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Input:
```

॥ चौपाई ॥ 
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर। 
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ 
राम दूत अतुलित बल धामा। 
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ 
महाबीर बिक्रम बजरंगी | 
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ 
कंचन बरन बिराज सुबेसा। 
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ 
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै | 
काँधे मूँज जनेऊ छाजै ॥ 
शंकर स्वयं केसरी नन्दन | 
तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥ 
बिद्यावान गुणी अति चातुर । 
राम काज करिबे को आतुर ॥ 
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया | 
राम लखन सीता मन बसिया ॥ 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा | 
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥ 
भीम रूप धरि असुर सँहारे | 
```

Output:
```

{
"Tokens": "॥ चौ पाई ॥ जय हनुमान ज्ञा न गु ण सागर। जय कपीस तिहुँ लोक उजा गर ॥ राम दूत अतुलित बल धा मा । अंजनि पु त्र पवनसुत नामा ॥ महा बी र बि क्रम बजरंग ी | कुमति निवा र सुमति के संग ी ॥ कं चन बरन बि राज सुबे सा। कानन कु ण ् ड ल कु ं चित के सा ॥ हा थ ब ज्र अरु ध ् व जा बि राजै | का ँ धे मू ँ ज जने ऊ छा जै ॥ श ं कर स्व य ं के सरी नन् द न..." ,
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}

```



Input:
```


| ऐलानामःघरेजपुनः सुमित्राके प्रथम पुत्रको लक्ष्मण 

.. नामधेरे छोटेको'शघ्ृहत ऐसानास घरघो भर्धात्‌ चरौनाम कैशरि चंद- 
नादिते पीषरके- /लिखि पूजनकरि बालकनके दक्षिण कानन में 


।सबांचिआने- 

काश केश महक लत पत्तारानिनकोदैदीन्हे तित्रको 

'प्रेमानेदर्में मरनभई सनते सकलसुख लहे उपायड भाव परिर 

पूर्ण मनोरथ पाय तनमें प्रेमकी पुलकावली भरिगई ग्राम ख्री बारमु- 

: ख्याढाढ़ीं कलौंडत इत्यादि को पुरमें गान तथा देवलोंकक्रे गेधवे अप्सरा 

आकाशमें विमाननपर ग्राइरहीं पुरमें निशान बाजा ढोल ताला: माँ 

अरुदेगादि बाजिरदे-तथा देवता दुदुभी आदि यंजायरहे इत्पादि गान नि 
एब्ती में तथा आकारमें दो ऊे 

```
Output:

```

{
"Tokens": "| ऐ ला नाम ः घ रे ज पुन ः सुमि त्रा के प्रथम पु त्र को लक् ष् म ण . . नाम धे रे छो टेको ' श घ ् ृ हत ऐ सा ना स घ र घो भ र् धा त् ‌ चर ौ नाम कै श रि चंद - नादि ते पी ष र के - / लिखि पू जनकरि बा लकनके द क् षि ण कानन में । सबा ं चि आने - का श के श म ह क ल त प त् ता रा नि न को दै दीन्हे ति त्र को..." ,
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जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥ 
राम दूत अतुलित बल धामा। 
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ 
महाबीर बिक्रम बजरंगी | 
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ 
कंचन बरन बिराज सुबेसा। 
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ 
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै | 
काँधे मूँज जनेऊ छाजै ॥ 
शंकर स्वयं केसरी नन्दन | 
तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥ 
बिद्यावान गुणी अति चातुर । 
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राम लखन सीता मन बसिया ॥ 
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा | 
बिकट रूप धरि लंक जरावा ॥ 
भीम रूप धरि असुर सँहारे | 
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.. नामधेरे छोटेको'शघ्ृहत ऐसानास घरघो भर्धात्‌ चरौनाम कैशरि चंद- 
नादिते पीषरके- /लिखि पूजनकरि बालकनके दक्षिण कानन में 


।सबांचिआने- 

काश केश महक लत पत्तारानिनकोदैदीन्हे तित्रको 

'प्रेमानेदर्में मरनभई सनते सकलसुख लहे उपायड भाव परिर 

पूर्ण मनोरथ पाय तनमें प्रेमकी पुलकावली भरिगई ग्राम ख्री बारमु- 

: ख्याढाढ़ीं कलौंडत इत्यादि को पुरमें गान तथा देवलोंकक्रे गेधवे अप्सरा 

आकाशमें विमाननपर ग्राइरहीं पुरमें निशान बाजा ढोल ताला: माँ 

अरुदेगादि बाजिरदे-तथा देवता दुदुभी आदि यंजायरहे इत्पादि गान नि 
एब्ती में तथा आकारमें दो ऊे 

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Output:

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