करता हूं कि तुम पागल हो, भूल गए जब मैंने तुम्हें कोडब्रेकर दिया और यूएस टाइटल जीता। मेरा मन है कि मैं अभी रिंग में आकर तुम्हेें मारु। रेंस- क्या तुम मुझे रीमैच दे रहे हो, तो चलो दे कर देखो। ओवंस-चलो दिया तुम्हें मैंने यूएस टाइटल का मैच। रेंस- ओवंस , अगर आज मैं यूएस चैंपियनशिप मैच जीत जाता हूं, तो रॉयल रंबल में चैंपियनशिप मैच में भी जीत हासिल करुंगा, क्योंकि मैं द गाय हूं। "You want your rematch for the #USTitle tonight? YOU GOT IT!" - @FightOwensFight accepts the challenge for @IAmJericho on #RAW! pic.twitter.com/xACHrz43P2 — WWE (@WWE) January 24, 2017रोमन रेंस और क्रिस जैरिको का यूएस टाइटल के लिए मैच होगा। नमस्कार रॉ की लाइव कमेंट्री में आप का स्वागत है। ये रॉ का एपिसोड रॉयल रंबल पीपीवी से पहले आखिरी होगा। इसमें कई बिल्ड अप देखने को मिलेंगे। पिछले हफ्ते ब्रॉक ने वापसी की थी जबकि इस बार सुपरस्टार गोल्डबर्ग रॉ में शिरकत करेंगे। रॉयल रंबल मैच में अभी भी बहुत जगह बाकी है और कुछ नाम इसको और दिलचस्प बना सकते हैं। मैच में अब तक कुछ बड़े स्टार के नाम घोषित किए जा चुके हैं, लेकिन WWE यंग टैलंट को भी मौका देना चाहेगी। साशा बैंक्स के साथ फिउड की तरह शार्लेट का, बेली के साथ फिउड उतनी ऐतिहासिक नहीं होगी, इसलिए WWE को इस मैच में थोड़ी ज्यादा जान लगानी होगी। ओवंस पीपीवी से पहले काफी मजबूत नज़र आ रहे हैं और यह चीज डराती भी हैं। हालांकि एक बार फिर रोमन रेंस और केविन ओवंस का फिउड दिखाई देगा। हालांकि हमें ओंवस के साथ जैरिको तो रोमन के साथ रॉलिंस दिख सकते है। #RAW EXCLUSIVE: A BIG name has been added to the #RoyalRumble Match this Sunday. @MikeRomeWWE has all the details. pic.twitter.com/Dal1tHZFwU — WWE (@WWE) January 23, 2017
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मेरी सुप्रिया डार्लिंग-5 इतिश्री सुप्रिया लेखक : रोहित मित्रो, आपने मेरी कहानी के चार भाग पढ़े, अब पेश है इस श्रृंखला की अंतिम कड़ी ! सुप्रिया की नशीली जवानी का रसपान करते हुए लगभग डेढ़ वर्ष कैसे बीत गए, पता ही नहीं चला। इस दौरान सुप्रिया ने न केवल अपनी मदमस्त जवानी को मुझ पर लुटाते हुए जमकर अपने तीनो छेदों को चुदवाया बल्कि पत्नी की भाँति मेरी सेवा भी की। इतने दिन हम पति-पत्नी की ही तरह रहे। वो मेरा खाना-नाश्ता बनाने के अलावा मेरे कपड़े तक धो दिया करती थी, बदले में उसने कभी कोई फरमाइश नहीं की। उसे केवल मेरा प्यार ही पर्याप्त था। मेरी नियमित चुदाई से उसका सेक्सी बदन खूब निखर गया। सुप्रिया के होने वाले पति ने उसे बता दिया था कि शादी के बाद उसे गृहिणी की ही भूमिका रहना है, नौकरी नहीं करनी है। अतः सुप्रिया भी अपना कोर्स केवल टाइमपास के लिए कर रही थी, दो-तीन घंटे की क्लास के बाद वो घर पर ही रहती थी लिहाजा मेरा जब भी मूड करता उसे पकड़ कर पेल देता था और वो भी शायद ही कभी ना-नुकुर करती थी। जब वह अपने घर जाती या मैं कहीं बाहर जाता तो हम दोनों फोन सेक्स करते थे। सुप्रिया को तो मुझसे चुदवाए बिना नींद ही नहीं आती थी। एक रात मैंने उसे बिना चोदे छोड़ दिया तो वो थोड़ी देर बाद मेरे पास फिर आ गई कि उसे घबराहट हो रही है, मैं उसकी स्थिति समझ गया और उसकी चुदाई की। मेरे उसके सम्बन्ध इतने सेक्सी थे कि फोन पर मेरी आवाज सुनते ही उसके जिस्म में चीटियाँ रेंगने लगती थी और बात करने के पाँच मिनट के भीतर ही वो गीली हो जाती थी, भले ही बात किसी विषय पर हो। मजे की बात यह थी कि हमारा रिश्ता पूरी तरह गोपनीय रहा। कोई भी तीसरा व्यक्ति इसके बारे में नहीं जानता था। हम कभी भी बाहर नहीं मिलते थे। केवल एक बार उसे दिल्ली जाना पड़ा तो मैं भी पहुँच गया। दरअसल मेरी एक फैंटेसी थी, उसे ही पूरा करना था। मैं उसे एक पार्क में ले गया जहाँ प्रेमी जोड़ों की भरमार रहती है। मैं ट्रेक सूट पहने था और अंडरवीयर नहीं पहने था, जबकि सुप्रिया ने टॉप और लाँग स्कर्ट पहना और पैंटी नहीं पहनी। मैं एक पेड़ के सहारे अपनी टाँगें फैला कर बैठ गया और अपना लंड बाहर निकाल लिया, सुप्रिया मेरी गोद में ऐसी बैठी कि उसकी चूत में मेरा लंड चला गया और उसकी स्कर्ट से सब ढक गया। वो धीरे-धीरे ऊपर-नीचे होकर चुदवाने लगी। कोई देखता भी तो यही समझता कि लड़का अपनी गर्लफ्रेंड को अपनी गोद में बिठाए है। किसी को अंदाजा नहीं था कि अंदर ही अंदर रचनात्मक काम हो रहा है। खैर बाहर हमारी यही एक मुलाकात थी। उसकी शादी का दिन भी करीब आ गया। अपनी शादी के 15 दिन पहले वो अपने घर चली गई। मैं उसकी शादी में नहीं गया, उसी ने मना कर दिया था। शादी के करीब 15 दिन बाद सुप्रिया ने फोन किया और शादी के बाद के किस्से बताए कि कैसे उसके पति ने उसकी वैधानिक चुदाई कर सुहागरात मनाई। सुप्रिया अपने पति से खुश थी अतः मुझे भी सन्तोष था। मेरी दिलचस्पी इस बात को जानने में थी कि उसके पति ने उसकी गाण्ड मारी या नहीं। सुप्रिया ने बताया कि उसके पति की गाण्ड मारने में दिलचस्पी नहीं है। मैंने सुप्रिया से वादा ले लिया कि वो कभी अपने पति से न तो गांड़ मरवाएगी न ही उसका लंड चूसेगी, यह केवल मेरे लिए ही रहे। सुप्रिया ने इस वादे को निभाया। सुप्रिया का पति लखनऊ में ही रहता था अतः सुप्रिया कभी-कभी मुझसे चुदवाने के लिए कहती थी लेकिन मैंने मना कर दिया कि अब तुम पर मेरा हक नहीं है। हमारे बीच बातें होती रहती थी। उसकी सेक्स लाइफ बहुत अच्छी थी, उसका पति उसका दीवाना था। लिहाजा साल भर में ही उसने सुप्रिया से एक बच्चा पैदा कर लिया। बच्चे का नाम सुप्रिया ने रोहित ही रखा। बच्चा पैदा होने के बाद जब वह मिली तो उसका बदन बेहद शानदार हो गया था। अब मेरा मन डोलने लगा और सुप्रिया तो मुझसे अभी भी प्यार करती ही थी लिहाजा हमारी चुदाई का रिश्ता फिर शुरू हो गया। एक ही शहर में रहने से हमे मिलने के मौके बराबर मिलते थे और हम इसका लाभ उठाते थे। उसे दूसरा बच्चा भी पैदा हो गया लेकिन हमारे सम्बन्ध बने रहे। मैं उससे पूछता भी था कि इतने अच्छे पति के होते तुम्हें मुझसे चुदवाना क्यों पसंद है? तो उसने कहा कि उसे मानसिक संतुष्टि मिलती है, दूसरी बात ये मेरे प्यार करने का तरीका बहुत शानदार है। सुप्रिया अब चुदाई की माहिर खिलाड़ी बन गई थी, उसे लंड की सवारी गाँठना बहुत पसंद था। पहले जब वो ऐसा करती थी तो लंड पर ऊपर-नीचे होती और ये पूछने पर कि क्या कर रही हो, कहती कि चुदवा रही हूँ; लेकिन अब तो सुप्रिया लंड पर बैठ कर इतनी तेजी से आगे-पीछे करती कि मेरे होश उड़ जाते। अब मेरे पूछने पर कि क्या कर रही हो वो बोलती कि तुम्हें चोद रही हूँ या तुम्हारी चुदाई हो रही है। हार मान कर मुझे ही कहना पड़ता कि तुझ जैसे मस्त माल से कौन नहीं चुदवाना चाहेगा। खैर यह रिश्ता भी खत्म हो गया जब उसके पति का लखनऊ से ट्रांसफर हो गया। आज सुप्रिया से मेरा कोई संपर्क नहीं है कि वो कहाँ और कैसे है लेकिन जिस निःस्वार्थ भाव से उसने मुझे प्यार किया, मैं हमेशा उसका आभारी रहूँगा। सुप्रिया के साथ मैं तीन चीजें नहीं कर पाया- पहली यह कि उससे अपनी मूठ नहीं मरवाया, दूसरा उससे खूब लंड चुसवाने के बाद भी उसे अपना लंडामृत कभी नहीं पिलाया ! मेरी इच्छा है कि वो मेरा लंडामृत पीकर लंड को चाट कर साफ करे, तीसरा उसकी जम कर गांड़ मारने के बाद भी उसकी गाण्ड के छेद में अपनी जीभ को नुकीला कर नहीं घुमा पाया। अगर जीवन में कभी उससे मुलाकात हुई और उसने करने दिया तो ये तीन चीजें जरूर करूँगा। तो यह थी मेरी और सुप्रिया की कहानी। अब तक मेरे जीवन में कई लड़कियाँ आकर चुदवा चुकी हैं, उनकी कहानी भी लिखूँगा, लेकिन प्यार केवल सुप्रिया से रहा। काश वो मेरी पत्नी हो सकती। सुप्रिया भी अपने पति से संतुष्ट होने के बाद भी मुझे पति के रूप में देखना चाहती थी। लेकिन… हम हिम्मत न कर सके… इतिश्री सुप्रिया, जहाँ रहो सुखी और प्रसन्न रहो ! आबाद रहो ! #मर #सपरय #डरलग5
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आजकल बाज़ार में एक नहीं बल्कि कई तरह के करेले आसानी से मिल जाते हैं। लेकिन, बहुत से लोग करेले खरीदते समय ये बात भूल जाते हैं कि आज के समय फ्रेश और केमिकल मुक्त करेला मिलना कितना मुश्किल है। आजकल लगभग हर हरी सब्जी केमिकल रहित ही होती है। इसलिए अधिकतर लोग अपने छोटे से गार्डन में तरह-तरह की हरी सब्जियां उगाते रहते हैं। घर पर किसी भी सब्जी का उगाने का मतलब है केमिकल मुक्त हरी सब्जी। हर शुक्रवार की तरह आज भी हम आपको घर पर गमले में करेले का पौधा उगाने के बारे में बताने जा रहे हैं। हमारे इन स्टेप्स की मदद से आप आसानी से फ्रेश और ताजा करेले उगा सकती हैं। तो चलिए जानते हैं। इसके लिए आपको कुछ सामानों की ज़रूरत होगी। सामग्री की ज़रूरत - बीज - गमला - मिट्टी - खाद बीज का करें चुनाव टमाटर, नींबू, भिन्डी आदि कोई भी हरी सब्जी हो। इन सब की पैदावार तभी अच्छी हो सकती हैं जब इनकी बीज सही हो। आप कितना भी मेहनत कर लीजिये अगर सब्जी का बीज सही नहीं है तो आपकी मेहनत बेकार साबित हो सकती हैं। इसलिए किसी भी फसल को लगाने से पहले सही बीज का चुनाव ज़रूर करें। करेला का बीज खरीदने के लिए आप किसी बीज भंडार की तरफ रुख कर सकते हैं। बीज भंडार में एक से एक किस्म के बीज आसानी से मिल जाते हैं, जो फल भी सही देते हैं। आप कम से कम एक पैकेट बीज ज़रूर खरीदें। करें गमला तैयार बीज का चुनाव करने के बाद समय है गमले को तैयार करने की। आप करेला का पौधा लगाने के लिए मिट्टी से तैयार गमले का ही चुनाव करें। इससे फसल को पोषक तत्व आसानी से मिल जाते हैं। अब गमले में मिट्टी डालें। मिट्टी डालने के बाद मिट्टी को एक से दो बार अच्छे से खुरेंच दीजिये। मिट्टी खुरेंचने से ये होगा कि मिट्टी में मौजूद नमी आसानी से निकल जाएगी। इसे कुछ घंटों के लिए धूप में भी ज़रूर रखें। धूप में रखने से मिट्टी में मौजूद विषैले तत्व आसानी से खत्म हो जाते हैं। (ये 5 सब्जियां घर पर ही उगा सकती हैं) खाद का चुनाव सही हो करेला का पौधा लगाने के लिए सबसे ज़रूर चीजों में से एक है कि आप खाद का चुनाव कहा से और कैसा कर रहे हैं। अगर आपको केमिकल मुक्त करेला उगाना है, तो फिर आपको रासायनिक खाद नहीं प्राकृतिक खाद की तरफ ध्यान देना चाहिए। इसके लिए आप गाय, भैंस आदि के गोबर का इस्तेमाल कर सकती हैं। अगर ये खाद नहीं भी मिल रही है, तो किचन में मौजूद फल और सब्जियों के पत्तियों को इस्तेमाल भी खाद के रूप में कर सकते हैं। आप जैविक खाद को मिट्टी में अच्छे से मिला दीजिये। (आसानी से उगा सकती हैं रसीले टमाटर) Recommended Video बीज लगाएं मिट्टी तैयार करने और मिट्टी में खाद मिक्स करने के बाद नंबर है बीज लगाने की। करेला के बीज को गमले में लगभग 3-4 इंच गहरा ही लगाएं। बीज अधिक ऊपर लगा देने से पौधा अधिक मजबूत नहीं होता है और न ही फसल अच्छी होती है। इसलिए बीज लगाते समय इसका ज़रूर ध्यान रखें। बीज लगाने के बाद ज़रूरत के हिसाब में पानी भी डालना आप कतई न भूलें। लगभग एक से दो मग पानी ज़रूर डालें। खर-पतवार का रखें ध्यान कई बार गमले में पौधा लगाने के बाद अतिरिक्त खर-पतवार भी उगने लगते हैं। ऐसे में आप समय-समय उन्हें निकालते रहे। लगभग एक महीने बाद गमले में एक से दो बड़े-बड़े लकड़ी को लगा दें। इससे करेला की लती इसके सहारे खड़ी रहेंगी। इससे पौधे में होने फल भी नीचे की तरफ या फिर जमीन पर नहीं जायेंगे। इन लकड़ी में आप रस्सी भी लपेट सकती हैं। लगभग दो से तीन महीने के अंदर पौधे से करेला निकलने लगता है, जिसे आप तोड़कर भरुआ या फिर भुजिया सब्जी बना सकती हैं। अगर आपको यह लेख अच्छा लगा हो तो इसे शेयर जरूर करें व इसी तरह के अन्य लेख पढ़ने के लिए जुड़ी रहें आपकी अपनी वेबसाइट हरजिन्दगी के साथ। Image Credit:(@media.karousell.com,i.pinimg.com)
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- बड़े भाई ने छोटे भाई के सिर पर फावड़े से वार किया - शराब पीने के बाद दो भाइयों में झगडा हुआ - इलाज के दौरान छोटे भाई की मौत हुयी देहरादून 30 मार्च (एजेंसी) सूत्रों के अनुसार देहरादून (dehradun) के रायपुर (raipur) थाना क्षेत्र में स्थित पेरिश विहार में शराब पीने के बाद दो भाइयों में हुए झगडे में, बड़े भाई ने छोटे भाई के सिर पर फावड़े से वार किया, जिसके चलते छोटा भाई गंभीर रूप से घायल हो गया । प्राप्त जानकारी के अनुसार घायल को अस्पताल में भर्ती करवाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। जिसके बाद पुलिस ने आरोपित के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया है। इस मामले में इनकी माँ सरोज ने बताया कि उनका बड़ा बेटा नीरज रोडवेज में मैकेनिक (mechanic) है, जबकि छोटा बेटा विशाल बेरोजगार था। रविवार 28 मार्च को दोनों एक साथ बैठकर शराब पी रहे थे। इसी दौरान नीरज ने अपने छोटे भाई विशाल को डांटा कि वह कोई कामकाज नहीं करता। दिनभर घर पर बैठा रहता है। इसी बात को लेकर दोनों के बीच विवाद हो गया। नीरज ने पास में ही पड़े फावड़े से नीरज के सिर पर वार कर दिया। बुरी तरह से घायल विशाल को इलाज के लिए कोरोनेशन अस्पताल (coronation hospital ) में दाखिल करवाया गया, जहां 29 मार्च को विशाल ने दम तोड़ दिया। News Topic : Dehradun, Raipur, coronation hospital, mechanic,Web Title:Elder brother shovel younger brother's head to death
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भादवी छठ पर विशेष पूजा अर्चना की देवनारायण मंदिर में विशेष पुजा अर्चना की गई। भीलवाड़ा . भादवी छठ के अवसर पर सोमवार को स्मृति वन के पास स्थित देव डूंगरी पहाडी पर बने देवनारायण मंदिर में विशेष पुजा अर्चना की गई। यह मन्दिर अति प्राचीन है और यहां पर आज भी उस समय के शिलालेख और फड़ पेन्टिंग मौजूद है। लोक मान्यता है कि भगवान देवनाराण अपने बचपन में ननिहाल जाते समय यहीं रूककर बाल लिलाऐं की थी। इस दौरान घोड की पूजा करके मंदिर पर झण्डा भी चढाया। इस पहाडी से भीलवाड़ा शहर और हरणी महादेव क्षेत्र का विंहगम दृश्य नजर आता है। मंदिर के पुजारी किशनलाल सालवी ने बताया कि भगवान देवनारायण जब अपने ननिहाल जा रहे थे तब वह यहां पर रूके थे। जिसके कारण यहां पर सैंकडों वर्ष पूर्व यह मन्दिर बनाया था। मन्दिर में एक प्राचीन शिलालेख भी है लेकिन पुरानी लिखावट होने के कारण इसे कोई पढ़ नहीं पाया है। वहीं मन्दिर की बनावट भी प्राचीन शैली है। यहां पर साल में भादवी छठ और माही सप्तमी को विशेष पुजा अर्चना की जाती है। ............... चिकित्सा शिविर आज भीलवाड़ा . गणेश उत्सव प्रबन्ध सेवा समिति व ग्लेक्सी होम्योपैथिक क्लिनिक के संयुक्त तत्वावधान में होम्योपैथिक चिकित्सा शिविर मोती बावजी चौराहा पर सुबह १० से २ बजे तक आयोजित होगा। अध्यक्ष उदयलाल समदानी ने बताया कि शिविर में डॉ. किरण शर्मा परामर्श देगी।
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नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल पुलिस भर्ती बोर्ड की ओर से एक्साइज कॉन्स्टेबल (लेडी एक्साइज कॉन्स्टेबल ) के पद पर आयोजित होने वाली प्रीलिम्स लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित कर दिया है। जिन उम्मीदवारों ने इस परीक्षा के लिए अप्लाई किया है वह विभाग की वेबसाइट पर जाकर देख सकते है।इस संबंध में पश्चिम बंगाल पुलिस भर्ती बोर्ड (WBPRB) ने नोटिफिकेशन जारी के जानकारी दी। इसके मुताबिक सरकार के अधीनस्थ उत्पाद शुल्क सेवा में एक्साइज कांस्टेबल (लेडी एक्साइज कांस्टेबल सहित) के पद पर भर्ती के लिए प्रीलिम्स की लिखित परीक्षा का परिणाम जारी कर दिया है। रिजल्ट ऑफिशियल वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। बता दें कि सेलेक्टड उम्मीदवारों को अब पीएमटी और पीईटी परीक्षा में शामिल होना होगा। हालांकि इन परीक्षाओं की तारीख, एग्जाम सेंटर और टाइम सहित अन्य जरूरी जानकारी जल्द ही दी जाएगी। वहीं बता दें कि जो उम्मीदवार पीएमटी और पीईटी में सफल होंगे वो फिर, साक्षात्कार, डॉक्यूमेंट्स वैरीफिकेशन और मेडिकल परीक्षा में शामिल होंगे। ऐसे कर पाएंगे चेक स्टूडेंट्स अपना रिजल्ट चेक करने के लिए की विभाग की वेबसाइट wbpolice.gov.in पर जाएं वेबसाइट पर दिए गए Result के लिंक पर क्लिक करें रोल नंबर भरकर सबमिट करें. आपका रिजल्ट आपकी स्क्रीन पर आ जाएगा. भविष्य के लिए आप अपने रिजल्ट का प्रिंट ऑउट ले पाएंगे। KPSC Recruitment 2020: जूनियर असिस्टेंट पद पर आवेदन करने की अंतिम तिथि बढ़ी, जानें नई डेटNEXT STORY
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ANI NEWS INDIA @ http://aninewsindia.com ब्यूरो चीफ बालाघाट // वीरेंद्र श्रीवास : 83196 08778 खबरों और जिले, तहसील की एजेंसी के लिये सम्पर्क करें : 9893221036 मध्यप्रदेश शासन के राज्यमंत्री आयुष (स्वतंत्र प्रभार) एवं जल संसाधन विभाग रामकिशोर “नानो’’ कावरे ने आज 18 नवम्बर को उकवा में जिला प्रशासन द्वारा प्रोजक्ट उत्थान के अंतर्गत युवाओं के लिए नि:शुल्क कोचिंग का शुभारंभ किया। इस कोचिंग के माध्यम से जिले के इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के युवाओं को पुलिस एवं सुरक्षा बलों में भर्ती की तैयारी के लिए दो माह की नि:शुल्क कोचिंग दी जायेगी। जिला प्रशासन का प्रयास है कि प्रदेश सरकार द्वारा हेड कांस्टेबल, कांस्टेबल एवं आरक्षक के 04 हजार पदों पर की जा रही भर्ती में बालाघाट जिले के अधिक से अधिक युवा सफल होकर भर्ती हो सके। जिला प्रशासन की इस पहल को युवाओं का अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है और प्रथम दो दिनों में ही लगभग एक हजार युवाओं ने कोचिंग लेने के लिए अपना पंजीयन कराया है। प्रोजेक्ट उत्थान के अंतर्गत नि:शुल्क कोचिंग के शुभारंभ अवसर पर पूर्व विधायक श्री भगत सिंह नेताम, कलेक्टर श्री दीपक आर्य, पुलिस अधीक्षक श्री अभिषेक तिवारी, बैहर एसडीएम श्री गुरूप्रसाद, मायल उकवा के प्रबंधक श्री रेड्डी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बैहर श्री मरावी, अनुविभागीय पुलिस अधिकारी बैहर श्री आदित्य मिश्रा, जनपद पंचायत सदस्य श्रीमती सुलेखा बडोले, सामाजसेवी श्री यशवंत शरणागत, श्री जेम्स बारिक, अन्य गणमान्य नागरिक, अधिकारी, बच्चों को कोचिंग देने वाले अपाला संस्थान के श्री नारायण बोपचे एवं कोचिंग के लिए पंजीयन कराने वाले युवा उपस्थित थे। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मंत्री श्री कावरे युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि बालाघाट जिला प्रशासन ने इस क्षेत्र के युवाओं को पुलिस आरक्षक भर्ती की नि:शुल्क कोचिंग देने की पहल कर एक अच्छा कदम उठाया है। जिला प्रशासन की इस पहल का लाभ इस आदिवासी क्षेत्र के युवाओं को मिलेगा और वे पुलिस भर्ती में सफल हो सकेंगें। मंत्री श्री कावरे ने कहा कि इस कोचिंग के लिए जितनी पुस्तकों की जरूरत है, वे अपनी ओर से उपलब्ध करायेंगें। कोचिंग में शामिल होने वाले युवा अपना एक लक्ष्य तय कर लें और उसी के अनुरूप कड़ी मेहनत करें। दुनिया में ऐसा कोई काम नहीं है, जो मनुष्य नहीं कर सकता है। सभी युवा अनुशासन का पालन करते हुए स्वामी विवेकानंद को पढ़े और उनके सिद्धांत और बताई गई बातों को आत्मसात करें। उकवा में प्रारंभ की गई यह कोचिंग केवल आरक्षक की भर्ती के लिए ज्ञान नहीं देगी, बल्कि सीआरपीएफ, बीएसएफ में भर्ती का भी प्रशिक्षण देगी। उकवा क्षेत्र के युवाओं के लिए यह एक अच्छा अवसर है उन्हें इसका भरपूर लाभ उठाना चाहिए। मायल उकवा ने भी इस कोचिंग के लिए अपनी ओर से योगदान दिया है। उनका प्रयास होगा कि भरवेली में भी मायल एवं जिला प्रशासन के सहयोग से ऐसी ही नि:शुल्क कोचिंग प्रारंभ की जाये। पूर्व विधायक श्री भगत सिंह नेताम ने इस अवसर पर युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि उकवा जैसे क्षेत्र में नि:शुल्क कोचिंग की व्यवस्था करना हमारी भावी पीढ़ी के सुखद भविष्य के लिए एक अच्छा कार्यक्रम है। इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र के युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, जरूरत उसे निखारने और अवसर प्रदान करने की है। इस कोचिंग के माध्यम से इस क्षेत्र के युवाओं को आगे आने का अवसर मिलेगा और वे विकास की ओर अग्रसर होंगें। कलेक्टर श्री दीपक आर्य ने इस अवसर पर युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि वे इस कोचिंग के दौरान आपस में ग्रुप्स बनाकर तैयारी करें और एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा की भावना रखें, अपने ज्ञान को छुपाये नहीं। कोई किसी क्षेत्र में कमजोर होता है तो कोई किसी क्षेत्र में महारत रखता है। टीम बनाकर तैयारी करने से एक दूसरे से सीखने को मिलता है। एक हजार युवाओं ने कोचिंग के लिए कराया पंजीयन प्रोजेक्ट उत्थान के अंतर्गत उकवा में प्रारंभ की गई इस नि:शुल्क कोचिंग को लेकर क्षेत्र के युवाओं में भारी उत्साह है। प्रथम दो दिन में ही लगभग एक हजार युवाओं ने इस कोचिंग में शामिल होने के लिए अपना पंजीयन कराया है। पंजीयन कराने वाले युवाओं में 30 से 40 किलोमीटर दूर गावों के आदिवासी युवा भी शामिल है, जो साईकिल से उकवा आ रहे है। कुछ युवा तो लामता एवं भरवेली क्षेत्र के भी है। 60 दिनों की इस नि:शुल्क कोचिंग के दौरान पुलिस आरक्षक की भर्ती के लिए युवाओं को सामान्य ज्ञान के साथ शरीरिक प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। जिला प्रशासन का प्रयास है कि पुलिस आरक्षकों के 04 हजार पदों पर की जा रही भर्ती में बालाघाट जिले के अधिक से अधिक युवा सफलता हासिल कर सकें। बैहर एसडीएम श्री गुरूप्रसाद ने बताया कि इस कोचिंग में पीएससी एवं यूपीएससी परीक्षा की तैयारी कर चुके अधिकारी भी अपना समय देंगें और उन्हें पढ़ाने का काम करेंगें। उकवा मायल ने इस कोचिंग के लिए अपना सामुदायिक भवन एवं ग्राउंड उपलब्ध कराया है।
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उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के होटलों में सुबह 4 बजे तक शराब परोसने की अनुमति दे दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के सभी बड़े शहरों में बार रात 2:00 बजे तक तथा फाइव स्टार होटलों में सुबह 4:00 बजे तक खुले रखने का निर्णय लिया है। नोएडा तथा गाजियाबाद में सभी बार नगर निगम के अंतर्गत आते हैं। पहले लाइसेंस प्राप्त फाइव स्टार होटल भी रात 2:00 बजे तक ही खोले जाते थे लेकिन अब यह समय सीमा दो घंटे के लिए बढ़ा दी गई है जबकि बार 1:00 तक खोले जाते थे जिनमे अब एक घंटे के लिए समय सीमा बढ़ाई गई है। बधाई गई यह नई समय सीमा 1 अप्रैल से लागू की जाएगी और इसके लिए बार तथा होटलों को अतिरिक्त फीस देनी पड़ेगी। Uttar Pradesh government to give permission to hotels in the state to serve alcohol till 4 am in the morning. — ANI UP (@ANINewsUP) January 28, 2020 राज्य सरकार ने यह निर्णय आबकारी से राजस्व बढ़ाने के लिए लिया है। अब छोटे शहरों के होटल भी शराब के लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने पिछले हफ्ते 2020-21 की आबकारी नीति के तहत कैबिनेट बैठक के दौरान इस प्रस्ताव को पास किया था जिसमे देशी शराब बेचने के लिए लाइसेंस शुल्क में 10% की बढ़ोतरी की गई थी जबकि बीयर बेचने के लिए लाइसेंस शुल्क में 15% की वृद्धि की गई थी। इसके अलावा विदेशी शराब परोसने के लाइसेंस में 20% की बढ़ोतरी की गई थी। राज्य सरकार ने एक सरल और पारदर्शी आबकारी नीति बनाई है जिसमे लाइसेंस का नवीनीकरण ई-लॉटरी के ज़रिये किया जाएगा। इस नई नीति में एक लाइसेंस पर किसी व्यक्ति को प्रदेश के भीतर सिर्फ दो दुकानें ही खोलने की इजाज़त दी जाएगी। कैबिनेट बैठक के दौरान बीयर की दुकानों पर भी शराब बेचने का फैसला लिया गया है। इसके अलावा लग्जरी ट्रेन में भी शराब परोसने के लिए लाइसेंस शुल्क लिया जाएगा। अभी तक लग्जरी ट्रेन में शराब परोसने के लिए लाइसेंस शुल्क नहीं लिया जाता था। हवाई अड्डे के बाहर बने एयरपोर्ट लाउंज तथा होटलों को भी लाइसेंस दिया जाएगा। शराब की सभी बोतलों पर बारकोड दिए जाएंगे ताकि शराब पीने वाले लोग असली और नकली शराब की पहचान कर सकें। प्रदेश के सभी बड़े शहरों में 50 या उससे अधिक कमरे वाले सभी होटलों में शराब परोसने का वार्षिक लाइसेंस 10 लाख रुपये रखा गया है जो 1 अप्रैल से लागू होगा। इस सभी बड़े शहरों में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ, कानपुर, आगरा, वाराणसी, इलाहाबाद, गाजियाबाद, गौतम बुद्ध नगर या नोएडा शामिल हैं।
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टीम इंडिया ने न्यूजीलैंड के खिलाफ ऑकलैंड में खेले गए पहले टी20 मुकाबले में मेजबान न्यूजीलैंड के 203 रनों का बड़ा स्कोर एक ओवर शेष रहते 4 विकेट खोकर आसानी से हासिल कर लिया ,और जीत हासिल की। इस जीत के साथ ही उसने सबसे अधिक बार 200 से बड़ा स्कोर हासिल कर मैच जीतने का रिकॉर्ड भी बना दिया। आपको बता दें की भारतीय क्रिकेट टीम ने टी-20 इंटरनेशल मैचों में सबसे अधिक चार बार 200 से अधिक रनों का टारगेट चेज किया है। और ऐसा करने वाली टीम इंडिया दुनिया की पहली टीम है जिसने यह कारनामा किया है। उसके बाद दूसरे नंबर पर ऑस्ट्रेलिया है, जिसने दो बार यह कारनामा किया है. इसके बाद दक्षिण अफ्रीका, न्यूजीलैंड, वेस्टइंडीज, इंग्लैंड और कतर ने एक-एक बार यह कारनामा किया है। टीम इण्डिया के सबसे बड़े रन चेज़ 207 बनाम श्रीलंका मोहाली 2009 202 बनाम ऑस्ट्रेलिया राजकोट 2013 208 बनाम वेस्टइंडीज हैदराबाद 2019 204 बनाम न्यूजीलैंड ऑकलैंड 2020 *
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लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली, Updated Fri, 27 Nov 2020 09:38 PM IST कोरोना के कारण हम सभी कम से कम बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं और बाज़ार के सामान को भी दरकिनार कर रहे हैं। इसलिए यदि इसी बीच परिवार में या दोस्तों में से किसी का जन्मदिन आ जाए तो आपको केक के लिए बाहर जाने की ज़रूरत नहीं है। आप घर पर ही स्वादिष्ठ केक तैयार कर अपने स्नेहीजनों को खुश कर सकते हैं। आगे की स्लाइड्स में जानिए कि किस तरह आप घर पर ही स्वादिष्ठ केक तैयार कर सकते हैं।
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Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप 2 घंटे पहले - कॉपी लिंक 84 साल के धर्मेंद्र एक बार फिर नाना बन गए हैं। उनकी और हेमा मालिनी की छोटी बेटी अहाना देओल (35) ने जुड़वां बेटियों को जन्म दिया है। शुक्रवार को अहाना ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए यह खुशखबरी अपने चाहने वालों को दी। अहाना ने अपनी पोस्ट में लिखा है, “हमें अपनी जुड़वां बेटियों एस्ट्राया और एडिया के आगमन की खबर देते देते हुए बहुत खुशी हो रही है। 26 नवंबर 2020। प्राउड पैरेंट्स अहाना और वैभव। एक्साइटेड ब्रदर डैरियन वोहरा। फूले नहीं समा रहे दादी -दादा पुष्पा और विपिन वोहरा, नानी-नाना हेमा मालिनी और धर्मेंद्र देओल।” 2014 में की थी अहाना ने शादी अक्सर मीडिया से दूर रहने वाली वाली अहाना देओल ने 2014 में वैभव वोहरा से शादी की, जो दिल्ली बेस्ड बिजनेसमैन विपिन वोहरा के बेटे हैं। वैभव खुद भी बिजनेसमैन हैं। 2015 में अहाना और वैभव के बेटे डैरियन का जन्म हुआ था। फिल्मों से दूर अहाना देओल अहाना ने 2010 में रिलीज हुई ऋतिक रोशन और ऐश्वर्या राय स्टारर फिल्म ‘गुजारिश’ में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम किया था, जिसके निर्देशक संजय लीला भंसाली हैं। इसके अलावा न उन्होंने किसी फिल्म को असिस्ट किया और न ही बतौर एक्ट्रेस फिल्मों में कदम रखा। धर्मेंद्र-हेमा की बड़ी की दो बेटियां धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की बड़ी बेटी ईशा देओल भी दो बेटियों की मां हैं। 2012 में बिजनेसमैन भरत तख्तानी से शादी कर चुकीं ईशा ने अक्टूबर 2017 में पहली बेटी राध्या और जून 2019 में दूसरी बेटी मिराया को जन्म दिया था।
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आप बहुत गेमस्पोट हत्यारों के लिए कुछ भी जरूरत है न पंथ इस पीठ बस अपनी कल्पना रचनात्मक सोच और अपने जिस्मानी चलो अपने पति के बिस्तर में नीचे आराम आंखों पर आंखों के साथ फ़ीड बातें देखभाल स्ट्रॉबेरी चॉकलेट और असामान्य एकता के लिए ठोस खाद्य पदार्थों जो अदूरदर्शी है और नाम लगता है पूछना उच्चतम डिग्री करने के लिए शानदार और गेमस्पोट हत्यारों पंथ मुखर प्यारे इंडियम राष्ट्र जैव चिकित्सा क्षेत्र में एक औषध बनाने की विद्या शोधकर्ता व्युत्पत्ति शमूएल कॉनवे, पीएच.डी. उन्होंने कहा कि पिछले चला जाता है "चाचा कैसे" अपने फरसन के रूप में. उन्होंने कहा कि 1989 के बाद से प्यारे सम्मेलनों के साथ भारग्रस्त किया गया है.
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यूएस ट्रैवल एसोसिएशन सार्वजनिक मामलों के कार्यकारी उपाध्यक्ष और नीति तोरी बार्न्स ने आज निम्नलिखित बयान जारी किया: "अमेरिकी यात्रा समुदाय धन्यवाद सीनेट ऊर्जा और प्राकृतिक संसाधन समिति हमारे पार्कों के पुनर्स्थापना अधिनियम को आगे बढ़ाने के लिए, और उम्मीद है कि कांग्रेस 12 बिलियन डॉलर के रखरखाव बैकलॉग के समाधान के लिए काम करना जारी रखेगी जो हमारे राष्ट्रीय उद्यानों की दीर्घकालिक व्यवहार्यता को खतरे में डाल रही है। "हमारे राष्ट्रीय उद्यानों का महत्व उनके संरक्षण और मनोरंजन मूल्य से परे है। वे आर्थिक गतिविधियों के भी महत्वपूर्ण केंद्र हैं, जो वार्षिक खर्च और $ 40.1 अमेरिकी नौकरियों में $ 329,000 बिलियन का ड्राइविंग करते हैं। और ग्रैंड कैनियन, डेनाली, या अकाडिया की यात्रा का अनुभव पूरी तरह से अनूठा है और इसे दोहराया नहीं जा सकता है, राष्ट्रीय उद्यान दुनिया भर से आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। प्रवासी आगंतुक वहां सबसे अधिक आकर्षक होते हैं, जो यूएस में प्रति यात्रा के बारे में $ 4,200 खर्च करते हैं - और उनमें से लगभग 40 मिलियन जो हम हर साल स्वागत करते हैं, एक तिहाई से अधिक एक राष्ट्रीय उद्यान या स्मारक पर जाते हैं, जबकि वे यहां हैं। “रिस्टोर अवर अवर पार्क्स एक्ट हमारे पार्कों के बुनियादी ढांचे को सुरक्षित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है ताकि वे आने वाली पीढ़ियों के आनंद और उस आर्थिक विरासत को बनाए रखने के लिए उपलब्ध रहें। हम इस कानून को आगे बढ़ाने के लिए सीनेटर पोर्टमैन, अलेक्जेंडर, किंग और वार्नर को धन्यवाद देते हैं कि इस कानून को कमेटी के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए सीनेटर मुर्कोव्स्की और मनचिन के अलावा।
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किराने की दुकानों में लगातार इन्वेंट्री सिकुड़न, या सिकुड़न का अनुभव होता है, जो कि इन्वेंट्री के डॉलर मूल्य को संदर्भित करता है, जो स्टोर तकनीकी रूप से खुद का है लेकिन बिक्री के लिए अनुपलब्ध है। आश्चर्यजनक रूप से, एफएमआई और द रिटेल कंट्रोल ग्रुप द्वारा 2011 में किए गए शोध से पता चला कि केवल 36 प्रतिशत खुदरा किराने की दुकान सिकुड़ती है जो चोरी या अन्य बेईमान व्यवहार से आती है; किराने की दुकान का 64 प्रतिशत अपर्याप्त स्टोर संचालन और प्रक्रियाओं से परिणाम सिकुड़ता है। ओवररिप प्रोड्यूस रिजॉल्यूशन एक त्वरित-विचार उपज प्रबंधक ओवररिप उपज से नुकसान को कम करता है। यदि उपज इसकी इष्टतम बिक्री की तारीख से अधिक है, लेकिन अभी भी विपणन योग्य है, तो उत्पाद खरीदने के लिए एक प्रबंधक की कीमत में कमी से दुकानदारों को प्रेरणा मिल सकती है। यह प्रथा स्टोर को दूर फेंकने के बजाय अपनी कुछ लागतों को फिर से भरने में सक्षम बनाती है। जब फल और सब्जियां नरम धब्बे, धब्बा या अतिवृद्धि के अन्य लक्षण विकसित करते हैं, तो एक संसाधन प्रबंधक स्टोर की डेली, तैयार भोजन रसोई या बेकरी में प्रयोग करने योग्य उत्पादन भेजता है। Shoplifting डिटर्जेंट एक सक्रिय किराने की दुकान प्रबंधक उच्च प्रलेखित चोरी की दरों के साथ गलियों में संभावित दुकानदारों को रोकने का प्रयास करता है। प्रबंधक विभिन्न स्टोर संचालन के घंटों के दौरान उन गलियारों में शेल्फ-स्टॉकिंग कर्मचारियों को स्थिति देते हैं, जो एक कर्मचारी के साथ पास के व्यापारियों को सामान देने से दुकानदारों को हतोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किया गया अभ्यास है। हालाँकि एक चोरी को रोकने से अभियोजन की आवश्यकता समाप्त हो जाती है और स्टोर की निचली रेखा में सुधार होता है, प्रबंधकों को राज्य कानूनों और स्टोर दिशानिर्देशों के भीतर काम करना चाहिए जब वे एक दुकानदार की पहचान करते हैं। खजांची प्रशिक्षण एक खराब प्रशिक्षित कैशियर जो सस्ते बड़े पैमाने पर उत्पादित लेट्यूस और उच्च कीमत वाले कारीगर लेटस के बीच अंतर नहीं कर सकता है, किराने की दुकान के मुनाफे को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। दिनों या हफ्तों के दौरान, यह अक्षम कर्मचारी स्टोर के राजस्व को कम करता है और नए खराब होने वाले उत्पादों को ऑर्डर करने के लिए उपयोग किए जाने वाले दोषपूर्ण इन्वेंट्री डेटा को उत्पन्न करता है। इसके अतिरिक्त, अनुभवहीन कैशियर के पास अच्छे पॉइंट-ऑफ-सेल टेक्नोलॉजी कौशल की कमी हो सकती है, जो कि हाथ से की जाने वाली व्यापारिक वस्तुओं और ग्राहकों की क्रेडिट संख्याओं को आसान बना सकता है। दोनों प्रथाओं के कारण उच्च स्टोर खर्च होता है। लगातार निगरानी और डेटा विश्लेषण के साथ-साथ पर्याप्त कैशियर प्रशिक्षण, समय के साथ कैशियर की दक्षता में सुधार करेगा। स्व-जांच निगरानी बेईमान स्व-चेकआउट ग्राहक अक्सर सस्ते उत्पाद के लिए एक आइटम कोड दर्ज करते हैं, जैसे कि केले, अपने उच्च कीमत वाले आइटम के लिए सही कोड दर्ज करने के बजाय, जैसे कि आयातित कार्बनिक अनानास। किराने की दुकान के प्रबंधक स्व-चेकआउट पोडियम पर एक प्रौद्योगिकी-प्रेमी कर्मचारी को तैनात करके इन धोखाधड़ी खरीदों को चिह्नित कर सकते हैं। यह कर्मचारी कई रजिस्टरों के स्क्रीन को स्कैन करता है और दुकानदारों के माल की तुलना संबंधित रजिस्टरों के आइटम कोड से करता है। जब विसंगतियां होती हैं, तो स्वयं-चेकआउट कर्मचारी समस्या को स्वचालित रूप से साफ़ करने के बजाय कारण निर्धारित करता है। विशिष्ट लेनदेन के वीडियो फुटेज के साथ संयुक्त रूप से स्टोर की आंतरिक ऑडिट प्रक्रिया, अक्सर समस्या के स्रोत का खुलासा करती है।
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कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर ने देशभर में काफी हाहाकर मचा दिया है. इसके चलते बीते दिनों महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने राज्य में लॉकडाउन की घोषणा कर दी. राज्य में धारा 144 लागू कर दी गई है जिसके तहत 4 से ज्यादा लोगों के एक जगह पर इकट्ठा होने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसका असर कई बड़ी बजट की फिल्मों की शूटिंग के काम पर भी पड़ा है. शूटिंग के काम पर पूरी तरह से रोक लगाने का आदेश जारी किया गया है जिसके चलते सलमान खान और शाहरुख खान की फिल्में भी अधर में अटकी हुई हैं. सलमान अपनी फिल्म 'टाइगर 3' (Toपर कम कर रहे थे तो वहीं शाहरुख खान की फिल्म 'पठान' को लेकर शूटिंग जारी था. इसी के साथ प्रभास और कृति सैनन की फिल्म 'आदिपुरुष' का काम भी जारी था. लेकिन अब महाराष्ट्र सरकार के आदेश के बाद इन सभी फिल्मों की शूटिंग का काम अगले 15 दिनों के लिए रोक दिया गया है. 'टाइगर 3' के निर्देशक मनीष शर्मा ने कहा कि सलमान खान ने भी इस फिल्म की शूटिंग का काम रोक दिया है. अब निर्माता-निर्देशकों को लॉकडाउन के हटने का इंतजार है जिसके बाद इन फिल्मों के बचे हुए हिस्सों की शूटिंग का काम पूरा किया जा सके.
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अलेक्जेंडर एल्डर वेबिनार के लिए पंजीकरण: bit.ly/30VFo0qOpen एक खाता पिछले हफ्ते कहा था - उन्होंने कैसे काम किया - चलो BABA, BIDU देखें - इन प्रचारों में हम एक पलटाव की उम्मीद कर सकते हैं - [. ]। एक बार खोलने के पारंपरिक धुरी बाद, आप देखेंगे कि आपके ऑर्डर का लाभ ऋणात्मक है क्योंकि कमीशन शुल्क ऑर्डर की राशि से काटा जाता है। यह शब्द क्रिया "खोपड़ी" से ली गई है, खोपड़ी खोपड़ी अर्थ। मुद्रा बाजार में, "सिर" स्थानीय और दैनिक चरम है, जिसमें से आय उत्पन्न कर रहा है। कोई भी ऑनलाइन ब्रोकर जो स्वाभिमानी है, व्यापारियों के लिए विभिन्न सुविधाजनक और सुरक्षित पेशकश करके पैसा जमा करना आसान बनाता है भुगतान की विधि । यदि आप एक निश्चित भुगतान विधि पसंद करते हैं, तो एक शीर्ष विदेशी मुद्रा या एफटीटी दलाल खोजने की गारंटी है जो इसे स्वीकार करता है। इसके लिए, आपको IQ विकल्प पर ईएमए के साथ जोड़ने और व्यापार करने के लिए अब आश्वस्त होना चाहिए। अब इसे अपने पर आजमाएं मुफ्त अभ्यास खाता। पारंपरिक धुरी, MT4 विदेशी मुद्रा ट्रेडिंग संकेतक यदि पारंपरिक धुरी इन तरीकों से मदद नहीं मिली है, तो आपको शायद करना होगा pereproshyt एंड्रॉइड पर डिवाइस या सेटिंग्स के पूर्ण रीसेट। इसके अलावा, विफलता के कारण हार्डवेयर हो सकते हैं। इन मामलों में, समस्या का एकमात्र सही समाधान एक विशेष समर्थन सेवा में रूपांतरण होगा। संक्षेप में: इंटरनेट का उपयोग करने वाला मान एप्लिकेशन परत में जारी किया गया था। ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करने वाले मूल्य को प्रोटोकॉल की परतों में सबसे अधिक जारी किया जाएगा। परतें दो, तीन और चार। एक व्यावसायिक विचार किसी भी लाभदायक व्यवसाय की नींव है। ऐसे वाणिज्यिक विचार हैं जिन्होंने अपने रचनाकारों के लिए लाखों मुनाफे लाए हैं और अब तक उन पर काम करना जारी रखते हैं। इन लोगों ने अपने व्यवसाय को खरोंच से शुरू किया, जिसमें केवल सफल होने की बहुत बड़ी इच्छा थी। इसके बारे में, हमने अपनी साइट पर लोकप्रिय लेखों में से एक में विस्तार से बात की। इस ऑसिलेटर का 0 के ऊपर होने का मतलब है कि अरूण अप, अरूण डाउन से बड़ा है, यानी पिछले कुछ समय में कीमतें नया पारंपरिक धुरी हाई ज्यादा बार बना रही हैं। ठीक इसका उल्टा, 0 के नीचे होने का मतलब है कि अरूण डाउन, अरूण अप से बड़ा है, यानी कीमतें नए हाई से ज्यादा नए लो बना रही हैं। नाटक बाजार में खरीदारी शुरू करने के लिए आपको जो अंतिम कोड दर्ज करना है उसे सीवीवी 2 या सीवीसी कहा जाता है, और यह सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कार्य करता है। अपने स्वयं के खुदरा मूल्य चिह्न सेट करने के लिए, मर्चिफाई आपके लिए सभी बिलिंग जानकारी भेजता है Shopify लेखा। जैसे, आप सभी शिपिंग विकल्पों और लाभ मार्जिन का प्रबंधन कर सकते हैं, तदनुसार। लिपिकवर्गीय कर्मचारी का अर्थ है अधीनस्थ सेवा के वे सरकारी कर्मचारी, जिनकी ड्यूटी पूर्णतया लिपिकीय है तथा किसी दूसरे वर्ग के सरकारी कर्मचारी, जिनको शासन के सामान्य अथवा विशेष आदेश द्वारा इस वर्ग का घोषित कर दिया जाय। विदेश मंत्रालय एचसीएल (1M) के 113.6 मिलीग्राम और DIH 2 0 से 1 मिलीलीटर के साथ एक कम करने एजेंट शेयर समाधान (सी) बनाते हैं. ताजा प्रयोग करें या -20 डिग्री सेल्सियस पर संग्रहीत और अप करने के लिए 1 महीने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जो 10 x 100 μl aliquots, (aliquots फ्रिज में नहीं है) बनाते हैं। पारंपरिक धुरी, stochastic थरथरानवाला अगर आप पारंपरिक धुरी इन शर्तों या किसी खास सेवा की अतिरिक्त शर्तों का पालन नहीं करते हैं और हम तुरंत कोई कार्रवाई नहीं करते हैं, तो इसका यह मतलब नहीं है कि हम अपना कोई अधिकार छोड़ रहे हैं. उदाहरण के लिए, आने वाले समय में कार्रवाई करने का अधिकार। “ माँ. आप कैसी बात करती हैं. क्या यह परिवार मेरा नहीं या आप मुझे अभी भी बेगानी ही समझती हैं. माँ. इस समय सबसे पहले हमे रोहन की चिंता ख़तम करनी है. मेरे लिए रोहन है तो सब कुछ है. मैं आपके साथ कल ही बैंक जा कर ज़ेवर निकाल देती हूँ आप सुनार के पास ले जाना ।”अवनि ने कहा और बाहर आ गयी। यदि आप एक ऑनलाइन व्यवसाय चलाते हैं, तो आपको अपनी वेबसाइट पर सभी आवश्यक एकीकरण करने होंगे। यह सुनिश्चित करने के लिए है पारंपरिक धुरी कि चेकआउट पृष्ठ दुकानदारों के लिए सुरक्षित है और सभी भुगतान विकल्प संक्षिप्त हैं। यदि सूचक एक झूठी कीमत आंदोलन (विचलन) दिखाता है, तो यह कीमत को चालू करने के लिए संकेत के रूप में कार्य करता है। विकास की कोई सीमा नही होती, क्योंकि मनुष्य की मेधा, कल्पनाशीलता और कौतूहूल की भी कोई सीमा नही है। समीक्षा के लिए रूस और सीआईएस में सूचीबद्ध टॉप -10 सर्वश्रेष्ठ विदेशी मुद्रा दलालों में से एक ब्रोकरेज कंपनी का चयन करते समय, आपको दिवालियापन के मामले में अपने ग्राहकों को जमा राशि की वापसी पर दिए गए विनियमन और गारंटी पर ध्यान देना चाहिए। गंभीर दलाल अपने ग्राहकों के व्यापारिक जोखिमों का बीमा नहीं करते हैं, साथ ही कंपनी के दिवालियापन और अन्य अप्रत्याशित स्थितियों के जोखिम में भी। हीट संचायक (बफर टैंक या टीए) एक अच्छी तरह से इंसुलेटेड सील टैंक है। शरीर काले स्टील से बना है, अछूता - पॉलीयूरेथेन पारंपरिक धुरी फोम, एक्सट्रूडेड पॉलीस्टाइन फोम या बेसाल्ट ऊन। प्रश्नोत्तरी लेकर इस खंड की जानकारी के बारे में अपनी समझ का परीक्षण करें। हम अपने संगठन में गैर-सेक्सिस्ट भाषा के उपयोग के बहुत ही सकारात्मक समावेश पर विचार, और अभी तक कुछ लोगों ने हमें बताया है कि वे अनदेखी, भूलना. अन्य लोग, वे टिप्पणी है कि वे तरीकों की सोच भी नहीं सकते हमें नाम के लिए या महिला और पुरुष समावेशी पारंपरिक धुरी शामिल करने के लिए, या का उपयोग करें "@एक "से"X"लेस farragoso भारी परिणाम. समावेशी भाषा का प्रयोग अग्रिम करने के लिए, कि महिलाओं के खिलाफ भेदभाव नहीं करता है, हम का उपयोग किया जाएगा प्रगतिशील generalizadamente महिला लिंग जब सभी लोगों की चर्चा करते हुए। नोट: चार्ट शीर्षक पर क्लिक करके एक शीर्षक दर्ज करें। उदाहरण के लिए, वन्यजीव जनसंख्या। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने शांति सैनिकों की सुरक्षा और सुरक्षा पर प्रस्ताव को अंगीकृत किया।
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रिपोर्ट फराह अंसारी हेल्थ: अकसर हम कीड़े-मकोड़े या मच्छरों के काटने के शिकार हो जाते हैं। एक स्टडी की रिपोर्ट में सामने आया है कि ‘ए’ रक्त समूह वालों को किलनी द्वारा काटे जाने का जोखिम ज्यादा होता है। इसमें खटमल भी शामिल हैं, जो कई घातक बीमारी के कारण बनते हैं। किलनी रक्त चूसने वाला परजीवी है, जो अक्सर लकड़ी में पाया जाता है और इसका परपोषी जीवाणु होता है। शोधकर्ताओं ने प्रयोगशाला में एक पेट्री डिश पर जीवाणुरहित फिल्टर पेपर पर ‘ए’, ‘बी’, ‘एबी’, व ‘ओ’ रक्त का एक नमूना गिराया। एक इक्जोडेस रिसिनस किलनी या ‘भेड़ टिक’ को डिश में रखा गया और वैज्ञानिकों ने दो मिनट तक इसकी गतिविधियों पर नजर रखी। कहीं आप तो नहीं लेते काम का ज्यादा प्रेशर? होता है ये असर नतीजों से पता चला कि 36 फीसदी किलनियों ने ‘ए’ रक्त वाले समूह को पसंद किया, जबकि 15 फीसदी परजीवी रक्त समूह ‘बी’ की तरफ आकर्षित हुए। स्टडी की प्रमुख शोधकर्ता ने कहा, “स्टडी से पता चलता है कि रक्त समूह इक्जोडेस रिसिनस किलनी में खाने को तवज्जो देने का एक कारक हो सकता है। उन्होंने कहा, किलनियों के संभावित पंसद की जानकारी का इस्तेमाल विशेष रक्त समूह के लोगों को काटने के जोखिम को कम करने में किया जा सकता है।
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Radha Soami- सभी सत्संगी भाइयों को यह जानकर बहुत निराशा होगी कि कुछ समय तक बाबा जी का सत्संग कोरोना के चलते स्थगित कर दिए गए हैं, क्योंकि हर रोज कोरोना के परिणाम घातक होते जा रहे हैं इसलिए सत्संग अभी कुछ समय तक नहीं होंगे। इसके कारण नहीं हो सकेगा सत्संग लगभग एक साल से ज्यादा निकल चुका है, परंतु कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। जिसकी कारण बाबा जी के सत्संग नहीं हो सके। बाबा जी की संगत बाबाजी के दर्शनों के लिए बहुत उत्साहित है, परंतु जिस तरीके से कोरोना कि केस बढ़ रहे हैं, उन को देखते हुए अभी संगत को कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा। जब स्थिति सामान्य हो जाएगी तो सब को सूचित कर दिया जाएगा की कब से बाबाजी के सत्संग सेंटरों में सामान्य रूप से शुरू हो जाएंगे। प्यारी साध संगत जी आप सभी से अनुरोध बाबा जी की प्यारी साध संगत जी आप सभी से अनुरोध है कि आप घर में रहकर भजन सुमिरन करें। परमात्मा को याद करें और सेवा करते रहे, क्योंकि कोरोना के चलते बहुत लोग परेशान हैं। कई लोगों की जान चली गयी। अतः आप सबसे अनुरोध किया जाता है कि घर में रहक़र भजन-सुमिरन करते रहें। वैश्विक महामारी को देखते हुए यह निर्णय लिया गया की अभी कुछ समय तक सत्संग नहीं होगा और यह भी आप सभी को मालूम होगा कि दिल्ली के सेंटर में कोरोना आइसोलेशन वार्ड बनाया हुआ है। जिसके कारण वहां सत्संग होना संभव नहीं है। ।।राधास्वामी।। - कोरोना की तीसरी लहर का अंदेशा, अब सत्संग इस महीने तक - बाबा जी ने फिर दोहराई यह बात! घर में रहकर फ़ायदा उठाया जा सकता है। - मनुष्य जन्म बार-बार नहीं मिलता। क्योंकि ये: संतमत - कोरोना के चलते अभी सत्संग होना मुश्किल: जानकार - परमात्मा को इस जरिये पाया जा सकता है, जो रूहानियत है।
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Definitional Dictionary of Mechanical Engineering (English-Hindi) (CSTT) Commission for Scientific and Technical Terminology (CSTT) Please click here to view the introductory pages of the dictionary Gadget यन्त्रिका हाथ से प्रयोग किये जाने वाले छोटे – छोटे यंत्र। Gagger गैजर एक लोहे का टुकड़ा जिसे बालू के सांचे में इसलिये प्रविष्ट कर देते हैं ताकि सांचा मजबूत बना रहे तथा पैटर्न को निकालते समय सांचा यथा स्थान पर बना रहे। Gaggers गैगर्स / सम्बलक साँचा -पेटी के उच्चक कोप में बालू को प्रबलित करने के लिये प्रयुक्त धातु की मुड़ी छड़ें जिससे बालू को गिरने से बचाया जा सके। Galvanized iron जस्तेदार लोह लोहे की चादरें, जिन पर जिंक / जस्ते का लेप चढ़ा होता है। पिघले जस्ते के अन्दर इन चादरों को डुबो देते हैं और इन पर जस्ते का लेप चढ़ जाता है। Gang die समूह ठप्पा बहु छिद्रक मशीन के लिए ठप्पा या शीर्ष पट्टिका, जिसमें बहुत से छिद्र होते हैं ताकि विभिन्न पंच उसमें आ सके। Gand drill समूह बरमा किसी मशीन में विभिन्न बरमों का समूह, जो एक ही शाफ्ट से प्रचालित होते हैं। इसको बहु – तुर्क बरमा भी कहते हैं। Gand drilling m/c समूह बरमा मशीन इस मशीन मे अनेक बरमें एक पंक्ति में अलग – अलग लगे होते हैं ताकि कार्य को एक से दूसरे बरमें तक सरकाया जा सके। वास्तव में यह मशीन अनेक एकल – तर्कु – मशीनों का समूह मात्र है, जिन्हें एक आधार पर आरोपित कर दिया गया है। Gang edging machine समूह कोर कर्तन मशीन वह मशीन, जो तख्तों की चौड़ाई ठीक करने के लिए प्रयोग होती है। इसमें दो – तीन या अधिक गोल आरी एक ही तर्कु पर एक निश्चित दूरी पर लगी होती है। Gang mill समूह आरा मशीन वह आरा मिल, जिसमें बहुत से आरे एक साथ लगे होते हैं ताकि कई कार्य एक साथ हो सके। Gand millling समूह भ्रमिकर्तन एक ही स्पिंडल पर आरोपित विभिन्न भ्रमिकर्तको का समूह जिनकी सहायता से आवश्यकतानुसार प्रोफाइल बनाये जा सकते हैं। Gang mould समूह सांचा वह ढलाई सांचा जिसमें एक साथ कई ढलाई की जा सकती है। Gang saw आरा – पुंज एक फ्रेम में लगे कई समानतर ब्लेड जोकि एक साथ कार्य करते हैं। Gang tool औजार समूह वह औजार ग्राही, जिसमें कई कर्तक लगे होते हैं। इसका प्रयोग खराद तथा समतलित्रों में किया जाता है। प्रत्येक औजार अपने से आगे वाले औजार की अपेक्षा थोड़ा अधिक काटता है। Ganister गैनिस्टर यह एक उच्चतापसह पदार्थ है या एक प्रकार का बलुआ पत्थर है जिसका प्रयोग भट्टी में अस्तर के रूप में किया जाता है। Gantry crane गन्त्री क्रेन मशीनरी में शिरोपरि चल – क्रेन जो कि गर्डरो के सहारे चलती है। इसका प्रयोग प्रायः मशीन कार्यशाला को बनाते समय किया जाता है। Gantt chart गेंट चार्ट इसके द्वारा कार्यों के अनुसूचन और वास्तविक स्थिति की तुलना की जाती है। Gas blower गैस आध्माता/ब्लोअर वह पंखा जिसमें गैस प्रवाह प्रतिरोध मुख्यतः पंखे की अनुप्रवाह की दिशा में होता है। Gases गैस वे तरल पदार्थ, जिन्हें दबाया एवं प्रसारित किया जा सकता है गैस कहलाते हैं। ताप के प्रभाव का इनके आयतन व दबाव पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। Gash गैश गरारी दाँतों के निर्माण में रूक्ष-कर्तन। दो या तीन भ्रमिकर्तकों की सहायता से गरारी दाँतों का रूक्ष-कर्तन किया जाता है और अंत में एकल भ्रमिकर्तक की सहायता से उनका परिष्कृत कर्तन करते हैं। Gasket
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लखनऊ, 10 अप्रैल : उत्तर प्रदेश में जेलों की सूरत बदलनी का सिलसिला लगातार जारी है। राज्य में जिला कारागार लखनऊ, गौतमबुद्धनगर, आजमगढ, चित्रकूट और बरेली को हाईटेक करते हुए सरकार ने अपराधियों को सुरक्षित निगरानी में रखने के लिए कारागारों को आधुनिक सुविधाओं के साथ लैस कर दिया है। ड्रोन कैमरे से लेकर डीप सर्च मेटल डिटेक्टर तक की व्यवस्था इन कारागारों में की गई है। इन पांच जिला कारागारों में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर इन्हें बेहतर बना दिया गया है। इसके तहत जेलों की मुख्य प्राचीर की मेनवॉल पर कन्सरटीना फैन्सिंग कराई गई है। हर कारागार में एक-एक अदद् नॉन लिनियर जंक्शन डिटेक्टर ,एनएलजेडी और पांच ड्रोन कैमरा लगाए गए हैं। यही नहीं, पांच नाइट विजन बाइनाकुलर, 25 हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर भी लगाए गए हैं। इन उपकरणों को हाईवोल्टेज से क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए हैवी ड्यूटी स्टैब्लाइजर रखा गया है, ताकि इन उपकरणों को कोई नुकसान न हो सके। जिला कारागार लखनऊ में 48 अतिरिक्त उच्च मेगापिक्सल के सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। सीसीटीवी सर्विलांस इकाइयों की बात करें, तो प्रदेश के सभी कारागारों में सीसीटीवी सर्विलांस इकाइयां स्थापित की गई हैं। साथ ही प्रदेश के सभी कारागारों में 30-30 कैमरे लगे हैं। वर्तमान की बात करें तो 55 कारागारों में 04/05 मेगा पिक्सल के 220 अतिरिक्त कैमरे लगे हैं। सभी कारागारों में 3080 कैमरे स्थापित हैं। इन कैमरों की फीड मुख्यालय वीडियो वॉल/कमाण्ड सेण्टर में देखने की व्यवस्था है। यानि राजधानी से सूब के सभी कारागारों की लाइव फीड मुख्यालय में सीधे देखी जा सकती है। यही नहीं, बंदियों की निगरानी के लिए अत्याधुनिक पोल मेटल डिटेक्शन सिस्टम लगाया गया है। जिसके तहत प्रदेश के सभी कारागारों में एफजी-1 मेटल पोल डिटेक्शन सिस्टम स्थापित किया गया है। सभी कारागारों में एक-एक मल्टीजोन डोरफ्रेम और 3-5 की संख्या में हैण्डहेल्ड मेटल डिटेक्टर भी स्थापित कर दिए गए हैं। महानिरीक्षक कारागार आनंद कुमार ने बताया कि प्रदेश सरकार ने सभी कारागारों में आन्तरिक संचार व्यवस्था के लिए इंटरकाम प्रणाली की व्यवस्था की है। बंदियों को एक साथ संबोधित किया जा सके, इसके लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम की व्यवस्था की गई है। मल्टी मीडिया प्रोजेक्टर के साथ-साथ गुड प्रिजन प्रैक्टिस के प्रचार प्रसार और फोटोग्राफी के लिए सभी कारागारों को डिजिटल कैमरे दिए गए हैं। अब कारागारों में बंदियों के मनोरंजन के लिए एलईडी टेलीविजन के साथ-साथ ठंड में गीजर की भी सुविधा उपलब्ध कराई गई है। उत्तर प्रदेश सुरक्षा मुख्यालय के माध्यम से कारागारों में विभिन्न स्थानों पर जमीन के नीचे, नालियों, टेरिस और अन्य स्थानों पर छिपाई गई बड़ी या छोटी से छोटी धात्विक सामग्री की विश्वसनीय तलाशी के लिए डीप सर्च मेटल डिटेक्टर की सुविधा दी गई है। प्रदेश की सभी कारागारों में दो या एक की संख्या में और प्रशिक्षण उपयोग के लिए डॉ. सम्पूर्णानन्द कारागार प्रशिक्षण संस्थान में कुल 121 डीप सर्च मेटल की व्यवस्था की गई है। कारागारों के अंदर संचार व्यवस्था को सु²ढ़ करने के लिए हैण्डहैल्ड और स्टैटिक वायरलेस सेट स्थापित किए गए हैं। वर्तमान में प्रदेश की सभी कारागारों में कम से कम 10 हैण्डहेल्ड और एक स्टैटिक सेट के साथ-साथ बड़े कारागारो में 20 हैंडसेट और 01 स्टैटिक सेट स्थापित हैं। जेलों को अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस करने की वजह से ही विचाराधीन बंदियों की रिमांड के लिए प्रदेश की कारागारों और जनपद न्यायालयों में वीडियो कांफ्रेंसिंग इकाइयों की व्यवस्था कराई गई है। अभी तक प्रदेश में संचालित 75 जिलों में से 73 जनपद न्यायालयों और संचालित 70 कारागारों में इकाईयां स्थापित हैं। सीआरपीसी की धारा-167 (2) के अधीन विचाराधीन बन्दियों की रिमाण्ड की कार्यवाही इन इकाईयों के माध्यम से हो रही है। अभी तक लगभग 17 लाख बन्दियों की रिमाण्ड वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के माध्यम से सम्पादित होने से जहां सुरक्षा जोखिम कम हुई है, वही शासकीय धन की बचत भी हुई है। –आईएएनएस
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This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. पंचायत चुनाव को धर्मशाला पहुंचे पुलिस जवान, आज लगेंगी डयूटियां कांगड़ा जिले में 17 19 व 21 जनवरी तीन चरणों में होने वाले पंचायती राज चुनाव की मतदान प्रक्रिया करवाने के लिए प्रदेश भर में विभिन्न बटालियनों से पुलिस जवान धर्मशाला पहुंच गए हैं। एसपी कांगड़ा डयूटी ब्रिफिंग करने के बाद जवानों को प्वांइट में तैनात कर देंगे।
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बेगूसराय : बेगूसराय के खोदाबन्दपुर प्रखण्ड क्षेत्र की जनता ने जलजमाव से आजिज होकर आंदोलन का रुख अख्तियार किया है। जलजमाव से परेशान पश्चिमी बरियारपुर पंचायत के वार्ड तीन और चार के लोगो ने जल निकासी को लेकर एस एच 55 बेगूसराय रोसड़ा पथ को जाम कर दिया । रोड जाम के कारण जाम स्थल के दोनों ओर दर्जनो छोटे बड़े वाहन फसे रहे। जिसके कारण यात्रियों एवं राहगीरों को काफी परेशानियो का सामना करना पड़ा। जलजमाव से जीना हो गया है मुश्किल , मच्छर काटते हैं और फैला है दुर्गंध सूचना पाकर स्थानीय प्रशासनिक पदाधिकारियों ने समझा बुझा कर रोड जाम को समाप्त करवाया तथा तकरीबन डेढ़ घण्टे बाद एस एच 55 रोसड़ा बेगूसराय पथ पर यातायात सामान्य हो सका। रोड जाम कर रहे ग्रमीणों ने बताया कि गत एक सप्ताह से रुक रुक कर हो रहे मुश्लाधार बारिश से वार्ड तीन और चार के निवासी चंद्रकला देवी, राधा देवी, मुद्रिका देवी सहित दर्जनों लोगों के घर मे वर्षा का पानी जमा है मुहल्ला का घर आंगन और गाली सब जल मगन है। जलजमाव से मुक्ति के लिए स्थानीय मुखिया प्रेमलता देवी ,सी ओ सुबोध कुमार एवं अन्य प्रखण्ड पदाधिकारियो से फरियाद किया किसी ने नोटिस नही लिया। घर मे जमे गंदे पानी से बदबू आ रहा है, कीड़े पड़ गए हैं । मच्छरो का आतंक बढ़ गया है। जलजमाव से डेंगू और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। घरों में रहना परेशानी का सबब बन हुआ है। ऐसे में मरता तो क्या नही करता थक हार कर अपनी आवाज़ जनता और उच्च अधिकारियों तक पहुँचाने के लिए मजबूरी में रोड जाम किया है।हमारी मांग है प्रशासन के लोग तुरंत जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित करे
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एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी – गर्भाशय को निकालना एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी क्या है? एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी एक प्रक्रिया है, जिसमें पेट में चीरा लगाकर गर्भाशय को निकाला जाता है। योनि के सबसे ऊपर का पेशीय अंग, गर्भाशय है। गर्भाशय में बच्चों का विकास होता है और साथ ही मासिक धर्म का रक्तस्त्राव (पीरियड) भी गर्भाशय से ही होता है। एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी के कई प्रकार हैं। - कुल हिस्टेरेक्टॉमी, जिसमें गर्भाशय और गर्भाशय ग्रीवा (कोख की गर्दन) को निकाला जाता है - उप-योग हिस्टेरेक्टॉमी, जिसमें केवल गर्भाशय को निकाला जाता है और गर्भाशय की ग्रीवा को नहीं - सैप्लिंगो ओफ़ोरेक्टॉमी वाली हिस्टेरेक्टॉमी, जिसमें एक या दोनों अंडाश्य या गर्भाशय की नली या फ़ैलोपेन ट्यूब को निकाला जाता है। - बाइलैटरल सैंप्लिंगेक्टॉमी, जिसमें गर्भाशय और दोनों गर्भाशय नलियों या फ़ैलोपेन ट्यूब को निकाला जाता है। आपको किस प्रकार की हिस्टेरेक्टॉमी है, यह आपकी चिकित्सा स्थिति पर निर्भर करता है और साथ ही आपकी गाइनेकॉलेजिस्ट या स्त्री रोग विशेषज्ञ आपकी सर्जरी से पहले आपसे इस बारे में चर्चा करेगी या करेगा। आपको एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी के लिए एनेस्थीशिया लेने की आवश्यकता होगी। यह सामान्य या क्षेत्रीय एनेस्थीशिया होगा (स्पाइन या एपिड्युरल)। अंडाशय और गर्भाशय की नलियों के साथ गर्भाशय हिस्टेरेक्टॉमी को कब किया जाता है? इसके कई कारण हैं कि गर्भाशय को निकालना आवश्यक क्यों है। हिस्टेरेक्टॉमी के कारण होने वाले कुछ विकार इस प्रकार हैः - अधिक मात्रा में निरंतर रक्तस्त्राव होना, जिसे दवाओं या डाइलेशन और क्यूरेटेज (D&C) द्वारा नहीं रोका जा सकता है - एंडोमीट्रियोसिस, जिसके कारण दर्द और रक्तस्त्राव होता है और जो अन्य उपचार पर भी असर नहीं करता - पेल्विक या श्रोणि में लंबे समय तक दर्द होना - गर्भाशय का बढ़ना – गर्भाशय का सिकुड़ना (ढीला पड़ना) - गर्भाशय में ट्यूमर होना अन्य तरीके, जिनसे गर्भाशय को निकाला जा सकता हैः - वैजाइनल हिस्टेरेक्टॉमी – वैजाइना या योनि के माध्यम से गर्भाशय को निकालना - पेट में चीरा लगाकर लैप्रोस्कोपिक हिस्टेरेक्टॉमी - रोबोटिक हिस्टेरेक्टॉमी - हिस्टेरोस्कॉपी, लैप्रोस्कॉपी, रोबोटिक सर्जरी को निम्न के लिए उपयोग किया जा सकता हैः - गर्भाशय को निकाले बिना एंडियोमीट्रियोसिस के किसी भाग या क्षेत्र को निकालना मुझे एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी के लिए कैसे तैयारी करनी चाहिए? - ऑपरेशन के बाद अपनी देखभाल और स्वास्थ्य लाभ की योजना बनाएँ, विशेषकर जब आपको सामान्य एनेस्थेशिया दिया जाना हो। अपने कार्य क्षेत्र में आराम करने के लिए समय के लिए पूछें। अपने दैनिक कर्तव्यों को पूरा करने में मदद करने के लिए अन्य लोगों का पता लगाएँ। - यदि आप अपनी चिकित्सा अवस्था के कारण रोज़ाना एस्पिरिन ले रहे हैं, तो अपने चिकित्सक से पूछें कि यदि ऑपरेशन से पहले आपको उन्हें बंद करने की आवश्यकता है। - अपने डॉक्टर को यह अवश्य बताएँ कि आप कौन सी दवाएँ ले रहे हैं। - हो सकता है कि आपको पूर्व एनेस्थेटिक जांच जैसे रक्त जांच, ईसीजी, छाती का एक्स-रे करवाने के लिए और एनेस्थेटिक टीम को एनेस्थेशिया के लिए आपके स्वास्थ्य की जांच करने हेतु कहा जाए। - आपके डॉक्टर द्वारा दिए गए सभी पूर्व-सर्जरी निर्देशों का पालन करें। - आमतौर पर यह अनुशंसा की जाती है कि आप ऑपरेशन से एक रात पहले हल्का भोजन लें। डॉक्टर द्वारा कोई भी तरल पदार्थ लेने के लिए मना करने के बाद चाय, कॉफ़ी, पानी या कोई अन्य तरल पदार्थ न पिएँ। - आपको सर्जरी की एक रात पहले लैक्सेटिव या सर्जरी से पहले की सुबह को एनिमा दिया जा सकता है। प्रक्रिया के बाद क्या होता है? सर्जरी के 1 या 2 दिन के बाद आईवी और कैथेटर को निकाल दिया जाता है। आपको 3 से 5 दिनों तक अस्पताल में रुकना पड़ सकता है। घर जाने के बाद, आपको बहुत आराम करना होगा। 4 से 6 सप्ताह के लिए कोई भी भारी सामान न उठाएँ या अपने पेट की मांसपेशियों पर कोई दबाव न डालें। दर्द को कम करने और कब्ज बनने से रोकने के लिए अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें। यदि आपको सर्जरी से पहले मासिक धर्म हो जाता है, तो सर्जरी के बाद आपको वह नहीं होंगे। साथ ही आप गर्भवती भी नहीं हो सकती। यदि आपके अंडाशय को निकाला जाता है, तो आपका मासिक धर्म तुरंत बंद हो जाएगा और आपका डॉक्टर आपको हार्मोन थेरेपी नियुक्त करेगा। यदि आपको इन प्रभावों और उपचार से संबंधित कोई चिंता है, तो सर्जरी से पहले अपने डॉक्टर या चिकित्सक के साथ चर्चा करें। एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी के बाद, मैं क्या अपेक्षा कर सकती/सकती हूँ? सामान्य एनेस्थेशिया के अप्रत्यक्ष परिणाम अधिक आधुनिक एनेस्थेटिक्स कम अवधि के लिए होते हैं। आपको ऑपरेशन के अधिकतम एक दिन के बाद कोई दुष्प्रभाव नहीं होने चाहिए। पहले 24 घंटों में, आपको सामान्य तौर की तुलना में अधिक नींद आएगी और आपका विवेक दुर्बल पड़ सकता है। कैथेटर हो सकता है कि पेशाब को बहाने के लिए, आपके मूत्राशय में कैथेटर (ट्यूब) लगाने की अनुशंसा की जाए। यह आमतौर पर 24 घंटों के लिए होता है, जब तक आप अपने मूत्राशय को खाली करने या पेशाब करने के लिए आसानी से शौचालय तक ना चल सकें। यदि आपको पेशाब करने में समस्या हो रही है, तो आपको कुछ दिनों के लिए कैथेटर की आवश्यकता हो सकती है। स्कार एब्डॉमिनल हिस्टेरेक्टॉमी को आमतौर पर एक 10 सेंटीमीटर लंबा चीरा लगाकर किया जाता है। यह सामान्य तौर पर आपके जघन केशों या प्यूबिक हेयरलाइन के ऊपर बनाया जाता है। पर कभी-कभार यह आपके जघन केश या प्यूबिक हेयरलाइन के बजाय आपकी नाभि से नीचे की ओर लगाया जाता है। टांका लगाना और पट्टी करना आपके कट या चीरे को टांके लगाकर, स्टेपल, क्लिप या ग्लू या गोंद से बंद किया जाता है। ग्लू या गोंद और कुछ टांकें अपने आप खत्म हो जाते हैं। अन्य टांकों, क्लिप या स्टेपल को निकालने की आवश्यकता है। आपको इसके बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी। आपकी योनि में किसी भी टाकें को निकालने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वे अपने आप ही खत्म हो जाते हैं। ड्रेन या निकास कभी-कभार आपके ऑपरेशन के बाद एकत्रित किसी अतिरिक्त रक्त या तरल पदार्थ को बहाने के लिए आपके उदर या पेट के निचले भाग की दीवार के माध्यम से एक छोटी ट्यूब को डाला जाता है। यह आपकी सर्जरी के बाद, आपके अस्पताल में होने पर एक नर्स द्वारा निकाला जाता है। वैजाइनल या योनि में रक्तस्त्राव आप अपने ऑपरेशन के बाद एक या दो सप्ताह के लिए योनि में कुछ रक्तस्त्राव का पूर्वानुमान लगा सकते हैं। यह हल्के मासिक धर्म की तरह होता है और यह कुछ भूरे या लाल रंग का हो सकता है। कुछ महिलाओं को पहले थोड़ा या बिल्कुल रक्तस्त्राव नहीं हो सकता और फिर लगभग 10 दिनों के बाद अचानक अधिक रक्त प्रवाह हो सकता है। यह आमतौर पर तुरंत रुक जाता है और इस अवधि के दौरान आपको टैंपॉन के बजाय सैनिटरी टॉवल का उपयोग करना चाहिए क्योंकि टैंपॉन का उपयोग करने से संक्रमण का खतरा हो सकता है। दर्द और असुविधा या पीड़ा आपके अपने ऑपरेशन के कम से कम कुछ दिनों के बाद अपने पेट के निचले भाग में दर्द और असुविधा या पीड़ा हो सकती है। अस्पताल से जाते समय, आपको दर्द को नियंत्रित करने या कम करने के लिए दर्द निवारक दवा या गोली दी जाएगी। ट्रैप्ड विंड या हवा आपके ऑपरेशन के बाद, आपके बोवल या आंत में गतिविधि थोड़े समय के लिए धीमी पड़ सकती है, जिसके कारण उसे ‘हवा’ घुस सकती है। इससे हवा बाहर निकलने तक आपको थोड़ी पीड़ा या दर्द हो सकता है। बिस्तर से बाहर निकलकर, थोड़ा चलने-फ़िरने से आराम मिल सकता है। एक बार मलोत्सर्ग शुरू होने पर, फसी हुई हवा निकल जाएगी। खाना और पीना शुरू करना आपके ऑपरेशन के बाद, आपको तरल पदार्थ देने के लिए आपकी बांह में आईवी ड्रिप लगाई जा सकती है। जब आप फिर से पीने में समर्थ होंगे, तो आईवी ड्रिप को निकाल दिया जाएगा। आपको पीने के लिए एक कप चाय या खाने के लिए हल्का भोजन दिया जाएगा। खून के थक्कों का बनना – जोखिम को कैसे कम करें इसकी थोड़ी संभावना है कि आपकी सर्जरी के बाद, आपके पैंरों और कूल्हों [डीप वेन थ्रोमोबोसिस) की नसों में खून के थक्के बन जाए। यह खून के थक्के फ़ेफ़ड़ों (पल्मोनरी एम्बोलिस्म) तक पहुँच सकते हैं, जो जानलेवा हो सकता है। आप निम्न तरीकों से खून के थक्कों के जोखिम को कम कर सकते हैः - ऑपरेशन के बाद जितनी जल्दी हो सके, चलने-फ़िरने से। - आराम करते समय भी व्यायाम करना, उदाहरण के लिएः अपनी एड़ी को 30 सेकंड के लिए घुमाते हुए हर पैर को तेज़ी से ऊपर और नीचे करना या दोनों पैरों को 30 सेकंड के लिए गोल घुमाना, मोड़ना और फिर सीधे करना – एक बार में एक पैर, हर पैर के लिए तीन बार। खून के थक्के बनने के जोखिम को कम करने के लिए, आपको अन्य तरीके अपनाने की सलाह भी दी जाती है, विशेषकर यदि आपका वज़न अधिक है या आपको कोई अन्य स्वास्थ्य संबंधित समस्याएँ हैं। फ़िसियोथेरेपी आपको तेज़ी से स्वास्थ्य लाभ करने और बिना किसी मुश्किल के गतिशीलता प्राप्त करने के तरीकों के बारे में मार्गदर्शन और जानकारी दी जाएगी। थकान और भावात्मक महसूस करना हो सकता है कि आपको सर्जरी के बाद सामान्य की तुलना में अधिक थकावट महसूस हो क्योंकि आपका शरीर अपने आप ठीक होने के लिए अत्यधिक ऊर्जा का उपयोग कर रहा है। आपको पहले कुछ दिनों में अच्छी नींद की आवश्यकता हो सकती है। हिस्टेरेक्टॉमी भावात्मक रूप से अभिघातक हो सकती है और कुछ महिलाओं को इस अवधि के दौरान रोने का मन कर सकता है या वह भावात्मक महसूस कर सकती हैं। इस प्रक्रिया के साथ कौनसे जौखिम जुड़ें हैं? - किसी भी तरह के रक्तस्त्राव को रोकने के लिए, आपके पेट (चीरा) में लगे कट को फिर से खोला जा सकता है - आपका मूत्राशय या उससे लगी ट्यूब में चोट पहुँच सकती है और उन्हें सर्जरी से मरम्मत किए जाने की आवश्यकता है - आपको संक्रमण या रक्तस्त्राव हो सकता है - चीरा खुल सकता है - आपके चीरे में हर्निया विकसित हो सकता है अपने डॉक्टर या चिकित्सक से पूछें कि यह जोखिम आप पर कैसे लागू होते हैं
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पिछले सात साल से किसी शतरंज खिलाड़ी को अर्जुन पुरस्कार नहीं मिला है और दिग्गज विश्वनाथन आनंद को उम्मीद है कि शतरंज ओलंपियाड में भारतीय टीम के चैम्पियन (संयुक्त रूप से) बनने के बाद अगले साल राष्ट्रीय पुरस्कारों की सूची में इस खेल से जुड़े किसी खिलाड़ी का नाम होगा। रविवार को रूस के साथ संयुक्त रूप से विजेता घोषित होने के बाद आनंद ने पीटीआई से कहा कि मुझे उम्मीद है कि इससे कई सकारात्मक चीजें शुरू होगी जिसमें खेल मंत्रालय द्वारा अर्जुन पुरस्कार के लिए पुनर्विचार और शतरंज के लिए द्रोणाचार्य पुरस्कार भी शामिल है। बहुत लंबा समय गुजर (जब किसी शतरंज खिलाड़ी को यह पुरस्कार मिला हो) गया है। आनंद खुद भी अर्जुन पुरस्कार के अलावा देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार खेल रत्न के विजेता रहे हैं। शतरंज के लिए अर्जुन पुरस्कार हासिल करने वाले आखिरी खिलाड़ी अभिजीत गुप्ता थे, जिन्हें 2013 में यह पुरस्कार मिला था। शतरंज में सिर्फ दो कोच को ही अब तक द्रोणाचार्य पुरस्कार मिला है, जिसमें रघुनंदन वसंत गोखले (1986) और कोनेरू अशोक (2006) का नाम शामिल है। आनंद ने कहा कि कई बार आपको अपनी मौजूदगी का एहसास कराना होता है और मुझे उम्मीद है कि इससे कई चीजों के लिए सकारात्मक प्रेरणा मिलेगी। पांच बार के विश्व चैम्पियन आनंद को भारत के विजेता बनने की उम्मीदों को उस समय झटका लगा था जब निहाल सरीन और दिव्या देशमुख ने सर्वर के साथ कनेक्शन नहीं बन पाने से अपना मैच गंवा दिया। आनंद ने कहा कि मैंने ऐसा सोचा नहीं था। मेरा मतलब है कि स्पष्ट रूप से हमारे पक्ष में सबसे मजबूत तर्क यह था कि सर्वर के साथ कनेक्शन की गलती हमारी तरफ से नहीं थी। उन्होंने कहा कि इस मामले में यह तुरंत पता चल गया कि हमारी ओर से कोई गलती नहीं है। ऐसे में फिडे को हमारी मांग मांगनी पड़ी। इस 50 साल के खिलाड़ी ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि इन मुकाबलों को दोबारा खेला जाएगा। उन्होंने कहा कि मुझे लगा था कि दूसरे मुकाबले को फिर से खेला जाएगा। आप जानते हैं कि इससे रूस के खिलाड़ी खुश नहीं होते। मुझे लगता है फिडे ने दूसरा रास्ता अपनाया और दोनों टीमों को संयुक्त विजेता घोषित कर दिया। आनंद के अलावा भारतीय सीनियर पुरूष टीम में विदित गुजराती (कप्तान), पी. हरिकृष्णा और अरविंद चिदंबरम (रिजर्व) में शामिल थे। सीनियर महिला टीम में कोनेरू हम्पी, द्रोणावल्ली हरिका, भक्ति कुलकर्णी और आर. वैशाली शामिल थी।
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नई दिल्ली। सुप्रीमकोर्ट ने पांच व्यक्तियों की हत्या के मामले के छह आरोपियों को गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने के आदेश को पलटते हुए मंगलवार को कहा कि जमानत पर फैसला करते वक्त अदालत कारण बताने के अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हो सकती। न्यायमूर्ति डीवाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ ने कहा कि अदालतें जमानत देने या नहीं देने का कारण बताने के अपने कर्तव्य से विमुख नहीं हट सकते क्योंकि यह मुद्दा आरोपी की स्वतंत्रता और पीड़ित को उचित आपराधिक न्याय प्रशासन से जुड़ा हुआ है। न्यायालय ने हत्या के मामले में कथित संलिप्तता के आरोपी छह लोगों को जमानत देने के उच्च न्यायालय का आदेश पलटते हुए यह टिप्पणी की। न्यायालय ने जमानत पर रिहा किए गए सभी आरोपियों को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने कहा कि यह सर्वमान्य सिद्धांत है कि जमानत देने या नहीं देने का फैसला लेते हुए उच्च न्यायालय या सत्र अदालतें आपराधिक दंड संहिता (सीआरपीसी) की धारा 439 के प्रावधानों के तहत अर्जी पर निर्णय करते वक्त तथ्यों के गुण-दोष की विस्तृत समीक्षा नहीं करेंगी, क्योंकि मामले पर आपराधिक सुनवाई अभी होनी बाकी है। इस मामले में पिछले साल मई में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
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राष्ट्रीय स्तर पर कोरोना संक्रमण से निबटने के प्रयासों के मद्देनजर एक महत्वपूर्ण कदम राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण(एनपीपीए) द्वारा केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में मूल्य निर्धारण और संसाधन इकाई (पीएमआरयू) की स्थापना के साथ ही आज देश में पीएमआरयू वाले राज्यों और संघशासित प्रदेशों की संख्या बढकर 12 हो गई है। केरल, ओडिशा, गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, नागालैंड, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और मिजोरम में पीएमआरयू की स्थापना पहले ही की जा चुकी है। पीएमआरयू, एक पंजीकृत सोसाइटी के रूप में , जम्मू कश्मीर प्रशासन के औषध नियंत्रक के प्रत्यक्ष नियंत्रण और पर्यवेक्षण के तहत कार्य करेगा। इसे एनपीपीए द्वारा आवर्ती और गैर-आवर्ती खर्चों के लिए वित्त पोषित किया जाएगा। पीएमआरयू सस्ती कीमतों पर दवाओं की उपलब्धता और पहुंच सुनिश्चित करने में एनपीपीए और राज्य औषध नियंत्रक की मदद करेगा। इसके द्वारा सभी के लिए दवाओं की उपलब्धता और सामर्थ्य वाले क्षेत्रों में सेमिनार, प्रशिक्षण कार्यक्रम और अन्य प्रकार की जानकारियां उपलब्ध कराने के लिए शिक्षा और संचार (आईईसी) गतिविधियों का आयोजन करने की भी संभावना है। पीएमआरयू औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ) के प्रावधानों के तहत कार्रवाई करने के लिए दवाओं के नमूने एकत्रित करेगा, डेटा एकत्र कर उनका विश्लेषण करेगा और दवाओं की उपलब्धता तथा उनकी ज्यादा कीमतें वसूले जाने के संबंध में रिपोर्ट ऐसे समय में जबकि देश कोविड जैसी महामारी से जूझ रहा है,पीएमआरयू द्वारा जम्मू कश्मीर में दवाओं की ज्यादा कीमतें वसूले जाने के मामलों की निगरानी करने के साथ ही स्थानीय स्तर पर जमाखोरी के कारण दवाओं की कमी जैसी समस्याओं का पता लगाये जाने का काम काफी महत्वपूर्ण होगा।
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क्या भारत में कम हो रही है कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार? भारत में बीते कुछ दिनों से रोजाना मिलने वाले कोरोना वायरस के नए मरीजों की संख्या में कमी आई है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि क्या भारत में संक्रमण की रफ्तार पर कुछ हद तक ब्रेक लगा है? कुछ ऐसे आंकड़े हैं जो इस तरफ इशारा कर रहे हैं कि पहले की तुलना में भारत कोरोना वायरस संक्रमण की गति कम हुई है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं। शीर्ष प्रभावित राज्यों में स्थिति स्थिर भारत में अक्टूबर महीने में रोजाना कोरोना वायरस के औसतन 64,000 नए मरीज मिल रहे हैं। यह संख्या सितंबर के आखिरी दो सप्ताह में सामने आ रहे औसतन 86,000 मामलों से कम है। उससे पहले सितंबर में रोजाना औसतन 93,000 नए लोगों में संक्रमण की पुष्टि हो रही थी। अब कई राज्यों में हालात बेहतर हुए हैं और वहां मरने वाले लोगों की संख्या भी घटी है। सर्वाधिक प्रभावित शीर्ष तीन राज्यों में स्थिति स्थिर नजर आ रही है। रोजाना होने वाले टेस्ट की संख्या भी बढ़ी वहीं दूसरी तरफ देश में टेस्टिंग में भी इजाफा हो रहा है। अगर बीते दिन की बात करें तो देशभर में लगभग 12 लाख टेस्ट किए गए। महामारी की शुरुआत से अब तक देश में कुल 8.23 करोड़ टेस्ट हो चुके हैं। टेस्टिंग बढ़ने के बावजूद संक्रमण के मामले कम होना उम्मीद की किरण दिखा रहा है। हालांकि, कई जानकारों का कहना है कि तस्वीर उतनी साफ नहीं है, जितनी यह दिख रही है। मौजूदा स्थिति के बारे में क्या कहते हैं जानकार? जानकार मानते हैं कि नए मरीजों की संख्या में कमी आना एक अच्छी बात है, लेकिन इसके आधार पर यह नहीं कहा जा सकता है कि महामारी के अंत की शुरुआत हो चुकी है। उनका कहना है कि टेस्ट की संख्या बढ़ना और संक्रमितों की संख्या कम होना महामारी को समझने के लिए पर्याप्त नहीं है। रोजाना आधे से ज्यादा टेस्ट रैपिड एंटीजन तकनीक से हो रहे हैं, जो कई मामलों में सटीक नतीजे नहीं देती। एंटीजन और RT-PCR टेस्ट के अलग-अलग आंकड़े देने की जरूरत- जमील बीबीसी से बात करते हुए देश के मशहूर वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने बताया कि यह कहना मुश्किल है कि संक्रमण के मामलों में कमी रैपिड टेस्टिंग के गलत नतीजों के कारण आ रही है या सही में मामले कम हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसका पता तभी लग सकता है, जब सरकार आंकड़े जारी कर बताए कि रोजाना कितने RT-PCR टेस्ट और कितने एंटीजन टेस्ट हो रहे हैं। तभी इनका तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है। भारत की लगभग 10 फीसदी आबादी कोरोना की चपेट में- मुखर्जी पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के प्रमुख डॉक्टर श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि भारत में 'ऑन डिमांड टेस्टिंग' शुरू हो गई है। इस वजह से हो सकता है कि बिना लक्षण वाले लोगों की टेस्टिंग में बढ़ोतरी हुई हो। वहीं मिशिगन यूनिवर्सिटी के ब्र्हामर मुखर्जी कहते हैं कि भारत की लगभग 10 फीसदी आबादी कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं। सीरो सर्वे के नतीजे भी ऐसी संभावना की तरफ इशारा करते हैं। कैसे पता चलेगा महामारी की रफ्तार कम हुई या नहीं? डॉक्टर रेड्डी कहते हैं कि मौत की संख्या पर गौर करने से पता चल सकता है कि भारत में महामारी की रफ्तार धीमी हो रही है या नहीं। उन्होंने बताया, "अगर थोड़े कम मामले भी रिपोर्ट हो रहे हैं तब भी मरने वालों के सात दिन का मूविंग एवरेज बता सकता है ट्रेंड गिर रहा है या नहीं। हमें इस पर ध्यान देना होगा।" गौरतलब है कि भारत में कोरोना के कारण एक लाख से अधिक मौतें हो चुकी हैं। देश में 67 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित अगर भारत में कोरोना वायरस के कुल मामलों की बात करें तो ये 67 लाख से ज्यादा हो चुके हैं। बीते दिन देश में कोरोना वायरस के 72,049 नए मरीज मिले और 986 मरीजों ने इसकी वजह से दम तोड़ा। देश में लगातार दूसरे दिन मरने वालों की संख्या 1,000 से कम रही है। इसी के साथ देश में कुल मामलों की संख्या 67,57,131 हो गई है, जिनमें से 1,04,555 लोगों को इसके कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है।
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वाराणसी। कोरोना के कहर के बीच जिले में इससे एक और मौत हो गयी है। वाराणसी में कोरोना के कारण यह पांचवी मौत है। हालांकि मृतक की मौत 1 जून को ही हो चुकी थी लेकिन जांच रिपोर्ट 4 जून को पॉजिटिव आई है। जानकारी जिले के जिलाधिकारी ने दी है। डीएम कौशलराज शर्मा ने बताया कि वाराणसी में कोरोना के संक्रमण की वजह से गुरुवार को एक मृत्यु हुई है। इस प्रकार कुल मृत्यु के केस 4 से बढ़कर 5 हो गए हैं। आज जिस व्यक्ति की कोरोना पॉजिटिव जांच रिपोर्ट आई है, उसकी मृत्यु 1 जून को हुई थी। तदुपरांत बीएचयू के द्वारा उसका सैंपल लिया गया था। सैंपल लेने के 3 दिन के बाद उसकी रिपोर्ट प्राप्त हुई है। तब तक यह डेड बॉडी मोर्चरी में रखी गई थी। उन्होंने बताया कि इसकी किसी भी प्रकार की जानकारी जिला प्रशासन अथवा स्वास्थ विभाग को नहीं दी गई थी। किसी भी मृत्यु की दशा में जिसका सैंपल लिया जाता है, उसकी प्रतिदिन की जानकारी जनपद के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को दी जानी चाहिए, वर्तमान केस में इस प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया और मृत्यु की कोई जानकारी पिछले 3 दिन में नहीं दी गई। इसकी जिम्मेदारी तय करने के लिए बीएचयू के कुलपति को जिला प्रशासन के द्वारा पत्र लिखा जा रहा है। अबतक वाराणसी में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 214 हो गई है। 126 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं, जबकि 5 की मौत भी हो चुकी है। एक्टिव मरीजों की संख्या 83 है।
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विकल्प 7 यह पोशाक एक असली सपना है! पोशाक लोचदार साटन से बना है, और इसका उच्चारण स्कर्ट के साथ असामान्य गुना है। प्रश्न 6. मोर्चाबन्दी कितने प्रकार की होती है? समझाइए। उत्तर: मोर्चाबन्दी दो प्रकार की होती है। प्लेटिनम: रु. 1 लाख (या विदेशी मुद्रा में समतुल्य) की दैनिक आहरण सीमा के साथ इंटरनेशनल प्लेटिनम डेबिट कार्ड। म्यूचुअल फंड कुछ म्युचुअल फंड ऐसे भी होते हैं, जिसमें आप हर महीने पैसे कमा सकते हैं. MIS, FD की तरह गारंटी नहीं दी जाती है. लेकिन, आपको अच्छा ब्याज मिलता है. कई बार आपको उम्मीद से ज्यादा भी लाभ हो जाता है. यह बाजार की तेजी पर आधारित होती है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, 100% सुरक्षित अवधि जैसी कोई चीज नहीं है। ऐसे खिलाड़ी हैं जो 100 रूबल निवेश करते हैं और उन पर आकाश से गिरने के लिए लाखों की प्रतीक्षा कर रहे हैं। यह सब प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर करता है। यह कहने के लायक नहीं है कि प्रोजेक्ट के निर्माता भोले उपयोगकर्ताओं से लाभ कमाते हैं, केवल मनी बर्ड्स के बारे में समीक्षाओं के आधार पर। खेलने के लिए और अपने निष्कर्ष निकालने की कोशिश करना बेहतर है। थरथरानवाला: इलेक्ट्रॉनिक संकेतों को उत्पन्न करने के लिए दोलक बनाए जाते हैं। यूएसआई टेक से Bitcoin व्यापारिक लाभ कैलकुलेटर प्रक्षेपण पता चलता है कि की अवधि में 300 दिन तो कम से कम 1 साल अगर आप निवेश 1000 यूरो में आज 2018 बाद 300 दिन या बस 10 महीने की आपके निवेश 0.15 Bitcoin खरीद (1000 यूरो) हो गई है | 1.1094 बीटीसी एक 730% विकास या आज के डॉलर मूल्य पर 8,550 USD (7,251 यूरो). नहीं एक बुरा वापसी, लेकिन रुकें! आसानी Binomo - द्विआधारी विकल्प दलाल की समीक्षा से, एक नौसिखिया व्यापारी ओलिंप व्यापार के प्रबंधक से मुफ्त कॉल का आदेश दे सकता है। एक व्यक्तिगत प्रबंधक व्यापारी को व्यापारिक रणनीतियों के बारे में बताएगा और सवालों के जवाब देगा। ये संगठन क्रय- विक्रय, माल में मिलावट तथा नाप- तौल में अव्यवस्था पर नियंत्रण रखते थे तथा आवश्यता पड़ने पर दंड व्यवस्था का भी प्रावधान था। जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में इस काल की १८ श्रेणियों का उल्लेख मिलता है -। विभिन्न संबद्ध कार्यक्रमों के लिए धन्यवाद, आपको उन कलाकारों की तलाश करने की ज़रूरत नहीं है जो ग्राहकों को प्रदान करने के लिए अपने मुनाफे का हिस्सा देने के लिए तैयार होंगे। आपको बस अपने स्वयं के लिंक प्राप्त करने की आवश्यकता है ताकि इसे सभी के साथ साझा किया जा सके और अपने चुने हुए प्रस्ताव को बढ़ावा दिया जा सके। इस तरह का वैश्विक व्यापार स्टॉक एक्सचेंजों पर होता है। सबसे अधिक संभावना है, आपने पहले से ही उनमें से सबसे बड़े के बारे में सुना है - न्यूयॉर्क, शिकागो, लंदन और अन्य। दुनिया भर में प्रत्येक प्रमुख शहर का अपना स्टॉक एक्सचेंज है। उनमें से कुछ एक सदी से अधिक समय तक अस्तित्व में नहीं थे। क्या आपने देखा है कि कुछ दिनों में आप शांत और आराम महसूस करते हैं, जबकि दूसरे दिनों में, आप बेचैन रहते हैं? ऐसा इसलिए है क्योंकि आप जो खाना खाते हैं वह आपके मन और भावनाओं को बहुत प्रभावित करता है। कुछ प्रकार के Binomo - द्विआधारी विकल्प दलाल की समीक्षा भोजन मन और शरीर में बेचैनी और तनाव लाते हैं। इस प्रकार के भोजन में मुख्य रूप से मांसाहारी, मसालेदार और तैलीय भोजन सम्मिलित हैं। उन दिनों में जब आप प्रतिक्रियाशील महसूस कर रहे हैं, इस तरह के भोजन से बचें और स्वयं का निरीक्षण करें। संभावना है कि आप भीतर बदलाव पाएंगे। क्रोध को और समय के साथ भावनाओं की तीव्रता कम करने के स्थायी तरीकों में से एक, स्वस्थ भोजन करना है। 4. एक सूचकांक चार्ट पर सीधे देखने योग्य स्वचालित आदेशों का संक्षिप्त इतिहास। इसके साथ ही एक औसत व्यक्ति को इतने फिल्टरेशन की जरूरत नहीं होती है। आप जो भी फिल्टर का उपयोग करें, यह पक्का कर लें कि इसकी साइड में कॉटन या इसके जैसे किसी मैटेरियल की कोई लेयर हो। इससे पहले, मैं हमेशा मानता था कि आपको कैरियर की सीढ़ी पर चढ़कर मातृभूमि की भलाई के लिए एक अच्छी नौकरी मिलनी चाहिए। और मैंने सोचा था कि जब तक कंपनी बेची गई थी और पुनर्गठन शुरू नहीं हुआ था। कंपनी के नए प्रबंधन ने कई प्रक्रियाओं का अनुकूलन करने का फैसला किया, और इसलिए कर्मचारियों के हिस्से को कम करने का निर्णय लिया गया। क्रिप्टोकरेंसी इंडस्ट्री से जुड़े लगभग 2,000 लोग मार्च में पूरे महीने दिल्ली, मुंबई, पुणे, बेंगलुरु और हैदराबाद में मीटिंग Binomo - द्विआधारी विकल्प दलाल की समीक्षा करने वाले हैं। बैठकों के बाद क्रिप्टोकरंसी के इन्वेस्टर्स और एक्सपर्ट्स के सुझावों पर एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी और उसे सरकार को सौंपा जाएगा। तो हमें 2017 में पौंड, डॉलर, यूरो और येन से क्या उम्मीद करनी चाहिये। वास्तव में, विकल्प व्यापार के लिए, nemereno सिस्टम हैं। अच्छी तरह से इंटरनेट पर खोज, मैंने 20 टुकड़ों के बारे में चुना, जो मुझे स्मार्ट और लाभदायक लग रहा था। व्यक्तिगत रूप से मेरे लिए, मैंने खबरों पर व्यापार करना चुना। खबर क्यों? 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शेखपुरा जिले के पास अरियरी में बीते बृहस्पतिवार को शेखपुरा – ससबहना पथ पर रौंदी मोड के समीप एक बाईक और पीकप भान के बीच आमने सामने जबरदस्त भिडंत हो गयी। इस भिड़ंत में बाईक पर सवार एक पांच वर्षीय बालक सहित चार लोग बुरी तरह घायल हो गए है। घायलों में पांच वर्षीय बालक रवि कुमार कि स्तिथि बेहद गंभीर बताई जा रही है। बालक रवि कुमार को गम्भीर अवस्था में पटना रेफर कर दिया गया है। घटना में घायल बरती देवी , नरेश पासवान , मिथिलेश पासवान , रिंकी देवी और बालक रवि कुमार वृंदावन गांव के रहनेवाले बताए गए है। सभी लोग बाईक पर सवार होकर घर वापस लौट रहे थे। तभी रौंदी मोड के समीप सामने से आ रहे पिकप भान ने बाईक में जबर्दस्त टक्कर मार दी। बाद में स्थानीय नागरिकों ने पिकप भान को पकड़ लिया। घायल सभी लोग सब्जी बेचने का काम करते है।
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विपक्ष के सदन से वॉक आउट करने को क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अनुचित क़रार दिया. पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई पिछले साल नवंबर में रिटायर हुए थे. उन्होंने अक्टूबर 2018 में देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला था. नई दिल्ली: भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने गुरुवार को राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था. हालांकि रंजन गोगोई को राज्यसभा सांसद बनाए जाने को लेकर मोदी सरकार चौतरफा आलोचना का सामना कर रही है. कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के कई नेता पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई द्वारा दिए गए फैसलों से मोदी सरकार को फायदा पहुंचने के एवज में पद पाने का आरोप लगा रहे हैं. आज जब गोगोई शपथ ग्रहण कर रहे थे उस समय विपक्ष के सदस्यों ने सदन से वॉक आउट किया. Union Min Ravi Shankar Prasad: RS has a great tradition of many eminent persons coming from diverse fields, including former CJIs. Gogoi who has taken oath today will surely contribute his best. It was grossly unfair to do like that (oppn walk out during his oath-taking ceremony) https://t.co/u3o2plxbod pic.twitter.com/ZLkzPfsEfL — ANI (@ANI) March 19, 2020 इस पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आपत्ति जाहिर की और कहा कि ऐसा करना बिल्कुल गलत है. उन्होंने कहा, ‘राज्यसभा की एक महान परंपरा रही है कि यहां पर विभिन्न क्षेत्रों से कई प्रतिष्ठित व्यक्ति आए हैं, जिनमें पूर्व सीजेआई भी शामिल हैं. गोगोई, जिन्होंने आज शपथ ली है, वह निश्चित रूप से अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देंगे. ऐसा करना (सदन से वॉक आउट) घोर अनुचित था.’ पूर्व सीजेआई गोगोई पिछले साल नवंबर में रिटायर हुए थे. जस्टिस रंजन गोगोई ने अक्टूबर 2018 में देश के 46वें मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला था. वह पूर्वोत्तर से न्यायपालिका के इस शीर्ष पद पर पहुंचने वाली पहली हस्ती थे. बता दें कि रिटायर होने से कुछ दिनों पहले रंजन गोगोई ने अयोध्या मामले में फैसला सुनाया था. गोगोई ने अयोध्या मामले पर बनी पांच न्यायाधीशों की पीठ का नेतृत्व किया था, जिसने पिछले साल नौ नवंबर को फैसला सुनाया था. अयोध्या मामले के अलावा गोगोई ने राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), रफाल विमान सौदा, सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को हटाए जाने, सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश जैसे कई महत्वपूर्ण मामलों में सुप्रीम कोर्ट का नेतृत्व कर चुके हैं. पूर्व सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न के आरोप भी लग चुके हैं. हालांकि जांच समिति उन्हें इस मामले में क्लीनचिट दे चुकी है. सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट के 22 जजों को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई ने अक्टूबर 2018 में उनका यौन उत्पीड़न किया था. Delhi: Former Chief Justice of India Ranjan Gogoi takes oath as Rajya Sabha MP. President Ram Nath Kovind nominated him to the Rajya Sabha. pic.twitter.com/pnQ2uTWVfH — ANI (@ANI) March 19, 2020 जस्टिस गोगोई तब सुर्ख़ियों में आए थे जब निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की कार्यशैली को लेकर 12 जनवरी 2018 को जस्टिस जे. चेलमेश्वर के नेतृत्व में चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. इन न्यायाधीशों में जस्टिस गोगोई भी शामिल थे. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में न्यायाधीशों ने तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश पर कई आरोप लगाए थे. भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में संभवत: यह ऐसी पहली घटना थी. 18 नवंबर, 1954 को जन्मे जस्टिस रंजन गोगोई ने डिब्रूगढ़ के डॉन बॉस्को स्कूल से अपनी शुरुआती पढ़ाई की और दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इतिहास में उच्च शिक्षा हासिल की. असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशव चंद्र गोगोई के बेटे जस्टिस रंजन गोगोई ने 1978 में वकालत के लिए पंजीकरण कराया था. उन्होंने संवैधानिक, कराधान और कंपनी मामलों में गौहाटी उच्च न्यायालय में वकालत की. उन्हें 28 फरवरी, 2001 को गौहाटी उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. गोगोई को नौ सितंबर, 2010 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में तबादला किया गया. उन्हें 12 फरवरी, 2011 को पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया था. वह 23 अप्रैल, 2012 को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश नियुक्त किए गए थे. बहरहाल सरकार के इस कदम की आलोचना की जा रही है. वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने द वायर से बातचीत में कहा, ‘यह पूरी तरह से घृणित है. यह स्पष्ट तौर पर उनके (रंजन गोगोई) किए के एवज में सरकार की ओर उन्हें दिया गया इनाम है. न्यायपालिका की स्वतंत्रता पूरी तरह से नष्ट कर दी गई है.’ Categories: राजनीति
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Updated: Aug 20, 2020 आज तक 5 बिलियन + लोगों ने WhatsApp को डाउनलोड किया है। हम इस ऐप का उपयोग दोस्तों, परिवार के सदस्यों और अन्य रिश्तेदारों के साथ चैटिंग के लिए करते हैं। ऐसे दिनों में लगभग हर कोई शारीरिक रूप से मिलने या कॉल करने के बजाय व्हाट्सएप के माध्यम से त्योहारों की कामना कर रहा है। WhatsAppमें बहुत अच्छे फीचर्स हैं लेकिन एक चीज जो अभी भी गायब है वह है WhatsApp messages को schedule करने की क्षमता।यदि आप किसी को अपने जन्मदिन पर शुभकामनाएं देना चाहते हैं या व्यस्त कार्यक्रम के दौरान एक message भेजना चाहते हैं, तो रात के बीच में किसी को message करने के बजाय, scheduled messages से बहुत मदद मिलती है।Android और ios दोनों पर WhatsApp पर message को schedule करने के तरीके हैं, लेकिन दोनों अनौपचारिक हैं क्योंकि यह सुविधा WhatsApp पर officially समर्थित नहीं है। Android में WhatsApp messages कैसे schedule करें? जैसा कि हमने ऊपर बताया है, WhatsApp के पास संदेशों को schedule करने के लिए एक official सुविधा नहीं है। हालाँकि, यदि आप एक android स्मार्टफोन का उपयोग कर रहे हैं, तो आप व्हाट्सएप पर कई तृतीय-पक्ष एप्लिकेशन(third-party application) की मदद से messages को schedule कर सकते हैं। कई third-party application हैं जो काम करते हैं, लेकिन केवल एक ही है SKEDit जो इसे पूरी तरह से करता है। Android पर WhatsApp संदेश को schedule करने के लिए इन steps का follow करें: Google play store पर जाएं और SKEDit डाउनलोड करें और फिर इसे इंस्टॉल करें। आपको अपना details देकर sign up करना होगा। फिर, आपको main menu पर whatsApp टैप करना होगा। अगली स्क्रीन पर, आपको परमिशन देनी होगी। Enable Accessibility > SKEDit > toggle on Use service > Allow. app पर वापस जाएं। अब आपको information भरना होगा। recipient जोड़ें, अपना message दर्ज करें, schedule date और time निर्धारित करें और चुनें कि क्या आप निर्धारित message को दोहराना चाहते हैं या नहीं। नीचे, आपको एक अंतिम toggle दिखाई देगा - Ask me before sending। इस पर टॉगल करें> Tick आइकन पर टैप करें> अब आपका message schedule किया जाएगा। जब भी आपके निर्धारित message का दिन और समय आता है, तो आपको अपने फोन पर एक notification प्राप्त होगी जो आपसे process पूरी करने के लिए कहेगी। Send पर टैप करें और आपका संदेश भेज दिया जाएगा। इस Android एप्लिकेशन की समस्या यदि आप Ask me before sending बंद रखते हैं, तो उस स्थिति में जब आप टिक आइकन पर टैप करते हैं, तो आपको अपने फ़ोन के screen lock को off करने के लिए कहा जाएगा। iOS पर WhatsApp संदेश को schedule करने के लिए इन steps का follow करें: Android की तरह, iOS पर कोई third-party application उपलब्ध नहीं है, जिसके माध्यम से आप WhatsApp messages को schedule कर सकते हैं। हालाँकि, iPhone पर इस प्रक्रिया को Siri Shortcuts के माध्यम से करने का एक और तरीका है, एक ऐप्पल ऐप जो एक निश्चित समय पर आपके व्हाट्सएप संदेश भेजने के लिए स्वचालन पर निर्भर करेगा। यहां आपको iPhone पर Whatsapp Messages को schedule करने की आवश्यकता है। App store पर जाएं और Shortcuts app डाउनलोड करें और फिर इसे install करें। नीचे Automation टैब चुनें। ऊपरी-दाएँ कोने में + आइकन टैप करें और Create Personal Automation टैप करें। अगली स्क्रीन पर, अपने automation को चलाने के लिए समय का निर्धारित करें। इस स्थिति में, जब आप WhatsApp message को schedule करना चाहते हैं, तो तिथियों और समय का चयन करें। एक बार जब यह किया जाता है, तो Next टैप करें। Add Action पर टैप करें और फिर सर्च बार में Text टाइप करें और दिखाई देने वाले actions में से Text को चुनें। उसके बाद, टेक्स्ट फ़ील्ड में अपना संदेश दर्ज करें। यह संदेश जो भी आप शेड्यूल करना चाहते हैं, जैसे कि, 'नया साल मुबारक।' अपना संदेश दर्ज करने के बाद, टेक्स्ट फ़ील्ड के नीचे + आइकन टैप करें और search bar में WhatsApp ढूंढें। दिखाई देने वाली actions से, Send Message via WhatsApp चुनें। प्राप्तकर्ता चुनें और Next हिट करें। अंत में, अगली स्क्रीन पर,Done पर टैप करें। अब निर्धारित समय पर, आपको शॉर्टकट ऐप से एक notification मिलेगी। Notification पर टैप करें और यह WhatsApp को आपके संदेश के साथ message box में चिपकाएगा। आपको बस send हिट करना है। इस Android एप्लिकेशन की समस्या आप केवल एक सप्ताह तक ही WhatsApp messages को schedule कर सकते हैं ।
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भारतीय स्टेट बैंक ने अपने सभी खाताधारकों और ग्राहकों को ट्वीट कर एक अलर्ट जारी किया है। स्टेट बैंक ने अपने ट्वीट में सावधान करते हुए बताया कि किसी दूसरे की ओर से भेजे गए QR कोड को कभी स्कैन न करें। अगर आप ऐसा करेंगे तो आपके अकाउंट से पैसा खाली हो सकता है। दरअसल, कोरोनाकाल में लोग अधिकांश ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कर रहे हैं, जिसके चलते ऑनलाइन धोखाधडी की शिकायतें काफी बढ़ गई हैं। ऑनलाइन बैंकिंग को बिना किसी खतरे के और सही तरीके से इस्तेमाल करने के लिए बैंक ने अलर्ट जारी कर कहा कि अगर किसी भी तरह का संदेह हो तो तुरंत बैंक को सूचना दें और इस तरह के किसी भी मैसेज से सावधान रहें। बैंक ने इस तरह के फ्रॉड को समझाने के लिए वीडियो भी जारी किया है। वीडियों में ग्राहकों को समझाया गया है कि ऑनलाइन ठग ग्राहकों को डायनिंग टेबल की पेमेंट के लिए QR कोड भेजता है, लेकिन ग्राहक इस बात से अलर्ट हैं कि QR कोड हमेशा पेमेंट करने के लिए इस्तेमाल होता है न कि पेमेंट रिसीव करने के लिए, इसलिए वो इस रिक्वेस्ट को नहीं मानते हैं। आप भी सावधान हो जाएं इस तरह के QR Code के फ्रॉड के झांसे में न आएं। ये हमेशा याद रखें कि QR Code पेमेंट करने के लिए होता है न कि पेमेंट रिसीव करने के लिए। स्टेट बैंक समय-समय पर अपने ग्राहकों को इस तरह की धोखाधडी से बचने के लिए अलर्ट जारी करता है। इससे पहले अभी बैंक ने डेबिट कार्ड से हो रही धोखाधडी को लेकर भी चेतावनी जारी की थी। अगर आपको QR कोड से पेमेंट करना है तो स्टेट बैंक के योनो ऐप का इस्तेमाल करें, यह पूरी तरह से सुरक्षित है और बेहद आसान भी।
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छत्तीसगढ के दुर्ग ज़िले में कोरोना संक्रमण के कारण हालात बेहद खराब हैं। कोरोना से मौतों का सिलसिला ऐसा चला कि ज़िले के मुक्तिधामों (श्मशान घाट) में पांव रखने की भी जगह नहीं बची है। यहां प्रतिदिन दर्जन भर से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। फिर भी जगह कम पड़ रही है. महामारी के कहर को समझने के लिए यह स्थिति बेहद डरावनी हो गई है और इस बीच स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही को लेकर भी लोग नाराज़ हैं। यहां कुछ शवों को ठीक से जलाया भी नहीं जा रहा। क्षेत्र के कुत्ते पीपीई किट पहने और अधजले शवों को लेकर बस्तियों तक भी पहुंच रहे हैं। इस लोगों दहशत में है। दुर्ग ज़िले के जामुल पालिका क्षेत्र के लोग भारी दहशत में हैं, क्योंकि प्रतिदिन ज़िले में आ रहे कोरोना के आंकड़े एक ओर लोगों को डरा रहे हैं तो दूसरी ओर जामुल क्षेत्र में अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रही लाशें लोगों के रोंगटे खडे़ कर रही हैं. जामुल पालिका क्षेत्र के एकमात्र मुक्तिधाम में प्रतिदिन कई लाशों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है, लेकिन यहां तरीका यह बन गया है कि हर रात शवों को लाकर सांस्कृतिक मंच पर रख दिया जाता है और उसके बाद अगले दिन लाशों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है. इस पूरी प्रक्रिया से ग्रामीण बेहद भयभीत हैं। ग्रामीणों को डरने का दूसरा कारण स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही है। यहां के लोगों का आरोप है कि अंतिम संस्कार करने पहुंचने वाले कर्मचारी अपनी पीपीई किट खुले में ही फेंक रहे हैं। वहीं, कुछ शवों को ठीक से जलाया भी नहीं जा रहा। आलम यह है कि क्षेत्र के कुत्ते पीपीई किट पहने और अधजले शवों को लेकर बस्तियों तक भी पहुंच रहे हैं। इस लोगों दहशत में है। इस बारे में क्षेत्रीय पार्षद युवराज वैष्णव ने प्रशासन को एक ज्ञापन सौंपा कर बाहर से लाई जा रही लाशों को जलाने की मांग प्रशासन से की गई है। शवदाह के काम में लगे कर्मियों को सही गाइडलाइन्स के तहत काम करने की मांग भी की गई है।
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मक्कल निधि मय्यम यह एक राजनितिक पार्टी है जिसके संस्थापक कमल हासन हैं. तमिलनाडु में जब से बड़े नेताओं का निधन हुआ हैं तब से ही तमिलनाडु की सियासत को हर कोई अपने वश में करना चाहता हैं. इसको लेकर बीजेपी, रजनीकांत, कमल हासन और अन्य लोकल पार्टी भी शामिल हैं. भारतीय जनता पार्टी तमिलनाडु में अपना वर्चस्व बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं, जिससे साउथ इंडिया में उसका प्रभाव बढ़ सके. बीजेपी नॉर्थ ईस्ट के राज्यों की तरह साउथ ईस्ट में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं. ऐसे में मोदी नीतियों के विरोध में रहे कमल हासन की बात करें तो चुनाव से पहले उनकी पार्टी का हाल TMC की तरह होने जा रहा हैं. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावेड़कर की मजूदगी में कमल हासन की पार्टी के बड़े नेता ए अरुणाचलम बीजेपी में शामिल हो गए हैं. ए अरुणाचलम ही मक्कल निधि मय्यम पार्टी के संस्थापक सचिव थे. अब उनका बीजेपी में शामिल होना मक्कल निधि मय्यम पार्टी के लिए बड़ा झटका बताया जा रहा हैं. उन्होंने कमल हासन के साथ मिलकर ही मक्कल निधि मय्यम पार्टी को राज्य में चुनाव लड़ने के काबिल बनाया था. तमिलनाडु के भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष एल मुरुगन और प्रकाश जावेडगर बीजेपी कार्यालय में अटल बिहारी वाजपई जी की जयंती पर श्रद्धांजलि अदा की. इसी समारोह में मक्कल निधि मय्यम पार्टी के संस्थापक सचिव ए अरुणाचलम बीजेपी में शामिल हुए. आपको बता दें की तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव अगले साल होने वाले हैं. पश्चमी बंगाल में भी हमें इसी तरह से तृणमूल कांग्रेस टूटते हुए दिखी थी. ए अरुणाचलम की तरह शुभेंदु अधिकारी भी तृणमूल कांग्रेस में ममता बनर्जी का दाहिना हाथ थे. जैसे ही शुभेंदु अधिकारी ने बीजेपी का दामन पकड़ा तृणमूल कांग्रेस दो फाड़ हो गयी. अब बिलकुल वहीं स्थिति कमल हासन की मक्कल निधि मय्यम पार्टी के साथ भी बन रही हैं. बस देखना यह दिलचस्प होगा की मक्कल निधि मय्यम पार्टी भी दो भागों में बंटती हैं या नहीं.
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देव दीपावली पर PM नरेंद्र मोदी के वाराणसी आगमन से पहले सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम - देव दीपावली के मौके पर जिले में स्थित रामनगर के सुजाबाद क्षेत्र से भैंसासुर घाट तक पीएम नरेंद्र मोदी का 10 से 12 मिनट का तय कार्यक्रम है. जिसके लिए अभेद सुरक्षा व्यवस्था की गई है. वाराणसी: देव दीपावली के मौके पर जिले में स्थित रामनगर के सुजाबाद क्षेत्र से भैंसासुर घाट तक पीएम नरेंद्र मोदी का 10 से 12 मिनट का तय कार्यक्रम है. इस कार्यक्रम के तहत पीएम सुजाबाद में बने हेलीपैड पर उतरेंगे और फिर जलमार्ग से भैंसासुर घाट पहुंचेंगे. जिसके लिए रविवार को प्रशासन ने जल, थल और आकाश में अभेद सुरक्षा व्यवस्था करी है. वहीं, रविवार को गंगा किनारे बने 20 ब्लॉकों पर तैनात पुलिस कर्मियों ने भी रिहर्सल को अंतिम रुप दिया. बता दें कि प्रधानमंत्री कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर अपने संसदीय क्षेत्र में पधार रहे हैं और कई कार्यक्रमों में भी शामिल होंगे. उनके आगमन को देखते हुए सभी तैयारियां पूरा कर लिया गया है. इस अवसर पर गंगा में प्रधानमंत्री अलकनंदा क्रूज से देव दीपावली देखेंगे. उस समय उनके साथ कैलाश जलयान और बड़ी नांव भी रहेंगी. इस दौरान सुरक्षा की जिम्मेदारी एनडीआरएफ, पीएसी जल पुलिस और उत्तर प्रदेश जल पुलिस को दी गई है. जवानों का यह घेरा त्रिस्तरीय रहेगा. गंगा में रामनगर सामनेघाट पुल के नीचे और सुजाबाद घाट से 100 मीटर की दूरी पर महाजाल भी लगाया दिया है. इसके अलावा रविवार की दोपहार में सुजाबाद स्थित राजघाट पुल के पास बने हेलीपैड से अवधूत भगवान राम घाट तक पीएम की फ्लीट का भी रिहर्सल हुआ. इस कार्यक्रम को लेकर रविवार को मुख्य विकास अधिकारी ने कर्मचारियों के साथ बैठकर दीन दयाल उपाध्याय संग्रहालय में तैयारियों को अंतिम रूपरेखा दी. कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए हेलीपैड से लेकर घाट तक बम डिस्पोजल दस्ता, एसपीजी, एलआईयू के अधिकारियों ने जगह-जगह जांच भी की. आपको बता दें कि सोमवार को राजघाट पुल दोपहर 12 बजे से प्रोग्राम की समाप्ति तक लोग पैदल, बाइक और किसी भी प्रकार के वाहन से नहीं जा सकेंगे. वहीं, अधिकारियों की मानें तो राजघाट रेलवे लाइन भी सुरक्षा के एहतियात से दोपहर 4 बजे से शाम 7 बजे तक बंद रहेगी. इतनी तैयारियों को पूरा तो कर लिया, लेकिन रामनगर शहर के सुजाबाद हेलीपैड से लेकर अवधूत भगवान राम घाट तक पीएम की सुरक्षा में लगे सैकड़ों कर्मचारी की कोरोना जांच नहीं हो पाई है. जिसके चलते इन कर्मचारियों के सामने समस्या पैदा हो गई है कि इन्हें अपनी कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट सोमवार तक सौंपनी है. जिसके लिए वे चिंतित हैं. साथ ही कुछ कर्मचारियों का तो कहना है कि यह काम प्रशासन को कराना चाहिए था.
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रुपये। SC / ST / PWBD उम्मीदवारों के लिए 100 / – + GST। रुपये। अन्य सभी के लिए 600 / – + जीएसटी। लेना पुष्प, उदाहरण के लिए, लिली तीन पंखुड़ी के साथ व्यवस्था की जाती है, पाँच के साथ buttercups, साथ कासनी 21, साथ daisies बाइनरी ऑप्शंस कैसे काम करते हैं 34 और इसी तरह. सुहावना होते हुए, संख्या फाइबोनैचि अनुक्रम का पालन करना और प्रत्येक पत्ती भी पर रखा गया है 0.618 हर बारी पर (एक 360 डिग्री चक्र से बाहर), सूरज की रोशनी और अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण अन्य कारकों के इष्टतम प्रदर्शन के लिए अनुमति देता है। उदहारण के लिए जैसे किसी को अपने कंपनी का लोगों बनवाना हो, वेबसाइट से जुडी कुछ चीजों को सुधारना हो, किसी के लिए आर्टिकल लिख कर या कोई भी ऐसा काम जो दुसरे व्यक्ति को ना आता हो। Freelancer के व्यापार के लिए आपको किसी भी प्रकार का Investment नहीं करना पड़ता है। एक ऐसी सेवा का एक उदाहरण - wormminer.com। बाद पंजीकरण शक्ति दी है, तो आप प्रतिदिन 0.000009 Bitcoins अप करने के लिए कमाने के लिए अनुमति देता है। आय एक अतिरिक्त heshreyt खरीदने की आवश्यकता को बढ़ाने के लिए। आम तौर पर जब एक आगंतुक अपने WordPress साइट की बात आती है, तो आपके सर्वर MySQL डाटाबेस जो पेज है कि अनुरोध किया जा रहा है पाता है, मक्खी पर उत्पन्न करता है, और आगंतुक को यह दिखाने के लिए पीएचपी अनुरोध गुजरता है। यह संसाधनों का एक बहुत ऊपर ले जाता है। आप कैशिंग उपलब्ध हो तो उसे समय और संसाधनों की बचत होती है। इसके मेरे अधिकार क्या हैं? क्या वे ऐसा कर सकते हैं? कृपया मुझे जवाब दें, मुझे इस जरूरी प्रतिक्रिया की ज़रूरत है! वहाँ एक रोक बिंदु है जहाँ आपने कार्रवाई की है, जो इस तरह दिखेगा प्रारंभ करने के बाद। हामी व्यापारमा पारदर्शिता प्रदान गर्न र तपाईंको धनराशि सुरक्षित राख्न प्रतिबद्ध छौं। बता दें, टिकटॉक एक वीडियो शेयरिंग प्लैटफॉर्म है जहा लोग तरह-तरह के फनी, रोमांटिक, मज़ेदार और मिमिकरी वीडियोज़ शेयर करते रहते हैं। यह एक छोटी सूची है। प्रमुख दलाल आमतौर पर द्विआधारी विकल्प प्रदान नहीं करते हैं क्योंकि वे जटिल हैं और बहुत लोकप्रिय नहीं हैं। यू.एस. में सबसे बड़ा विनियमित बाइनरी विकल्प ब्रोकर नाडेक्स है। स्केलिंग रणनीति – इसमें एक छोटा लाभ प्राप्त करने के लिए थोड़े समय में बड़ी संख्या में लेनदेन करना शामिल है। यह रणनीति शुरुआती लोगों बाइनरी ऑप्शंस कैसे काम करते हैं के लिए मुश्किल हो सकती है क्योंकि वे आमतौर पर भावनाओं से प्रेरित होते हैं और बुरे निर्णय लेते हैं। यह अधिग्रहण एसपीए में निर्दिष्ट विभिन्न नियमों और शर्तों की पूर्ति के अधीन है। प्रस्तावित अधिग्रहण को आईटीसी की रणनीति के साथ लाभदायक तरीके से अपने एफएमसीजी व्यवसायों को तेजी से बढ़ाने और अपनी संस्थागत शक्तियों का लाभ उठाने के लिए गठबंधन किया गया है। सनराइज 70 साल से अधिक की विरासत के साथ मसाला श्रेणी में पूर्वी भारत में एक बाजार नेता है। A. डिमैट अकाउंट खोलने के लिए आपके पास PAN कार्ड का होना अनिवार्य है. इसके जरिये ही आप अपना अकाउंट खोल पाएंगे. इसके अलावा अकाउंट खोलने के लिए आप अपने पास ये डॉक्यूमेंट जरूर रखें। हत्या एक अपराध है जिसे हमें बहाना सिखाया जाता है यदि यह बड़े पैमाने पर किया जाता है। नैतिकता की मांग है कि हम इसे बाइनरी ऑप्शंस कैसे काम करते हैं बहाना नहीं बनाते हैं। युद्ध बड़े पैमाने पर हत्या के अलावा और कुछ नहीं है। सभी के सभी, व्यापारियों के लिए विनियमन और वित्तीय सुरक्षा अन्य दलालों की तुलना में बहुत अधिक है। FXCM के साथ आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि आपके फंड सुरक्षित और अच्छी तरह से प्रबंधित हैं। विदेशी मुद्रा सही रेंज लिफ़ाफ़ा संकेतक विदेशी मुद्रा ट्रू रेंज लिफ़ाफ़ा संकेतक: विदेशी मुद्रा संकेतक क्या मतलब है? एक विदेशी मुद्रा सूचक एक सांख्यिकीय उपकरण है जो कि मुद्रा व्यापारियों ने मुद्रा जोड़े की मूल्य कार्रवाई की दिशा के बारे में निर्णय करने के लिए उपयोग किया है विदेशी मुद्रा संकेतक कई प्रकार के होते हैं, जिनमें प्रमुख संकेतक, ठंड संकेतक,. (अधिक पढ़ें.)। तो सबसे पहले आपको कुछ महत्वपूर्ण जांचना होगाक्षणों। विज्ञापन के प्रदर्शन का कारण क्या हो सकता है यह स्थापित करना आवश्यक है। यह आसान है - यहां तक कि एक व्यक्ति जो कंप्यूटर के साथ विशेष रूप से "दोस्ताना" नहीं है, वह कर सकता है। आखिरकार, जर्मन बाइनरी रोबोट एक "वायरस" है जिसे स्वयं ही हटाया जा सकता है। - एक विंडो (जैसे नीचे उदाहरण) पॉप अप करेगा, जिससे आप यह चुन सकते हैं कि लाइन को कौन सी कार्रवाई करनी चाहिए। - मेटाट्रेडर मोबाइल ट्रेडिंग ऐप - बाइनरी विकल्पों में हेजिंग - यदि आप सोच रहे हैं कि डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग (डीएसपी) में आउटपुट को धीमा कर दिया जाना चाहिए जो विरूपण से बचने के लिए गतिशीलता को मारता है, तो फिर से सोचें। ध्वनि स्रोत और स्पीकर दोनों के शीर्ष संस्करणों पर, डीएसपी की उपस्थिति सूक्ष्म है। स्पीकर को ऐसा लग सकता है कि यह उच्चतम उच्चतम दूरी पर विकृति के किनारे पर है, लेकिन हमने इसे वहां प्राप्त नहीं किया। हमने "नो चर्च इन द वाइल्ड" पर ड्राइवरों को इतनी मेहनत से धकेलते देखा कि जंगला हिल रहा था, लेकिन गतिकी ध्वनि नहीं थी, जैसे वे अक्सर वक्ताओं पर होते हैं जो विरूपण से बचने के लिए डीएसपी को नियुक्त करते हैं। - विदेशी मुद्रा और द्विआधारी विकल्प - GDMFX ब्रोकरेज पहली बात आपको एक ऐसे व्यक्ति से करने की ज़रूरत है जो इंटरनेट पर पैसा बनाना चाहता है, कई भुगतान प्रणालियों में अपना बटुआ खोलना है: वेबमनी और यैंडेक्स मनी। कम लोकप्रिय क्यूवी वॉलेट होगा। यह प्रबंधित करने के लिए काफी सरल है, इसे वेबमनी के रूप में बड़ी संख्या में पासवर्ड दर्ज करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन सभी ग्राहक इसे इस प्रणाली में भुगतान करना पसंद नहीं करते हैं। जो रूलेट के नाम से कैसिनो बाइनरी ऑप्शंस कैसे काम करते हैं ऑनलाइन में विख्यात है, जिसका अर्थ है “छोटा पहिया”। जब गेंद स्पिनिंग व्हील के साथ लुढ़कते हुए बहुतों की रोमांचक भीड़ इकट्ठी करती है तो खेल के सिग्नेचर लाल, काले और हरे रंग सभी एक साथ धुंधले होते हैं। वायदा बाजार तेजी से बढ़ता वित्तीय निवेश क्षेत्र है। इसकी लोकप्रियता का मुख्य कारण उच्च तरलता और विभिन्न रणनीतियों का एक विशाल चयन है। इसके बावजूद, यह कई निवेशकों को जोखिम भरा और जटिल लगता है। मेरा सुझाव है कि आज आप इस सेगमेंट के अध्ययन में देरी करेंगे और शुरुआती कारोबार के बारे में बात करेंगे। यह संकेतक बाइनरी ऑप्शंस कैसे काम करते हैं तीन प्रकार के सिग्नल उत्पन्न करने की क्षमता रखता है। अमेरिकन क्विड डिजिटल एसेट्स के स्पॉट ट्रेडिंग के लिए एक ऑनलाइन पूंजी और निवेश प्रबंधन सेवा प्रदाता है। विश्वसनीय ट्रिपल कैंडलस्टिक पैटर्न #1: सुबह और शाम को स्टार।
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नई दिल्ली। रिकॉर्ड स्तरों पर पहुंची पेट्रोल और कीमतों से आम लोगों की मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं. इससे सरकार पर भी दबाव बन गया है। महामारी की वजह से कम आमदनी और ऊंचे खर्चों के बाद सरकार चाह कर भी ईंधन से टैक्स घटा नहीं पा रही है। वहीं दूसरी तरफ ऊंचे पेट्रोल और डीजल से लोगों की जेब पर बोझ लगातार बढ़ रहा है। हालांकि सरकार को उम्मीद है कि कीमतों में मौजूदा बढ़त अस्थाई है और कीमतें जल्द नीचे आएंगी। कीमतों पर क्या है पेट्रोलियम मंत्री का बयान केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्नधान ने कहा है कि भारत में तेल कीमतों में बढ़त अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में आई कीमतों में बढ़त की वजह से देखने को मिली है। लेकिन ये बढ़त अस्थाई है, धीरे धीरे ये कीमतें नीचे लाई जाएंगी। पेट्रोलियम मंत्री ने आगे कहा कि केंद्र और राज्य दोनो ईंधन पर टैक्स लगाते हैं जो कि फिलहाल कोरोना के बाद अर्थव्यवस्था को रिकवर करने में मदद कर रहे हैं। पेट्रोल डीजल की कीमतें 2 हफ्ते से स्थिर पेट्रोल और डीजल की कीमतें बीते 2 हफ्ते से स्थिर बनी हुई हैं। फिलहाल कीमतें अपने रिकॉर्ड स्तरों पर बनी हुई हैं। इन कीमतों में टैक्स का हिस्सा काफी बड़ा है। दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 91.17 रुपये प्रति लीटर है, इसमें से बेस प्राइस 33.26 रुपये प्रति लीटर, एक्साइज ड्यूटी 32.9 रुपये प्रति लीटर, डीलर कमीशन 3.69 रुपये प्रति लीटर, वैट 21.04 रुपये प्रति लीटर पर है। कच्चे तेल में बढ़त का रुख महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में रिकवरी और तेल उत्पादक देशों के द्वारा उत्पादन में कटौती की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में बढ़त देखने को मिल रही है। फिलहाल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड की कीमत 70 डॉलर प्रति बैरल के स्तर के करीब हैं। जानकार इसके छोटी अवधि में 75 डॉलर प्रति बैरल के स्तर के करीब पहुंचने के अनुमान जता रहे हैं। News Source – Indiatv.in
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उच्चतम न्यायालय ने भारत में अदालतों द्वारा यौन अपराधों को महत्वहीन बनाये जाने पर सवाल उठाते हुये दायर याचिका पर आज अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल को नोटिस जारी किया। यह याचिका अपर्णा भट और आठ अन्य महिला अधिवक्ताओं ने दायर की है। इसमें मप्र उच्च न्यायालय के 30 जुलाई के उस आदेश को चुनौती दी गयी है जिसमे यौन हिंसा के एक आरोपी व्यक्ति को जमानत की एक शर्त के रूप में वह अपनी कलाई पर पीड़िता से राखी बंधवाये। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने दलील दी की यह याचिका सिर्फ मप्र उच्च न्यायालय के आदेश तक सीमित नहीं है बल्कि न्यायाधीशों द्वारा ऐसी टिप्पणियों पर सवाल उठाती है जो यौन हिंसा का सामना करने वाली महिला को ‘विषय’ बनाते हैं। न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे याचिका और आवेदन की प्रति अटार्नी जनरल के कार्यालय को दें। ऐसा करते समय न्यायालय ने इस बात को भी नोटस किया कि यह मामला अब मप्र उच्च न्यायालय के जमानत के आदेश के खिलाफ नहीं है क्योंकि ‘जमानत की शर्त पहले ही पूरी की जा चुकी है।’ एडवोकेट ऑन रिकार्ड पुखरंबम रमेश कुमार के माध्यम से दायर याचिका में उच्च न्यायालय द्वारा रखी गयी जमानत की शर्त पर रोक लगाने का अनुरोध किया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा हे कि उन्होंने जमानत दिये जाने के आदेश को चुनौती नहीं दी है लेकिन सिर्फ राखी बांधने की शर्त को चुनौती दी है। उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया था, ‘‘ आवेदक अपनी पत्नी के साथ 3 अगस्त, 2020 को सवेरे 11 बजे मिठाई के डिब्बे और राखी धागे के साथ शिकायतकर्ता के घर जायेगा और शिकायतकर्ता-सारदा बाई से अनुरोध करेगा कि वह उसकी कलाई पर राखी बांधे और यह वायदा करेगा कि वह आने वाले समय में अपनी क्षमता के अनुरूप उसकी रक्षा करेगा। वह रीति रिवाज के मुताबिक शिकायकर्ता को 11,000 रूपए भी देगा जो ऐसे अवसरों पर आमतौर पर एक भाई अपनी बहन को देता है और उसका आर्शीवाद प्राप्त करेगा।’’ याचिका में कहा गया है कि चूंकि यह फैसला एक उच्च न्यायालय ने दिया है, यह ऐसे जघन्य अपराध को महत्वहीन बनायेगा और ‘इस बात की पूरी संभावना है कि ऐसी टिप्पणियां और निर्देश उसे सामान्य बना देंगे जो अनिवार्य रूप से अपराध है और जिसे कानून के तहत ऐसा ही माना गया है।’’ याचिका में यह भी कहा गया है कि रक्षाबंधन भाई बहन के बीच संरक्षा का पर्व है लेकिन जमानत की इस तरह की शर्त ‘पेश मामले में शिकायतकर्ता की वेदना और यंत्रणा को एकदम महत्वहीन बनाने जैसा है।’’ ‘‘पेश मामला विशेष तरह का है क्योंकि अदालतों द्वारा महिलाओं के साथ होने वाले यौन अपराधों के मामलों में आरोपी और पीड़िता के बीच विवाह या मध्यस्थता कराने के तरीकों से हुये नुकसान को खत्म करने में सालों लगे हैं।’’ याचिका में कहा गया है कि इसमें एक महत्वपूर्ण सवाल यह है: ‘‘क्या जमानत के मामले में अदालत के लिये इस तरह की असंगत शर्ते लगाना उचित है जो आरोपी और शिकायतकता के बीच संपर्क की अनुमति देता हो?’’ उच्च न्यायालय का आरोपी का पीड़िता के घर जाने के लिये निर्देश भी ‘‘पीड़िता का अपने ही घर में उत्पीड़न’’ होगा’’ याचिका में इस तथ्य को भी उजागर किया गया है कि इस मामले में आरोपी ने पीड़िता के घर में जबरन घुसकर उसका शीलभंग किया था। इसी तरह से याचिका में इस तथ्य पर भी आपत्ति की गयी है कि अदालतों द्वारा दिेलाये जाने वाले मुआवजे की जगह पीड़िता को रक्षाबंधन पर्व की पंरपरा के अनुसार 11,000 रूपए स्वीकार करने के लिये बाध्य किया गया है। और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें
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Finance Ministry(Search results - 7) NationOct 6, 2019, 5:16 PM IST वित्त मंत्रालय 14 अक्टूबर से शुरू करेगा बजट तैयारी की प्रक्रिया वित्त मंत्रालय 2020-21 के सालाना बजट की तैयारी प्रक्रिया 14 अक्टूबर से शुरू करेगा। मंत्रालय को अन्य बातों के अलावा आर्थिक वृद्धि में नरमी और राजस्व संग्रह में कमी के महत्वपूर्ण मसलों का समाधान करना है। NewsJun 1, 2019, 1:33 PM IST मोदी राज में भर गयी जनता की जेब, जानें कितनी बढ़ी है आपकी आय केन्द्र की नई मोदी सरकार के लिए सरकार बनते ही बड़ी खुशखबरी आयी है। केन्द्र की पिछली मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों और योजनाओं के कारण प्रति व्यक्ति आय में इजाफा हुआ है। केन्द्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2018-19 के दौरान प्रति व्यक्ति सालाना आय में इजाफा हुआ है। इन आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2018-19 में ये बढ़कर 1,26,406 हो गयी है जबकि 2017-18 के दौरान ये 1,14,958 रुपये सालाना थी। NewsMar 8, 2019, 5:08 PM IST मोदी सरकार ने चुनाव से पहले कर्मचारियों को दी बड़ी खुशखबरी, जानें आपको कैसे होगा फायदा आगामी लोकसभा चुनाव से केन्द्र की मोदी सरकार ग्रैच्युइटी पर लगने वाले टैक्स पर छूट को बढ़ाने जा रही है। केन्द्र सरकार ग्रेच्युइटी पर लगने वाले टैक्स की छूट को दोगुना का फैसला किया है। फिलहाल ये किस तारीख से लागू होगी इस बारे में सरकार की तरफ से नहीं बताया गया है। NewsMar 7, 2019, 1:04 PM IST अब बाजार में आएगा 20 रुपये का सिक्का, जानें क्या हैं खूबियां रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अब जल्द ही 20 रुपये का सिक्का जारी करेगा। आरबीआई करीब दस साल के बाद कोई नया सिक्का जारी कर रही है। इस रुपये की खास बात ये है कि इसमें किनारे कोई निशान नहीं है। NewsFeb 1, 2019, 10:15 AM IST वित्तमंत्री वित्त मंत्रालय पहुंचे, आज पेश होगा बजट आज मोदी सरकार संसद में अंतरिम बजट पेश करेगी। चुनावी साल होने के कारण माना जा रहा है कि बजट में आम जनता को ज्यादा से ज्यादा रियायतें मिलेगी। NewsOct 4, 2018, 3:57 PM IST केंद्र ने पेट्रोल-डीजल के दाम 2.50 रुपये घटाए, भाजपा शासित राज्यों में पांच रुपये की राहत वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यों से भी 2.50 रुपये की कटौती करने का अनुरोध किया। केंद्र के ऐलान के तुरंत बाद भाजपा शासित कई राज्यों ने भी दी 2.50 रुपये की राहत। वहीं गैर-भाजपा शासित कुछ राज्यों जैसे कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश ने अपने हिस्से की कटौती करने से इनकार कर दिया है। NewsSep 20, 2018, 1:38 PM IST जानिये पीपीएफ, एनएससी और सुकन्या योजना पर कितना बढ़ा ब्याज लघु बचत योजनाओं के लिए ब्याज दरों को तिमाही के आधार पर संशोधित किया जाता है। वित्त मंत्रालय से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2018-19 की तीसरी तिमाही के लिए विभिन्न लघु बचत योजनाओं की ब्याज दरें संशोधित की जाती हैं।
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यूपी पंचायत चुनाव:आगरा में उपद्रवियों ने बूथ से लूटे बैलेट बॉक्स, DM ने कहा- फिर से कराई जा सकती वोटिंग आगरा, 16 अप्रैल: उत्तर प्रदेश के 18 जिलों में गुरुवार (15 अप्रैल) को पहले चरण के पंचायत चुनाव हुए। यूपी पंचायत चुनाव के पहले चरण में आगरा में हिंसा की घटान देखने को मिली। उत्तर प्रदेश के आगरा में फतेहाबाद क्षेत्र में गुरुवार को पंचायत चुनाव के पहले चरण के दौरान एक मतदान केंद्र से बदमाशों ने बैलेट बॉक्स लूट लिए और पोलिंग बूथ पर तोड़फोड़ मचाई। हादसा आगरा के फतेहाबाद तहसील के रिहावली मतदान केंद्र प्राथमिक विद्यालय के एक बूथ पर हुआ। बताया जा रहा है कि उपद्रवी दो बैलेट बॉक्स लूटे ले गए हैं। आगरा के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) प्रभु एन सिंह ने कहा फर्जी वोटिंग को लेकर दो पक्षों के समर्थक आमने-सामने आए थे। हादसा दो उम्मीदवारों के समर्थकों के भिड़ने के बाद हुआ। उपद्रवियों की पहचान की जा रही है और मामले की जांच जारी है। आगरा डीएम प्रभु एन सिंह ने कहा इस पोलिंग बूथ पर फिर से वोटिंग कराई जा सकती है। उन्होंने कहा है कि उन्होंने चुनाव अधिकारी से क्षेत्र में फिर से मतदान कराने का अनुरोध किया है। मामले की जांच चल रही है। जल्द ही आरोपियों की पहचान कर ली जाएगी। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक दो पक्षों में झगड़ा होने के बाद एक पक्ष के 50 से ज्यादा लोगों ने पोलिंग बूथ पर हमला कर दिया था। पोलिंग बूथ की खिड़की तोड़कर बदमाश अंदर गए और बैलेट बॉक्स को लेकर भाग गए। बताया जा रहा है कि हमले में फायरिंग भी की गई है। जैसे ही पुलिस को इसकी सूचना मिली, डीएम सहित मौके पर सारे अधिकारी पहुंच गए। कई घंटों तक मतपेटियों की तलाश चली लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा। अयोध्या, आगरा, कानपुर, गाजियाबाद, गोरखपुर, जौनपुर, झांसी, प्रयागराज, बरेली, भदोही, महोबा, रामपुर, रायबरेली, श्रावस्ती, संत कबीर नगर, सहारनपुर, हरदोई और हाथरस ऐसे जिलों में, गुरुवार को उत्तर प्रदेश के पहले चरण में पंचायत चुनाव के लिए मतदान हुए हैं। उत्तर प्रदेश के राज्य चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार जिला पंचायत (जिला परिषद) के सदस्यों, क्षेत्र (ब्लॉक) के पंचायत सदस्यों, ग्राम पंचायत प्रमुखों और वार्डों के पदों के लिए पहले चरण में 2.21 लाख सीटों पर 3.33 लाख से अधिक उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं।
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प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक नीतियों से देश की इकोनॉमी और कारोबारी माहौल लगातार बेहतर हो रहा है। वैश्विक संपत्ति सलाहकार कोलियर्स के अनुसार, भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र में निवेश 2019 में नौ प्रतिशत बढ़कर 43,780 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। ग्लोबल प्रॉपर्टी कंसल्टेंट फर्म कोलियर्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल रियल एस्टेट सेक्टर में हुए कुल निवेश में 46 प्रतिशत यानी 19,900 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी अकेले ऑफिस प्रॉपर्टी की रही। 2018 की तुलना में 2019 में भारत की अचल संपत्ति में निवेश 8.7 प्रतिशत बढ़ा और $ 6.2 बिलियन (43,780 करोड़ रुपये) को छू गया। कोलियर्स ने एक रिपोर्ट में कहा, 2019 में कुल निवेश का लगभग 78 प्रतिशत विदेशी धन है, जो अब तक का सबसे अधिक हिस्सा है। कोलियर्स ने अनुमान लगाया है कि 2020 में रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश बढ़कर 6.5 बिलियन डॉलर (46,170 करोड़ रुपये) तक पहुंच जाएगा। कोलियर्स इंटरनेशनल इंडिया के एमडी एवं चेयरमैन सैंकी प्रसाद ने कहा, ‘हम निवेशकों को सलाह देते हैं कि निर्माणाधीन ऑफिस प्रॉपर्टी समेत तमाम ऐसी संपत्तियों पर गौर करें, जिनकी आइटी सेक्टर से जुड़े बाजारों में बड़ी मांग हो सकती है। बेंगलुरु, हैदराबाद और पुणो जैसे शहर निवेशकों को जोरदार मौके दे रहे हैं।’ मुंबई और दिल्ली-एनसीआर के साथ, बेंगलुरु को सबसे आकर्षक बाजारों में रैंक देना जारी रखना चाहिए। 2020-2023 के दौरान, कोलियर्स ने शीर्ष सात शहरों में 52 मिलियन वर्ग फुट पर वार्षिक औसत सकल अवशोषण का अनुमान लगाया, जो पिछले पांच वर्षों के सकल अवशोषण को 12 प्रतिशत से पार कर गया। जारी आर्थिक मंदी के बावजूद, विदेशी फंडों को भारतीय रियल्टी में मजबूत पैर जमाने की संभावना है। 2019 के दौरान 655 मिलियन डॉलर (4,650 करोड़ रुपये) के निवेश के साथ निवेश के मामले में दिल्ली-एनसीआर को पछाड़कर बेंगलुरु दूसरे स्थान पर पहुंच गया। 2019 में कुल निवेश में 25 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ मुंबई निवेश के मामले में सबसे आगे रहा। एक नजर डालते हैं उन संकेतों पर, जिनसे साफ जाहिर होता कि मोदी सरकार में अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से बढ़ रही है। नवंबर में हुआ 22,872 करोड़ का एफपीआई निवेश प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। नतीजतन, विदेशी निवेशकों का भारत के बाजार पर लगातार विश्वास बढ़ रहा है। और भारतीय बाजार में विदेशी निवेश का बढ़ता पैमाना विदेशी निवेशकों के मजबूत होते विश्वास को दर्शाता है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने नवंबर महीने में भारतीय बाजारों में 22,872 करोड़ रुपये की पूंजी लगायी है। उत्साहजनक घरेलू और अंतरराष्ट्रीय संकेतकों को देखते हुए विदेशी निवेशकों ने ये पूंजी डाली है । डिपोजिटरी के आंकड़े के अनुसार विदेशी निवेशकों ने एक नवंबर से 29 नवंबर के दौरान ऋणपत्रों से 2,358.2 करोड़ रुपये निकाले, जबकि इक्विटी में उन्होंने 25,230 करोड़ रुपये का निवेश किया। इस प्रकार कुल 22,871.8 करोड़ रुपये के एफपीआई ने निवेश किये। विदेशी मुद्रा भंडार ने बनाया रिकॉर्ड प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश की अर्थव्यवस्था लगातार मजबूत हो रही है। मोदी सरकार की नीतियों के कारण आज भारत का विदेशी का मुद्रा भंडार नए रिकॉर्ड पर पहुंच गया है। मोदीराज में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार तीन दिसंबर तक बढ़कर 451.7 अरब डॉलर के नए स्तर पर पहुंच गया। यह विदेशी मुद्रा भंडार का अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह बताया और उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष की शुरुआत से अब तक विदेशी मुद्रा भंडार में 38.8 अरब डॉलर की बढ़ोत्तरी हो चुकी है। यह हाल के वर्षों में सबसे अधिक वृद्धि हुई है। बता दे की विदेशी मुद्रा भंडार ने आठ सितंबर 2017 को पहली बार 400 अरब डॉलर का आंकड़ा पार किया था। जबकि यूपीए शासन काल के दौरान 2014 में विदेशी मुद्रा भंडार 311 अरब डॉलर के करीब था। बेहतर कारोबारी माहौल पीएम मोदी ने सत्ता संभालते ही विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति तेज की और देश में बेहतर कारोबारी माहौल बनाने की दिशा में भी काम करना शुरू किया। इसी प्रयास के अंतर्गत ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति देश में कारोबार को गति देने के लिए एक बड़ी पहल है। इसके तहत बड़े, छोटे, मझोले और सूक्ष्म सुधारों सहित बहुत सारे उपाय किए गए हैं। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सबसे अधिक वेतन वृद्धि भारत में होगी प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक नीतियों से देश की इकोनॉमी और कारोबारी माहौल लगातार बेहतर हो रहा है। यही वजह है कि जहां कंपनियां मुनाफा कमा रही हैं, वहीं कर्मचारियों की सैलरी भी निरंतर बढ़ रही है। प्रमुख वैश्विक एडवाइजरी, ब्रोकिंग और सोल्यूशंस कंपनी विलिस टॉवर्स वॉटसन की ताजा तिमाही रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2020 में कर्मचारियों के वेतन में रिकॉर्ड 10 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी होगी। रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि ये वेतन वृद्धि पूरे एशिया-पैसिफिक में सबसे अधिक होगी। रिपोर्ट के मुताबिक इंडोनेशिया में वेतन वृद्धि 8 प्रतिशत, चीन में 6.5 प्रतिशत, फिलीपींस में 6 प्रतिशत और हांगकांग व सिंगापुर में 4 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। जाहिर है कि मोदी सरकार की सफल आर्थिक नीतियों की वजह से ही इस वर्ष भारत में औसत वेतन वृद्धि 9 प्रतिशत से अधिक रही।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तरप्रदेश के आगरा से कोरोनावायरस के छह नए संदिग्ध मामले सामने आने के बाद लोगों से न घबराने और साथ मिलकर काम करने का आग्रह किया है। मोदी ने ट्वीट कर कहा, "घबराने की जरूरत नहीं है। हमें साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। खुद की सुरक्षा के लिए छोटा मगर महत्वपूर्ण कदम उठाएं।" उन्होंने साथ ही एक पोस्टर ट्वीट किया, जिसमें सामान्य साफ-सफाई के तौर-तरीकों के बारे में बताया गया है, जिसमें लगातार हाथ धोने और आंख, नाक और मुंह को बार-बार छूने से बचने के लिए कहा गया है, ताकि वायरस न फैले। ट्वीट में एक नियंत्रण कक्ष की भी जानकारी दी गई है। इससे पहले दिन में, संसद में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मोदी के बीच स्वास्थ्य के मुद्दे पर चर्चा हुई। उल्लेखनीय है कि आगरा में आज (मंगलवार को) कोरानावायरस के संदिग्ध छह और लखनऊ से संदिग्ध की पहचान की गई। इससे पहले दिल्ली में एक मामले, तेलंगाना में एक और जयपुर में एक मामले की जानकारी सामने आई थी। Are you an Ayurveda doctor? Download our App from Google PlayStore now! Download NirogStreet App for Ayurveda Doctors. Discuss cases with other doctors, share insights and experiences, read research papers and case studies. Get Free Consultation 9625991603 | 9625991607 | 8595299366
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बगहा (इमरान अजीज की रिपोर्ट) | बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की संभावित यात्रा से पहले पश्चिमी चंपारण के डीएम कुंदन कुमार दल बल के साथ बगहा पहुँचे. डीएम ने नगर के दीनदयाल नगर घाट स्थित गंडक नदी से बचाव राहत कार्यों का औचक निरीक्षण किया. इस दौरान नदी तट पर बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यों को लेकर अधिकारियों और कर्मचारियों को कई जरूरी निर्देश दिए. साथ ही बगहा प्रखंड और अंचल कार्यालय का भी उन्होंने जायजा लिया. बगहा से वाल्मिकिनगर गंडक बराज पहुँचे जिलाधिकारी ने सीमावर्ती नेपाल के राइट एफलक्स बाँध मरम्मती कार्यों का भी निरीक्षण किया. गंडक बराज स्थित नियंत्रण कक्ष में उन्होंने प्रशासन और जल संसाधन विभाग की टीम के साथ समीक्षात्मक बैठक किया. बैठक के बाद डीएम ने इंटरनेशनल कन्वेंशनल सेंटर कि चिन्हित भुमि का सर्वे किया. मौके पर उन्होंने बताया कि वाल्मीकिनगर में अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशनल सेंटर समेत कई विकास के नए और बड़े कार्यों की रूप रेखा तैयारी की गई है. इधर कयास लगाए जा रहे हैं कि कल गुरूवार 25 जून को सीएम नीतीश कुमार की वाल्मीकिनगर मे संभावित यात्रा के दौरान इसकी आधारशिला रखी जा सकती है. मुख्यमंत्री के इस दौरे पर पर्यटन नगरी के रूप मे वाल्मिकिनगर को कई और बड़े सौगात मिलने कि भी तैयारी है. पश्चिम चंपारण जिला के डीएम कुंदन कुमार के साथ एसडीएम बगहा विशाल राज़ और एसपी राजीव रंजन समेत जल संसाधन विभाग और वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मौजूद रहे.
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पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा, केंद्र का बजट हिमाचल की घाेर उपेक्षा शिमला: विपक्ष ने केंद्रीय बजट काे सिरे से नकार दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने केंद्रीय बजट में प्रदेश की घोर उपेक्षा पर दुख जताते हुए कहा है भाजपा का डबल इंजन का दावा पूरी तरह झूठा है। उन्होंने कहा है कि केंद्र की भाजपा सरकार हिमाचल के साथ भेदभाव कर रही है। प्रदेश के विकास की किसी भी योजना का कोई भी प्रारूप हिमाचल के लिये नही रखा गया है, जो बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने रेल बजट पर भी प्रदेश की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा है कि इसके विस्तारीकरण की भी कोई योजना इसमें नही है। वीरभद्र सिंह ने केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि बजट पूरी तरह दिशाहीन है जिसकी न कोई दिशा है न दशा। बजट में ऐसी कोई योजना नही है जिससे देश मे बढ़ती बेरोजगारी पर कोई अंकुश लग सके और देश की विकास दर बढ़ सकें। वीरभद्र सिंह ने कहा है कि इस बजट में उन राज्यों को विशेष महत्व दिया गया है जहां इस वर्ष चुनाव होने है। उन्होंने कहा है बजट में किसानों, बागवानों व छोटे उद्योगों के विकास को कोई भी योजना नही है। वीरभद्र सिंह ने कहा है कि बजट में लोगों को लुभाने की कोशिश की गई है पर देश को इससे बहुत निराशा ही हाथ लगी है। हिमाचल के साथ अन्याय कर रही माेदी सरकार कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर ने केंद्रीय बजट में हिमाचल प्रदेश को उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा है कि केंद्र सरकार प्रदेश के साथ बड़ा अन्याय कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया है कि यह बजट उन राज्यों को देख कर बनाया गया है जहां इस साल चुनाव होने वाले है जिससे उन्हें चुनावों में इसका कोई राजनीतिक लाभ मिल सकें। राठौर ने केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि जबकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रदेश से है और केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री भी प्रदेश से संबद्ध रखते है ऐसे में प्रदेश के लिए किसी भी नई योजना को न देना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पिछले बजट में प्रदेश में रेल व राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार की जो बात कही गई थी,इसबार उनका इस बजट में लेश मात्र भी उल्लेख नही है। गरीब की जेब खाली, पूंजीपतियों की तिजोरी भरने वाला है यह बजट: राणा केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट पर टिप्पणी करते हुए हिमाचल प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष एवं सुजानपुर के विधायक राजेंद्र राणा ने की यह बजट आम गरीब नागरिक के हाथों से नकदी को दूर करने का मन्सूबा बना चुकी केंद्र सरकार देश की संपत्तियों व परिसंपत्तियों को पूंजीपतियों के हवाले कर रही है। उन्होंने कहा कि सकल घरेलु उत्पाद जीडीपी में 37 महीनों की रिकार्ड गिरावट का तो इस बजट में सरकार ने कोई उल्लेख नहीं किया है और न ही अर्थव्यवस्था की गति पर कोई ध्यान दिया है। राणा ने कहा कि वित्त मंत्री के बजट संवाद में इसका कोई जिक्र नहीं है। हालांकि करीब 3 दशकों में देश की जीडीपी रसातल में जाने के बाद यह सबसे बड़ा आर्थिक संकट देश पर बना हुआ है। लेकिन सरकार का पूरा फोक्स बेशकीमती संपत्तियों को बेचने के अलावा बजट में कोई मुख्य ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा कि इस बजट की सबसे बड़ी बात यह उभर कर आई है कि देश की अर्थव्यवस्था आगे बढ़े या न बढ़े लेकिन देश की संपत्तियों और परिसंपत्तियों को बेचना है। केंद्र का बजट महज आंकड़ों का मायाजाल: भंडारी युवा कांग्रेस अध्यक्ष निगम भंडारी ने केंद्रीय बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह महज आंकड़ों का मायाजाल बुनकर अपनी नाकामियां छुपाने का असफल प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा है कि इस बजट से देश मे महंगाई व बेरोजगारी बढ़ेगी। बजट में आम लोगों को भी कोई राहत नही है। बजट पूरी तरह दिशाहीन है व नकारा है।
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दिल्ली पुलिस ने हरियाणा के रोहतक से 26 साल के सलमान को गिरफ्तार किया है। सलमान पर आरोप है कि वह महिलाओं को फोन पर अश्लील मैसेज करता था और वीडियो कॉल करने के बाद कपड़े उतारने लग पड़ता था। आरोपी की गिरफ्तारी के बाद जब पुलिस ने उसका मोबाइल स्कैन किया तो पता चला कि उसने अभी तक कम से कम 30 महिलाओं के साथ ऐसी गलत हरकतें की है। दरअसल हाल ही में इस व्यक्ति के खिलाफ सफदरजंग एंक्लेव की निवासी पूर्वोत्तर की लड़की ने पुलिस के पास शिकायत दी थी। शिकायतकर्ता के मुताबिक उसे अंजान नंबर से फोन आया और जब उसने फोन उठाया तो उधर से शख्स ने अपना प्राइवेट पार्ट फ्लैश किया। इसके बाद उसने अपने कई अश्लील वीडियो भी भेजे। पीडि़ता आरोपी को इग्नोर करती रही लेकिन आरोपी उसे लगातार मैसेज भेजता रहा है। डीसीपी (साउथ-वेस्ट) देवेंदर आर्या ने बताया कि फोन नंबर पर राजस्थान के कोटा का पता था। एक टीम वहां भेजी गई। जिसके नाम पर नंबर रजिस्टर्ड था, उसने बताया कि उसका दोस्त सलमान ये सिम कार्ड यूज कर रहा है। सलमान को रोहतक में ट्रैक किया गया और वहीं से अरेस्ट किया गया। पूछताछ में सलमान ने कबूल लिया कि उसने वॉट्सऐप के जरिए अनजान लड़कियों को ऐसे तस्वीरें/वीडियो भेजे।
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दूसरे दिन लागातर हो रही बरसात से रुकी मुंबई की लाइफलाइन मुंबई – संवादाता मुंबई और उसके आसपास के इलाके में लगातार बारिश शुरू है मौसम विभाग ने 24 घंटे की चेतावनी दी थी बरसात को लेकर , लगातार दूसरे दिन भी राज्य भर में बारिश शुरू है मुंबई के कई इलाकों में जलजमाव हो चुका है , सांगली , सतारा , नदुरबार में तेज बारिश शुरू है । तेज बारिश की वजह से मुंबई सीएसटी से वाशी रेलवे सेवा बंद है , कल्याण और बदलापुर रेलवे ट्रैक पर पानी भरने की वजह से अंबरनाथ स कर्जत की तरफ जाने वाली लोकल सेवा बंद है। वसई विरार की तरफ बारिश की वजह से ट्रेन सेवा पर असर हुआ है तेज लाइन की गाड़ियां स्लो लाइन से जा रही है ।
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ये रचनात्मक वेडिंग ऐपेटाइज़र विचार आपके कॉकटेल घंटे को रात का मुख्य आकर्षण बना देंगे। आपकी शादी में भोजन निस्संदेह पूरे कार्यक्रम के सबसे महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है। हमने प्रत्येक प्रकार के स्वागत भोजन शैली को निष्पादित करने के सुझावों के लिए एक विशेषज्ञ के साथ परामर्श किया। चाहे वह एक सनकी डोनट टॉवर हो या काटने के आकार के पाई चबूतरे, ये स्टाइलिश शादी मिठाई बार विचार आपके मेहमानों को प्रभावित करने का एक आसान तरीका है। ग्रीष्मकालीन कॉकटेल में हस्ताक्षर कॉकटेल के साथ प्राप्त करें जो कि एक गर्मियों की शादी के स्वाद और महसूस पर कब्जा कर लेते हैं हर शादी में चुलबुली की बोतल की मांग होती है, इसलिए यहां $ 50 के तहत सबसे शानदार स्पार्कलिंग वाइन के लिए कुछ विकल्प हैं। सुनिश्चित करें कि आपका मेनू आपके रिसेप्शन या कॉकटेल ऑवर में किसी फूड स्टेशन के लिए पसंद करने के साथ ही अच्छा लगता है! न केवल मेहमान इसे पसंद करेंगे, बल्कि यह आपके मेनू में व्यक्तित्व जोड़ने का एक शानदार तरीका है। जबकि खाद्य ट्रक खानपान रोमांचक और मजेदार हो सकता है, यह विचार और सीमाओं के अपने सेट के साथ भी आता है। सब कुछ जानने के लिए आगे पढ़ें। अपनी शादी में मीठा व्यवहार करना चाहते हैं? किसी भी शादी की शैली के लिए सुंदर (और मिठाई!) कैंडी बार विचारों के इस राउंड-अप की जांच करें। एक खुला बार तब होता है जब शादी मेहमानों के बजाय बिल को होस्ट करती है। यहां वह सब कुछ है जो आपको अपनी शादी में एक खुली पट्टी के बारे में जानने की जरूरत है। यहां, हम शादी से पहले की सभी घटनाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ वाइन के 26 स्पॉट, पोस्ट- और दिन के लिए स्पॉटलाइट करते हैं। ये ब्राइडल शावर डेसर्ट देखने में स्वादिष्ट और खूबसूरत दोनों हैं। इन मिठाइयों के आसपास के कुछ सबसे सामान्य प्रश्नों के हमारे पसंदीदा विचारों और विशेषज्ञ उत्तरों की खोज करें। अपने हस्ताक्षर कॉकटेल में मजेदार और चतुर नाम देना किसी भी शादी में एक व्यक्तिगत स्पर्श जोड़ता है। यहां बताया गया है कि आपके साथ कैसे आना है, साथ ही आपको शुरू करने के लिए उदाहरण। शादी के खानपान की कीमत के बारे में आपको जो कुछ भी जानने की जरूरत है, जिसमें एक कैटरर की लागत पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। बुफे शैली की खाद्य सेवा लंबे समय से शादी के स्वागत का एक मुख्य केंद्र रही है। यहाँ सब कुछ है जो आपको अपनी बुनियादी संरचना से लेकर कोरोनरी महामारी के मद्देनजर इसे फिर से कैसे तैयार किया जाएगा, इसके बारे में जानने की जरूरत है। शादी के बारटेंडरों की लागत और अपनी शादी में आपको कितने की आवश्यकता होगी, इसके बारे में जानें और एक विशेषज्ञ से सलाह और जानकारी लें। स्वस्थ की खुराक के साथ आरामदायक आराम भोजन - क्या प्यार नहीं है? यहाँ 12 स्वादिष्ट शाकाहारी फॉल रेसिपी हैं जो आप अपने इंस्टेंट पॉट के साथ बना सकते हैं! बूआ है, यात्रा करेगी। इस सूची के प्रत्येक मोबाइल बार में पेय, बारटेंडर और मज़ेदार सेट-अप हैं जो आपके स्वागत के लिए एक अविस्मरणीय अतिरिक्त होगा यह सुनिश्चित करने के लिए कि आप तैयार पहली बैठक में जा रहे हैं, हमने आपके लिए सबसे अच्छा वेडिंग कैटरर ढूंढने के लिए प्रश्नों की एक सूची तैयार की है। डोनट दीवारें ठेठ शादी की मिठाई की मेज के लिए एक मजेदार विकल्प हैं। हमने आपके लिए अपनी खुद की प्रेरणा और सुझाव एकत्र किए हैं।
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राजस्थान के कोटा जिले में राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा लेने निकले राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) के जिला संघ चालक दीपक शाह पर मंगलवार को (फरवरी 9, 2021) गोलियाँ दागी गईं। हमले में गोली उनकी जाँघ पर लगी। उन्हें इलाज के लिए पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती करवाया गया। बाद में वहाँ से वह MBS अस्पताल में भर्ती हुए। पुलिस का कहना है कि दीपक शाह रामगंज मंडी के निवासी हैं। मंगलवार शाम 6 से 7 बजे के बीच वे राम मंदिर निर्माण के लिए निधि संग्रह करने निकले थे। उनके साथ जिला प्रचारक हेमंत और विभाग प्रचारक मनोज प्रताप भी थे। कुछ देर बाद जब विभाग प्रचारक मनोज प्रताप वहाँ से चले गए, तो दीपक शाह और उनके सहयोगी ने निधि संग्रह जारी रखा। मगर, थोड़ी देर में तीन बदमाश बाइक पर सवार होकर आए और दीपक शाह पर फायरिंग कर दी। मौके पर मौजूद लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुँचाया। कोटा के रामगंजमंडी में श्रीराम मंदिर निर्माण समर्पण निधि संग्रह करते हुए कार्यकर्ताओं पर चली गोलियां!— Jugal Meena (@Imjugalmeena) February 9, 2021 जिला संघ चालक दीपक जी शाह के दोनों पैर में गोली लगी, कोटा रैफर किया जिला प्रचारक हेमंत जी भी साथ थे, बाल बाल बचे, विभाग प्रचारक मनोज जी कुछ देर पहले ही निकले थे! @friendsofrss pic.twitter.com/1RKq7PNMlG घटना के बाद विधायक चंद्रकांता मेघवाल और पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजल घायल दीपक शाह से मिलने एमबीएस अस्पताल पहुँचे। दूसरी ओर रामगंजमंडी कस्बे में बड़ी संख्या में व्यापारी और RSS कार्यकर्ता थाने के बाहर एकत्रित हुए। भीड़ ने थाने में धरना-प्रदर्शन करते हुए घेराव किया। क्षेत्र में रात से हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। इलाके में पुलिस बल को तैनात किया गया है। बता दें कि दीपक शाह, आरएसएस जिला संघ चालक होने के साथ-साथ स्टोन व्यापारी भी है। इस कारण व्यापारियों में भी भारी आक्रोश है। सभी ने मिल कर आरोपितों के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई की माँग की है। मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों का हवाला देकर कहा जा रहा है कि रामगंजमंडी क्षेत्र के हिस्ट्रीशीटर से दीपक शाह का कुछ दिन पहले किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था। थाने में मामला भी दर्ज हुआ था। ऐसे में मंगलवार को दीपक शाह पर हुए जानलेवा हमले को उक्त घटना से जोड़ कर देखा जा रहा है। कुछ रिपोर्ट्स में आरोपित का नाम आशु पाया सामने आया है। कहा जा रहा है कि आशु ने ही अपने दो साथियों के साथ मिल घटना को अंजाम दिया, फिर फरार हो गया। पुलिस ने सूचना पाते ही इलाके में नाकाबंदी करवाई। वहीं दीपक शाह ने भी अपने बयान में मकसूद के बच्चों को आरोपित बताया। दीपक शाह ने भी अपने बयान में कहा कि मकसूद पाया के बेटे बाबू पाया सहित अन्य लोगों ने उन पर हमला किया है। दीपक शाह ने अस्पताल में कहा कि उन्हें निधि संग्रह करने से रोकने के लिए कहा जा रहा था, जब बात नहीं मानी गई, तब ये हमला हुआ। बता दें कि इस केस में भाजपा देहात जिलाध्यक्ष मुकुट नगर भी रामगंजमंडी पहुँचे। उन्होंने पुलिस को चेतावनी दी कि बुधवार सुबह 7 बजे तक वारदात में शामिल सभी बदमाशों को पकड़ लिया जाए अन्यथा भाजपा देहात सुबह रामगंजमंडी कस्बे को बंद करवाएगी।
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भारतीय युवा खिलाड़ियों को उड़ान भरने के लिए पंख देने का श्रेय राहुल द्रविड़ को जाता है अंडर 19 क्रिकेट विश्व कप में भारतीय टीम ने अपना परचम लहराया। पृथ्वी शॉ की कप्तानी में भारतीय टीम ने फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को 8 विकेटों से हराकर रिकॉर्ड चौथी बार इस खिताब को अपने नाम किया। ये जीत इसलिए भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि अंडर 19 विश्व कप न्यूजीलैंड की धरती पर खेला गया था और ज्यादातर भारतीय अंडर 19 खिलाड़ियों का विदेशी पिचों से अभी तक पाला नहीं पड़ा था। विदेशी धरती पर शानदार खेल दिखाकर खिताब को अपने नाम करना ही भारतीय टीम को सबसे अलग दिखाती है। अपने ग्रुप मुकाबलों में भारतीय टीम ने ऑस्ट्रेलिया, पपुआ न्यू गिनी और जिम्बाब्वे जैसी टीम को हराया तो वहीं बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसी टीमों को क्रमशः क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में पटखनी दी। अपने बेहतरीन प्रदर्शन के बूते ही टीम इंडिया ने अंडर 19 विश्व कप के फाइनल तक का सफर तय किया। इसके बाद फाइनल में भारत ने ऑस्ट्रेलियाई टीम पर शुरू से ही दबाव बनाए रखा और फाइनल मुकाबले में भी जीत हासिल की। आइए जानते हैं उन वजहों के बारे में जिसके कारण भारतीय टीम ने अंडर 19 विश्व कप 2018 के खिताब को अपने नाम किया: #5 कोच- राहुल द्रविड़ किसी भी टीम के मार्गदर्शन के लिए कोच की भूमिका अहम होती है। भारतीय अंडर 19 विश्व कप विजेता टीम के कोच भारत के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ थे। इस टीम के लिए राहुल द्रविड़ के मुकाबले कोई और बेहतर कोच नहीं हो सकता था। जब साल 2015 में उन्हें अंडर 19 टीम के तहत कोच नियुक्त किया गया, तब उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाड़ियों की पहचान करके एक मजबूत टीम बनाई। राहुल द्रविड़ साल 2016 में भी अंडर 19 टीम के कोच रहे थे, साल 2016 की उस टीम ने अंडर 19 विश्व कप के फाइनल तक का सफर तय किया था और उपविजेता रही थी। इसके बाद राहुल द्रविड़ ने ठान लिया की साल 2018 में इससे एक कदम और आगे बढ़ना है। अपने शानदार क्रिकेट करियर में राहुल द्रविड़ टीम को एक भी विश्व कप जीताने में नाकाम रहे थे। साल 2007 के विश्व कप में मिली हार का भी द्रविड़ को मलाल होगा, लेकिन कोचिंग में वो इसकी कसर पूरा करना चाहते थे और भारतीय अंडर 19 क्रिकेट टीम को बेहतर बनाने के लिए वो जी जान से जुट गए। जिसकी बदौलत ही टीम ने अंडर 19 विश्व कप 2018 में सफलता हासिल की। द्रविड़ ने वास्तव में भारतीय क्रिकेट में बहुत योगदान दिया है और कई युवा खिलाड़ियों का मार्गदर्शन किया है ताकि भविष्य में वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में देश का प्रतिनिधित्व कर सकें।
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This website uses cookie or similar technologies, to enhance your browsing experience and provide personalised recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy. अंबाला में बर्ड फ्लूः पीएमओ की निगरानी में बिचपड़ी का पोल्ट्री फार्म, हर माह भेजने होगी रिपोर्ट पशुपालन विभाग की ओर से 14 जनवरी को शहजादपुर के गांव बिचपड़ी स्थित पोल्ट्री फार्म से 15 सैंपल लिए गए थे। इसके बाद सैंपलों को जांच के लिए पंजाब के जालंधर में भेज दिया गया था। जहां से विगत दिनों पहले रिपोर्ट पॉजिटिव आ चुकी है।
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बोड़ो की टीम ने आयोजकों पर लगाया पक्षपात का आरोप, खूब की नारेबाजी गिरिडीह : असलम मेमोरियल नॉकआउट फुटबॉल टूर्नामेंट का फाइनल मुकाबला रविवार को तेलोडीह में खेला गया। इस दौरान बरवाडीह की टीम ने बोड़ो को हराकर खिताब अपने नाम किया। मौके पर बतौर मुख्य अतिथि गिरिडीह के पूर्व सांसद सरफ़राज़ अहमद, हजारीबाग डीएसपी तौकीर आलम, समाजसेवी गुणवंत सिंह सलूजा, चुन्नू कांत, तेलोडीह मुखिया रिजवाना खातून, मुखिया प्रतिनिधि शब्बीर आलम, आयोजक अख्तर हुसैन सहित भारी संख्या में लोग मौजूद थे। फाइनल मुकाबला रोमांच से भरपूर रहा दोनों ही टीमें अंत तक संघर्ष करती रही और अंतिम समय तक एक भी गोल नहीं कर पाई। अंततः टाईब्रेकर में बरवाडीह के जेएमएफसी ने बोड़ो के आरईएसी को हराया और चैम्पियन बनी। इधर मुकाबला समाप्त होने के बाद बोड़ो टीम के खिलाड़ियों ने आयोजकों, के विरुद्ध जमकर नारे लगाए और मैच फिक्सिंग का आरोप लगाया। खिलाड़ियों का कहना है कि आयोजको की मिलीभगत से उनकी टीम को हराया गया है, रेफरी द्वारा गलत फैसले लिए गए और आयोजकों, स्थानीय कमेटी द्वारा बरवाडीह की टीम को पूरा सपोर्ट किया गया। कुल मिलाकर फाइनल मुकाबला विवादों से भरा रहा और आयोजकों की खूब किरकिरी हुई। ख़बरों से अपडेट रहने के लिए जुड़े हमारे व्हाट्सएप ग्रुप एवं फेसबुक पेज से….
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एक तरफ जहां कोरोना से हो रही मौतों से लोग खौफ के साए में जी रहे हैं तो कहीं, जीवित व्यक्ति को ही मृत घोषित कर दिया जाता है। लखनऊ के नामी सरकारी अस्पताल की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। अस्पताल, जिंदा मरीज को मृत घोषित कर देता है। मृत घोषित कर किया डिस्चार्ज लखनऊ के गोमतीनगर स्थित राम मनहर लोहिया अस्पताल में रविवार को जीवित महिला मरीज को मृत घोषित करके डिस्चार्ज करने का मामला सामने आया है। परिजनों का आरोप है कि जब शव लेकर घर पहुंचे तो महिला की सांसें चल रही थीं। पास के अस्पताल के एक कंपाउंडर को जांच के लिए बुलाया गया था। ये भी हो रहा है कुछ 🙄🙄 pic.twitter.com/zNHAboUYGc — Ashish Ramesh 🇮🇳 (@PandeyAshishh) May 2, 2021 परिवार ने लगाए अस्पताल पर आरोप सांस की तकलीफ के चलते लोहिया संस्थान में चार दिन पहले भर्ती हुई एक महिला मरीज को घरवालों ने जीवित रहते ही मृत घोषित करने का आरोप लगाया है। महिला मरीज को लोहिया की इमरजेंसी में भर्ती कराया था। स्ट्रेचर पर ही उन्हें आक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया था। शाम करीब साढ़े पांच बजे एक डाक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। चल रहीं थीं सांसें- परिवार परिवार वालों के अनुसार रविवार शाम 5.27 बजे मरीज को डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। इसके बाद वह उन्हें अपने घर ले गए। खबरों की मानें तो परिवार वालों ने शाम 7.24 पर देखा कि मरीज मुंह से सांस लेने की कोशिश कर रही हैं। इसके बाद उन्हें घर पर ही तुरंत आक्सीजन सपोर्ट दिया गया। इसके बाद उसे आनन-फानन दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। वीडियो तेजी से हुआ वायरल घरवालों ने लोहिया संस्थान के डाक्टरों की कथित लापरवाही का वीडियो घर से ही बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। उन्होंने बताया कि मरीज को ऑक्सीमीटर लगाने पर उनका आक्सीजन का स्तर 99 व पल्स 50 शो कर रहा है। यह वीडियो लगातार वायरल हो रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार लोहिया संस्थान के सीएमएस ने कहा कि महिला के बारे में इस तरह की घटना होने की सूचना मिली है। मामले की जांच कराई जा रही है। यदि ऐसा हुआ होगा तो यह बहुत गलत है। दोषी डॉक्टर व कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
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ममता बनर्जी को बीजेपी प्रत्याशी शुवेंदु अधिकारी ने हराकर नंदीग्राम से जीत हासिल कर ली है। 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों में नंदीग्राम विधानसभा सीट पर पूरा देश टकटकी लगाए देख रहा था। CM ममता के खिलाफ उनके पुराने साथी और बीजेपी नेता शुवेंदु ने दो-दो हाथ किया, और वो दीदी को हराने में कामयाब हो गए। शुवेंदु ने बचाई पार्टी की ‘नाक’ ममता को शुवेंदु अधिकारी ने 1622 वोटों से हरा दिया है। जैसे ही बंगाल में वोटों की गिनती शुरू हुई, हर किसी को नंदीग्राम सीट का रुझान जानने की बेचैनी हो रही थी। हर कोई जानना चाहता था कि ममता बनर्जी को यहां बढ़त मिलती है या मात? वोटों की गिनती पूरी हो चुकी है और ममता बनर्जी ने शुवेंदु को हरा दिया है। इसी के साथ ममता बनर्जी ने ना सिर्फ अपनी ताकत दिखा दी, बल्कि उन्होंने अपनी ‘नाक’ कटने से बचा ली। भाजपा के शुवेंदु अधिकारी इस सीट पर कई राउंड तक आगे चले, ऐसा लग रहा था कि ममता दीदी के लिए काफी बुरा संकेत साबित होने वाला है। आखिरकार ममता बनर्जी को हार का सामना करना पड़ा। जीत की जानकारी बीजेपी के आईटी प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट करके दी। हांलाकि बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी इस चुनाव को एकतरफा जीतती दिख रही है। This is BIG. Mamata Banerjee, the sitting Chief Minister, loses Nandigram. BJP’s Suvendu Adhikari wins by 1,622 votes. After this crushing defeat what moral authority will Mamata Banerjee have to retain her Chief Ministership? Her defeat is a taint on TMC’s victory… — Amit Malviya (@amitmalviya) May 2, 2021 राजनाथ ने दी बधाई बीजेपी के बड़े नेता व देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ममता बनर्जी को ट्वीट कर जीत की बधाई दी। Congratulations to the Chief Minister of West Bengal, @MamataOfficial Didi on her party’s victory in West Bengal assembly elections. My best wishes to her for her next tenure. — Rajnath Singh (@rajnathsingh) May 2, 2021
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वस्त्र और योग विशेषज्ञों के अनुसार 2021 में 8 सर्वश्रेष्ठ योगा मैट बैग खरीदेंवीरांगना ले जा रहा है a योग चटाई वर्ग आमतौर पर, एक शब्द में, अजीब है। नहीं जब आपके पास इन योग बैगों में से एक है, जो ज़ेन वाइब्स को उस समय से रोल करने में मदद करेगा, जब आप घर छोड़ते हैं। गुड हाउसकीपिंग इंस्टीट्यूट टेक्सटाइल लैब और वेलनेस लैब, जिसने अतीत में योग मैट का परीक्षण किया है, ने भी सर्वश्रेष्ठ बैग खोजने के लिए टीम बनाई। हमने तब अपने पसंदीदा अनुशंसाओं को खोजने के लिए अपने पैनल ऑफ टेस्टर का सर्वेक्षण किया। ये पिक्स आपकी मैट को सुरक्षित रखेंगे, और आपकी यात्रा को आसान बनाने में मदद करेंगे।विज्ञापन - सर्वश्रेष्ठ समग्र रूप से नीचे पढ़ना जारी रखेंलुलुलेमन को रोल योगा मैट बैग मिलता है Lululemon lululemon.com$ 68.00 अभी खरीदो हमारे पैनल के परीक्षकों के अनुसार लुलुलेमोन का ढोना सबसे लोकप्रिय पिक था। अपने व्यावहारिक डिजाइन और मजेदार पैटर्न के साथ, यह देखना आसान है कि क्यों। जिपर बैग की पूरी लंबाई चलाता है, तो यह एक पसीने से तर वर्ग के बाद बैग में अपनी चटाई वापस पाने के लिए सरल है। का उपयोग करते समय लुलुमन मट , कई ने कहा कि बैग काफी कमरे में था। और चाबियाँ और क्रेडिट कार्ड के लिए अतिरिक्त जेब और आपकी पानी की बोतल के लिए एक पॉप-आउट जेब के साथ, इस बैग में वास्तव में यह सब है। सबसे अच्छा मूल्यभयंकर योग मैट बैग वीरांगना अमेजन डॉट कॉम$ 14.99 अभी खरीदो इस योग मैट बैग की न केवल हमारे राउंडअप में सबसे कम कीमत है, बल्कि यह अमेज़ॅन की पसंद भी है। साथ में 21 रंगों और पैटर्न से चुनने के लिए, अपनी शैली में कुछ खोजना आसान है। यह पूरी तरह से चटाई पर झुक जाता है, इसलिए यह खराब मौसम तक खड़ा रहेगा। एक परीक्षक ने इस बैग को 'सही' भी कहा क्योंकि यह 'सुपर टिकाऊ है और इस पर एक बढ़िया पैटर्न है।' ध्यान दें कि यह बैग 25 इंच चौड़ा या 10 मिमी से अधिक मोटा नहीं होगा, यह एक छोटे, पतले चटाई के लिए एक बढ़िया पिक है। और 100% गारंटी वापसी नीति के साथ, इसे आज़माने में कोई बुराई नहीं है। बेस्ट टोटेगयम योग मट टोट बैग वीरांगना अमेजन डॉट कॉम$ 24.98 अभी खरीदो अधिकांश योग मैट बैग एक स्लिंग हैं जो आपके शरीर के पार जाते हैं, लेकिन यह पिक है एक पारंपरिक ढोना बैग के रूप में काम करता है । अपने पूरे चटाई को अंदर फिट करने के लिए आकार दिया, यह बैग आपके पानी की बोतल, तौलिया, और अन्य योग सामान के लिए जगह रखते हुए आपकी चटाई को सुरक्षित रखेगा। समीक्षक ध्यान दें कि 25 इंच से अधिक चौड़ी मैट एक सख्त निचोड़ हो सकती है। यदि आपके पास एक बड़ी चटाई है, तो इसे देखें कमरे में बंद ।बेस्ट स्लिंगयोग हस्टल द हसलर स्लिंग कैनवस योग ऊधम yogahustle.com$ 49.00 अभी खरीदो योग हलचल योग चटाई हमारा टॉप लैब पिक था, और हमारे वस्त्र विशेषज्ञ और संपादक अपने उत्पादों की कसम खाते थे। योग हसल की हसलर स्लिंग कैनवस है पीतल हार्डवेयर और टिकाऊ कैनवास के लक्जरी विवरण एक साधारण डिजाइन होने के नाते। चूँकि यह एक गोफन है, इसलिए यह कक्षा के बाद अनियंत्रित और पैक करने का सबसे तेज़ विकल्प है। ध्यान दें कि यदि आप कठोर मौसम का सामना कर रहे हैं या सामना कर रहे हैं तो भौतिक चटाई को कवर नहीं किया गया है।मैट के साथ बेस्ट बैगलिटिफे योगा मैट और बैग पसीने से तर बेटी अमेजन डॉट कॉम$ 149.95 अभी खरीदो Liforme योग मैट में से एक था हमारे परीक्षण में सर्वश्रेष्ठ इसके सहायक संरेखण मार्करों और सुपर भयावह सतह के लिए। और A + मैट इसके साथ आता है अपना बैग। क्योंकि चटाई और बैग एक साथ डिजाइन किए गए हैं, आप एक सही फिट सुनिश्चित कर सकते हैं। पट्टा पर हल्की गद्दी इसे आपके कंधों में खोदने से रोकती है क्योंकि एक चुनौतीपूर्ण योग कक्षा के कारण किसी भी व्यथा को होना चाहिए। ध्यान दें कि कुछ परीक्षकों को यह चटाई भारी तरफ मिली। बेस्ट जिम बैग हाइब्रिडयोग चटाई धारक के साथ एमबी KRAUSS जिम बैग वीरांगना अमेजन डॉट कॉम अभी खरीदो यह बैग योग और किसी भी अन्य कसरत के लिए काम करता है। इसमें आपके गियर के लिए एक विशाल मुख्य डिब्बे और आपकी पानी की बोतल के लिए एक आंतरिक जेब है। साथ में बाहरी पट्टियाँ, आपका योग चटाई बैग के सामने की तरफ आसानी से जुड़ जाता है । साथ ही, आपके पोस्ट-हॉट योगा कपड़ों को अलग रखने के लिए सामने आईपैड स्लीव और ज़िप्ड कम्पार्टमेंट है। प्रतिभा!बेस्ट डफेलकिंडफोक योग मैट डफेल बैग वीरांगना अमेजन डॉट कॉम $ 39.99$ 34.99 (13% की छूट) अभी खरीदो यह कैरी-ऑल डफेल है आपके मैट प्लस ब्लॉक, एक पट्टा और एक योग तौलिया फिट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है अनुभवी योगी के लिए। 26 इंच चौड़ी के तहत सिटिंग मैट, यह डफेल मोटे मैट के लिए बहुत अच्छा है क्योंकि इसमें एक विशाल इंटीरियर है। 4.8 / 5 सितारों और 477 सकारात्मक समीक्षाओं के साथ, यह बैग अमेज़ॅन पसंदीदा है। इसके अलावा, किन्डफोक प्रत्येक को खरीदे गए बैग के लिए $ 1 दान करता है A21 , दुनिया भर में दासता को समाप्त करने के लिए समर्पित एक गैर-लाभकारी संस्था।बेस्ट बैगयोग सक मूल वीरांगना अमेजन डॉट कॉम$ 49.95 अभी खरीदो स्लिंग या एक-कंधे वाले बैग कुछ के लिए असुविधाजनक हो सकते हैं, खासकर यदि आप क्लास में जा रहे हैं। यह बैकपैक स्टाइल है समान रूप से दोनों कंधों में वजन वितरित करता है आराम के लिए। आपकी चटाई केंद्र में आ जाती है और किनारे चटाई के चारों ओर चिपक जाते हैं जिससे चटाई का शीर्ष चिपक जाता है। आवश्यक वस्तुओं के लिए zippered जेब हैं, लेकिन समीक्षक ध्यान दें कि वे छोटे पक्ष में हैं इसलिए यह पूर्ण जिम बैग के लिए प्रतिस्थापन नहीं है।यह सामग्री तृतीय पक्ष द्वारा बनाई और बनाए रखी जाती है, और उपयोगकर्ताओं को उनके ईमेल पते प्रदान करने में मदद करने के लिए इस पृष्ठ पर आयात किया जाता है। आप इसके बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने में सक्षम हो सकते हैं और पियानो.आईओ विज्ञापन में इसी तरह की सामग्री - नीचे पढ़ना जारी रखें
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|इलेक्ट्रिक बसें उतारने के लिए जापान से बात कर रही है पंजाब सरकार |PTI / चंडीगढ़ December 02, 2019| दो दिसंबर (भाषा) पंजाब सरकार राज्य में इलेक्ट्रिक या बिजलीचालित बसें उतारने के लिए जापान से बातचीत कर रही है। सरकार ने सोमवार को कहा कि ये इलेक्ट्रिक बसें जापान की अत्याधुनिक तेजी से चार्ज होने वाले लिथियम आयन बैटरियों के मॉडल पर आधारित होंगी। इस परियोजना को पायलट आधार पर पांच बसों के साथ चंडीगढ़ और पटियाला में शुरू किया जाएगा। सरकार प्रगतिशील पंजाब निवेशक सम्मेलन, 2019 के दौरान जापानी इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) पर विचार विमर्श को आगे बढ़ाएगी। इस बार जापान का विदेश व्यापार संगठन (जेईटीआरओ) इसमें भागीदारी कर रहा है। पंजाब 5 ओर 6 दिसंबर को निवेशक सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। जापान के भारत में राजदूत की अगुवाई में एक प्रतिनिधिमंडल इसमें भाग लेगा। पंजाब के उद्योग एवं वाणिज्य विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव विजी महाजन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सम्मेलन में मित्सुई, एसएमएल इसुजु, मित्सुबिशी और यन्मार भी भाग ले रही हैं। भाषा अजय अजय महाबीर
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*Image by IPRD, Jharkhand मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखण्ड की बच्चियां अन्य राज्य जाकर दाई व आया का काम करें। यह पीड़ादायक है। सरकार इसको लेकर चिंतित है। सरकार ने इसपर संज्ञान लिया है। राज्य की बच्चियों को नर्स का प्रशिक्षण प्रदान कर, उन्हें हुनरमंद बनाकर रोजगार से जोड़ा गया। उनके आर्थिक स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त हुआ। वे देश के बड़े अस्पतालों में बतौर नर्स मानव सेवा कर रहीं हैं। सरकार का यह संकल्प है कि मानव तस्करी की शिकार बच्चियों को हुनरमंद बनाकर रोजगार से जोड़ा जाएगा। मुख्यमंत्री ने बच्चियों को आश्वस्त किया कि उन्हें चिंतित होने की आवश्यकता नहीं। उनका बड़ा भाई राज्य की देखरेख में लगा है। झारखण्ड महिला सशक्तिकरण की दिशा में अग्रसर है। वयस्क होने तक सभी बच्चियों को दो हजार रुपये प्रतिमाह, वयस्क को रोजगार से है जोड़ना मुख्यमंत्री ने कहा कि इन बच्चियों को आत्मनिर्भर बनाने के दिशा में कार्य होगा। बच्चियों की इच्छा के अनुरूप सरकार निर्णय लेगी। वयस्क होने तक सभी बच्चियों को प्रतिमाह दो हजार रुपये दिया जाएगा। वयस्क बच्चियों को रोजगार से जोड़ने का कार्य होगा। उनकी जिंदगी का नया सफर प्रारंभ होगा। इस प्रारंभ में सरकार सदैव बच्चियों के साथ है। इस मौक़े पर सांसद श्री विजय हांसदा, विधायक श्री मथुरा महतो, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव श्री राजीव अरुण एक्का, प्रधान सचिव श्री अविनाश कुमार, सचिव श्रीमती पूजा सिंघल, श्री डी.के सक्सेना व विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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शिवराज के गढ़ में ढाई करोड़ की डकैती की तैयारी आज साक्षात देखी जा सकती है ग्यारह से लेकर पांच बजे तक सिंधिया महाराज के गुना में भी ऐसी गड़बड़ी सामने आ चुकी है खेल दस हजार करोड़ की संपत्ति को औने-पौने दामों में ठिकाने लगाने का गगन चतुर्वेदी / खबर नेशन / Khabar Nation मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले सीहोर में आज लगभग ढ़ाई करोड़ रुपए की डकैती की तैयारी की जा रही है । मध्यप्रदेश के सरकारी उपक्रमों को औने-पौने दामों में बेचने को लेकर बनाए गए लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा किस तरह संपत्ति का मूल्यांकन किया जा रहा है यह उसकी एक बानगी है । अगर इसी तरह सरकारी उपक्रमों को खुर्द बुर्द किया गया तो यह आंकड़ा आठ हजार करोड़ तक भी पहुंच सकता है । आप चाहें तो इसे आज साक्षात देख सकते ग्यारह से लेकर पांच बजे तक सीहोर के पचामा स्थित मध्यप्रदेश तिलहन संघ के संयंत्र में । मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खाली खजाने के संकट से जूझ रहे हैं । इसे भरने के लिए सार्वजनिक उपक्रमों, निगम मंडल की संपत्तियों का सहारा लिया जा रहा है । गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में विभिन्न विभागों की प्रदेश की सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण और अवैध कब्जे की जानकारी सामने आई हैं । जिसे लेकर मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग का गठन किया है । जो सरकारी संपत्तियों की कीमत तय कर उन्हें बेचेंगी । शीर्षक में उल्लेखित डकैती मध्यप्रदेश तिलहन संघ के पचामा संयंत्र में स्क्रैप बेचने की आड़ में की जा रही है । सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि स्क्रैप की कीमत लगभग आठ से नौ करोड़ के आसपास है । स्क्रैप की कीमत लगभग चार करोड़ 80 लाख आंकी गई है । टेंडर में स्क्रैप के विवरण नहीं दिए गए हैं । जिससे पचामा संयंत्र में लगे अन्य उपकरण भी बेचे जा सकते हैं । निविदा शर्तो के अनुसार वित्तीय निविदा आज तीन बजे खोली जाना है । और चार बजे से ऑक्शन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी । मनचाही पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए ऑक्शन की प्रक्रिया को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है । जब इस बारे में इस टेण्डर को लेकर लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा नियुक्त किए गए मध्यप्रदेश राज्य सड़क विकास निगम के मुख्य महाप्रबंधक प्रदीप जैन से इस बारे में चर्चा की तो उन्होंने बताया कि प्रक्रिया पूर्ण रूप से सही है । वे इस बात का समाधान कारक ज़बाब नहीं दे सके कि फायनेंसियल बिड खोले बिना ऑक्शन किस आधार पर किया जा रहा है । सूत्रों के अनुसार ऐसा ही एक मामला सिंधिया महाराज के गुना जिले में सामने आया था । जब संपति की कीमत 14 करोड़ 78 लाख रुपए ऑफसेट प्राइज तय की गई थी । जो नीलामी में लगभग 68 करोड़ के आसपास बेची गई । सवाल है कि संपत्तियों की कीमत इतनी कम कैसे तय की गई ? वे कौन अधिकारी और राजनेता हैं जो मिलकर सरकारी संपत्तियों को औने-पौने दामों में ठिकाने लगाने का काम कर रहे हैं ? जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह जिले में यह खेल खेला जा रहा है तो प्रदेश में अन्य जगह क्या स्थिति होगी । 10 हजार करोड़ से भी ज्यादा की संपत्ति प्रदेश में तिलहन संघ के छह प्लांट है। इनकी कुल संपत्ति मिलाकर 10 हजार करोड़ से भी ज्यादा की है। हर प्लांट के पास 100 एकड़ से भी ज्यादा भूमि है और इसके अलावा प्लांट की मशीने और अन्य संसाधन भी हैं। पचामा प्लांट के पास कुल 100 एकड़ जमीन है। जिसकी कीमत 400 करोड़ है इसके अलावा मशीनें और अन्य संसाधन और प्लांट की कॉलोनी भी हैं।
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महाराष्ट्र में 15 दिन तक कर्फ्यू से नाखुश FWICE, मुख्यमंत्री से की इंड्स्ट्री के डेली वर्कर्स की मदद करने की अपील 4/15/2021 11:10:30 AM बॉलीवुड तड़का टीम. देश में आए दिन कोरोना संक्रमितों के डराने वाले आंकड़े सामने आते हैं। भारत के महाराष्ट्र में सबसे ज्यााद कोरोना का प्रकोप देखने को मिल रहा है। हालतों को बढ़ता देख वहां के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य में 15 दिन के लिए कर्फ्यू लगा दिया है। 14 अप्रैल रात 8 बजे से पूरे महारष्ट्र में एक तरह का मिनी लॉकडाउन लागू हो गया है। हालांकि फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (FWICE) भी ने मुख्यमंत्री के इस फैसले से नाखुश है और उन्होंने इंड्स्ट्री में काम करने वाले डेली वर्कर्स की मदद करने की अपील की है। FWICE का कहना है कि अगर फिल्मों, विज्ञापनों या टीवी सीरियल्स की शूटिंग पूरी तरह बंद रही है तो इंडस्ट्री बहुत बड़ा नुकसान होने वाला है। FWICE के जनरल सेक्रेटरी अशोक दुबे ने कहा, ‘फिल्म इंडस्ट्री इस कर्फ्यू का पालन करेगी, लेकिन सरकार को भी हमारे वर्कर की आर्थिक मदद करनी चाहिए। 30 अप्रैल तक हर प्रकार की शूटिंग पूरी तरह बंद रहेगी। लेकिन इसके बदले हम चाहते हैं कि सरकार आगे आए और डेली वर्कर्स की आर्थिक मदद करे। हमारे पास सारे वर्कर्स की पूरी लिस्ट और उनके अकाउंट नंबर हैं हम सरकार के साथ वो शेयर कर सकते हैं। डेली वर्कर्स पहले भी काफी नुकसान झेल चुके हैं। तो हम नहीं चाहते कि वर्कर्स के पहले जैसे हालात दोबारा बनें। इसलिए हम चाहते हैं कि मुख्यमंत्री हमारे वर्कर्स की भी उसी तरह मदद करें जैसे वो बाकी जगह के वर्कर्स की कर रहे हैं’। अशोक दुबे ने आगे कहा, 'हम चाहते हैं कि सरकार हमें कम से कम वो कंसट्रक्शन पूरा करने की अनुमति दे दे जो बीच में लटका हुआ है। कुछ सेट पर कंसट्रक्शन का काम चल रहा है हमें उसे पूरा करने दें। हम ये आश्वासन दिलाते हैं कि हमारे वर्कर्स काम करने के साथ-साथ वहीं रहेंगे और कोविड के सारे रूल्स फॉलो करेंगे'।
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भोपाल. मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना (CORONA) के कहर के बीच पुलिस की बेरहमी की तस्वीरें सामने आई हैं। मामला शहर के कोलार इलाके का है जहां एक युवक के साथ पुलिस ने बीच सड़क पर जो व्यवहार किया उसे पुलिस की गुंडागर्दी बताया जा रहा है। बाइक से मां को ले जा रहे युवक को रोकने के बाद पुलिसकर्मी झूमाझटकी करते हुए जबरदस्ती उसे डायल 100 में बैठाकर थाने ले गई। इस दौरान युवक मां को डॉक्टर के पास ले जाने की बात कहकर चिल्लाता रहा और मां भी गुहार लगाती रही लेकिन पुलिसकर्मियों ने किसी की नहीं सुनी। सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो सोशल मीडिया पर जो वीडियो वायरल हो रहा है वो भोपाल के कोलार इलाके का है। बताया जा रहा है कि युवक बाइक से अपनी मां को कोरोना टेस्ट कराने के लिए ले जा रहा था। इसी दौरान रास्ते में चैकिंग करने तैनात पुलिसकर्मियों ने उन्हें रोका। इसी दौरान किसी बात को लेकर पुलिसकर्मी नाराज हो गए और युवक को बाइक से उतारकर जबरदस्ती थाने ले जाने लगे। युवक ने विरोध किया तो पुलिसकर्मियों ने उसके साथ जो व्यवहार किया उसे लेकर सोशल मीडिया पर तरह तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। पुलिसकर्मी युवक से हाथपाई करने लगे और उसे जबरदस्ती डायल 100 में बैठा दिया। युवक मां को डॉक्टर के पास ले जाने की बात कहते हुए चिल्लाता रहा और मां भी बेटे को छोड़ देने की गुहार पुलिसकर्मियों से लगाती रही लेकिन पुलिसकर्मियों ने दोनों में से किसी की भी नहीं सुनी। वीडियो वायरल होने के बाद बिना कार्रवाई के छोड़ा युवक के साथ पुलिसकर्मियों के अमानवीयता किए जाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद पुलिस की ओर से भी इस मामले में सफाई आई है। पुलिस की तरफ से कहा गया है कि युवक लॉकडाउन का पालन कराने के लिए लगाए गए बैरिकेट्स को हटाकर बाइक निकालने का प्रयास कर रहा था और जब उसे ऐसा न करने के लिए कहा गया तो वो विवाद करने लगा। पुलिस ने ये भी बताया कि युवक की मां ने बताया है कि वो उनका कोरोना टेस्ट कराने के लिए जा रहा था इसके बाद युवक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है और उसे छोड़ दिया गया है।
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